राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-220/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, दि्वतीय मुरादाबाद द्धारा परिवाद सं0-70/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13.9.2018 के विरूद्ध)
1- एस0डी0ओ0 विद्युत सब स्टेशन, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 बंगला गॉव, मुरादाबाद।
2- अधिशासी अभियंता, नगर विद्युत वितरण खण्ड (दि्वतीय) पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 मुरादाबाद।
3- महाप्रबन्धक, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0, विक्टोरिया पार्क जिला मेरठ (उ0प्र0)
........... अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
गौरव अग्रवाल, एडवोकेट पुत्र श्री नरेन्द्र कुमार अग्रवाल, एडवोकेट, निवासी-15 शंकर बिहार, जिगर कालोनी रोड़ सिविल लाइन्स, जिला-मुरादाबाद।
...........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
अपीलार्थीगण के अधिवक्ता :- श्री इसार हुसैन
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता :- श्री संजय कुमार वर्मा
दिनांक :-17.12.2021
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ एस0डी0ओ0 विद्युत सब स्टेशन व दो अन्य द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, दि्वतीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-70/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13.9.2018 के विरूद्ध योजित की गई है।
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संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के घर पर घरेलू विद्युत कनेक्शन सं0-064-3132-115534 एलएमवी-1 दो किलोवाट अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा दिनांक 01.5.2007 को चालू किया गया, जिसका मीटर सीलिंग प्रमाण पत्र भी प्रत्यर्थी/परिवादी को जारी किया गया और प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा उक्त विद्युत कनेक्शन का उपभोक्ता है। दिनांक 26.7.2009 को प्रत्यर्थी/परिवादी की गली के बाहर अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा पुरानी विद्युत लाईन के स्थान पर नये विद्युत केबिल लगाये गये थे। अपीलार्थी/विपक्षीगण के कर्मचारीगण ने जैसे ही प्रत्यर्थी/परिवादी के घर की विद्युत लाईन चालू की, वैसे ही प्रत्यर्थी/परिवादी के घर में लगे बिजली के पंखें, पानी की मोटर, सीएफएल, फ्रिज, टी0वी0 व कम्प्यूटर आदि एकदम जल (फुक) गये और वायर आदि के जलने की दुर्गंध आप-पास के क्षेत्र में फैल गयी। प्रत्यर्थी/परिवादी ने तुरन्त अपीलार्थी/विपक्षीगण के कर्मचारी मुन्नू व नन्हें से आग लगने का कारण पूंछा तो उन्होंने बताया कि हमसे गलती से तार जुड गया और डबल फेस/हाई वोल्टेज होनेसे यह दुर्घटना हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि विद्युत विभाग इस कार्य को ठेकेदार मेहराजूद्दीन के द्वारा करा रहा है। मुन्नू पुत्र श्री मोती सिंह ने कथित दुर्घटना के संबंध में दिनांक 26.7.2009 को ही अपने लिखित बयान दिये। उक्त दुर्घटना में प्रत्यर्थी/परिवादी का लगभग 60,000.00 रू0 का नुकसान हुआ, अत्एव प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन तथा प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार
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वर्मा को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों का परिशील किया।
यह तथ्य निविवादित है कि अपीलार्थी के ठेकेदार द्वारा अपीलार्थी कम्पनी की देखरेख में कार्य सम्पादित किया गया था एवं उपरोक्त ठेकेदार सर्व श्री कश्मीरी लाल कंस्ट्रक्शन प्रा0लि0 द्वारा गैर जिम्मेदाराना रूप से कार्य करते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी को विद्युत आपूर्ति में डबल लाइन जोडने के कारण प्रत्यर्थी/परिवादी के निवास पर लगे टी0वी0, चार टयूब लाइट, पानी की मोटर व कूलर इत्यादि जल गये, साथ ही प्रत्यर्थी/परिवादी का कम्प्यूटर भी खराब हो गया। उक्त विद्युत दुर्घटना दिनांक 26.7.2009 को हुई, जिस हेतु 50,000.00 रू0 का नुकसान विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अनुमानित किया गया है, जिसे जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी विद्युत विभाग को क्षतिपूर्ति के साथ 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दौरान मुकदमा ता वसूली तथा अंकन रू0 2500.00 वाद व्यय दो माह में प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने हेतु आदेशित किया है।
हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुना। परिवाद पत्र में उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का परिशीलन किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: सुसंगत एवं विधिक है, जिसमें किसी प्रकारण के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि वास्तव में जो नुकसान प्रत्यर्थी/परिवादी को हुआ उसके लिए अपीलार्थी दोषी नहीं है, वरन उपरोक्त सर्व श्री कश्मीरी लाल कंस्ट्रक्शन प्रा0लि0, जो कि अपीलार्थी विद्युत विभाग द्वारा नियुक्त ठेकेदार है, ही दोषी है।
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चूंकि उपरोक्त ठेकेदार सर्व श्री कश्मीरी लाल कंस्ट्रक्शन प्रा0लि0 अपीलार्थी विद्युत विभाग के एजेंट के रूप में कार्य कर रहा था, जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी को नुकसान हुआ, अत्एव जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा देय धनराशि एवं हर्जाना अपीलार्थी उपरोक्त ठेकेदार से वसूल करने हेतु स्वतंत्र है, परन्तु जहॉ तक उपरोक्त हर्जाना एवं धनराशि की देयता का प्रश्न है, वह अपीलार्थी प्रत्यर्थी/परिवादी को 02 माह की अवधि में सम्पूर्ण गणना करते हुए प्रदान करें। तद्नुसार प्रस्तुत अपील उपरोक्त निष्कर्ष के अनुसार अंतिम रूप से निस्तारित की जाती है।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनिमय, 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000.00 रू0 अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को विधिनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाये।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1