समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-66/2012 उपस्थित- डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य,
1.मुरलीधर धुरिया पुत्र स्व0श्री केदारनाथ धुरिया निवासी-मुहाल-शुक्लानापुरा महोबा तहसील व जिला-महोबा ।
2.भगवती प्रसाद शुक्ला पुत्र स्व0 श्री बालाप्रसाद शुक्ला निवासी-मुहल्ला–शुक्लानापुरा महोबा तहसील व जिला-महोबा ।
3.जालीराम साहू पुत्र स्व0 श्री मैंगूलाल निवासी-मुहल्ला–छिपयानापुरा महोबा तहसील व जिला-महोबा ।
4.महेन्द्र कुमार धुरिया पुत्र श्री मुरलीधर धुरिया निवासी-मुहल्ला–शुक्लानापुरा महोबा तहसील व जिला-महोबा ।
5.मु0फहीम पुत्र श्री मुहम्मद नईम नम्बरदार निवासी-मुहल्ला–भटीपुरा महोबा तहसील व जिला-महोबा ।
......परिवादीगण
बनाम
1.मालिक श्री राजेन्द्र कुमार गुप्ता,महोबा इण्डेन गैस सर्विस,महोबा भटीपुरा,महोबा ।
2.जनरल मैनेजर,श्री वी0एस0कैंथ इंडियन आयल कार्पोरेशन लिमिटेड उ0प्र0 स्टेट आफिस 1 इंडियन आयल भवन टी0सी0 39 वी0 विभूतिखण्ड,गोमतीनगर,लखनऊ ।
3.जिलापूर्ति अधिकारी,महोबा जिला-महोबा ।
4.जिलाधिकारी,महोबा जनपद-महोबा ... विपक्षीगण
निर्णय
डा0सिद्धेश्वर अवस्थी,सदस्य,द्वारा उदधोषित
परिवादीगण द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इन आधारों पर प्रस्तुत किया गया है कि परिवादीगण परिवाद पत्र में वर्णित पते के शहर महोबा के निवासीगण हैं और विपक्षी सं01 व 2 के उपभोक्ता एवं गैस कनैक्शनधारक है,जिनके कनैक्शन संख्या पृथक-पृथक हैं और परिवाद पत्र में वर्णित हैं । संक्षिप्त में परिवादीगण के अनुसार विपक्षी सं0 1 ने परिवादीगण को गैस कनैक्शन दिनांक से आज तक होम डिलेवरी उपलब्ध नहीं कराई गई बल्कि प्रत्येक डिलेवरी पर 8/-रू0 होम डिलेवरी चार्ज लेते हैं । परिवादीगण को सिलेंडर अपने घर लाने में 40/-रू0 रिक्शा का भाडा देना पडता है । इसकी शिकायत विपक्षी सं01 से की गई तो उसके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई और इसकी शिकायत विपक्षी सं03 व 4 से करने पर भी विपक्षी सं01 के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई । विपक्षी सं01 26 दिन बाद रिफिल बुंकिग करते है और 22-23 दिन बाद डिलेवरी अपने गोदाम से देते हैं । इस प्रकार परिवादीगण को लगभग 48-50 दिन बाद गैस प्राप्त होती है और परिवादीगण को गैस लेने के लिये विपक्षी सं01 के गोदाम में धूप में लाइन लगानी पडती है,जिसमें परिवादीगण के दो – तीन घंटे बर्बाद हो जाते हैं । परिवादीगण को सिलेंडर लगभग 20-25 दिन में खत्म हो जाता है और उनको चूल्हे में खाना लकडियों से बनाना पडता है अथवा होटल से खाना मंगवाना पडता है । इससे परिवादीगण को घोर मानसिक व आर्थिक एवं शारीरिक कष्ट उठाना पडता है । इसकी शिकायत परिवादीगण द्वारा विपक्षी सं02 से भी की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई । परिवादीगण द्वारा इसे विपक्षीगण को व्यापारिक कदाचरण एवं सेवा में त्रुटि बताते हुये प्रार्थना की है कि उसे विपक्षी सं01 से गैस कनैक्शन के दिनांक से आज तक का होम डिलेवरी चार्ज 8/-रू0 प्रत्येक की दर से बैंक प्रणाली/पोस्ट आफिस प्रणाली अनुसार ब्याज सहित एवं डिलेवरी गोदाम से घर तक लाने व्यय हुये धन 40/-रू0 प्रति की दर से तथा मानसिक क्षति 3,50,000/-रू0 एवं परिवाद व्यय 15,000/-रू0 दिलाये जाने हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया है ।
विपक्षी सं01 की और से जबाबदावा प्रस्तुत किया गया और कथन किया गया कि परिवादीगण ने झूठे व गलत तथ्यों के आधार पर यह परिवाद दायर किया है । परिवाद फोरम में चलने योग्य नहीं है और न ही फोरम को इस परिवाद को रजिस्टर्ड करना चाहिये था क्योंकि प्रत्येक उपभोक्ता की अलग अलग परिस्थितियां होती हैं । जबकि परिवादीगण द्वारा परिवाद सामूहिक रूप से दायर किया गया है । यह भी कथन किया गया कि परिवादीगण द्वारा होम डिलेवरी न दिये जाने और 8/-रू0 अतिरिक्त रूप से लिये जाने का कथन गलत है । सत्यता यह है कि परिवादीगण को होम डिलेवरी दी जाती है और वादीगण कभी अपनी इच्छा अनुसार स्वयं गोदाम से गैस प्राप्त कर लेते हैं । गैस की बुकिंग भी गैस कंपनी के नियमानुसार की जाती है और गैस की उपलब्धतानुसार परिवादीगण को गैस की आपूर्ति की जाती है । बुकिंग के 22 दिन उपरांत गैस दिये जाने का कथन परिवादीगण का गलत है । यह भी कहा कि इस परिवाद में बहुवादी हैं इस कारण बहुवादिता उत्पन्न होती है और प्रत्येक वादी को अलग अलग वाद का कारण उत्पन्न होता है । इस कारण परिवाद सुनने का अधिकार जिला फोरम को नहीं है । इस प्रकार परिवादीगण का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है ।
