ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन-अध्यक्ष। - परिवादिनी ने इस परिवाद के माध्यम से यह अनुतोष मांगा है कि उसके इलाज में लापरवाही बरतने के कारण विपक्षीगण से उसे क्षतिपूर्ति की मद में 2,00,000/- रूपया और परिवाद व्यय की मद में 15,000/- रूपया दिलाऐ जाऐ। विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में भर्ती रहकर इलाज कराने में हुऐ 2,46,000/- रूपये की धनराशि भी परिवादिनी ने विपक्षीगण से मांगी है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि दिनांक 04/5/2012 को परिवादिनी को अचानक चक्कर आये वह गिर पड़ी, उसका पुत्र और पति उसे इलाज हेतु विपक्षी सं0-1 के हास्पिटल में लेकर आये। विपक्षी सं0-2 व 3 वहां बतौर चिकित्सक कार्यरत हैं उन्होंने परिवादिनी का चेकअप करके उसे भर्ती कराया और उसका इलाज प्रारम्भ कर दिया। विपक्षी सं0-2 व 3 ने बताया कि परिवादिनी के दिल में एक पेस मेकर लगेगा जिसका खर्चा दवाईयों इत्यादि सहित 1,90,000/- रूपया आयेगा। परिवादिनी के पुत्र और पति ने पेस मेकर लगाने के लिए विपक्षी सं0-2 व 3 को सहमति दे दी। विपक्षी सं0-2 व 3 ने परिवादिनी के पेस मेकर लगा दिया, किन्तु उसने ठीक से कार्य नहीं किया और काम करना बन्द कर दिया। विपक्षी सं0-2 व 3 ने आपरेशन को खोला तो पाया कि पेस मेकर सही रूप से नहीं लग पाया है। परिवादिनी के अनुसार यह विपक्षी सं0-2 व 3 की घोर लापरवाही की वजह से हुआ, उन्होंने परिवादिनी और उसके पुत्र को भरोसा दिलाया कि वे दिल्ली से एक्सपर्ट डाक्टर को बुलाऐगें, किन्तु दिल्ली से कोई नहीं आया। परिवादिनी का दूसरा आपरेशन किया गया जो लगभग 5 घन्टे तक चला। परिवादिनी की हालत गम्भीर हो गई। परिवादिनी के पति और पुत्र ने विपक्षी सं0-2 व 3 से कहा कि वे परिवादिनी का इलाज फोर्टिस एस्कार्ट दिल्ली में करा लें, किन्तु उन्होंने इन्कार कर दिया और विश्वास दिलाया कि परिवादिनी का इलाज हम ठीक से कर देगें और पेस मेकर भी ठीक से लगा देगें, किन्तु उन्होंने परिवादिनी का सही रूप से इलाज नहीं किया। परिवादिनी की हालत जब गम्भीर हो गई तो परिवादिनी के पुत्र और पति ने फोर्टिस एस्कार्ट अस्पताल दिल्ली जाकर दिखाया जहॉं परिवादिनी को भर्ती कराया गया। जॉंच के उपरान्त पाया गया कि परिवादिनी के लगा हुआ पेस मेकर विपक्षी सं0-2 व 3 द्वारा सही नहीं लगाया गया था और वह पेस मेकर ठीक से काम भी नहीं कर रहा था। दिल्ली लाने ले जाने और इलाज कराने में परिवादिनी का 82,611/- रूपया खर्चा हुआ और बड़ी मुश्किल से उसकी जान बची। परिवादिनी का यह भी कथन है कि विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उससे कुल 2,46,000/- रूपया इलाज की मद में जमा कराया गया। परिवादिनी के अनुसार यदि दिल्ली जाकर
- उसने इलाज नहीं कराया गया होता तो उसकी जान चली जाती। उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के अनुसार विपक्षी सं0-4, विपक्षी सं0-2 की और विपक्षी सं0-5 विपक्षी सं0-3 की बीमा कम्पनियां है।
