Rajasthan

Kota

CC/304/2006

Pritam singh - Complainant(s)

Versus

G.E.Countrywide Consumer Financial Services ltd., Manager - Opp.Party(s)

Pushpendra singh chouhan

16 Apr 2015

ORDER

 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )

पीठासीनः- अध्यक्ष, श्री नंदलाल शर्मा, मेम्बर श्री महावीर तंवर

परिवाद संख्या:-   304/06

प्रीतम सिंह पुत्र मोहन सिंह सोलंकी जाति राजपूत आयु 30 वर्ष निवासी संजय गांधी नगर, कोटा राज0।                                     परिवादी

                    बनाम

01.    जी.ई. कन्ट्रीवाईड कन्ज्युमर फाइनेन्श्यिल सर्विसेज लिमिटेड, सी ए डी चैराहा,     कोटा राजस्थान।
02.    एस बी आई लाइफ इन्श्योरेन्स कंपनी लिमिटेड, द्वितीय तल, टर्नर मारीसन     बिल्डिंग, जीण्एन. वैद्य मार्ग, फोर्ट मुम्बई 400023             अप्रार्थीगण


    प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति:-

01.    श्री पी0एस0 चैहान,  अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
02.    श्री आर.एस. गौतम,अधिवक्ता, अप्रार्थीसं. 1 की ओर से। 
03.    श्री संजीव जैन, अधिवक्ता, अप्रार्थीसं. 2 की ओर से। 


            निर्णय             दिनांक 16.04.15

    परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ जिसमें अंकित किया कि उसने अप्रार्थीसं.1 से व्यक्तिगत लोन 32,500/- रूपये दिनांक 16.04.04 को प्राप्त किया था जो 24 किस्तों में अदा करना था, जिसकी मासिक किस्त 1,902/- रूपये थी, जिसके 24 पोस्ट डेटेड चैक्स भी दे दिये थे। अप्रार्थी सं. 1 परिवादी के लोन की प्रतिमाह की किस्त उसके खाते में से सीधे ही प्राप्त कर उसके लोन खाता संख्या आर क्यू ए. 000031113 सं. में जमा करता था। अप्रार्थी सं.1 ने लोन के साथ पांच लाख का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा अप्रार्थी सं. 2 के जरिये प्रदान किया था, जिसकी मास्टर पालिसी संख्या 83001 000909 है, उक्त बीमे की दो वर्ष की कुल किस्त 1560/- रूपये थी। उक्त बीमे की 24 किस्ते 65/- रूपये प्रति माह के हिसाब से उक्त लोन के साथ 1902/- रूपये में सम्मलित थी, जिसका भुगतान नियमित रूप से अप्रार्थी सं. 1 को किया है। उक्त मास्टर पालिसी अप्रार्थीगण के आधिपत्य एवं शक्ति में है, जो परिवादी को कभी भी नहीं दी गई। परिवादी दिनांक 27.12.04 को सडक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसके कारण वह स्थाई रूप से आशक्त हो गया, लम्बे ईलाज के बाद भी वह स्वस्थ नहीं हुआ। परिवादी बिस्तर पर पडा रहता है। परिवादी का एक फोटो स्टूडियो है जो संजय गांधी नगर कोटा में स्थित है, परिवादी दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण उसकी फोटोग्राफी की दुकान बंद हो गई और वह उक्त लोन एवं बीमा की क्रिस्त चुकाने की स्थिति में नहीं है। परिवादी ने दिनांक 07.02.05 को जितेन्द्र सिंह के जरिये दुर्घटना की सूचना पत्र द्वारा अप्रार्थी सं. 1 को दी। अप्रार्थीगण ने परिवादी के बीमा क्लेम पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसका भुगतान नहीं किया। परिवादी ने अप्रार्थीगण को दिनांक 28.07.05 को कानूनी नोटिस दिलवाया जो प्राप्त हो जाने के बाद भी न तो नोटिस का जवाब दिया और ना ही बीमा क्लेम का भुगतान किया। अप्रार्थीगण ने परिवादी के बीमा क्लेम का भुगतान न कर उसकी सेवा में कमी की है। अप्रार्थीगण के मांगने पर उन्हे परिवादी की आशक्तता का प्रमाण पत्र भी दे दिया गया, उसके बावजूद भी अप्रार्थीगण परिवादी का बीमा क्लेम का भुगतान नहीं किया, इसलिये अप्रार्थीगण से परिवादी को बीमा क्लेम की राशि पांच लाख रूपये मय ब्याज, मानसिक क्षति, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।  


