न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 31 सन् 2016ई0
गौतम कुमार मौर्य पुत्र श्री गंगा शरण मौर्य निवासी वार्ड नं0 2 माल गोदाम रोड शास्त्री नगर,नगर पंचायत सैयदराजा जिला चन्दौली।
...........परिवादी बनाम
प्रोपराइटर गौरव आटो मोबाइल्स बाईपास भतीजा रोड सैयदराजा जिला चन्दौली।
.............................विपक्षी
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी से मोटरसाइकिल की आर0सी0 एवं बीमा कागजात के साथ ही साथ आर्थिक क्षति के रूप में रू0 100000/- एवं मानसिक क्षति के रूप में रू0 100000/- दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- संक्षेप में परिवादी का अभिकथन है कि परिवादी ने विपक्षी की एजेंसी से एक हीरो स्प्लेण्डर प्लस मोटरसाइकिल,इंजन नं0 एच0ए010ई.आर0जी0एच0बी091520 तथा चेचिस नं0 एम0बी0एल0एच0ए010सी0जी0एच0बी0 30950 चालान संख्या 283 के माध्यम से दिनांक 1-3-2016 को क्रय किया। विपक्षी ने दिनांक 1-3-2016 को वाहन का रजिस्ट्रेशन शुल्क व बीमा शुल्क वाहन देने से पूर्व ही जमा करा लिया और कहा कि एक सप्ताह के अन्दर गाडी का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र एवं बीमा का कागज प्राप्त करा दिया जायेगा। परिवादी दिनांक 1-3-2016 के बाद आज तक बीसों बार विपक्षी की एजेन्सी पर जाकर वाहन का रजिस्ट्रेशन,बीमा प्रमाण पत्र की मांग किया किन्तु विपक्षी ने परिवादी को उपरोक्त कागजात नहीं दिया। विपक्षी द्वारा गाडी का रजिस्ट्रेशन तथा बीमा प्रमाण पत्र न देने से परिवादी को गाडी चलाने में काफी दिक्कत व परेशानी का सामना करना पड रहा है और परिवादी अपनी गाडी को लेकर कही आ-जा नहीं पा रहा है। दिनांक 7-5-2016 को परिवादी विपक्षी के एजेंसी पर गया और पुनः गाडी की आर0सी0व बीमा के कागजात की मांग किया तो विपक्षी नाराज हो गये और गाडी का कागजात देने से मना कर दिये तब परिवादी उसी दिन अपने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस बनवाकर दिनांक 9-5-2016 को पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित किया। किन्तु विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही न करने के कारण परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया।
3- विपक्षी ने जबाबदावा/आपत्ति दाखिल किया है जिसमे उसने परिवादी के परिवाद में किये गये अभिकथनों को अस्वीकार करते हुए मुख्य रूप से यह कहा है कि उसके द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है क्योंकि बीमा और आर0सी0की कापी प्राप्त करने हेतु परिवादी ने समय से अपना फोटो विपक्षी को नहीं दिया। अतः आर0सी0व बीमा समय से प्राप्त न होने के लिए परिवादी स्वयं जिम्मेदार है और जब परिवादी के वाहन की पुलिस जांच होने लगी तब विवश होकर परिवादी ने दिनांक 25-4-2016 को अपना फोटो विपक्षी को दिया और
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विपक्षी ने तत्परता दिखाते हुए दिनांक 30-4-2016 को ही परिवादी के वाहन की आर0सी0तैयार करवा दिया तथा परिवादी को सूचित भी कर दिया लेकिन परिवादी ने कहा कि वह मुकदमा दाखिल करके क्षतिपूर्ति लेकर ही रहेगा। विपक्षी का अभिकथन है कि परिवाद में आवश्यक पक्षकार के असंयोजन का दोष है उसका यह भी अभिकथन है कि उसे परिवादी द्वारा प्रेषित कानूनी नोटिस प्राप्त नहीं हुई है। इस फोरम को परिवाद के सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है यदि परिवादी को कोई शिकायत है तो उसे दीवानी न्यायालय में वाद प्रस्तुत करना चाहिए। परिवादी द्वारा गलत अभिकथनों के आधार पर परिवाद दाखिल किया गया है जिससे विपक्षी को मानसिक पीडा हुई है। अतः परिवादी का परिवाद निरस्त करते हुए विपक्षी को रू0 50000/- बतौर क्षतिपूर्ति दिलायी जाय।
4- परिवादी की ओर से रिप्लीकेशन भी दाखिल किया गया है जिसमे विपक्षी द्वारा जबाबदावा में किये गये अभिकथनों को अस्वीकार करते हुए मुख्य रूप से वही अभिकथन किये गये है जो परिवादी द्वारा अपने परिवाद में किये गये है।
5- परिवादी की ओर से अपने परिवाद के समर्थन में परिवादी गौतम कुमार मौर्य का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में फेहरिस्त के साथ कैश रसीद की छायाप्रति 2अदद्,चालान की छायाप्रति,मतदाता पहचान पत्र की छायाप्रति,लीगल नोटिस की कार्बन प्रति,रजिस्ट्री की रसीद दाखिल की गयी है। विपक्षी की ओर से हिमांशु गौर का शपथ पत्र दाखिल किया गया है, तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में वाहन के आर0सी0 की छायाप्रति,गौरव आटो मोबाइल के पर्चा की छायाप्रति,रजिस्टर की छायाप्रति दो अदद् दाखिल की गयी है।
