View 30724 Cases Against Finance
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Krishanchand gupta filed a consumer case on 16 Apr 2015 against G.E.Money Finance Services ltd., Manager in the Kota Consumer Court. The case no is CC/138/2008 and the judgment uploaded on 20 Apr 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )
पीठासीनः- अध्यक्ष, श्री नंदलाल शर्मा, मेम्बर श्री महावीर तंवर
परिवाद संख्या:- 138/08
01. कृष्ण चन्द्र गुप्ता पुत्र श्री रामनारायण गुप्ता आयु 70 वर्ष जाति महाजन निवासी 634, दादाबाडी विस्तार, कोटा राज0 ।
02. श्रीमती ललिता गुप्ता पत्नी श्री कृष्ण चन्द्र गुप्ता आयु 66 वर्ष जाति माहजन
निवासी 634, दादाबाडी विस्तार, कोटा राज0 ।
03. अरविन्द गुप्ता पुत्र श्री कृष्ण चन्द्र गुप्ता आयु 42 वर्ष जाति माहजन निवासी 634, दादाबाडी विस्तार, कोटा राज0 । परिवादीगण
बनाम
01. मै0 जी ई मनी क्न्ट्रीवाइज्ड फाइनेशियल सर्विसेज लिमिटेड, जरिये वाईस प्रसीडेन्ट यूनिट नं. 401 व 402 चतुर्थ तल, अग्रवाल मिलेनियस टावर, ई-1,2,3 नेताली सुभाष पैलेस, प्रीतमपुरा, नई दिल्ली-110034 भारत।
02. एरिया सेल्स मैनजर, मैसर्स जी ई मनी क्न्ट्रीवाइज्ड, कलावती मार्केट तृतीय तल, गुमानपुरा, कोटा, राजस्थान। अप्रार्थीगण
प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति:-
01. श्री किशन अग्रवाल,अधिवक्ता, परिवादीगण की ओर से।
02. श्री आर एन गौतम,अधिवक्ता, अप्रार्थीगण की ओर से।
निर्णय दिनांक 16.04.15
परिवादीगण का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ जिसमें अंकित किया कि उसने अंकित किया कि उन्होने अपने ड्रग व्यवसाय के लिये 20,00,000/- रूपये लोन लेने के लिये अप्रार्थीगण के यहाॅ आवेदन किया। अप्रार्थीगण द्वारा 19,91,940/- रूपये दो चैक से दिये तथा शेष राशि बाद में देने का आश्वासन दिया। उक्त लोन 60 किस्तों में चुकाना था, जिसकी ई एम आई 42,484/- रूपये मय ब्याज 9.99 प्रतिशत वार्षिक दर से शामिल था। परिवादीगण ने उक्त लोन अप्रार्थीगण के लेटर आफ आॅफर में अंकित टम्र्स एण्ड कंडीशन्स एवं होम विज्ञापन के अनुसार लिया था। उभय पक्ष में लिखित एवं मौखिक संविदा हुई थी। संविदा के पृष्ठ सं. 1 एवं 18 पर वादीगण के हस्ताक्षर है परन्तु पृष्ठ संख्या 2 से 17 पर उनके हस्ताक्षर नहीं है, इसलिये वे उक्त पृष्ट संख्या पर लिखी हुई शर्तो से पाबंद नहीं है। विपक्षी सं. 2 ने उक्त लोन चुकान के लिये प्रीपेमेन्ट शेडूल दिनांक 26.08.06 तैयार किया जिसके अनुसार वादीगण लोन की अदायगी करते आ रहे है। अप्रार्थीगण द्वारा अपने होम विज्ञापन एवं लेटर आॅफ आॅफर तथा साथ में दी गई विज्ञप्ति में यह बताया कि समय पर मासिक किश्तों का भुगतान होने पर दो मासिक किश्तों की छूट वादीगण को दी जाकर उनकी राशि वापिस की जायेगी। अप्रार्थीगण ने उक्त दो मासिक किस्तों की छूट दिये जाने के बजाय दिनांक 28.12.10 को किस्त विवरणिका में 7 अधिक मासिक किश्तों की राशि की वादीगण से मांग की है अर्थात् 60 के स्थान पर 67 मासिक किस्तों की राशि वादीगण से मांग की। ब्याज की दर 9.99 प्रतिशत वार्षिक से बढकर 14.96 प्रतिशत वार्षिक की गई है जो संविदा के खिलाफ है। अप्रार्थीगण ने परिवादीगण से 20,000/- रूपये ओवर फीस तथा 2,798/- रूपये बीमा राशि ली है, यह राशि अप्रार्थीगण ने परिवादीगण से गलत तौर पर ली है, जिसे अप्रार्थीगण से परिवादीगण वसूल करने के अधिकारी है। अप्रार्थीगण ने परिवादीगण से गलत तौर पर अधिक राशि वसूल की उनकी सेवा में कमी की है, इसलिये अप्रार्थीगण द्वारा परिवादीगण को दिया गया दिनांक 28.12.10 इन्स्टालमेन्ट शिड्यूल तथा उसके आधार पर की जाने वाली कार्यवाही शून्य घोषित की जावे, तथा उक्त शियूडल के आधार पर किस्ते व ब्याज प्राप्त न करे, तथा 59 व 60 वी किस्तों के मासिक चैक वापस लौटा दे तथा उनके द्वारा मोरगेज रखे मकान के दस्तावेजात वापस लौटावे, मानसिक क्षति, परिवाद खर्च व आर्थिक क्षति की राशि 22,798/- रूपये मय ब्याज दिलवाये जावे।
