Madhya Pradesh

Seoni

CC/13/2013

JUGAL KISHOR - Complainant(s)

Versus

GENERAL MANAGER ORIENTAL INSURANCE - Opp.Party(s)

27 May 2013

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)


 प्रकरण क्रमांक -13-2013                              प्रस्तुति दिनांक-02.01.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

जुगल किषोर दीक्षित, आत्मज श्री छेदीलाल
दीक्षित, उम्र लगभग 65 वर्श, सेवानिवृत्त
षिक्षक, सदगुरू षिवालय के सामने,
बरघाट, जिला सिवनी (म0प्र0)।...................................आवेदकपरिवादी।


                :-विरूद्ध-: 
                 
प््रााधिकृत अधिकारीजनरल मैनेजर, दि
ओरिएण्टल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, 
पंजीकृत कार्यालय ''ओरिएण्टल हाउस
पोस्ट बाक्स नंबर-7037,-2527
आसफ अली रोड, नर्इ दिल्ली 
110002.......................................................................अनावेदकविपक्षी।

                    
                 :-आदेश-:
     (आज दिनांक-  27/05/2013            को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1)        परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, उसके स्वामित्व की महिन्द्रा कम्पनी के चारपहिया छोटा वाहन पिकअप, रजिस्ट्रेषन नंबर-एम0पी0 22-जी 1748 जो अनावेदक द्वारा बीमित था, उक्त वाहन में धान के बोरे  परिवहन करते समय आग लग जाने से हुर्इ दुर्घटना में वाहन के क्षति के बीमा क्लेम को अनावेदक द्वारा, पत्र दिनांक-12.01.2012 के माध्यम से अस्वीकार कर देने को अनुचित बताते हुये, बीमा क्लेम की राषि व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2)         यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी का उक्त वाहन, अनावेदक बीमा कम्पनी के पालिसी क्रमांक-1539003120109006 के द्वारा दिनांक-22.01.2010 से 21.01.2011 तक की अवधि के लिए बीमित रहा है। यह भी विषिश्टत: विवादित नहीं है कि-दिनांक-18.03.2010 को उक्त वाहन-पिकअप में धान के बोरे भरकर, बरघाट की ओर ले जाते समय ग्राम-अंखीवाड़ा के पास वाहन के रस्सी व त्रिपाल में लगी आग फैल जाने से वाहन, आग में जलकर क्षतिग्रस्त हो गया। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी के क्लेम बाबद, अनावेदक बीमा कम्पनी ने सर्वेयर, अमित षर्मा से स्पाट सर्वे और श्री के0के0 अग्रवाल से फायनल सर्वे करवाया था तथा सुनील यादव इन्वेस्टीगेटर से जांच, परिवादी के क्लेम बाबद करवार्इ गर्इ, तो जांचकत्र्ता सुनील यादव की जांच रिपोर्ट के आधार पर, अनावेदक बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लेम, वाहन में ओवर लोडिंग रहे होने के आधार पर अस्वीकार कर दिया।
(3)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- परिवादी के ग्राम-आश्टा के घर से धान के बोरे 20 नग परिवादी के अपने बरघाट सिथत मकान में उक्त पिकअप वाहन में लाते समय ग्राम- अंखीवाड़ा में अचानक चलते वाहन में आग लग गर्इ, जिससे घबराकर ड्रायवर ने गाड़ी खेत में उतार कर देखा, तो रस्सी और त्रिपाल में आग लग चुकी थी और थोड़ी देर में पूरी गाड़ी आग की चपेट में आ गर्इ, तत्काल फायर बि्रगेड भी बुलवाया गया, लेकिन पूरी धान की बोरियां