Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/927

N I Co - Complainant(s)

Versus

Geeta Singh - Opp.Party(s)

25 Nov 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/927
( Date of Filing : 27 May 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. N I Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Geeta Singh
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2011/781
( Date of Filing : 05 May 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Fatima Hospital
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Geeta Singh
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2011/2575
( Date of Filing : 23 Dec 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Geeta Singh
a
...........Appellant(s)
Versus
1. N I Co
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Nov 2024
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :-927/2011

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मऊ द्वारा परिवाद सं0-29/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08/04/2011 के विरूद्ध)

 National Insurance Company Ltd. Office Near Jeewan Ram Inter College, Mau.

  1.                                                                             Appellant

Versus  

  1. Smt. Geeta Singh, aged about 48 years, wife of Dr. Sanjai Kumar Singh, Tagore Nagar, Sadar, Balia, presently at S.B.I. Main Branch, Balia.
  2. Manager, Fatima Hospital, Mau Nath Bhanjan, Mau.
  3. Dr. Sir Jude, Fatima Hospital, Mau Nath Bhanjan, Mau.
  4. Dr. Usha Arya, Fatima Hospital, Mau Nath Bhanjan, Mau.  
  5.                 Respondents  

एवं

अपील सं0 –781/2011

  1. Fatima Hospital, Mau Nath Bhanjan, District-Mau Through its Administrator Sister Edna
  2. Dr. (Sr.) Jude, Fatima Hospital Mau Nath Bhanjan, Janpad-Mau
  3. Dr. Usha Arya, Fatima Hospital, Mau Nath Bhanjan, Janpad-Mau

                                                ………….Appellants   

Versus

Smt. Geeta Singh, aged about 45 years, W/O Dr. Sanjay Kumar Singh, Mohalla-Tigernagar, Tehsil-Sadar, Janpad-Balia, Near State Bank of India, Main Branch, Balia, Janpad-Balia

  •                                                                        Respondent
  •  

 

अपील सं0 –2575/2011

 Smt. Geeta Singh, aged about 45 years, W/O Dr. Sanjay Kumar Singh, Mohalla-Tigernagar, Tehsil-Sadar, Janpad-Balia, Near State Bank of India, Main Branch, Balia, Janpad-Balia

                                                ………….Appellant 

Versus

  1. National Insurance Co. Ltd, Jeewan Ram Inter College, Mau.
  2. Fatima Hospital, Mau Nath Bhanjan, Through-Administrator.
  3. Dr. (Sr.) Jude, Fatima Hospital, Mau Nath Bhanjan, Janpad-Mau.
  4. Dr. Usha Arya, Fatima Hospital, Mau Nath Bhanjan, Janpad-Mau.
  5.                                                                        Respondents     

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी बीमा कमपनी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-श्री एस0पी0 सिंह  

प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-श्री संजय

                                              जायसवाल

प्रत्‍यर्थी सं0 2 त 4, हॉस्पिटल की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता:-श्री मनीष

