Chhattisgarh

Bilaspur

CC/08/241

SHRI SANJAY SURYAVANSHI - Complainant(s)

Versus

FREEDOM FIGHTER - Opp.Party(s)

SHRI T. ARIF

09 Feb 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/08/241
 
1. SHRI SANJAY SURYAVANSHI
VILLA-MANGALA TRACTER GAIREJ BILASPUR
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI T. ARIF
 
For the Opp. Party:
SHRI R.D. SHARMA
 
ORDER

//जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर (छ0ग0)//

          प्रकरण क्रमांक:-  सी.सी./2008/241
         प्रस्तुति दिनांक:-    26/09/2008

 
संजय सूर्यवंशी पिता गंभीर सूर्यवंशी,
निवासी मंगला टेक्टर गैरेज के पास  
बिलासपुर छ.ग.                          ............आवेदक/परिवादी                 

(विरूद्ध)


 फ्रीडम फाईटर, श्री देवेंद्र नारायण सिन्हा
 मेमोरियल इन फलाईट एयर होस्टेज ट्रेनिंग इंस्टीट्युट
 द्वारा नीज एन्ड्युज (प्रबंधक) मंगला चैक मुंगेली रोड
 बिलासपुर छ.ग.                     ..........अनावेदक/विरोधी पक्षकार
  

                                                                                           ///आदेश///
                                                                      (आज दिनांक 10/02/2015 को पारित)

     1. आवेदक संजय सूर्यवंशी ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक के विरूद्ध व्यवसायिक कदाचरण कर सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदक से 40,000/.रु0 की राशि ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                       
  2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि अनावेदक एयर होस्टेज ट्रेनिंग इंस्टीट्युट संचालित करता है, उसके द्वारा ट्रेंनिंग एवं नौकरी दिए जाने के आश्वासन से प्रभावित होकर आवेदक  उक्त संस्था में प्रवेश लिया और एडमिशन फीस के रूप में 40,000/-रू. की राशि दिनांक 30.05.2007 को अदा किया। अनावेदक द्वारा उसे बाद में और 60,000/-रू. देने के लिए कहा गया। एडमिशन के समय आवेदक, अनावेदक को यह अवगत करा दिया था कि उसे बोलने में तकलीफ है, वह हकलाता है, जिस पर अनावेदक उसे उसके बोलने के तरीके बताने से उक्त तकलीफ दूर हो जाने का एवं निश्चित रूप से नौकरी मिलने का आश्वासन दिया गया था, किंतु कहा गया है कि अनावेदक द्वारा आवेदक को कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई और न ही उसे हकलाने की समस्या से निजात दिलाया गया और न ही उसे नौकरी के लिए कोई आॅफर प्रदान किया गया। अतः यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक संस्था द्वारा उससे झूठ बोलकर पैसे प्राप्त किए गए और बार-बार मांग किए जाने के बाद भी रकम नहीं लौटाया गया। अतः उसने अपने अधिवक्ता के जरिए नोटिस देकर यह परिवाद पेश करना बताया है और अनावेदक से वांछित  अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है। 
    3. अनावेदक की ओर से जवाबदावा पेश कर यह तो स्वीकार किया गया कि वह एयर होस्टेज ट्रेनिंग इंस्टीट्युट चलाता है, किंतु इस बात से इंकार किया कि उसने एडमिशन के समय आवेदक को नौकरी दिलाए जाने का आश्वासन दिया था, उसका कहना है कि उनकी संस्था कोई अस्पताल नहीं है, जो किसी की शारीरिक कमी को दूर करने का आश्वासन दे सके। आगे उसने कहा है कि आवेदक उनकी संस्था में नियमों एवं अनुशासन के विपरीत गतिविधियाॅं करता था, जिसके लिए उसे कई बार चेतावनी दी गई थी, किंतु उसके क्रियाकलाप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, वह बेहद लापरवाह था और पढ़ाई में बिल्कुल ध्यान नहीं देता था । आगे उसने गलत आधारों पर आवेदक द्वारा यह परिवाद यह पेश करना बताया गया है तथा परिवाद निरस्त किए जाने का निवेदन किया है।  
    4. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है। प्रकरण का अवलोकन किया गया।
    5. देखना यह है कि क्या अनावेदक द्वारा आवेदक के साथ व्यवसायिक कदाचरण कर सेवा में कमी की गई ?  
                                                                         सकारण निष्कर्ष


    6.  इस संबंध में कोई विवाद नहीं है कि अनावेदक एयर होस्टेज ट्रेनिंग इंस्टीट्युट संचालित करता है, जहाॅं आवेदक दिनांक 30.05.2007 को एडमिशन फीस के रूप में 40,000/-रू. की राशि जमा कर प्रवेश लिया था ।
      7. आवेदक का कथन है कि संस्था में प्रवेश के समय उसे अनावेदक द्वारा नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया गया था। साथ ही उसके हकलाने की तकलीफ दूर करने का भी आश्वासन दिया गया था, किंतु अनावेदक द्वारा 40,000/-रू. की फीस प्राप्त करने के बाद  उसे कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई और न ही नौकरी का कोई आॅफर प्रदान किया गया और इस प्रकार उसके साथ व्यवसायिक कदाचरण कर सेवा में कमी की गई। 
    8. इसके विपरीत अनावेदक इस बात से इंकार किया है कि उनके द्वारा आवेदक को एडमिशन के समय नौकरी दिलाए जाने का आश्वासन दिया गया था, साथ ही इस बात से भी इंकार किया है कि उनके द्वारा आवेदक को उसके हकलाने की समस्या से  भी निजात दिलाने  का आश्वासन दिया गया था। इस संबंध में उसने आवेदक को गलत आधारों पर परिवाद पेश करना बताया है तथा कहा है कि उसका संस्था कोई अस्पताल नहीं जो आवेदक को उसके हकलाने की समस्या से निजात दिला सके । आगे कहा गया है कि आवेदक पढ़ाई में बेहद लापरवाह था, वह संस्था के नियम व अनुशासनक का भी पालन नहीं करता था, जिसके लिए उसे कई बार चेतावनी दी गई थी। 
    9. आवेदक अपने इस कथन के समर्थन में कि अनावेदक संस्था द्वारा एडमिशन के समय उसे नौकरी दिलाए जाने एवं उसके हकलाने की समस्या को भी दूर करा देने का आश्वासन दिया गया था, कोई साक्ष्य अथवा प्रमाण पेश नहीं किया गया है,इसी प्रकार उसके द्वारा ऐसा भी कोई साक्ष्य पेष नहीं किया गया है जिससे कि दर्षित हो सके कि अनावेदक संस्था द्वारा फीस लेने के उपरांत भी उसे कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई थी  फलस्वरूप उपरोक्त के  संबंध में आवेदक का एक मात्र मौखिक कथन स्वीकार किए जाने योग्य नहीं पाया जाता।
    10. फलस्वरूप उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहॅुचते हैं कि आवेदक अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रहा है।  अतः आवेदक का परिवाद निरस्त किया जाता है। 
    11. उभय पक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे। 
     आदेश पारित 

                             (अशोक कुमार पाठक)                                                                       (प्रमोद वर्मा)           
                                      अध्यक्ष                                                                                     सदस्य                 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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