6- उभय पक्ष के अधिवक्तागण के तर्को को सुना गया है। पक्षकारों द्वारा दाखिल लिखित तर्क तथा पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया गया।
7- परिवादी की ओर से मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया है कि जिस दिन परिवादी ने विपक्षी से मोटरसाइकिल खरीदा उसी दिन उसने वाहन के रजिस्ट्रेशन तथा बीमा हेतु पूरा पैसा विपक्षी को अदा कर दिया और विपक्षी ने यह आश्वासन दिया कि एक सप्ताह के अन्दर वे वाहन का पंजीकरण तथा बीमा कराकर उसके कागजात परिवादी को उपलब्ध करा देगा, किन्तु काफी समय बीत जाने एवं परिवादी द्वारा विपक्षी के पास बार-बार जाने के बावजूद विपक्षी ने वाहन के रजिस्ट्रेशन व बीमा का कोई कागज परिवादी को नहीं दिया तब अन्त में परिवादी ने विपक्षी को इस सम्बन्ध में कानूनी नोटिस भी दिया लेकिन इसके बावजूद विपक्षी ने जब वाहन के कागजात परिवादी को नहीं दिया और न नोटिस का कोई जबाब दिया तब परिवादी ने यह दावा दाखिल किया है। परिवादी के अधिवक्ता का तर्क है कि इस प्रकार विपक्षी ने सेवा में कमी किया है जिससे परिवादी को आर्थिक एवं मानसिक क्षति पहुंची है क्योंकि परिवादी कागजों के अभाव में अपना वाहन नहीं चला सका ऐसी स्थिति में परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए उसे कागजात एवं क्षतिपूर्ति दिलायी जाय।
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8- इसके विपरीत विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा यह तर्क दिया गया है कि विपक्षी की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है बल्कि जिस दिन परिवादी ने वाहन खरीदा उस दिन उसने वाहन का रजिस्ट्रेशन तथा बीमा कराने हेतु पैसा जमा किया किन्तु उस समय परिवादी के पास अपना फोटो नहीं था और जब परिवादी से फोटो की मांग की गयी तो उसने कहा कि वह फोटो भेजवा देगा लेकिन परिवादी ने कोई फोटो नहीं दिया जिसके कारण वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका। जब पुलिस वाले बिना रजिस्ट्रेशन के गाडी चलाने पर परिवादी को परेशान करने लगे तब दिनांक 25-4-2016 को परिवादी ने अपना फोटो विपक्षी को दिया और विपक्षी ने तत्परता दिखाते हुए दिनांक 30-4-2016 को ही वाहन की आर0सी0 तैयार करवाकर परिवादी को सूचित भी कर दिया लेकिन परिवादी आर0सी0 लेने नहीं आया। इसी प्रकार परिवादी को दिनांक 14-3-2016 को ही बीमा का कागज प्राप्त करा दिया गया है। विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा इस सम्बन्ध में विपक्षी के रजिस्टर की छायाप्रति कागज संख्या 37,38 पर फोरम का ध्यान आकृष्ट कराया गया और यह कहा गया कि इस पर परिवादी ने अपना हस्ताक्षर करके बीमा का कागजात प्राप्त किया है किन्तु इस कागजात के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि इस पर परिवादी गौतम कुमार मौर्य का कोई हस्ताक्षर नहीं है बल्कि किसी आशीष कुमार मौर्य नामक व्यक्ति का हस्ताक्षर प्रतीत होता है ये आशीष कुमार मौर्य कौन है इस सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से कोई कथन नहीं किया गया है। अतःविपक्षी का यह अभिकथन असत्य सिद्ध हो जाता है कि उसके द्वारा दिनांक 14-3-2016 को परिवादी को बीमा का कागजात प्राप्त कराया गया है।
9- विपक्षी की ओर से प्रश्नगत वाहन के आर0सी0 की छायाप्रति दाखिल की गयी है जो 30 अप्रैल सन् 2016 की है। विपक्षी का यह अभिकथन है कि परिवादी ने समय से फोटो नहीं दिया जिसके कारण आर0सी0 नहीं बनवायी जा सकी और जब दिनांक 25-4-2016 को परिवादी ने फोटो दिया तो विपक्षी ने तत्परता पूर्वक दिनांक 30-4-2016 को ही आर0सी0 बनवाकर परिवादी को सूचित कर दिया लेकिन स्वयं परिवादी ही कभी आर0सी0 लेने नहीं आया और उसने कहा कि वह न्यायालय के माध्यम से विपक्षी से क्षतिपूर्ति वसूल करेगा। विपक्षी का यह अभिकथन विश्वास योग्य प्रतीत नहीं होता है क्योकि कोई भी व्यक्ति जब इतना पैसा लगाकर वाहन खरीदेगा और वाहन के रजिस्ट्रेशन तथा बीमा का पैसा भी जमा कर देगा तब वह रजिट्रेशन हेतु आवश्यक फोटो विपक्षी को उपलब्ध न करावे यह विश्वसनीय प्रतीत नहीं होता क्योंकि जब तक वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा तब तक उसे सडक पर नहीं चलाया जा सकता है। यह बात भी विश्वास योग्य प्रतीत नहीं होती कि परिवादी सूचना देने के बावजूद अपने वाहन का कागजात विपक्षी से प्राप्त न करे और न्यायालय में आकर लम्बे समय तक मुकदमेबाजी करें। यहाॅं यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि परिवादी ने अपने शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से यह कहा है कि वाहन खरीदने के बाद वह बीसों बार विपक्षी के एजेंसी पर जाकर रजिस्ट्रेशन तथा बीमा के कागजात मांगा लेकिन उसे कागजात नहीं दिया गया। इसके खण्डन में