- परिवाद के समर्थन में परिवादिनी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/7 प्रस्तुत किया। इसके अतिरिक्त विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान इलाज कराते समय समय-समय पर परिवादिनी की ओर से जमा किऐ गऐ रूपयों की रसीदे, परिवादिनी की जॉंच रिर्पोटें, चिकित्सीय प्रपत्र इत्यादि की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/8 लगायत 3/41 हैं। परिवादिनी ने सूची कागज सं0-3/43 के माध्यम से अपने अधिवक्ता से विपक्षी सं0-1 को भिजवाये गऐ कानूनी नोटिस दिनांक 01/6/2012 की कार्बन प्रति और उसे डाक से भेजे जाने की असल रसीद भी दाखिल की, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/44 व 3/45 हैं।
- विपक्षी सं0-1 लगायत 3 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-7/1 लगायत 7/9 दाखिल हुआ जिसमें परिवादिनी को दिनांक 04/5/2012 को इलाज हेतु विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में लाऐ जाने, विपक्षी सं0-2 व 3 को विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में बहैसियत चिकित्सक कार्यरत होने, परिवादिनी की जॉंच करके उसकी एन्ज्योग्राफी कराये जाने तथा पेस मेकर लगाऐ जाने की सलाह देने, दिनांक 04/5/2012 की रात्रि में ही परिवादिनी के पुत्रों की लिखित सहमति के आधार पर परिवादिनी को अस्थाई पेस मेकर लगाऐ जाने और दिनांक 08/5/2012 को स्थाई पेस मेकर लगाऐ जाने और इलाज के सिलसिले में परिवादिनी पक्ष द्वारा विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में समय-समय पर धनराशि जमा कराऐ जाने के तथ्यों को स्वीकार किया गया, किन्तु शेष परिवाद कथनों एवं उसमें उत्तरदाता विपक्षीगण के विरूद्ध लगाऐ गऐ आरोपों से इन्कार किया गया है। विशेष कथनों में कहा गया है कि दिनांक 04/5/2012 को जब परिवादिनी विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में आई तो उसकी तबीयत बहुत खराब थी। चिकित्सीय जॉंच के उपरान्त पाया गया कि उसके ह्दय की गति बहुत कम थी उसकी जान बचाऐ जाने के लिए तुरन्त अस्थाई पेस मेकर लगाया जाना आवश्यक था अत: परिवादिनी एवं उसके पुत्रों की लिखित सहमति लेने के उपरान्त पेस मेकर का शुल्क लिऐ बिना परिवादिनी को दिनांक 04/5/2012 की रात्रि में ही तत्काल बाहर से अस्थाई पेस मेकर लगाया गया। दिनांक 07/5/2012 तक परिवादिनी की निरन्तर जॉंच और निगरानी करने के उपरान्त दिनांक 08/5/2012 को उसे स्थाई पेस मेकर लगाया गया जिसकी कीमत 1,90,000/- रूपया थी। स्थाई पेस मेकर छोटा छेद करके लगाया गया। परिवादिनी का यह कथन असत्य है कि दिनांक 08/5/2012 को उसे जो स्थाई पेस मेकर लगाया गया था उसने ठीक प्रकार से कार्य नहीं किया और परिवादिनी की हालत नाजुक हो गई। परिवादिनी का यह कथन भी असत्य है कि उत्तरदाता विपक्षी सं0-2 व 3 ने परिवादिनी के आपरेशन को खोला हो और आपरेशन खोलने पर पाया हो कि पेस मेकर सही प्रकार से नहीं लगा है। विपक्षीगण ने अग्रेत्तर कथन किया है कि परिवादिनी के इलाज तथा पेस मेकर लगाऐ जाने में किसी प्रकार की कोई लापरवाही अथवा त्रुटि नहीं की गई। परिवादिनी दिनांक 04/5/2012 से 11/5/2012 तक विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में भर्ती रही। परिवादिनी अथवा उसके पुत्रों का यह कथन असत्य है कि परिवादिनी के इलाज हेतु उन्हें दिल्ली से एक्सपर्ट चिकित्सक बुलाने का आश्वासन दिया गया था। परिवादिनी का यह भी कथन गलत है