                 मल्‍होत्रा  की कनिष्‍ठ सहायक सुश्री मांडवी मल्‍होत्रा  

दिनांक:-25.11.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           जिला उपभोक्‍ता आयोग, मऊ द्वारा परिवाद सं0-29/2008 श्रीमती गीता सिंह बनाम प्रबन्‍धक फातिमा अस्‍पताल व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08/04/2011 के विरूद्ध अपील सं0 927/2011 बीमा कम्‍पनी द्वारा द्वारा प्रस्‍तुत की गयी है, जबकि अपील सं0 781/2011 फातिमा हॉस्पिटल की ओर से प्रस्‍तुत की गयी है, जबकि अपील सं0 2575/2011 स्‍वयं परिवादिनी द्वारा बढ़ोत्‍तरी हेतु प्रस्‍तुत की गयी है। चूंकि तीनों अपीलें एक ही निर्णय से प्रभावित हैं। अत: तीनों अपीलों का निस्‍तारण एक साथ किया जा रहा है।
  2.        जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षी सं0 1 लगायत 3 को क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 50,000/-रू0 अदा करने तथा विपक्षी सं0 4 को अंकन 50,000/-रू0 अदा करने हेतु आदेश पारित किया है।
  3.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि गर्भावस्‍था के दौरान विपक्षी सं0 1 में नियुक्‍त डॉक्‍टर सर ज्‍यूड से दिनांक 25.08.2006 को परामर्श किया गया, जिनके द्वारा सोनो ग्राफी करायी गयी और यह बताया गया कि परिवादिनी तथा बच्‍चे की भलाई के लिए ऑपरेशन किया जाना हितकर है। इसी तिथि को डॉक्‍टर सर ज्‍यूड द्वारा रासायनिक परीक्षण किये गये, उनकी जांच की गयी, एक्‍सरे कराया गया। भ्रूण की जांच की गयी, जो सकारात्‍मक अवस्‍था में था, परंतु विपक्षी द्वारा इलाज न करते हुए धन उगायी करने के उद्देश्‍य से पूर्व में ही ऑपरेशन कर दिया गया और ऑपरेशन डॉक्‍टर उषा आर्या विपक्षी सं0 3 द्वारा प्रारंभ किया गया और ऑपरेशन के दौरान उषा आर्या ने बच्‍चे की आहार नाल को लापरवाही से काट दिया गया, जिसके कारण अत्‍यधिक रक्‍तस्राव हुआ। इसी मध्‍य बच्‍चेदानी का कोई भाग ऑपरेशन के उपकरण से कट गया, जिसके कारण आवेदिका के शरीर मे अत्‍यधिक रक्‍तस्राव होने लगा और यह स्थिति गंभीर हो गयी। होश में आने पर डॉक्‍टर आर्या को केवल यह कहते हुए सुना कि बच्‍ची पैदा हुई है तथा आहार नाल एवं बच्‍चेदानी के कटने से काफी रक्‍तस्राव हो रहा है। ईश्‍वर मदद करे इसके बाद डॉक्‍टर सर ज्‍यूड को बुलवाया गया, जिनके द्वारा बच्‍चेदानी को काटकर बाहर किया और शल्‍य चिकित्‍सा कर दी गयी, इसी दिन 4 बजकर 59 मिनट पर परिवादिनी के पति को खून लाने के लिए कहा गया, अपने परिवार के सदस्‍यों का ब्‍लड ग्रुप न मिलने के कारण बाहरी व्‍यक्ति से खून लिया गया। कुल 6 बोतल खून आवेदिका को चढ़ाया गया, जिनमे 2 बोतल खून मऊ से और 4 बोतल खून वाराणसी ब्‍लड बैंक से लिया गया, जिसमें 30,800/-रू0 खर्च हुए, बाद में अल्‍ट्रासाउण्‍ड कराने पर यह ज्ञात हुआ कि मांस का एक टुकड़ा आवेदिका के पेट में अभी भी पड़ा हुआ है और वह जीवनकाल तक रहेगा। परिवादिनी के शरीर मे हीमोग्‍लोबिन की मात्रा 12.4 प्रतिशत से घटकर 4 से 5 प्रतिशत रह गयी, जिसके कारण आवेदिका की मृत्‍यु भी हो सकती थी। बच्‍चेदानी काटने का कोई परामर्श (सहमति) परिवादिनी या उसके पति से नहीं ली गयी, इसलिए मानसिक प्रताड़ना के मद में 20,000/-रू0 तथा इलाज पर खर्च 30,832/-रू0 दिलाये जाने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।
  4.         विपक्षीगण का कथन है कि वर्ष 2001-2004 में इसी अस्‍पताल में परिवादिनी ने दो बच्‍चों को जन्‍म दिया है। दिनांक 25.08.2006 को परिवादिनी 9 महीने के गर्भ से थी। बच्‍चे की हार्ट साउन्‍ड 104 प्रति मिनट थी। गर्भाधान फटने की संभावना को देखते हुए ऑपरेशन करना उचित समझा गया, जिसके लिए जांच करायी गयी। परिवादिनी का ब्‍लड ग्रुप ओ निगेटिव पाया गया था। ऑपरेशन के बाद परिवादिनी ने एक बच्‍ची को जन्‍म दिया गया, जिसका वजन 2.8 किलोग्राम था। ऑपरेशन के दौरान ही बच्‍चेदानी का सब टोटल हिस्‍टेरेक्‍टोमी किया जाना आवश्‍यक पाया गया, जिसके लिए खून एवं ग्‍लूकोज चढ़ाया गया। 01.09.2006 को अतिरिक्‍त खून चढ़ाने के लिए कहा गया, परंतु परिवादिनी ने इंकार कर दिया। परिवादिनी को बच्‍चेदानी में समस्‍या प्‍लेसेंटल एक्रेटा के कारण उत्‍पन्‍न हुई है, इसलिए सब टोटल हिस्‍टेरेक्‍टोमी की गयी। लापरवाही का कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर मौजूद नहीं है।
