ORDER | निर्णय द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादिनी ने अपने पति की मृत्यु के फलस्वरूप देय बीमा राशि 2,00,000/- रूपया (दो लाख) विपक्षीगण से दिलाऐ जाने का अनुरोध किया है। शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति की मद में 5,000/- रूपया (पॉंच हजार) भी उसने मॉंगे हैं और यह भी अनुरोध किया है कि अन्य अनुतोष यदि हो तो परिवादिनी को दिलाया जाये।
- संक्षेप में परिवादिनी के कथन इस प्रकार है कि उसके पति ने अपने जीवनकाल में विपक्षी सं0-1 के माध्यम से एक 15 वर्षीय बीमा पालिसी विपक्षी सं0-2 से दिनांक 22/7/2008 को ली थी। पालिसी में परिवादिनी को नोमिनी बनाया गया था। परिवादिनी के पति ने बीमा की प्रथम किश्त जमा की, दुर्भाग्य से दिनांक 04/12/2008 को उनका स्वर्गवास हो गया। क्लेम राशि प्राप्त करने हेतु परिवादिनी ने मृत्यु प्रमाण पत्र सहित सभी आवश्यक प्रपत्र विपक्षीगण को उपलब्ध कराऐ, किन्त आश्वासन के बावजूद और कानूनी नोटिस देने के बाद भी विपक्षीगण ने परिवादिनी को क्लेम राशि उपलब्ध नहीं करायी। परिवादिनी के अनुसार तब अन्तत: उसे यह परिवाद योजित करने के लिए बाध्य होना पड़ा। उसके अनुसार विपक्षीगण ने बीमा राशि अदा न करके घोर लापरवाही और सेवा में कमी की है उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के साथ परिवादिनी ने विपक्षी सं0-2 की ओर से बीमा पालिसी स्वीकृत किऐ जाने हेतु जारी पत्र, परिवादिनी के पति द्वारा प्रथम किश्त जमा किऐ जाने की रसीद, मृत्यु प्रमाण पत्र, क्लेम अस्वीकृत किऐ जाने विषयक विपक्षी सं0-2 के पत्र दिनांकित 04/9/2009, विपक्षीगण को भेजे जाने की असल रसीद को दाखिल किया गया है। यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/1 ता 3/15 हैं। परिवादिनी ने प्रथम किश्त जमा करने की असल रसीद भी दाखिल की जो पत्रावली का कागज सं0-3/18 है।
- विपक्षी सं0-1 ने प्रतिवादपत्र कागज सं0-10/1 लगायत 10/3 दाखिल किया जिसमें यह तो स्वीकार किया गया है कि परिवादिनी के पति ने विपक्षी सं0-2 से परिवाद में अभिकथित बीमा पालिसी सं0-1158456 ली थी जिसमें परिवादिनी को बहैसियत पत्नी नोमिनी बनाया गया था, किन्तु शेष कथनों से इन्कार किया गया है। विपक्षी सं0-1 की ओर से कहा गया है कि बीमा दावे को सैटिल करने का विपक्षी सं0-1 को कोई अधिकार नहीं है, विपक्षी सं0-1, विपक्षी सं0-2 का मात्र कारपोरेट एजेन्ट है और उसने परिवादिनी के पति की मृत्यु से सम्बन्धित जो भी क्लेम प्रपत्र प्राप्त हुऐ थे उन्हें विपक्षी सं0-2 को प्रेषित कर दिया था। विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 04/9/2009 के पत्र द्वारा बीमा क्लेम इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया कि बीमित ने आवेदन के समय तात्विक तथ्यों को छिपाया और असत्य कथन किऐ थे। विपक्षी सं0-1 ने अपने विरूद्ध परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। प्रतिवादपत्र के साथ विपक्षी सं0-1 ने क्लेम प्रपत्र विपक्षी सं0-2 को प्रेषित किऐ जाने सम्बन्धी पत्र, विपक्षी सं0-2 द्वारा क्लेम अस्वीकृत किऐ जाने का पत्र, परिवादिनी को भेजे गऐ नोटिस के उत्तर की नकलों को दाखिल किया गया है, यह अभिलेख कागज सं0 10/4 लगायत 10/10 हैं।
- विपक्षी सं0-2 की ओर से मैनेजर लीगल श्री जे0 जयकुमार के शपथपत्र से समर्थित प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया जो पत्रावली का कागजसं0-11/2 लगायत11/9 है।
