राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-८७५/२००९
(जिला मंच बदायूं द्वारा परिवाद सं0-१०८/२००६ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १६/०४/२००९ के विरूद्ध)
सुप्रीटेंडेंट आफ पोस्ट आफिस बदायूं डिवीजन बदायूं एवं अन्य।
.............. अपीलार्थीगण।
बनाम्
जिला गांधी आई हास्पिटल( निकट रोडवेज) बदायूं द्वारा सहायक सचिव।
............... प्रत्यर्थी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित:-श्री सूर्यकांत अवस्थी विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री टीएच नकवी विद्वान अधिवक्ता ।
दिनांक 07/02/2018
मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य द्वारा उदघोषित
आदेश
प्रस्तुत अपील, जिला मंच बदायूं द्वारा परिवाद सं0-१०८/२००६ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १६/०४/२००९ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में विवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के खाता सं0-९७९ तथा ११६७ अपीलकर्ता के डाकघर में थे। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक ०९/०२/२००० को खाता सं0-९७९ में रू0 ०४ लाख की धनराशि जमा कराईथी और उक्त जमा धनराशि पर अपीलकर्ता द्वारा दिनांक २६/०२/२००४ तक निरंतर ब्याज का भुगतान किया जाता रहा। प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक ०७/०३/२००५ को खाता सं0-९७९ में जमा धनराशि रू0 ०४ लाख तक सूद की धनराशि रू0 ४३६९०/- निकालने के लिए फार्म भरा गया तो अपीलकर्ता डाकघर द्वारा सूद की धनराशि का भुगतान करने से इनकार कर दिया गया और कहा गया कि उक्त वेलफेयर फण्ड एकाउंट में कोई सूद का भुगतान नहीं होगा। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादी के खाता सं0-११६७ में दिनांक १३/१२/२००४ को रू0 ०२ लाख जमा किया गया और इस प्रकार भी प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा ब्याज का भुगतान नहीं किया गया और इसके अतिरिक्त अपीलकर्ता द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी से उक्त धनराशि निकालकर खाता बंद करने की सलाह दी गयी। अपीलकर्ता द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को ब्याज की धनराशि का भुगतान न किए जाने से क्षुब्ध होकर परिवाद जिला मंच के समक्ष दायर किया गया।
जिला मंच द्वारा विपक्षीगण कोनोटिस जारी किया गया। अपीलकर्ता/विपक्षीगण द्वारा भारतीय डाक विभाग द्वारा प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया जिसमें परिवाद पत्र में उल्लिखित अभिकथन का विरोध किया गया और कहा गया कि पांच वर्षीय टाईम डिपोजिट खाता सं0-९७९ डाकघर बचत बैंक नियमावली पुस्तक खण्ड-१ के नियम १४५ के विरूद्ध खोले गए हैं। अत: उक्त खाता पीओएसएसएस पार्ट-१ के चैप्टर ०८ के पृष्ठ ७० पर पैरा १७ के आधार पर खाता बिना ब्याज के बन्द कर दिया गया है। इस प्रकार खाता सं0-११६७ भी नियत विरूद्ध खोला जाना प्रतिवाद पत्र में अभिकथित किया गया है।
उभय पक्षों के द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों का परिशीलन करने तथा उनकासुनने के बाद विद्वान जिला मंच ने निम्नलिखित आदेश पारित किया है-
‘’ विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह खाता सं0-९७९ में जमा धनराशि रू0 ०४ लाख पा पांचवे वर्ष का ब्याज की गणना करके ०४ लाख रूपये में जोड़ते हुए जो धनराशि आती है उस पर दिनांक ०९/०२/२००५ से दिनांक ०७/११/२००५ तक ब्याज सेविंग एकाउंट की दर से ब्याज आता है ब्याज भी अदा करे व एक वर्ष का ०४ लाख पर स्वीकृत ब्याज की धनराशि भी अदा करे। अत: विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता हैकि खातासं0-११६७ में खाता खोलने की दिनांक १३/१२/२००४ से दिनांक ०७/११/२००५ तक टाईम डिपाजिट पांच वर्षों के लिये देय ब्याज दर से जो उस समय प्रचलित था और जो पक्षकारों ने आपस में तय की थी के अनुसार गणना करके ब्याज की धनराशि परिवादी को अदा करे। इसके अलावा विपक्षीगण परिवादी को वाद व्यय के रूप में रू0 ५००/- भी अदा करे । आदेश का अनुपालन एक माह में करे। ‘’
इस आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
अपील में अपीलकर्ता की ओर से मुख्य आधार यही लिया गया है कि विद्वान जिला मंच द्वारा पारित आदेश दिनांक १६/०४/२००९ विधि विरूद्ध है और नियमों की अनदेखी कर पारित किया गया है। उपरोक्त उल्लिखित खाते नियमों के विरूद्ध खोले गए थे और उन पर किसी प्रकार का कोई ब्याज देय नहीं था। विद्वान जिला मंच ने आदेश पारित करके विधिक रूप से त्रुटि की है।