कि कथित दूसरे आपरेशन के उपरान्त उसकी हालत गम्भीर हो गई हो तथा उसे जान का खतरा हो गया हो बल्कि वास्तविकता यह है कि विपक्षी सं0-2 बीमारी के इस क्षेत्र के विशेषज्ञ चिकित्सक है उसके द्वारा दिल्ली इत्यादि अनेक शहरों में इस प्रकार के मरीजों का उपचार किया जा चुका है अत: बाहर से किसी डाक्टर को बुलाने का कोई औचित्य नहीं था। परिवादिनी के अत्याधिक हिलने डुलने के कारण दिनांक 9/5/2012 को पेस मेकर की लीड में कुछ तकनीकी खराबी आ गई थी जिसे तत्काल ठीक कर दिया गया और इसके उपरान्त पेस मेकर ने ठीक प्रकार से कार्य किया। परिवादिनी ने पेस मेकर के सम्बन्ध में कोई शिकायत उत्तरदाता विपक्षीगण से नहीं की और दिनांक 11/5/2012 को सही अवस्था में उसे विपक्षी सं0-1 के अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। उत्तरदाता विपक्षीगण ने अग्रेत्तर कहा कि परिवादिनी एवं उसके पुत्रों का यह कथन असत्य है कि दिल्ली के एस्कार्ट अस्पताल में यह कहा गया हो कि उत्तरदाता विपक्षी सं0-2 व 3 द्वारा पेस मेकर सही प्रकार से नहीं लगाया गया था। परिवादिनी को इलाज के खर्चों में रियायत दी गई थी क्योंकि उसका एक पुत्र डाक्टर है। यह कथन असत्य है कि 2,46,000/- रूपया परिवादिनी से धोखाधड़ी करके लिऐ गऐ हों। उक्त कथनों के आधार पर और यह कहते हुए कि उत्तरदाता विपक्षीगण ने परिवादिनी का इलाज करने में किसी प्रकार की कोई लापरवाही अथवा त्रुटि नहीं की और परिवादिनी को उनके विरूद्ध कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- विपक्षी सं0-4 - नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-19/1 लगायत 19/3 दाखिल किया गया जिसमें कहा गया है कि विपक्षी सं0-2 का बीमा उत्तरदाता विपक्षी सं0-4 से होना, बीमा प्रपत्रों के बैरीफिकेशन न हो पाने के कारण स्वीकार नहीं है विकल्प में यह भी कहा गया कि विपक्षी सं0-2 ने परिवादिनी का इलाज व आपरेशन करने में किसी प्रकार की कोई लापरवाही अथवा त्रुटि नहीं की। विपक्षी सं0-2 के प्रतिवाद पत्र को एडोप्ट करते हुऐ विपक्षी सं0-4 ने परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी सं0-5 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-22/1 लगायत 22/3 दाखिल किया गया जिसमें कहा गया कि बीमा प्रपत्रों का बैरीफिकेशन न होने के कारण उत्तरदाता विपक्षी सं0-5 को विपक्षी सं0-3 का बीमा होना स्वीकार नहीं है। विपक्षी सं0-3 ने परिवादिनी के इलाज में किसी प्रकार की कोई लापरवाही अथवा त्रुटि नहीं की। उत्तरदाता विपक्षी सं0-3 के प्रतिवाद पत्र को एडोप्ट करते हुऐ विपक्षी सं0-5 ने परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादिनी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-23/1 लगायत 23/6 दाखिल किया। विपक्षी सं0-4 की ओर से नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी के मण्डलीय कार्यालय में सहायक प्रबन्धक श्री रमन ओवराय ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-24/1 लगायत 24/5 दाखिल किया। विपक्षी सं0-5 की ओर से श्री विजय ग्रोवर का साक्ष्य शपथ पत्र दाखिल किया गया। विपक्षी सं0-2 ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायत9/3 दाखिल किया जिसके साथ बतौर संलग्नक उन्होंने दिनांक 04/5/2012 से 11/5/2012 तक की अवधि में विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में परिवादिनी के हुऐ इलाज से सम्बन्धित चिकित्सीय प्रपत्रों को बतौर संलग्नक दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-9/4 लगायत 9/26 हैं।
