SMR BABITA SONI filed a consumer case on 11 Feb 2015 against G.P.F OFFICE JAIPUR in the Churu Consumer Court. The case no is 133/2013 and the judgment uploaded on 18 May 2015.
प्रार्थी की ओर से श्री विनोद दनेवा अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थीगण की ओर से श्री गोपाल शर्मा राजकीय अभिभाषक उपस्थित। पक्षकारान की बहस सुनी गई। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थीया राजस्थान सरकार में ए.एन.एम के पद पर दिनांक 02.03.2009 को नियुक्त हुई थी और राज्य सरकार के नियमानुसार अप्रार्थी के यहाॅ एक मेडिक्लेम पाॅलिसी प्रार्थीया ने करवायी थी दिनांक 14.10.2011 को प्रार्थीया की तबियत खराब होने पर प्रार्थीया एस के सोनी हाॅस्पिटल जयपुर मे भर्ती हुई और दिनांक 21.10.2011 को प्रार्थीया को हाॅस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया। प्रार्थीया का अपने ईलाज मे लगभग 48500/-रू खर्च हुए थें। जिसके समस्त बिल व कागजात प्रार्थीया ने अप्रार्थी को दिये परन्तु अप्रार्थी ने प्रार्थीया को केवल 15,525/-रू का भुगतान किया गया । अप्रार्थी का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष है। प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार कर बकाया राशि 32,975/-रू मय ब्याज दिलाने का तर्क दिया ।
अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस मे प्रथम तर्क यही दिया कि प्रार्थीया स्वय द्वारा मेडिक्लेम बीमा नही करवायी गई। मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी राज्य सरकार के निर्देशानुसार बीमा विभाग द्वारा आवश्यक रूप से जारी होने वाली एक मेडिक्लेम पाॅलिसी प्रार्थीया की भी की गई। इस प्रकार प्रार्थीया अप्रार्थी की उपभोक्ता नही है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि मेडिक्लेम पाॅलिसी के नियम व शर्तो के आधार पर दावो का भुगतान सी.जी.एच.एस. दरो पर किया जाता है। जिसके अनुसार प्रार्थीया के दावे की राशि 17,152/-रू बनती थी। जिसका भुगतान प्रार्थीया को कर दिया गया है। अप्रार्थी विभाग का कोई सेवादोष नही है। परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
प्रार्थीया की ओर से परिवाद के समर्थन मे स्वयं के शपथ पत्र के अलावा कुल 12 दस्जावेज दस्तावेजी साक्ष्य के रूप मे प्रस्तुत किये है । अप्रार्थी की ओर से पाॅलिसी की प्रति, दवाईयो की सूची, पत्र दिनांक 11.06.2012 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप मे प्रस्तुत किये है। उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।
अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस मे मुख्य तर्क यही दिया कि प्रार्थीया को मेडिक्लेम पाॅलिसी के नियम व शर्तो के आधार पर सी.जी.एच.एस. दरो पर किया गया है परन्तु अप्रार्थी ने अपने जवाब के समर्थन में सी.जी.एच.एस. दर के सम्बंध मे कोई दस्तावेज या नियम पत्रावली पर प्रस्तुत नही किया। अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत दवाईयो की सूचि के अवलोकन से यह जाहिर नही होता कि अप्रार्थी ने प्रार्थीया को उसके ईलाज पर हुए खर्च का भुगतान किस प्रकार किया है। प्रार्थीया ने जो दस्तावेज अपने ईलाज के सम्बंध मे प्रस्तुत किये है उन सभी दस्तावेजो का विवरण अप्रार्थी ने अपनी दवाईयो की सूची मे शमिल नही किया हुआ जबकि प्रार्थीया राज्य सरकार की सेवा मे नियोजित है। उसके द्वारा बिल प्रस्तुत करने पर अप्रार्थी का यह दायित्व था कि वह प्रार्थीया का क्लेम निर्धारित करते समय सभी नियमो का पूर्ण विवरण देते हुए विस्तृत जवाब भी प्रार्थीया को प्रेषित करना चाहिये था परन्तु अप्रार्थी ने जो दवाईयो की सूची प्रस्तुत की है उसके अवलोकन से यह जाहिर नही होता कि अप्रार्थी के द्वारा किस प्रकार से प्रार्थीया के क्लेम का निर्धारण किया है। इसलिए मंच की राय मे प्रार्थीया के प्रकरण को पुनः निर्धारण हेतु अप्रार्थी के यहाॅ भिजवाया जाना उचित व न्यायोचित प्रतीत होता है।
अतः अप्रार्थी को आदेश दिया जाता है हिक वह प्रार्थीया के मेडिक्लेम पाॅलिसी की राशि का निर्धारण पुनः स्पष्ट नियमो का विवरण देते हुए आदेश की दिनांक के 2 माह के अन्दर अन्दर करेगंे और अपने द्वारा निर्धारित प्रकरण की प्रति प्रार्थीया को भी प्रेषित करेगें यदि प्रार्थीया अप्रार्थी के द्वारा निर्धारित किये गये क्लेम निर्णय से असंतुष्ट हो तो वह पुनः परिवाद लाने हेतु स्वतंत्र रहेगी। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।
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