मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या 92 सन 2007
गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा सेके्टरी ............पुनरीक्षणकर्ता
बनाम
गौरीशंकर चौहान . .............प्रत्यर्थी
समक्ष:-
1 मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री आर0के0 गुप्ता , सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से –विद्वान अधिवक्ता- श्री एन0सी0 उपाध्याय ।
प्रत्यर्थी की ओर से कोई नहीं ।
दिनांक: 04.8.2015
श्री चन्द्रभाल श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या 155 सन 2007 के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है जिसके द्वारा जिला फोरम ने अन्तरिम आदेश पारित करते हुए परिवादी को आवंटित भूखण्ड की नीलामी करने से अवरूद्ध किया है।
हमने पुनरीक्षणकार्त के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुन ली है एवं अभिलेख का अनुशीलन कर लिया है।
अभिलेख के अनुशीलन से स्पष्ट है कि यह प्रकरण अत्यंत पुराना है। प्रश्नगत अन्तरिम आदेश 30.5.2007 को पारित किया गया था । जिला फोरम द्वारा परिवादी को आवंटित भूखण्ड की नीलामी न किए जाने हेतु विपक्षी/पुनरीक्षणकर्ता को निर्देशित किया था, जिसमें कोई त्रुटि प्रतीत नहीं होती है। इस पुनरीक्षण के लम्बित रहने से अकारण ही मूल परिवाद भी लम्बित है, जिसका शीघ्र निस्तारण अपेक्षित है।
आदेश
प्रस्तुत पुनरीक्षण तदनुसार निरस्त करते हुए संबंधित जिला फोरम को निर्देशित किया जाता है कि वह संबंधित परिवाद का निस्तारण अधिकतम तीन माह के भीतर किया जाना सुनिश्चित करें।
उभय पक्ष इस पुनरीक्षण का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करा दी जाए।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (आर0के0 गुप्ता)
पीठा0 सदस्य (न्यायिक) सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)