- विपक्षी सं0-2 ने अपने प्रतिवाद पत्र में यह तो स्वीकार किया है कि परिवादिनी के पति स्व0 राज कुमार के आवेदन पर उसे 1,50,000/- रूपया की बीमा पालिसी सं0-1158456 विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 22/7/2008 को जारी की थी जिसमें परिवादिनी को नोमिनी बनाया गया था, किन्तु परिवाद के शेष कथनों से इ्रन्कार किया गया। अतिरक्त कथन में कहा गया कि परिवादिनी के पति की मृत्यु की सूचना एवं क्लेम प्रपत्र प्राप्त होने पर जब विपक्षी सं0-2 ने जॉंच करायी तो पाया गया कि मृत्यु से पूर्व मृतक राज कुमार बीमारियों से ग्रसित था जिसका उसने चिकित्सकों से इलाज भी कराया था, किन्तु बीमारी और इलाज से सम्बन्धित तथ्यों को उसने बीमा हेतु भरे गऐ आवेदन फार्म में छिपाया जिस कारण विपक्षी सं0-2 ने उसका क्लेम पत्र दिनांकित 04/9/2009 द्वारा अस्वीकृत कर दिया और ऐसा करके विपक्षी सं0-2 ने न तो कोई त्रुटि की और न ही सेवा में कोई कमी की। विपक्षी सं0-2 की ओर से परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गयी। विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र के साथ संलग्नकों के रूप में बीमा हेतु मृतक राज कुमार द्वारा भरे गऐ आवेदन फार्म, बीमा पालिसी की सूचना का पत्र , बीमा की प्रथम किश्त की अदायगी की रसीद, बीमा पालिसी की शर्ते, बीमित की मृत्यु के उपरान्त परिवादिनी द्वारा बहैसियत नोमिनी प्रस्तुत किऐ गऐ क्लेम फार्म, बीमित की मृत्यु के कारणों की जॉंच सम्बन्धी इन्वेस्टीगेटर की रिपोर्ट और क्लेम अस्वीकृत किऐ जाने सम्बन्धी पत्र की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है यह प्रपत्र कागज सं0- 11/13 लगायत 11/46 हैं।
- परिवादिनी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं0-13/1 ता 13/2 दाखिल किया। विपक्षी सं0-1 की ओर से उनके शाखा प्रबन्धक श्री रन्जीत कुमार ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 14/1 ता 14/2 दाखिल किया। प्रत्युत्तर में परिवादिनी ने रिज्वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0- 16/1 ता 16/2 प्रस्तुत किया। विपक्षी सं0-2 की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं हुआ।
- परिवादिनी तथा विपक्षी सं0-1 ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की। विपक्षी सं0-2 की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादिनी के पति स्वर्गीय राज कुमार ने अपने जीवनकाल में विपक्षी सं0-1 के माध्यम से विपक्षी सं0-2 से दिनांक 22/7/2008 को एक जीवन बीमा पालिसी सं0- 1158456 ली थी। यधपि परिवाद पत्र में इस पालिसी की बीमित राशि 2,00,000/- रूपया बतायी गयी है किन्तु बीमा प्रीमियम की रसीद की नकल कागज सं0 3/8 के अवलोकन से प्रकट है कि इस बीमा पालिसी की बीमित राशि 1,50,000/- रूपया थी। पालिसी लेने के बाद लगभग 6 माह में ही परिवादिनी के पति की मृत्यु हो गयी उसने बीमा दावा प्रस्तुत किया जो विपक्षी सं0-2 ने पत्र दिनांकित 04/9/2009 द्वारा अस्वीकृत कर दिया। रिप्यूडिऐशन लेटर दिनांकित 04/9/2009 की प्रति पत्रावली का कागज सं0- 3/10 लगायत 3/12 है। इस पत्र के अनुसार बीमा दावा इस आधार पर अस्वीकृत किया गया कि बीमित ने बीमा आवेदन करते समय अपनी बीमारी से सम्बन्धित तात्विक एवं महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया था।