अपील सुनवाई हेतु पीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई। अपीलकर्ताके विद्वान अधिवक्ता श्री सूर्यकांत अवस्थी एवं प्रत्यर्थीके विद्वान अधिवक्ता श्री टी0एच0 नकवी उपस्थित हैं। उभय पक्षों की बहस सुनी गयी। पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
पत्रावली के परिशीलन से यह प्रकट होता है कि प्रश्नगत उपरोक्त उल्लिखित खाता डाकघर बदायूं में कमश: दिनांक ०९/०२/२००० तथा दिनांक १३/१२/२००४ को खोले गए थे और जिसमें क्रमश: रू0 ०४ लाख और रू0 ०२ लाख की धनराशि जमा की गयी थी। खाता सं0-९७९ पर दिनांक २६/०२/२००४ तक निरंतर ब्याज का भुगतान किया गया किन्तु दिनांक ०७/०३/२००५ को उक्त खाते पर ब्याज के भुगतान से नकार कर दिया गया। इस प्रकार खाता सं0-११६७ में जमा धनराशि पर उसके जमा होने से और आहरण की तिथि तक किसी भी प्रकार का कोई ब्याज का भुगतान नहीं किया गया है। अपीलकर्ता द्वारा आफिस आफ सीनियर सुप्रीटेंडेंट लखनऊ के परिपत्र की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है जिसमें मिनिस्ट्री मिनिस्ट्रीआफ कम्प्यूनीकेशन आफ आईटी तथा डिपार्टमेंट आफ पोस्ट्स कम्यूनीकेशन का उल्लेख किया गया है जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के जीएसआर न0-५०९ ई २७/०७/२००५ के अनुसार पोस्ट आफिस में संस्थाका खाता नहीं खुल सकता है किन्तु उसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि कोई खाता खुला हुआ है तो वह खाता दिनांक ३१/१२/२००५ तक बन्द कर दिए जाएं। इसी परिपत्र में यह भी उल्लेख है कि इन खातों पर दिनांक ३१/१२/२००५ के बाद डाकघर बचत बैंक ब्याज देने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। जिला मंच के समक्ष भी टाईम डिपाजिट खाते के संबंध में अध्याय १८ के अंश का उदृण प्रस्तुत किया गया था। उक्तनियमावली के नियम १५७ सी में संस्थागत खातों के संबंध में उल्लेख है जिसका उदृण निम्न प्रकार किया जा रहा है-
“ C. Institutional Accounts:
- Charitable Endowment account to be opened by the Treasurer of Charitable Endowments for India and operated either by him or an agent appointed by him.
- Other Institutional accounts to be opened by a trust Regimental Fund and Welfare Fund only w.e.f. 1.4.1995. The account may be opened by one or more persons as authorized by the authority controlling the trust or Fund.
[D.G. Posts letter No. 61-11/95-SB dated 9.3.1995]
Note 1: The trust which is registered under any law for the time being in force can only open a TD account. The unregistered trust cannot open a TD account.
Note 2:- It has been clarified by the D.G. Posts that the chief Minister’s Relief Fund is in the nature of a Welfare Fund. Hence the monies from the Chief Minister’s Relief Fund may be accepted as deposit in T.D. Accounts under P.O.T.D. Rules [D.G. Posts letter No. 107-8/99-S
B dated 27.9.1999] commission paid as in the case of Savings Certificates. The schedules with the vouchers and bills will be submitted to the S.B. Control Organization every week.”
उपरोक्त नियम १५७ सी के उदृण से यह स्पष्ट है कि तत्समय जब यह खाता खोला गया था तो उपरोक्त नियम १५७ सी के अन्तर्गतखाते खोले जा सकते थे किन्तु परिपत्र सं0-१३-१०/०४-एसबी दिनांक १२/०८/२००५ के अनुसार उक्त खाता दिनांक ३१/१२/२००५ के बाद बंद कर दिया गया और उसपर कोई ब्याज की देयता नहीं थी। अत: इस प्रकरण में उपरोक्तउल्लिखित खाता दिनांक ०७/११/२००५ को बन्द कर दिए गए थे। अत: दिनांक ०७/११/२००५ तथा खाता सं0-११६७ दिनांक १३/१२/२००४ से दिनांक ०७/११/२००५ तक ब्याज की देयता बनती है और जो अपीलकर्ता को भुगतान करनी थी। इस प्रकार खाता सं0-९७९ पर भी दिनांक ०९/०२/२००४ ये ०७/११/२००५ तक बचत खाते की तत्समय देय दर से ब्याज देय होगा। विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत आदेश पारित करके कोई त्रुटि नहीं की है। अपीलकर्ता की अपील में कोई बल नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभयपक्ष को इस आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार निर्गत की जाए।
(संजय कुमार) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र, कोर्ट-४