व वाहन पूर्णत: आग में जलकर नश्ट हो गये, जिससे वाहन की नुकसानी 3,98,789-रूपये तथा धान व अन्य सामग्री की 40,000-रूपये की नुकसानी हुर्इ, घटना की षिकायत संबंधित थाना-बरघाट में दर्ज करार्इ गर्इ थी और पालिसी की प्रति व नुकसानी के इस्टीमेंट आदि के दस्तावेजों सहित, दावा, अनावेदक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में पेष किया गया था, जो कि-अधिकृत सर्वेयर के द्वारा सर्वे की कार्यवाही की गर्इ और इन्वेस्टीगेटर, सुनील यादव द्वारा जांच की गर्इ, जो कि-संपूर्ण संतुिश्ट व पुशिट के बाद भी जानबूझकर दावा निराकरण में विलम्ब किये जाने पर, सुनील यादव की षिकायत भी की गर्इ थी, जिनके विरूद्ध जांच व कार्यवाही का आष्वासन देकर दावा लमिबत रखा गया और अचानक दिनांक-11.08.2011 के पत्र के द्वारा क्लेम निरस्ती की सूचना अनुचित आधारों पर दी गर्इ।
(4)        अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-परिवादी द्वारा, वाहन का वैध ड्रायविंग लायसेन्स पेष नहीं किया गया है, वाहन के चालक द्वारा वाहन में लदे माल की ओर ध्यान न देकर, लटक रहे बिजली के तारों को देखते हुये भी लापरवाहीपूर्वक वाहन को चलाया, वाहन-पिकअप में क्षमता से अधिक माल भरकर ले जाया जा रहा था, जो कि-वाहन में बने हुये डाला से अधिक उंचार्इ तक माल भरा गया, जो निषिचत रूप से जमीन से अधिक उंचार्इ पर था, जबकि-वाहन में जमीन से 7 फिट उंचार्इ तक ही माल भरा जा सकता है और वाहन में अत्यधिक उंचार्इ तक बोरे भरे जाने के कारण, बिजली के तार से वाहन टकराया, जिसके लिए परिवादी व उसका ड्रायवर ही जिम्मेदार है और अनावेदक का कोर्इ प्रतिकर राषि अदायगी का दायित्व नहीं। उक्त वाहन की भार क्षमता मात्र 1192 किलोग्राम है, जबकि-वाहन में लगभग 2500 किलोग्राम धान भरी है, जो कि-रजिस्ट्रेषन के अनुसार, भार क्षमता से अधिक माल की लदान करना, पालिसी षर्तों का उल्लघंन है, इसलिए अनावेदक का कोर्इ क्षतिपूर्ति दायित्व नहीं। और सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार, वाहन में लदे माल का बीमा नहीं किया गया था, तो वाहन में लदे माल की क्षति का आंकलन किया जाना विधि-विरूद्ध है, जबकि- माल के संबंध में माल का बीमा नहीं कराया गया है, लेकिन परिवादी के द्वारा पेष दस्तावेज, समाचार-पत्र से यह प्रतीत होता है कि-वाहन के चालक द्वारा लटकते हुये बिजली के तार को देखकर भी जानबूझकर वाहन निकाला गया, जबकि-विधुत मण्डल द्वारा जमीन से लगभग 30 फिट की उंचार्इ पर विधुत प्रवाह हेतु तार लगाये जाने चाहिये, परन्तु परिवादी द्वारा विधुत विभाग को मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया है, जो उचित पक्षकार के आभाव में दावा प्रथमदृश्टया पोशणीय नहीं है।
(5)        मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
        (अ)    क्या अनावेदक द्वारा, दिनांक-12.01.2012 के
            पत्र के माध्यम से परिवादी के क्लेम को अस्वीकृत
            कर दिया जाना, अनुचित होकर, परिवादी के प्रति
            की गर्इ सेवा में कमी है?े
        (ब)    सहायता एवं व्यय?