- विपक्षी सं0-2 की ओर से यधपि इस मामले में कोई साक्ष्य शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है, किन्तु अपने प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 11/2 लगायत 11/9 में विपक्षी सं0-2 द्वारा यह स्पष्ट कथन किऐ गऐ हैं कि बीमित पालिसी लेने से पूर्व अनेकों गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त था जिसे उसने बीमा आवेदन करते समय छिपाया। प्रतिवाद पत्र के साथ दाखिल शपथ पत्र कागज सं0- 11/11 ता 11/12 के साथ दाखिल संलग्नकों में विपक्षी सं0-2 की ओर से अन्य के अतिरिक्त डा0 वी0एस0 धारीवाल का प्रिस्क्रप्शन, बीमारी विषयक डा0 धारीवाल का प्रमाण पत्र एवं बीमित की मृत्यु के सम्बन्ध में की गयी जॉंच की जॉंच रिपोर्ट को दाखिल किया गया। जॉंच रिपोर्ट कागज सं0- 11/35 लगायत 11/36 तथा डा0 वी0एस0 धारीवाल का प्रमाण पत्र कागज सं0-11/37 है। कागज सं0-11/37 की पुश्त पर डा0 धारीवाल का प्रिस्क्रप्शिन दिनांक 18 जनवरी, 2008 का है। विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र में किऐ गऐ कथनों एवं बीमित की बीमारियों से सम्बन्धित चिकित्सीय प्रपत्रों और जॉंचकर्ता की रिपोर्ट इत्यादि के दृष्टिगत परिवादिनी का यह उत्तरदायित्व था कि वह यह सिद्ध करती कि उसके पति ने बीमा पालिसी लेते समय तात्विक एवं महत्वूपर्ण तथ्यों को नहीं छिपाया था और उसका पति गम्भीर बीमारियों से ग्रस्ति नहीं था, किन्तु इन तथ्यों को प्रमाणित करने में परिवादिनी सफल नहीं हुई है।
- बीमा पालिसी दिनांक 22/7/2008 को ली गयी बीमित की मृत्यु दिनांक 04/12/2008 को हुई। डा0 वी0एस0 धारीवाल का मेडिकल प्रिस्क्रप्शन दिनांक 18 जनवरी, 2008 का है। कहने का आशय यह है कि डा0 धारीवाल का प्रिस्क्रप्शन बीमा पालिसी लिऐ जाने से लगभग 6 महीने पहले का है तथा बीमित की मृत्यु से लगभग 11 माह पूर्व का है। डा0 धारीवाल के मेडिकल प्रिस्क्रप्शन के अनुसार बीमित गम्भीर ज्वाइडिंस, पेट के दर्द, हैपोटोमीगैली (लीवर बढ़ जाना), एनोरोक्सिया (अत्यन्त कम भूख लगना्), स्पीलीनोमीगैली (स्पीलीन बढ़ जाना) तथा लो जनरल कंडीशन से पीडि़त था। कागज सं0- 11/37 के अवलोकन से प्रकट है कि डा0 वी0एस0 धारीवाल ने परिवादिनी के पति को उसकी बीमारियों के दृष्टिगत किसी हायर मेडिकल सेन्टर में इलाज कराने की सलाह दी थी। कागज सं0- 11/36 की पुश्त पर परिवादिनी के ब्यान हैं जो बीमित की मृत्यु के बाद विपक्षी सं0-2 के जॉंचकर्ता ने जॉंच के दौरान लिये थे। अपने ब्यानों में परिवादिनी ने जॉंचकर्ता के समक्ष यह स्वीकार किया था कि उसके पति का इलाज मुरादाबाद में डा0 चतुर्वेदी, डा0 सी0पी0 सिंह और डा0 धारीवाल के यहॉं चला था। परिवादिनी के उक्त ब्यान तथा डा0 धारीवाल के प्रिक्रप्शन और उनके प्रमाण पत्र से प्रकट है कि बीमा पालिसी लेने से पूर्व परिवादिनी का पति अनेकों गम्भीर बीमारियों से पीडि़त था। बीमा हेतु किऐ गऐ आवेदन जो पत्रावली का कागज सं0-11/13 लगायत11/15 है, में परिवादिनी के पति ने अपनी बीमारी सम्बन्धी कोई तथ्य डिसक्लोज नहीं किया। परिवादिनी ने अपने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-13/1 ता 13/2 अथवा रिज्वांइडर शपथ पत्र कागज सं0- 16/1 ता 16/2 में कहीं भी यह कथन नहीं किया कि उसके पति की बीमारियां गम्भीर नहीं थी बल्कि वे सामान्य थीं। इस प्रकार परिवादिनी यह दर्शाने में सफल नहीं हुई है कि विपक्षी सं0-2 ने बीमा दावा गलत आधारों पर रिप्यूडिऐट किया और ऐसा करके उसने सेवा में कमी की।
- पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य, तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि विपक्षी सं0-2 ने परिवादिनी का बीमा दावा अस्वीकृत कर न तो कोई त्रुटि की और न ही कोई सेवा में कमी की। परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश परिवाद खारिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0 फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
16.05.2015 16.05.2015 16.05.2015 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 16.05.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
16.05.2015 16.05.2015 16.05.2015 | |