अप्रार्थीगण ने परिवादीगण के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि परिवादी ने लोन हेतु उसके यहाॅ आवेदन किया था और उसके पश्चात समस्त शर्तो को समझने के पश्चात परिवादी द्वारा संविदा आलेखित की गई। परिवादी ने लोन के पेटे जो भी चैक दिये वह संविदा की शर्तो के तहत दिये गये। परिवादी ने उक्त विषय को लेकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व सिविल न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहाॅ से अलग-अलग वाद प्रस्तुत कर रखे है, जबकि वाद में चाहे गये अनुतोष एक ही है। ऐसी स्थित में परिवाद चलने योग्य नहीं है। परिवादी से जो भी चार्जेज लिये गये वह परिवादी की सहमती से व विधि सम्मत तरीके से लिये गये है। अप्रार्थीगण ने परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे।
उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01. आया परिवादीगण अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?
परिवादीगण का परिवाद, शपथ-पत्र, अप्रार्थीगण के जवाब से परिवादीगण, अप्रार्थीगण के उपभोक्ता है।
02. आया परिवादीगण के परिवाद में कार्यवाही स्थगित रखी जावे या नहीं ?
उभय पक्षों की मौखिक बहस सुनने, पत्रावली का अध्य्यन अवलोकन करने से स्पष्ट है कि अप्रार्थी सं. 2 ने अपने जवाब के पैरा नं. 4 में यह अंकित किया है कि परिवादी ने परिवाद में अंकित विषय को लेकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व सिविल न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहाॅ से अलग-अलग वाद प्रस्तुत कर रखे है, जबकि वाद में चाहे गये अनुतोष एक ही है। परिवादी ने उक्त कथन का खंडन नहीं किया है। परिवादी ने मंच में जो परिवाद पेश किया उसमें भी वही विषय है जो परिवादी ने पूर्व में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सिविल न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहाॅ अलग-अलग वाद पेश कर रखे है। परिवादी ने जब एक ही विषय के संबंध में दीवानी न्यायालय में वाद लंबित हो तो परिवादी को उसी विषय का वाद जिला मंच में पेश नही करना चाहिये था, परिवादी को दीवानी न्यायालय के वादों के निर्णय का इंतजार करना चाहिये था। जब परिवादी ने मंच में परिवाद पेश करने से पहले दीवानी न्यायालय में एक ही विषय के वाद प्रस्तुत कर रखे थे और उनका निस्तारण नहीं हुआ, दीवानी न्यायालय में विस्तृत साक्ष्य ली जाकर निर्णय किया जाता है जबकि जिला मंच में लघु जांच की प्रकृति के ही मामले सुने जाते है। अतः वाद विचाराधीन होने के कारण फिलहाल मंच में कोई कार्यवाही अपेक्षित नहीं होने से कार्यवाही स्थगित की जा सकती है।
03. अनुतोष ?
परिवादीगण का परिवाद स्थगित किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादीगण के परिवाद में अप्रार्थीगण के खिलाफ कार्यवाही स्थगित किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(महावीर तंवर) (नंदलाल शर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
निर्णय आज दिनांक 16.04.15 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
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