                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6)       मामले में यह अविवादित सिथत है कि-अनावेदक ने स्पाट सर्वे, सर्वेयर श्री अमित षर्मा से व फायनल सर्वे, सर्वेयर के.के. अग्रवाल से करवाया था। और अनावेदक-पक्ष की ओर से प्रदर्ष आर-1 की फायनल सर्वे रिपोर्ट दिनांक-05.07.2010 से यह स्पश्ट है कि-सर्वेयर ने उसे दी गर्इ सूचना के आधार पर, दुर्घटना के समय वाहन में धान के 20 बोरे भरकर परिवहन में रहे होना, जो कि-प्रत्येक बोरे का वजन 50 किलो रहा होना, इस तरह कुल-1000 किलोग्राम धान का परिवहन होना पाया था, जो वाहन की पे-लोड क्षमता 1192 किलोग्राम की सीमा का रहा है और इस तरह ओवर-लोडिंग का मामला रहा होना नहीं पाया गया। परंतु अनावेदक के द्वारा प्रदर्ष आर-1 की सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर, क्लेम के निराकरण की कार्यवाही नहीं की गर्इ, बलिक सर्वेयर सुनील यादव जाचकत्र्ता से जांच करार्इ गर्इ और क्लेम के निराकरण में विलम्ब होने पर, परिवादी-पक्ष की ओर से दिनांक-16.12.2010 का क्लेम निरकारण का पत्र अनावेदक के विकास अधिकारी व संभागीय कार्यालय को रजिस्टर्ड-डाक से भेजा गया, जिसकी पोस्टल रसीद प्रदर्ष सी-16 और सी-17 परिवादी-पक्ष की ओर से पेष की गर्इ है।
(7)        कथित जांचकत्र्ता सुनील यादव द्वारा, जांच में परिवादी का कथन अंकित किये गये थे और उक्त जांचकत्र्ता द्वारा क्लेम पास कराने के लिए 30,000-रूपये की घूश की मांग किये जाने और जली हुर्इ धान की मात्रा 20 बोरी के स्थान पर, 50 बोरी लेखकर अधिक क्लेम दिलाने के प्रलोभन के आधार पर, लिखित बयान में 50 बोरी धान रही होना लेख है, जांचकत्र्ता द्वारा परिवादी के बयान में लिख लेने के संबंध में षिकायती-पत्र दिनांक-25.07.2011 परिवादी द्वारा, अनावेदक के प्रधान कार्यालय को भेजा जाना कहते हुये, उसकी प्रति प्रदर्ष सी-14 मामले में पेष की गर्इ है और यह भी स्पश्ट है कि-परिवादी ने तत्पष्चात क्लेम निराकरण की सूचना प्रदर्ष सी-20 प्राप्त हो जाने पर, दिनांक-23.11.2011 को सूचना के अधिकार के तहत आवेदन स्पाट सर्वे, फाइनल सर्वे व जांचकत्र्ता सुनील यादव द्वारा लिये गये बयान और उसके प्रतिवेदन की प्रतियां देने के संबंध में अनावेदक को 10-रूपये के स्टाम्प सहित जो भेजा था, उसकी प्रति प्रदर्ष सी-18 और उक्त आवेदन अनावेदक बीमा कम्पनी के द्वारा निरस्त कर दिये जाने की सूचना दिनांक-12.01.2012 प्रदर्ष सी-19 के रूप में परिवादी- पक्ष की ओर से पेष की गर्इ है, जो कि-प्रदर्ष सी-19 से यह स्पश्ट है कि-विहित षुल्क, आवेदन के साथ न प्रेशित किये जाने के आधार पर, अनावेदक ने उक्त आवेदन निरस्त कर दिया।
(8)        प्रदर्ष सी-20 का जो क्लेम अस्वीकृति का सूचना दिनांक- 11.08.2011 है, वह इस बात को आधार बनाकर है कि-जांचकत्र्ता सुनील यादव को परिवादी और उसके ड्रायवर द्वारा दिये गये कथन में दुर्घटना के समय वाहन में 50 बोरी धान परिवहन किया जाना दर्षाया गया है, इसलिए वाहन में कुल-2,500 किलोग्राम लोड था, जो वाहन की भार वाहन क्षमता 1192 किलोग्राम से अधिक ओवर-लोड होने के कारण, क्लेम अस्वीकार किया गया। 