    अप्रार्थीसं.1 ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि उसका काम लोन देने का है, उसका अप्रार्थी सं. 2 से कोई संबंध नहीं है, वह अलग संस्था है। परिवादी के बीमा क्लेम के लिये अप्रार्थी सं. 2 जिम्मेदार है। परिवादी जिस राशि की मांग कर रहा है वह बीमाधारी की मृत्यु के उपरान्त देय है जीवित रहने की स्थिति में बीमा क्लेम देय नहीं है इसलिये परिवादी उक्त बीमा क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अप्रार्थी सं.1 ने परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की है और परिवादी अप्रार्थी सं. 1 से किसी भी प्रकार की राहत पाने का अधिकारी नहीं है। अप्रार्थी सं. 1 ने लोन की किस्त की  राशि के साथ बीमे की किस्त भी अप्रार्थी सं.2 की एवज में प्राप्त की है जो अप्रार्थी सं.2 को अदा कर दी है। अप्रार्थी सं. 2 ने ही पालिसी जारी की है। अप्रार्थी सं. 1 से परिवादी किसी भी प्रकार की क्षति पूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी का परिवाद मिथ्या तथ्यों पर आधारित है। अतः परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे। 

    अप्रार्थी सं. 2 ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि उसने परिवादी के पक्ष में मास्टर पालिसी संख्या 83001000909 जारी की थी। परिवादी की दुर्घटना दिनांक 27.12.2004 को हुई थी, इसलिये परिवादी का परिवाद मियाद बाहर है। अप्रार्थी सं. 2 ने परिवादी से किसी भी प्रकार की कोई सूचना प्राप्त नहीं की है। परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ । परिवादी ने अप्रार्थी सं. 2 को कोई बीमा क्लेम नहीं भेजा, अप्रार्थी सं. 2 ने परिवादी को बीमा क्लेम व दस्तावेजात भेजने के लिये प्रार्थना पत्र दिनांक 13.11.09 भेजा था। परिवादी को दुर्घटना में आई स्थाई आशक्ता का लाभ पालिसी की शर्ताे सं. 7.2.2/7.2.2.1 व 7.2.2.2 के अन्तर्गत ही दिया जा सकता है। परिवादी उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं आता है। राजस्थान सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने परिवादी को 40 प्रतिशत स्थाई निशक्तता पाया है। मास्टर पालिसी के अनुसार किसी भी दुर्घटना में बोडी का क्षतिग्रस्त तब ही माना जायेगा यदि उसका दो या उससे अधिक लिम्ब का लोस हो गया हो या ऐंकल या कलाई में चोट हो । प्रस्तुत प्रकरण में प्रीतम सिंह के दायें हाथ के आशक्तता से पीडित है जो कि पूर्ण स्थायी निशक्तता की परिभाषा में नहीं आते है, इसलिये परिवादी किसी प्रकार का बीमा क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी ने अप्रार्थी सं. 2 को न तो दुर्घटना की सूचना दी और ना ही कोई दस्तावेज पेश किये। परिवादी द्वारा समय पर सूचना नहीं दी गई और ना ही बीमा क्लेम पेश किया। अप्रार्थीगण ने परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की हैं परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे।  


    उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-

01.    क्या परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?

    परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र, अप्रार्थीगण के जवाब से परिवादी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है। 

02.    क्या अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?

