(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 1425/2011
(जिला उपभोक्ता आयोग, जालौन स्थान उरई द्वारा परिवाद संख्या- 65/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26-02-2011 के विरूद्ध)
चोलामण्डलम एम०एस० जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0, रीजनल आफिस, सेकेण्ड फ्लोर, 4 मैरी गोल्ड शाहनजफ रोड, सप्रू मार्ग, लखनऊ।
अपीलार्थी
बनाम
1- गौरव गुप्ता पुत्र श्री मंगली प्रसाद गुप्ता, निवासी 599 तुलसी नगर उरई जिला जालौन, उत्तर प्रदेश।
2- निरंजन कुमार, इंश्योरेंश एजेण्ट, निवासी बी-77/5, आवास विकास कालोनी झांसी।
प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री टी०के० मिश्रा
प्रत्यर्थी सं०1 की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री सुरेश पंजवानी
प्रत्यर्थी सं०2 की ओर से : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक.09-11-2021
माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, परिवाद संख्या- 65 सन् 2008 गौरव गुप्ता बनाम चोलामण्डलम एम०एस० जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0, व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, जालौन स्थान उरई द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 26-02-2011 के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि विद्वान जिला आयोग को वाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं था। अपीलार्थी ने बीमा दावा उचित रूप से निरस्त किया है। दुर्घटना के समय कथित वाहन को वाणिज्यिक प्रयोग में लाया जा रहा था। अत: पालिसी की शर्तों का उल्लंघन हुआ है। बीमा पालिसी क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट के विरूद्ध है। दुर्घटना की सूचना बीमा कम्पनी को विलम्ब से दी गयी है। विद्वान जिला आयोग ने गलत रूप से ब्याज लगाया है। विद्वान जिला आयोग का निर्णय विधि विरूद्ध और मनमाना है। बीमा कम्पनी किसी धनराशि को अदा करने हेतु उत्तरदायी नहीं है। अत: निवेदन है कि प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश को अपास्त करते हुए वर्तमान अपील स्वीकार की जाए।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री टी०के० मिश्रा एवं प्रत्यर्थी संख्या-1 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री सुरेश पंजवानी को सुना और पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया। प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
हमने विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 26-02-2011 का अवलोकन किया।
परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी के यहॉं अपनी एक हांडा सिटी कार यू0पी 92एफ 3507 चेचिस नम्बर 15 ए 30062380, 233900 का एक व्यापक बीमा पालिसी संख्या वीपीसी 00083194 जो दिनांक 12-10-2006 से दिनांक 11-10-2007 तक के लिए वैध था, कराया था, जिसके लिए प्रीमियम के रूप में 16488/-रू० की धनराशि का भुगतान किया गया। इसलिए वादी विपक्षी का उपभोक्ता है। वादी की उक्त कार दिनांक 04-05-2007 को 9.30 बजे सुबह पायल होटल खजुराहो जिला छतरपुर मध्यप्रदेश से चोरी हो गयी। वादी ने कार को उक्त स्थल पर खड़ी करते हुए सुचारू रूप से ताला
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लगाकर खड़ा किया था। कार चोरी की सूचना तुरन्त विपक्षी को भी दी गयी। पुलिस में यह मामला पंजीकृत कराया गया। विधिवत विवेचना कर फाइनल रिपोर्ट संबंधित न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायालय द्वारा 11.03.2008 को फाइनल रिपोर्ट को स्वीकार किया गया, किन्तु विपक्षी पक्षकार बीमा कम्पनी ने वादी द्वारा प्रस्तुत क्षतिपूर्ति आवेदन पत्र को आज तक निरस्तारित नहीं किया। दिनांक 08-05-2007 को क्षतिपूर्ति के सम्बन्ध में दावा क्लेम फार्म बीमा कम्पनी को प्रेषित किया गया तथा समय-समय पर पत्र प्रस्तुत किये जाते रहे। किन्तु बगैर किसी आधार का एक पत्र विपक्षी सं०1 द्वारा दिनांक- 15-04-2008 को वादी को प्रस्तुत किया गया। वादी ने प्रश्नगत बीमा कस्बा उरई से ही कराया था जिसका एजेंट नं एजी०004549 है उसका अधिकार क्षेत्र झांसी एवं उरई है। वादी ने कार की क्षतिपूर्ति 5,47,000/-रू० मय 21 प्रतिशत ब्याज दिलाए जाने हेतु वाद दायर किया है।
विद्वान जिला आयोग ने समस्त तथ्यों का अवलोकन करने के उपरान्त दिनांक 26-02-2011 को निम्नलिखित आदेश पारित किया है:-
"वादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या-1 चोलामण्डलम एम०एस० जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 को आदेशित किया जाता है कि वह वादी को उसकी कार संख्या- यू0पी0 92 एफ 3507 पालिसी संख्या-00083194 के अनुसार 5,47,000/-रू० की धनराशि इस आदेश की दिनांक से दो माह के अन्दर वादी को अदा करे। उक्त अवधि में भुगतान न होने पर भुगतान की तिथि तक विपक्षी से वादी उक्त धनराशि पर 08 प्रतिशत ब्याज साधारण सालाना भी पाने का अधिकारी होगा। मुकदमा खर्चा के रूप में वादी 1000/-रू० भी पाने का अधिकारी है।"
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हमने विद्वान जिला आयोग के आदेश का सम्यक रूप से अवलोकन किया।
वर्तमान घटना कार चोरी होने के सम्बन्ध में है जिसमें शपथपत्र गवाहों ने दिया। यह कार वाणिज्यिक होने के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है बल्कि अपने दोस्त को यह वाहन खजुराहो जाने के लिए दिया था और वहॉं यह कार निजी प्रयोग में लायी गयी। ड्राइवर को चोरों द्वारा बेहोश करके यह कार चोरी की गयी थी। विद्वान जिला आयोग ने सब तथ्यों का विस्तृत रूप से विश्लेषण किया है। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश में बीमा कम्पनी से सम्पूर्ण धनराशि को दिलाया गयी, किन्तु इस मामले में कार चोरी गयी है। अत: बीमित धनराशि का 75 प्रतिशत दिलाया जाना विधि सम्मत है। इसके अतिरिक्त विद्वान जिला आयोग के निर्णय में किसी हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26-02-2011 को संशोधित करते हुए अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को जिला आयोग द्वारा आदेशित धनराशि 5,47,000/-रू० की 75 प्रतिशत धनराशि अर्थात 4,10,250/-रू० इस निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्दर अदा करें। शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
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निर्णय आज दिनांक- 09-11-2021 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित/दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
कृष्णा–आशु0 कोर्ट-2