(9)        अनावेदक की ओर से पेष परिवाद के जवाब में इस बाबद कोर्इ स्पश्टीकरण नहीं है कि-सर्वेयर के.के. अग्रवाल के अंतिम सर्वे रिपोर्ट के पष्चात अन्य जांचकत्र्ता सुनील यादव से जांच रिपोर्ट किन आधारों पर और क्यों प्राप्त की गर्इ और उक्त दूसरे सर्वेयर से जांच कराने का कौन सा समुचित कारण रहा है, जो कि-न्यायदृश्टांत-2003 (भाग-1) सी0पी0जे0 35 (राश्ट्रीय आयोग) नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम न्यू पटियाला क्रेडिट कम्पनी में दी गर्इ प्रतिपादना से यह  स्पश्ट है कि-इंष्योरेंस अधिनियम की धारा-64 यू.एम. के उपखण्डों और परंतु में दिये गये प्रावधानों के तहत प्रथम सर्वेयर की रिपोर्ट को अस्वीकार किये जाने के विषिश्ट कारण बीमा कम्पनी द्वारा दर्षाया जाना आवष्यक है और बीमाकत्र्ता प्रथम सर्वेयर की रिपोर्ट का खण्डन करने के लिए द्वितीय सर्वेयर को नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र नहीं है।
(10)        स्पश्ट है कि-अनावेदक बीमा कम्पनी को उसके द्वारा किये गये परिवादी के क्लेम अस्वीकृति के समुचित आधार रहे होना स्थापित व प्रमाणित करना आवष्यक है, जो कि-प्रस्तुत मामले में जहां क्लेम अस्वीकृति का आधार, प्रदर्ष सी-20 के अस्वीकृति-पत्र में जांचकत्र्ता सुनील यादव द्वारा लिये गये कथन में ओवर-लोडिंग की स्वीकृति होना दर्षाया गया है, तो ऐसी मौखिक स्वीकारोकित स्वतंत्र स्वीकृति रही होना अनावेदक द्वारा प्रमाणित किया जाना आवष्यक रहा है और क्लेम अस्वीकृति के ऐसे आधार को जांचकत्र्ता द्वारा लेख किये गये कथन और जांचकत्र्ता की साक्ष्य पेष किये बिना स्थापित नहीं किया जा सकता।
(11)        प्रस्तुत मामले में अनावेदक-पक्ष की ओर से परिवादी के जांचकत्र्ता द्वारा लिये गये कथन की प्रतियां मांगने पर परिवादी को भी नहीं दी गर्इं और इस मामले में भी अनावेदक-पक्ष की ओर से पेष नहीं की गर्इं, न ही कथित जांचकत्र्ता की कोर्इ साक्ष्य पेष की गर्इं, ऐसे में क्लेम अस्वीकृति बाबद समुचित सामग्री व समुचित आधार रहे होना, अनावेदक स्थापित नहीं कर सका।
(12)        स्वयं अनावेदक के द्वारा पेष किये गये परिवाद के जवाब में जो अतिरिक्त कथन किये गये हैं, उनमें भी वाहन में धान के कुल-20 बोरे ही रहे होना दर्षाया गया है और अनावेदक-पक्ष की ओर से साक्ष्य में एकमात्र दस्तावेज प्रदर्ष आर-1 का सर्वेयर का अंतिम सर्वे रिपोर्ट जो पेष किया गया है, उसमें भी वाहन में कुल धान के 20 बोरे और इस तरह कुल-1000 किलोग्राम धान लोड रही होना दर्षाया गया है, तो अनावेदक-पक्ष ऐसी कोर्इ सामग्री पेष नहीं कर सका, जिसके आधार पर, वाहन के आग से जलने की दुर्घटना के समय उसमें कोर्इ ओवर- लोडिंग रही होना दर्षित होता, बलिक उसके स्थान पर, अनावेदक के जवाब के अतिरिक्त कथन में वाहन में विहित उंचार्इ से अधिक उंचार्इ तक धान के बोरे भरे जाने का एक नया बचाव लेख किया गया है, जिसके संबंध में कोर्इ सामग्री अभिलेख में नहीं है। और प्रदर्ष सी-20 के क्लेम अस्वीकृति-पत्र में भी ऐसा कोर्इ उल्लेख नहीं है।
(13)        तब, जब अनावेदक यह स्थापित नहीं कर सका है कि- घटना के समय वाहन में कोर्इ ओवर लोडिंग रहा है, तो बीमा षर्तों का उल्लघंन परिवादी द्वारा किया जाना अनावेदक स्थापित नहीं कर सका है, ऐसे में अनावेदक के द्वारा, परिवादी के क्लेम को अस्वीकार किया जाना अनुचित है और परिवादी के प्रति की गर्इ सेवा में कमी है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(14)        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर, यह