    उभय पक्षो को सुना गया । उभय पक्ष परिवादी की दिनांक 27.12.04 को दुर्घटना होना, सामूहिक बीमा पालिसी होना स्वीकार करते है, परन्तु जहाॅ तक परिवादी को बीमा क्लेम दिलाने का प्रश्न है, इस बिन्दु पर उभय पक्ष सहमत नहीं है। जहाॅ परिवादी कहता है कि हमने अप्रार्थी सं. 1 व 2 को सूचना कर दी थी, इसकी पुष्टि में दिनांक 07.02.05 का पत्र पत्रावली में संलग्न है तथा कोरियर की फोटो प्रति भी पेश है। परन्तु अप्रार्थी सं. 2 का विशेष रूप से यह कहना है कि उसे परिवादी द्वारा दी गई सूचना नहीं मिली। यद्यपि यह उपधारण की कि चूंकि कोरियर की रसीदों की फोटो कापी के आधार पर अप्रार्थी सं. 2 को सूचना मिल गई। परन्तु अप्रार्थी सं. 2 को किन दस्तावेजात की आवश्यकता थी, इस संबंध में परिवादी द्वारा क्या दस्तावेज पेश किये, यह स्पष्ट नहीं  है, प्रार्थना पत्र के साथ 3 प्रपत्र संलग्न बताते है। परन्तु अप्रार्थीगण का यह दस्तावेज मूल ही नही अथवा यह कहे कि जब तक परिवादी का क्लेम को अप्रार्थीगण द्वारा खारिज किया जाना प्रमाणित नही होता तब तक परिवादी को वादकारण उत्पन्न हुआ ही नहीं कह सकते, चूंकि प्रस्तुत प्रकरण में ऐसा कोई दस्तावेज पत्रावली में सलग्न नही है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि अप्रार्थी सं.2 ने परिवादी का दावा क्लेम खारिज कर दिया हो,ऐसी स्थिति में परिवादी को वादकारण उत्पन्न हुआ ही नही माना जा सकता और जब तक वादकारण उत्पन्न नहीं होता तब तक परिवाद चलने या सेवा दोष को प्रमाणित माना जाना, न्यायोचित नही है। अतः प्रस्तुत प्रकरण को प्री म्योचोर मानते हुये सेवा दोष नही माना जा सकता । 

03.    अनुतोष ?

      परिवादी ने इस मंच में चारा जोरी कर रखी है इसलिये परिवादी को अब यह निर्देश है कि वह पुनः अपने दावा क्लेम अप्रार्थीगण के यहाॅ प्रस्तुत करे, तत्पश्चात जो भी निर्णय हो उससे संतुष्ट या असंतुष्ट होने पर परिवादी परिवाद को मंच में प्रस्तुत कर सकता है तथा अप्रार्थीगण को यह निर्देश दिये जाते है कि परिवादी वे परिवादी का दावा क्लेम पेश करते है तो जिस दिन से इस मंच में कार्यवाही की गई थी तभी से क्लेम सुनवाई किये जाने तक की अवधि को निकालने के बाद नियमानुसार पुनः निर्णय करे।     
परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है। 

 

                   आदेश 

     परिवादी प्रीतम सिंह का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ  खारिज किया जाता है। परिवादी को अब यह निर्देश है कि वह पुनः अपने दावा क्लेम अप्रार्थीगण के यहाॅ प्रस्तुत करे, तत्पश्चात जो भी निर्णय हो उससे संतुष्ट या असंतुष्ट होने पर परिवादी  परिवाद को मंच में प्रस्तुत कर सकता है तथा अप्रार्थीगण को यह निर्देश दिये जाते है कि परिवादी वे परिवादी का दावा क्लेम पेश करते है तो जिस दिन से इस मंच में कार्यवाही की गई थी तभी से क्लेम सुनवाई किये जाने तक की अवधि को निकालने के बाद नियमानुसार पुनः उदारता से निर्णय करे। परिवाद का खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।


(महावीर तंवर)                      (नंदलाल शर्मा)
    सदस्य                             अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा           मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

    निर्णय आज दिनांक 16.04.15 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।


   सदस्य                              अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा            मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

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