राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-१६८९/२००१
(जिला उपभोक्ता मंच/आयोग(द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-१२३/२००० में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ९०-०७-२००१ के विरूद्ध)
यूनियन आफ इण्डिया द्वारा चीफ कॉमर्शियल मैनेजर, एन0ई0रेलवे, गोरखपुर।
................. अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम्
जी0एन0 सचान, निवासी ई-८/३, बालदा रोड कालोनी, निशातगंज, लखनऊ।
............... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
२- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री एम0एच0 खान विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : ३१-०१-२०२२.
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
१. जिला उपभोक्ता मंच/आयोग(द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-१२३/२०००, जी0एन0 सचान बनाम एन0ई0 रेलवे में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ९०-०७-२००१ के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय के अन्तर्गत परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया गया है कि परिवादी को एक माह के अन्दर ३,०००/- रू० अदा करे। इस अवधि के पश्चात् अदा करने पर १५ प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा।
२. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी तथा उसके सार्थियों ने रेल गाड़ी सं0-५०१२ राप्ती सागर एक्सप्रेस में लखनऊ से कोयम्बटूर जाने के लिए दिनांक २१-१२-१९९९ को टिकट मूल्य तथा आरक्षण शुल्क दे कर ३२ सीट आरक्षित कराई थीं। यह आरक्षण एस-९ कोच में हुआ था। इस कोच की खिड़कियॉं टूटी हुई थीं। पानी तथा बिजली की आपूर्ति नहीं थी। इन तथ्यों की शिकायत रेलवे स्टाफ से की गई किन्तु कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए फोरम में परिवाद प्रस्तुत किया गया और ३,२०,०००/- रू० प्रतिकर की मांग की गई।
-२-
३. जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष विपक्षी की ओर से यह आपत्ति की गई कि परिवाद पत्र में सहयात्रियों के हस्ताक्षर नहीं हैं और कोच में किसी प्रकार की खराबी नहीं थी। बिजली, पानी की आपूर्ति थी। खिड़कियॉं सही थीं। ट्रेन संचालन के दौरान् कोई शिकायत नहीं की गई।
४. दोनों पक्षों के साक्ष्य पर विचार करने के उपरान्त जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि कोच में अपेक्षित सुविधाऐं नहीं थीं। तदोपरान्त उपरोक्त वर्णित आदेश पारित किया गया।
५. इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध यह अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि जिला उपभोक्ता मंच द्वारा गलत निर्णय पारित किया गया है जो अवैध तथा मनमाना है। साक्ष्य की सही व्याख्या नहीं की गई। तथ्य एवं विधि के विपरीत है। परिवाद पत्र में सभी यात्रियों के हस्ताक्षर नहीं हैं। कोच संख्या एस-९ में किसी प्रकार की कमी नहीं थी। परिवादी तथा उसके साथी आडीटर टीम के सदस्य थे परन्तु परिवाद व्यक्तिगत हैसियत से प्रस्तुत किया गया है जो विधि विरूद्ध है।
६. हमने केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना। पत्रावली का परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
७. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मुख्य आपत्ति परिवाद पत्र की संधारणीयता पर की गई है। उनका तर्क है कि सहयात्रियों के परिवाद पत्र पर हस्ताक्षर नहीं हैं। परिवाद श्री जी0एन0 सचान द्वारा प्रस्तुत किया गया है। उनके द्वारा भी यात्रा की गई है इसलिए श्री जी0एन0 सचान परिवाद प्रस्तुत करने के लिए अधिकृत हैं। यह सही है कि इस परिवाद पत्र में ३२ सीट एक साथ आरक्षित कराने का उल्लेख है परन्तु इस उल्लेख का यह तात्पर्य नहीं है कि परिवाद पत्र में सभी ३२ व्यक्तियों के हस्ताक्षर कराए जाऐं। अत: परिवाद अवैध रूप से प्रस्तुत नहीं किया गया है।
८. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा द्वितीय आपत्ति यह की गई है कि परिवादी तथा उसके साथी भारत विकास परिषद के आडीटर थे इसलिए व्यक्तिगत हैसियत से परिवाद प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है, यह तर्क विधि से समर्थित नहीं है
-३-
क्योंकि जिस व्यक्ति द्वारा टिकट क्रय किया गया वह व्यक्ति रेलवे का उपभोक्ता हो गया। सफर के दौरान् कोच की खिड़कियॉं के टूटे होने तथा बिजली एवं पानी की आपूर्ति बाधित होने के आधार पर यात्रा के दौरान् जो कष्ट झेलना पड़ा उसके लिए श्री जी0एन0 सचान परिवाद प्रस्तुत करने के लिए सक्षम हैं।
९. परिवाद पत्र के समर्थन में प्रस्तुत किए गए शपथ पत्र के आधार पर जिला उपभोक्ता मंच द्वारा निष्कर्ष दिया गया कि कोच संख्या एस-९ में खिड़कियॉं टूटी हुई थीं, जिसमें हवा आ रही थी, जिसके कारण परिवादी को शारीरिक और मानसिक पीड़ा सहन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसी तरह इन तथ्यों को भी साबित किया गया कि कोच में पानी व बिजली की आपूर्ति नहीं थी। इसलिए जिला उपभोक्ता मंच के निर्णय में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अपील तद्नुसार खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
१०. अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच/आयोग(द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-१२३/२००० में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ९०-०७-२००१ की पुष्टि की जाती है।
११. अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
१२. उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
१३. वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
१४. निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.