स्थापित है कि-अनावेदक-पक्ष को परिवादी के क्लेम का उचित भुगतान करना था और अनावेदक ने अनुचित रूप से क्लेम को अस्वीकार किया है, प्रदर्ष आर-1 के सर्वेयर की अंतिम रिपोर्ट से यह भी स्पश्ट है कि- वाहन पूरे तरीके से जला हुआ था और टोटल लास का मामला था, तो वाहन के रिपेयर के आधार पर स्टीमेंट का आंकलन भी सर्वेयर की रिपोर्ट में वाहन के बीमित मूल्य के बराबर है, तो टोटल लास के आधार पर किये गये मूल्यांकन में वाहन के पूरे जल जाने पर कोर्इ विषेश आर्इटम रिडियेटर आदि का मूल्य, गणना में घटाये जाने हेतु कोर्इ आधार नहीं और इसलिए वाहन की बीमा पालिसी प्रदर्ष सी-1 में दर्षाये वाहन के बीमित मूल्य में 2,50,000-रूपये में-से बीमा क्लास के तहत 500-रूपये घटाते हुये, 2,49,500-रूपये क्लेम का भुगतान अनावेदक द्वारा, परिवादी को, परिवादी से साल्वेज प्राप्त कर किया जाना चाहिये था।
(15)        तब मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
        (अ)    अनावेदक के द्वारा, परिवादी का क्लेम अस्वीकार
            किया जाना अनुचित होकर, सेवा में कमी है, तो
            अनावेदक, परिवादी को वाहन की आग से हुर्इ क्षति
            के बाबद, टोटल लास के आधार पर, क्लेम बाबद
            2,49,500-रूपये (दो लाख उन्नचास हजार पांचसौ
            रूपये) का भुगतान परिवादी को, परिवादी से जला 
            हुआ वाहन प्राप्त करके करेगा और यदि परिवादी
            क्षतिग्रस्त वाहन का साल्वेज स्वयं प्राप्त करना,                 अनावेदक द्वारा विकल्प दिये जाने पर सूचित करता                 है, तो साल्वेज के मूल्य के रूप में 20,000-रूपये             (बीस हजार रूपये) कुल क्लेम के भुगतान से                 अनावेदक घटा सकेगा।
        (ब)    अनावेदक उक्त राषि का अंतिम सर्वे रिपोर्ट                     दिनांक-05.07.2010 को देखते हुये, दिनांक-01.09.                2010 से भुगतान दिनांक तक की अवधि का 10                 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से ब्याज परिवादी को             अदा करेगा।
        (स)    अनावेदक-पक्ष स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा             और परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में                     2,000-रूपये (दो हजार रूपये) अदा करेगा।
        (द)    अनावेदक-पक्ष एक माह की अवधि के अंदर साल्वेज
            बाबद, विकल्प प्राप्त करने हेतु परिवादी को लिखित
            सूचना-पत्र देगा और आदेष दिनांक से तीन माह
            की अवधि के अंदर उक्त क्लेम तथा हर्जानाब्याज
            की राषियों का भुगतान परिवादी को करेगा।


            
          मैं सहमत हूँ।                              मेरे द्वारा लिखवाया गया।         

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
            सदस्य                                               अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी

​          (म0प्र0)                                                 (म0प्र0)

 

 

 

 


        
            

 

 

 

 

 

 

 

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