- परिवादिनी और विपक्षी सं0-5 की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई। शेष पक्षकारों ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता ने विपक्षी सं0-1, 2 एवं विपक्षी सं0-3 पर परिवाद में लगाऐ गऐ आरोपों को दोहराते हुऐ तर्क किया कि विपक्षी सं0-2 व 3 ने परिवादिनी को जो पेस मेकर लगाया था वह ठीक कार्य नहीं कर रहा था और उसने काम करना बन्द कर दिया तब विपक्षी सं0-2 व 3 ने परिवादिनी के आपरेशन को खोला तो पाया कि पेस मेकर सही रूप से नहीं लगा था। विपक्षी सं0-2 व 3 ने परिवादिनी का दूसरा आपरेशन किया जो लगभग 5 घन्टे चला। इसके बावजूद भी परिवादिनी की हालत ठीक नहीं हुई तब परिवादिनी के पुत्र परिवादिनी को एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली लेकर गऐ जहॉं चेकअप करने पर पाया गया कि परिवादिनी के लगा हुआ पेस मेकर विपक्षी सं0-2 व 3 ने सही प्रकार नहीं लगाया था और वह ठीक से काम नहीं कर रहा था। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली में हुऐ इलाज से परिवादिनी की जान बची अन्यथा उसकी मृत्यु हो सकती थी। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि पेस मेकर लगाने में और परिवादिनी का इलाज करने में विपक्षी सं0-1, 2 एवं विपक्षी सं0-3 की ओर से चिकित्सीय लापरवाही और चूक की गई जिसके लिए विपक्षी सं0-1 लगायत 3 उत्तरदाई हैं। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि विपक्षी सं0-4 विपक्षी सं0-2 और विपक्षी सं0-5 विपक्षी सं0-3 की बीमा कम्पनियां हैं अत: विपक्षी सं0-2 व 3 के कृत्यों के लिऐ यह बीमा कम्पनियां भी उत्तरदाई हैं।
- विपक्षी सं0-1 लगायत 3 के विद्वान अधिवक्ता ने परिवादिनी पक्ष द्वारा लगाऐ गऐ आरोपों को आधारहीन एवं मिथ्या बताते हुऐ पत्रावली में अवस्थित चिकित्सीय प्रपत्रों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया और कहा कि परिवादिनी का इलाज करने तथा पेस मेकर लगाने में किसी प्रकार की कोई चिकित्सीय अथवा प्रक्रियात्मक लापरवाही नहीं की गई। उनका यह भी तर्क है कि दिनांक 4/5/2012 को रात्रि में अत्यन्त गम्भीर हालत में परिवादिनी को विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में लाया गया था जहॉं उसकी तत्काल चिकित्सीय जॉंच की गई और उसका जीवन बचाने के लिए तत्काल अस्थाई पेस मेकर उसे बाहर से लगा दिया गया। दिनांक 05/5/2012 को परिवादिनी की कोरोनरी एन्ज्योग्राफी की गई जिसकी रिपोर्ट में परिवादिनी को स्थाई पेस मेकर लगाऐ जाने की संस्तुति की गई। परिवादिनी की समस्त जॉंचें करने के बाद और परिवादिनी के पुत्रों की सहमति लेने के उपरान्त दिनांक 08/5/2012 को एक छोटा छेद करके परिवादिनी के शरीर में स्थाई पेस मेकर लगा दिया गया। परिवादिनी के ज्यादा हालत हिलने-डुलने की वजह से पेस मेकर की लीड में टैक्नीकल प्रोब्लम हुई जिसे विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 