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विपक्षी की ओर से कोई स्पष्ट अभिकथन शपथ पत्र के माध्यम से नहीं किया गया है क्योंकि विपक्षी की ओर से हिमांशु गौर का जो शपथ पत्र दाखिल किया गया है उसमे यह नहीं बताया गया है कि हिमाशु गौर कौन है इस शपथ पत्र में किसी तथ्य के सम्बन्ध में स्पष्ट सशपथ कथन नहीं किया गया है बल्कि केवल यही कहा गया है कि जबाबदावा के पैरा 1 ता 26 इनकी व्यक्तिगत जानकारी में सच व सही है और कोई बात न झूठ है और न तो छिपायी गयी है। इस प्रकार विपक्षी की ओर से कही यह नहीं बताया गया है कि आर0सी0 तैयार होने की सूचना परिवादी को किसी व्यक्ति के माध्यम से मौखिक रूप से दिलवाई गयी थी या फिर लिखित रूप से सूचना दी गयी थी। यदि किसी व्यक्ति के माध्यम से सूचना दी गयी थी तो उस व्यक्ति का नाम बताना विपक्षी का दायित्व है और यदि लिखित रूप से कोई सूचना दी गयी थी तो उसकी रसीद दाखिल करना भी विपक्षी का दायित्व है। किन्तु विपक्षी की ओर से ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है जिससे यह सिद्ध हो सके कि विपक्षी ने परिवादी को वाहन की आर0सी0 तैयार होने की सूचना दी थी।
10- इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्य के परिशीलन से यही स्पष्ट होता है कि परिवादी ने वाहन खरीदते समय ही वाहन के रजिस्ट्रेशन तथा बीमा कराने हेतु आवश्यक धनराशि विपक्षी को अदा कर दी थी। अतः विपक्षी का यह दायित्व था कि उक्त कागजात तैयार कराकर परिवादी को उपलब्ध करावें। विपक्षी द्वारा ऐसा नहीं किया गया है। बीमा के किसी कागज की कोई छायाप्रति भी विपक्षी ने दाखिल नहीं किया है विपक्षी यह साबित करने में भी विफल रहा है कि उसने दिनांक 14-3-2016 को परिवादी को बीमा का कागज उपलब्ध कराया था। यहाॅं यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि विपक्षी ने अपने जबाबदावा में कही यह नहीं कहा है कि उसने दिनांक 14-3-2016 को परिवादी को बीमा के कागज उपलब्ध कराये थे बल्कि केवल बहस के स्तर पर दिनांक 14-3-2016 को बीमा के कागजात परिवादी को उपलब्ध कराने की बात कही गयी है। जो विधिक रूप से स्वीकार नहीं की जा सकती है क्योकि विधि का यह सुस्थापित सिद्धान्त है कि जिन तथ्यों का अभिकथन पक्षकारों के अभिवचनों में न हो उनके सम्बन्ध में दिये गये साक्ष्य व तर्क ग्राह्य नहीं हो सकते ।
11- उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा पैसा जमा कर देने के बावजूद विपक्षी ने उसके वाहन का कागजात परिवादी को उपलब्ध नहीं कराया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी है जिससे स्वाभाविक रूप से परिवादी को आर्थिक व मानसिक क्षति पहुंची है। अतः परिवादी विपक्षी से वाहन के कागजात तथा आर्थिक व मानसिक क्षति हेतु क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है। मुकदमें के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए फोरम की राय में परिवादी को विपक्षी से आर्थिक एवं मानसिक क्षति के रूप में रू0 5000/-तथा वाद व्यय के रूप में रू0 2000/- तथा वाहन के कागजात दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है और इस प्रकार उसका परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
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आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह आज से 2 माह के अन्दर परिवादी को उसके वाहन से सम्बन्धित रजिस्ट्रेशन तथा बीमा के कागजात उपलब्ध करावे तथा इसी अवधि में परिवादी को पहुंची आर्थिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 5000/-(पांच हजार) तथा वाद व्यय के रूप में रू0 2000/-(दो हजार) अर्थात कुल रू0 7000/-(सात हजार)भी अदा करें। यदि विपक्षी ऐसा नहीं करता है तो परिवादी उपरोक्त धनराशि पर 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांकः29-7-2017