  5.          जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवादिनी के पक्ष में इस आधार पर निर्णय पारित किया गया कि ऑपरेशन करने वाले डॉक्‍टर सर ज्‍यूड तथा उषा आर्या का शपथ पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया तथा ब्‍लड ग्रुप के कागजात भी प्रस्‍तुत नहीं किये, जिससे जानकारी मिल सकती थी कि कौन सा ब्‍लड ग्रुप लाया गया था और कौन सा खून चढ़ाया गया था, इसी आधार पर अंकन 50,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश विपक्षी सं0 1 लगायत 3 के विरूद्ध तथा 50,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश विपक्षी सं0 4 के विरूद्ध पारित किया गया।
  6.          फातिमा हॉस्पिटल द्वारा अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गयी है कि अभिवचन तथा साक्ष्‍य के विपरीत निर्णय पारित किया गया है। लापरवाही का कोई तथ्‍य स्‍थापित नहीं है। गंभीर अवस्‍था में Rh +ve खून Rh –ve व्‍यक्ति को दिया जा सकता है।
  7.         बीमा कम्‍पनी की ओर से अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गयी है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने गलत निर्णय पारित किया है, जबकि परिवादिनी द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ोत्‍तरी की मांग इस आधार पर की गयी है कि लापरवाही के तथ्‍य को साबित मानने के बावजूद अत्‍यधिक कम राशि बतौर क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश पारित किया है।
  8.        उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया। निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
  9.         जिला उपभोक्‍ता आयोग ने डॉक्‍टर द्वारा शपथ पत्र प्रस्‍तुत न करने के कारण तथा त्रुटिपूर्ण खून मरीज के शरीर में चढ़ाने के कारण लापरवाही के तथ्‍य को स्‍थापित मानते हुए क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।
  10.         अपील के ज्ञापन में स्‍वयं अपीलार्थी अस्‍पताल द्वारा स्‍वीकार किया गया है कि Rh +ve खून Rh –ve को प्रदान किया जा सकता है, परंतु इस तथ्‍य को शपथ पत्र द्वारा या मेडिकल लिटरेचर के आधार पर जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष साबित नहीं किया गया है, इसलिए जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा खून चढ़ाने के संबंध में जो निष्‍कर्ष दिया गया है, वह स्‍वयं अपील के ज्ञापन मे उल्‍लेख से साबित है। अत: अस्‍पताल द्वारा प्रस्‍तुत की गयी अपील सं0 781/2011 खारिज होने योग्‍य है।
  11.        चूंकि अस्‍पताल द्वारा प्रस्‍तुत की गयी अपील खारिज की गयी है। बीमा कम्‍पनी का दायित्‍व बीमाधारक के दायित्‍व के तहत है, इसलिए बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रस्‍तुत की गयी अपील सं0 927/2011 भी खारिज होने योग्‍य है।
  12.         अब इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्‍या क्षतिपूर्ति की राशि मे बढ़ोत्‍तरी होनी चाहिए? इस प्रश्‍न का उत्‍तर भी नकारात्‍मक है क्‍योंकि परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत की गयी अपील में बढ़ोत्‍तरी का कोई आधार प्रतीत नहीं होता है, इसलिए जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा क्षतिपूर्ति के संबंध में जो आदेश पारित किया गया, उसमें बढ़ोत्‍तरी का कोई आधार नहीं है। अत: अपील सं0 2575/2011 भी खारिज होने योग्‍य है।     

 

  •  

         प्रस्‍तुत अपील सं0-927/2011 एवं अपील सं0-781/2011 खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08.04.2011 की पुष्टि की जाती है।

         परिवादिनी द्वारा बढ़ोत्‍तरी के संबंध में प्रस्‍तुत की गयी अपील       सं0-2575/2011 भी खारिज की जाती है।

         प्रस्‍तुत अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता  आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

         इस निर्णय व आदेश की मूल प्रति अपील सं0-927/2011 में रखी जाये एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्‍बंधित अपील सं0-781/2011 एवं अपील सं0 2575/2011 में रखी जाये। 

        आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

       (सुधा उपाध्‍याय)                             (सुशील कुमार)

          सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

 

 

     संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0-2

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.