(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 1190 /2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, द्धितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-223/2014 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19-01-2016 के विरूद्ध)
- Salora International Lt., D-13/4, Okhla Industrial Area Phase-II New Delhi, Through Suthorized Signatory.
- M/s Z.A. Mobile GF-4, Leela Mension, Nawal Kishore Road Hazratganj, Lucknow-226001.
.....अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम्
Gaurav Bhatnagar S/o Shri R.K.Bhatnagar R/o F-175, Rajajipuram, Lucknow-226017.
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष ।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री अरूण टण्डन।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री अभिषेक भटनागर।
दिनांक : 22-07-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवाद संख्या-223/2014 गौरव भटनागर बनाम् सलोरा इंटरनेशनल लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता फोरम, द्धितीय, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 19-01-2016 के विरूद्ध
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यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
‘’’’परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-2 को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से चार सप्ताह के अंदर परिवादी को विवादित फोन की कीमत रू0 6051/- मय ब्याज दौरान वाद व आइंदा बशरह 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षी संख्या-2 परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु रू0 5,000/- तथा रू0 3,000/- वाद व्यय अदा करेंगे। यदि विपक्षी संख्या-2 उक्त निर्धारित अवधि के अंदर परिवादी को यह धनराशि अदा नहीं करते हैं तो विपक्षी संख्या-2 को, समस्त धनराशि पर ता अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करना पड़ेगा।‘’
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण Salora International Lt., व M/s Z.A. Mobile ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन उपस्थित आये हैं। प्रत्यर्थीगण की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अभिषेक भटनागर उपस्थित आए हैं।
मैंने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला फोरम, द्धितीय लखनऊ के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने एक स्मार्ट फोन दिनांक 20-12-2013 को रू0 6051 नकद देकर खरीदा
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जिसका आई0एम0ई0आई0 नम्बर-869845000532299 और माडल नम्बर Auras III था। फोन क्रय करने के बाद से ही उसमें कुछ कमियॉं उत्पन्न होने लगी जैसे बैटरी बेकअप लो होना, फोन का गर्म हो जाना आदि। परिवादी ने इसकी शिकायत कस्टमर केयर से की लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया, तब परिवादी ने निर्माता कम्पनी के अथराइज्ड सर्विस सेंटर विपक्षी संख्या-3 से शिकायत की, तब विपक्षी संख्या-3 ने ई-मेल से शिकायत भेजने को कहा, तब उसने ई-मेल से शिकायत भेजा, फिर भी मोबाइल ठीक नहीं किया गया। जो कि विपक्षीगण के स्तर पर सेवा में कमी है। इसलिए विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया है और निम्न अनुतोष चाहा है :-
- That opposite parties may be directed to replace/refund the amount paid for the product.
- That, Sum of Rs. 50,000/- may be awarded to complainant for causing mental stress and agony.
- That, Complainant may be awarded Rs. 10,000/- towards legal expenses.
- That Complainant may be awarded any other relief as deemed fit by the Hon’ble Court.
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है और न ही विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है। अत: जिला फोरम ने परिवादी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुनकर एवं पत्रावली का अवलोकन कर, आदेश पारित किया है जो ऊपर अंकित है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय साक्ष्य और विधि के विरूद्ध है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय व आदेश साक्ष्य और विधि के अनुसार है किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अपील निरस्त की जाए।
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मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं साक्ष्यों पर विचार कर मेरी राय में अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 से प्रत्यर्थी/परिवादी को फोन का मूल्य रू0 6051/- 09 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। परन्तु जिला फोरम ने जो शारीरिक व मानसिक कष्ट के मद में रू0 5,000/- क्षतिपूर्ति प्रदान किया है वह उचित नहीं है क्योंकि प्रत्यर्थी/परिवादी को फोन की कीमत पर ब्याज दिया गया है। अत: 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को दिये जाने के संबंध में जिला फोरम का आदेश निरस्त किये जाने योग्य है। वाद व्यय की धनराशि रू0 3,000/- अधिक है अत: इसे कम कर रू0 2,000/- किया जाना उचित है।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि अपील आंशिक रूप से उपरोक्त प्रकार से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा मानसिक व शारीरिक कष्ट के मद में आदेशित क्षतिपूर्ति रू0 5,000/- अपास्त की जाती है। इसके साथ ही जिला फोरम द्वारा आदेशित वाद व्यय रू0 3,000/- को कम कर रू0 2,000/- किया जाता है। जिला फोरम के निर्णय का शेष अंश यथावत रहेगा।
इस अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0