Uttar Pradesh

StateCommission

A/1998/1982

Girja Sankar - Complainant(s)

Versus

G D A - Opp.Party(s)

Satish Chnadra Tripathi

07 Aug 1999

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1998/1982
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Girja Sankar
A
...........Appellant(s)
Versus
1. G D A
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

सुरक्षित

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

 

( जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्‍या 311/94 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 31.01.1998  के विरूद्ध )

 

अपील संख्‍या 1399 सन 1998

सेक्रेटरी, गोरखपुर विकास प्राधिकरण, गोरखपुर      ............अपीलार्थी

बनाम

       

 गिरजाशंकर अग्रवाल पुत्र श्री श्‍याम बंदन अग्रवाल निवासी मोहल्‍ला सिलक चौक, जिला पडरौना ।                         . .............प्रत्‍यर्थी

 

एवं

अपील संख्‍या 1982 सन 1998

गिरजाशंकर अग्रवाल पुत्र श्री श्‍याम बंदन अग्रवाल निवासी मोहल्‍ला सिलक चौक, जिला पडरौना ।                             ...........अपीलार्थी

 

बनाम

सेक्रेटरी, गोरखपुर विकास प्राधिकरण, गोरखपुर        . .............प्रत्‍यर्थी

समक्ष:-

1    मा0   श्री चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव,  पीठासीन  सदस्‍य।

2    मा0   श्री राजकमल गुप्‍ता , सदस्‍य।

 

गिरजाशंकर  की ओर से –विद्वान अधिवक्‍ता-  श्री वी0के0 उपाध्‍याय ।

विकास प्राधिकरण की ओर से -                कोई नहीं ।

 

दिनांक:   06;08;2015

    

श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, सदस्‍य (न्‍यायिक) द्वारा उदघोषित ।

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपीलें, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्‍या 311/94 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 31.01.1998  के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी हैं। चूंकि उभय अपीलें क्रास अपील हैं, अत: समेकित रूप से निर्णीत की जा रहीं हैं।  

संक्षेप में, प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने कार्यालय के लिए भवन के आवंटन हेतु गोरखपुर विकास प्राधिकरण में आवेदन दिया तथा 51000.00 रू0 का ड्राफ्ट दिनांक 07.6.1989 को प्राधिकरण के यहां जमा किया। प्रस्‍तावित भवन का कब्‍जा शीघ्र ही दिया जाना था किन्‍तु, चूंकि गोरखपुर विकास प्राधिकरण को संबंधित भूमि पर अधिपत्‍य नहीं मिल पाया जिसके कारण योजना में विलम्‍ब को देखते हुए परिवादी ने अपनी धनराशि वापस मांगी किन्‍तु प्राधिकरण द्वारा उक्‍त धनराशि वापस नहीं की गयी जिससे विक्षुब्‍ध होकर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया । जिला फोरम ने परिवाद को स्‍वीकार करते हुए वादी की जमा धनराशि 51,000.00 रू0 मय 12 प्रतिशत ब्‍याज के दिनांक 07.6.1989 से अदा करने का निर्देश दिया तथा 10,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति तथा 500.00 रू0 वाद व्‍यय देने का आदेश दिया। उक्‍त निर्णय एवं आदेश से विक्षुब्‍ध होकर उभय पक्ष द्वारा दो अलग-अलग अपीलें संस्थित की गयी हैं।

परिवादी द्वारा दाखिल अपील में यह दलील ली गयी है कि जिला फोरम ने मात्र 12 प्रतिशत की दर से ब्‍याज दिलाया है जबकि परिवादी को कम से कम 18 प्रतिशत की दर से ब्‍याज दिलाया जाना चाहिए था।

प्राधिकरण द्वारा दाखिल की गयी अपील में यह आधार लिया गया है कि चूंकि विवादित भूमि पर अधिपत्‍य नहीं मिल पाया था, अत: परिवादी के हित में आवंटन नहीं किया जा सका तथा प्राधिकरण परिवादी द्वारा जमा धनराशि वापस करने हेतु सदैव तत्‍पर रहा किन्‍तु परिवादी द्वारा उक्‍त धनराशि वापस नहीं ली गयी।   

हमने परिवादी/अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुन ली है। प्रत्‍यर्थी गोरखपुर विकास प्राधिकरण की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया है।

हमने अभिलेख का स्‍वत: अनुशीलन किया।

अभिलेख के अनुशीलन से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी द्वारा 51,000.00 रू0 07.6.1989 को जमा किया गया था और परिवादी ने विलम्‍ब को देखते हुए 17.5.1991 को अपनी धनराशि वापस मांगी किन्‍तु प्राधिकरण ने उक्‍त धनराशि वापस नहीं की जिसके कारण परिवादी को परिवाद प्रस्‍तुत करना पड़ा। जिला फोरम ने समस्‍त तथ्‍यों को विवेचित करते हुए परिवादी द्वारा धनराशि जमा करने की तिथि 07.6.1989 से 12 प्रतिशत  की दर से ब्‍याज देने का आदेश दिया है तथा एक माह के भीतर भुगतान न होने पर 18 प्रतिशत ब्‍याज देने का निर्देश दिया है साथ ही साथ क्षतिपूर्ति एवं वाद व्‍यय के संबंध में भी आदेश पारित किया है, जिसमें कोई त्रुटि प्रतीत नहीं होती है। प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील में यह दलील ली गयी उनको समस्‍त धनराशि पर 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दिलाया जाना चाहिए था तथा आदेश के बाद 24 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दिलाया जाना चाहिए था जो न्‍यायोचित प्रतीत नहीं होता है, अत: परिवादी/अपीलार्थी की अपील में कोई बल नहीं है।

जहां तक गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा दाखिल अपील का प्रश्‍न है, यह एक स्‍वीकृत तथ्‍य है कि परिवादी द्वारा 51000.00 रू0 जमा किए गए थे। एक लम्‍बे समय तक विकास प्राधिकरण ने परिवादी को न तो कार्यालय भवन आवंटित किया  और न ही उसकी धनराशि ही वापस की, अत: ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने सही तौर पर 12 प्रतिशत की दर से ब्‍याज देने का आदेश दिया है। अभिलेख के अनुशीलन से यह भी स्‍पष्‍ट है कि विकास प्राधिकरण द्वारा जिला फोरम के आदेश का अनुपालन भी कर दिया गया है और परिवादी को 1,53,555.00 रू0 का भुगतान दिनांक 20.4.2002 को कर दिया गया है, ऐसी स्थिति में भी इस अपील को चलाए जाने का कोई औचित्‍य नहीं रह जाता है। इस प्रकार गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा दाखिल अपील में भी कोई बल नहीं है।

परिणामत:, उपर्युक्‍त दोनों अपीलें निरस्‍त किए जाने योग्‍य हैं।

आदेश

 

            उपर्युक्‍त दोनों अपीलें तदनुसार निरस्‍त की जाती हैं।

उभय पक्ष उभय अपीलों  का अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      इस निर्णय की एक प्रति संबंधित अपील संख्‍या 1982/98 की पत्रावली पर रखी जाए।

निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करा दी जाए।

 

 

(चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)                           (राज कमल गुप्‍ता)

पीठा0 सदस्‍य (न्‍यायिक)                                                         सदस्‍य

      कोर्ट-2

(S.K.Srivastav,PA)

 

 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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