View 30724 Cases Against Finance
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Lalit kumar narwariya filed a consumer case on 25 Mar 2015 against G.E.Money Finance Services ltd., Manager in the Kota Consumer Court. The case no is CC/380/2008 and the judgment uploaded on 21 Apr 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )
पीठासीनः- अध्यक्ष, श्री नंदलाल शर्मा, मेम्बर श्री महावीर तंवर
परिवाद संख्या:- 380/08
ललित कुमार नरवरिया पुत्र प्रभूलाल नरवरिया उम्र 27 साल जाति कोली, निवासी 828, चित्रकूट, नियर बालाजी, बी0एड0 कालेज रंगबाडी, कोटा। परिवादी
बनाम
01. महाप्रबंधक, जी0आई0 मनी फाईनेनशियल सर्विसेज लि0, यूनिट नं. 401,402, चतुर्थ तल, मिलेनियम टावर, ई,1-2-3 नेताली सुभाष पैलेस, प्रितमपुरा, नई दिल्ली-34,
02. शाखा प्रबंधक, जी0ई0 मनी फाइनेनशियल सर्विसेज लिमि0, सी ए डी सर्किल रंगबाडी रोड कोटा राजस्थान।
03. विकास कुमार (एजेन्ट) कार्यालय जी0ई0 मनी फाइनेनशियल सर्विसेज लिमि0, अग्रवाल प्लाजा, जवाहर नगर, कोटा, राजस्थान। विपक्षीगण
प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति:-
01. श्री मोती लाल उज्जवल, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
02. श्री आर0एन0गौतम,अधिवक्ता, विपक्षीगण की ओर से।
निर्णय दिनांक 25.03.15
परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड को प्राप्त हुआ जिसमें अंकित किया कि उसने विपक्षी सं. 2 से विपक्षी सं. 3 के जरिये मोरगेज लोन लेने से पहले लोन लेने के लिये अप्रार्थी सं. 3 को नकद एवं विभिन्न चैको के माध्यम से 27,312/- रूपये, अदा किये, जिनको बाद में समायोजत करने का आश्वासन दिया गया गया था। परिवादी ने विपक्षी सं. 2 से सम्पर्क किया तो परिवादी को 5,65,000/- रूपये का लोन स्वीकृत करना बताया तथा कहा कि 29 चैक 10033/- रूपये के जमा कर मोरगेज लोन का चैक प्राप्त कर लो, परिवादी ने अप्रार्थी सं. 2 के अनुसार 29 चैक जमा कराकर दिनांक 16.10.06 को एच डी एफ सी बैंक का मोरगेज लोन 5,49,146/- रूपये का चैक दिया तो परिवादी ने कहा कि उसे लोन तो 5,65,000/- रूपये स्वीकृत किया गया है और कम राशि का चैक क्यो दे रहे हो तो अप्रार्थी सं. 2 ने कहा की शेष राशि का चैक बाद में घर भिजवा देगे। परिवादी ने लोन खाता संख्या एच क्यू ए एच 00000486 में 2006 से लोन की किस्ते जमा कराना प्रारंभ कर दिया। परिवादी उक्त कम राशि के बारे में विपक्षी सं. 2 से बार- बार पूछता रहा परन्तु केवल आश्वासन के आलावा और कोई नतीजा नहीं निकला तो 2007 में मैने लोन का खाता बंद करने को कहा तो विपक्षी सं. 2 ने 12 किशते जमा कराने को कहा तब खाता बंद हो जावेगा। 11.10.07 को अंतिम किस्त जमा कराने के बाद खाता बंद करने को कहा तो विपक्षी सं. 2 ने एक सप्ताह में खाता बंद करने को कहा। विपक्षीसं. 2 से सम्पर्क किया तो उसने दिनांक 05.11.07 को 5,88,193/- रूपये जमा करा दोगे तो आपका खाता बंद हो जावेगा। परिवादी ने उक्त राशि का डी डी बैंक आफ इंडिया, महावीर नगर कोटा का विपक्षी सं. 2 को जमा करा दिया। परिवादी को अप्रार्थी सं. 2 ने लोन 5,65,000/- रूपये स्वीकृत किये और 7,35,901/- रूपये परिवादी ने जमा करवाये, इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी से गलत तोर पर अधिक राशि प्राप्त की है, विपक्षीगण ने परिवादी से अधिक राशि वसूल कर उसक सेवा में कमी की है। परिवादी को विपक्षीगण से उनके द्वारा अधिक वसूल की गई राशि मय ब्याज, मानसिक संताप, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।
विपक्षीगण ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि परिवादी ने लोन हेतु उसके यहाॅ आवेदन किया था और उसके पश्चात समस्त शर्तो को समझने के पश्चात परिवादी द्वारा संविदा आलेखित की गई। परिवादी ने लोन के पेटे जो भी चैक दिये वह संविदा की शर्तो के तहत दिये गये। विपक्षीगण ने परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे।
उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01. क्या परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है ?
परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र एवं विपक्षीगण के जवाब से परिवादी विपक्षी सं. 1व 2 का उपभोक्ता है।
02. क्या विपक्षीगण ने सेवा दोष किया है ?
परिवादी ने अपने परिवाद में 1,86,755/- रूपये अन्तर राशि तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षति के 50,000/- रूपये व परिवाद खर्च 5,000/- रूपये कुल 2,41,755/- रूपये मय ब्याज प्राप्त करने का अनुतोष चाहा है।
विशेष रूप से इन्ही तथ्यों को अपनी लिखित बहस में तथा परिवाद में एजेन्ट विकाश कुमार को 4 चैको से 27,312/- रूपये के प्रदान किये गये और मंच की आदेशिका दिनांक 07.04.11 के अनुसार विपक्षी संख्या-3 का नवीन पता पेश करने के निर्देश है, दिनांक 09.06.11 की आदेशिका के अनुसार विपक्षी सं. 3 का नवीन पता पेश नहीं किया, इसके अभाव में विपक्षी संख्या-3 की तलवी बंद कर दी गई, विपक्षी संख्या 1 व 2 से उभय पक्ष के बीच हुई संविदा के अनुसार लोन उपलब्ध करवाया, ब्याज सहित रकम उन्होने संविदा के अनुसार जमा करवाई, इस प्रकार विपक्षी संख्या 1 व 2 ने जो कार्य किया, वह संविदा के अनुरूप किया गया। परिवादी ने विपक्षी सं. 3 को 4 चैको के अनुसार 27,312/- रूपये अदा किये, उन्हे वापस प्राप्त करना चाहता है। चूंकि विपक्षी सं. 3 का नवीन पता पेश नहीं किया, इसलिये उसकी तलवी बंद कर दी गई। परिवादी ने विपक्षी संख्या 1व 2 से एन ओ सी व मूल दस्तावेजात दिलाये जाने का कोई अनुतोष परिवाद में नहीं चाहा है और बिना अनुतोष के मंच यह अनुतोष दिलाने में असमर्थ है। फलस्वरूप विपक्षी संख्या 1व 2 का कोई सेवा दोष सिद्ध नहीं पाया जाता है।
03. अनुतोष ?
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी ललित कुमार का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(महावीर तंवर) (नंदलाल शर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
निर्णय आज दिनांक 25.03.15 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
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