विपक्षीगण 1,2,4 के विरूद्ध आदेश दिनांक:20.07.2012 द्वारा एकपक्षीय कार्यवाही चलाने का आदेश पारित किया गया था लेकिन विपक्षी सं01 ने उक्त आदेश को रिकाल कराकर अपना जबाबदावा प्रस्तुत किया । विपक्षी सं02 व 4 ने कोई जबाबदावा प्रस्तुत नहीं किया । इसी प्रकार विपक्षी सं03 ने उपस्थित होने के बावजूद कोई जबाबदावा प्रस्तुत नहीं किया ।
परिवादीगण की और से अभिलेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त मुरलीधर धुरिया का शपथ पत्र परिवाद पत्र के साथ प्रस्तुत किया गया हैं ।
विपक्षी सं01 की और से अभिलेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त राजेन्द्र कुमार गुप्ता का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया हैं ।
पत्रावली का अवलोकन किया बहस की तिथि को परिवादीगण व विपक्षीगण सं01 के अधिवक्तागण के तर्क सुने गये । विपक्षीगण सं0 2 लगायत 4 की और से कोई उपस्थित नहीं आया ।
यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादीगण विपक्षी सं01 के घरेलू गैस कनैक्शन के उपभोक्ता हैं । सभी परिवादीगण के अलग अलग गैस कनैक्शन और अलग अलग कनैक्शन नंबर हैं और उनको वह गैस कनैक्शन अलग अलग तिथियों में जारी हुये हैं । सभी पाँच परिवादीगण ने एक साथ यह परिवाद प्रस्तुत किया है ।
विपक्षी सं01 की और से मुख्य रूप से आपत्ति की गई है कि परिवादीगण ने सामूहिक रूप से परिवाद प्रस्तुत किया है । प्रत्येक उपभोक्ता की अलग-अलग परिस्थितियां हैं । सामूहिक परिवाद पोषणीय नहीं है । प्रत्येक परिवादी को अलग अलग परिवाद का कारण उत्पन्न हुआ है। जिला उपभोक्ता फोरम को इस परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है ।
परिवादीगण की और से यह तर्क दिया गया कि सभी उपभोक्ताओं का एक समान हित है और धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत परिवाद पोषणीय है । उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-12 निम्न प्रकार है :-
जहां बहुसंख्यक उपभोक्ताओं का समान हित हो तो वहां बिना फोरम की अनुमति के सभी ऐसे हितबद्ध उपभोक्ताओं की और से वह उनके एक या एक से अधिक उपभोक्ताओं द्वारा परिवाद प्रस्तुत किया जा सकता है ।
इस परिपेक्ष्य में पत्रावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवादीगण की और से परिवाद प्रस्तुत करते समय ऐसा कोई प्रार्थना पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया,जिससे फोरम की अनुमति सामूहिक परिवाद प्रस्तुत करने के संबंध में ली गई हो और न ही ऐसी कोई अनुमति प्रदान की गई । विपक्षी सं01 ने जबाबदावा में इस आपत्ति के बावजूद भी परिवादीगण की और से प्रार्थना पत्र देकर अनुमति लेने का कोई प्रयास नहीं किया गया । तत्कालीन फोरम पीठ द्वारा परिवाद अंगीकार किये जाने के बावजूद यह ऐसी वैधानिक त्रुटि है जिसका निराकरण संभव नहीं है । क्योंकि प्रत्येक परिवादी के भिन्न भिन्न कनैक्शन है और भिन्न भिन्न तिथियों में गैस आपूर्ति का प्रश्न है । ऐसा सामूहिक परिवाद बिना पूर्व अनुमति के पोषणीय नहीं है । इसी आधार पर परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है इसलिये अन्य प्रश्नों पर विचार की आवश्यकता नहीं है ।
आदेश
परिवादीगण का परिवाद निरस्त किया जाता है । पक्षकार अपना अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करें ।
(श्रीमती नीला मिश्रा) (डा0सिद्धेश्वर अवस्थी)
सदस्या, सदस्य,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
10.05.2016 10.05.2016
यह निर्णय हमारे द्वारा आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित,दिनांकित एवं उद़घोषित किया गया।
(श्रीमती नीला मिश्रा) (डा0सिद्धेश्वर अवस्थी)
सदस्या, सदस्य,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
10.05.2016 10.05.2016