राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या-36/2019
कु0 मिथलेश सिंह पुत्री श्री चन्द्रमोहन सिंह निवासिनी मकान नं0-537/34 पुरनिया अलीगंज जिला- लखनऊ।
बनाम
प्रोपराइटर गणपति मोबाइल्स श्री राम टावर अशोक मार्ग, लखनऊ व अन्य।
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता : सुश्री मिथलेश सिंह
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता: श्री अतुल कीर्ति
दिनांक 15.10.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्धारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम लखनऊ द्धारा परिवाद संख्या- 102/2015 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.10.2018 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में, परिवाद के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 08.09.2014 को गणपति मोबाइल्स श्री राम टावर अशोक मार्ग लखनऊ से स्पाइस कम्पनी का मोबाइल सेट डुअल सिम मॉडल नं0-5353 मुबलिग 1400/- रूपये में कय किया, जिसमें दूसरे दिन से ही तकनीकी खराबी उत्पन्न हो गयी। परिवादी मोबाइल सेट लेकर विपक्षी संख्या-01 को अवगत कराया कि मोबाइल सेट में सिग्नल की समस्या, ऑन-ऑफ की समस्या हो रही है और कभी नो सर्विस लिख कर आ जाता है, सिग्नल की जगह लाल रंग की लाइन बन जाती है और कभी-कभी 24 घन्टे तक मोबाइल ऑन नहीं होता है। मोबाइल में कूपन से रिचार्ज करने पर फोन रिचार्ज नहीं होता है। यह सारी समस्याओं को परिवादी ने विपक्षी संख्या-01 को बताया, तो उन्होंने समस्या को नहीं सुना और विपक्षी ने कहा कि हम केवल मोबाइल्स सेट बेचते हैं इसके लिये हम कुछ नहीं कह सकते। परिवादी ने सेट बदलकर दूसरा सेट देने को कहा तो विपक्षी ने इंकार कर दिया, और कहा इसे स्पाइस सर्विसिंग सेन्टर पर ही दिखाइये वहाँ सर्विस हो सकती है।
कथन किया कि विपक्षीगण ने परिवादी को पुराना मोबाइल सेट कवर बदलकर धोखे से फर्जी तरीके से बेच दिया है। परिवादी विवश होकर दिनोंक 15.09.2014 को सर्विस सेन्टर पर दिखाया तो उन्होंने मोबाइल सर्विस के लिए रख लिया और सर्विस करके मोबाइल आठ दिन बाद वापस कर दिया। सिम लगाकर देखा तो उसमें समस्या जस की तस बनी रही। नया मोबाइल उपलब्ध न कराये जाने से क्षुब्ध होकर परिवादी ने यह परिवाद योजित किया है।
विपक्षी संख्या-02 ने कहा है कि उनके द्धारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। विपक्षी संख्या-01 इस विपक्षी का अधिकृत डीलर नहीं है। मोबाइल हैण्डसेट को उसी हालत में बदला जाता है जब उसमें कोई निर्माण संबंधी दोष हो। परिवादी ने यह स्वीकार भी किया है कि हैण्डसेट भौतिक रूप से खराब हुआ है, और उसको ठीक नहीं किया जा सकता है।
विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
‘’ परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-02 को निर्देश दिया जाता है कि वह अपने लखनऊ स्थित सेवा केन्द्र को निर्देश दे कि परिवादी का मोबाइल खर्च लेकर मरम्मत 30 दिनों में कराए) क्योंकि मोबाइल का सिम कनेक्टर टूटा हुआ था, अतः वारन्टी समाप्त थी।‘’
मेरे द्धारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता सुश्री मिथलेश सिंह तथा प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री अतुल कीर्ति को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
अभिलेख का अवलोकन किया, जिससे प्रतीत होता है कि इस वाद में सिर्फ एक जॉबशीट दाखिल की गयी है, जिसमें मरम्मत के बाद फोन ठीक होने की तिथि 27 फरवरी, 2015 अंकित है। उसी पर सर्विस सेन्टर की यह भी रिपोर्ट है कि सेट काम नहीं कर रहा है और सिम कनेक्टर टूटा हुआ है। प्रत्यर्थी सर्विस सेन्टर की स्वयं की रिपोर्ट से यह पुष्ट होता है कि परिवादी का प्रश्नगत मोबाइल सेट कार्य नहीं कर रहा था। चूंकि परिवादी का मोबाइल सेट क्रय करने के एक दिन बाद ही खराब हो गया था ऐसे में यह प्रत्यर्थी/विपक्षी का दायित्व है कि वह परिवादी/अपीलार्थी को नया सेट प्रदान करता। ऐसा न कर परिवादी/अपीलार्थी के प्रति प्रत्यर्थी/विपक्षी ने सेवा में कमी की है।
जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हॅू कि विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा पारित निर्णय इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि प्रत्यर्थी/विपक्षी, अपीलार्थी/परिवादी को मोबाइल सेट की कीमत रू0 1,400/- (रूपये एक हजार चार सौ) तथा हर्जाना रू0 5,000/- (रूपये पांच हजार) साठ दिन में अदा करेगें। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। उपरोक्त धनराशि समय से अदा न करने पर परिवादी को उपरोक्त धनराशि पर ब्याज 06 प्रतिशत की दर से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक देय होगा।
प्रस्तुत अपील योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्धारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए., कोर्ट न0- 1