09/5/2012 को तत्काल ठीक कर दिया। दिनांक 11/5/2012 तक परिवादिनी विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में भर्ती रही। भर्ती रहने के दौरान उसकी लगातार चिकित्सीय निगरानी की जाती रही। पेस मेकर लगाऐ जाने में किसी प्रकार की कोई चूक अथवा लापरवाही नहीं हुई। दिनांक 11/522012 को ठीक अवस्था में परिवादिनी को विपक्षी सं0-1 के अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। विपक्षी सं0-1 लगायत 3 के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि परिवादिनी द्वारा पत्रावली में ऐसा कोई चिकित्सीय प्रलेख दाखिल नहीं किया गया है जिसके आधार पर उसका यह आरोप प्रमाणित हो सके कि एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली में जॉंच में यह पाया गया था कि विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में परिवादिनी का पेस मेकर सही नहीं लगाया गया था और पेस मेकर ठीक से काम नहीं कर रहा था। विपक्षी सं0-1 लगायत 3 के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि परिवादिनी विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में दिनांक 04/5/2012 को रात्रि 10 बजकर 20 मिनट पर लाई गई थी और तत्काल उसे अस्थाई पेस मेकर लगा दिया गया ताकि उसका जीवन बचाया जा सके। उस समय तक परिवादिनी की ओर से पेस मेकर का मूल्य तक विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में जमा नहीं किया गया था जिससे प्रकट है कि प्रारम्भ से लेकर अस्पताल से डिस्चार्ज होने तक परिवादिनी की समुचित देखभाल और उत्तम इलाज किया गया। विपक्षी सं0-1 लगायत 3 के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कहा है कि परिवाद में जो आरोप लगाऐ गऐ हैं वे परोक्ष उद्देश्य की पूर्ति हेतु विपक्षी संख्या-1 लगायत 3 पर अनुचित दबाव बनाने और विपक्षी सं0-2 व 3 जो ह्दय सम्बन्धी बीमारियों के प्रतिष्ठित और उच्च शिक्षा प्राप्त चिकित्सक हैं, की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से लगाऐ गऐ हैं जो नि:तान्त मिथ्या एवं आधारहीन हैं। उन्होंने परिवाद को विशेष व्यय सहित खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। विपक्षी सं0-4 एवं विपक्षी सं0-5 के विद्वान अधिवक्ता ने विपक्षी सं0-1 लगायत 3 की ओर से प्रस्तुत तर्कों को एडोप्ट करते हुऐ अतिरिक्त यह भी तर्क दिया कि विपक्षी सं0-1 लगायत 3 ने चॅूंकि परिवादिनी के इलाज, आपरेशन इत्यादि में किसी प्रकार की कोई चिकित्सीय लापरवाही नहीं बरती अत: विपक्षी सं0-4 अथवा विपक्षी सं0-5 को परिवाद में मांगी गई धनराशि अदा करने का उत्तरदाई नहीं ठहराया जा सकता।
- दोनों पक्षों के तर्को को सुनने और पत्रावली में अवस्थित साक्ष्य सामग्री तथा चिकित्सीय प्रपत्रों का अवलोकन करने के बाद हमारा यह सुनिश्चित मत है कि परिवादिनी को पेस मेकर लगाने तथा उसका इलाज इत्यादि करने में विपक्षी सं0-1 लगायत 3 ने किसी प्रकार की कोई चिकित्सीय लापरवाही अथवा चूक नहीं की तथा परिवाद में लगाऐ गऐ समस्त आरोप आधारहीन एवं मिथ्या हैं।
- पत्रावली में अवस्थित पत्रावली के इन्डोर केस रिकार्ड कागज सं0-9/4 के अनुसार परिवादिनी दिनांक 04/5/2012 की रात्रि 10 बजकर 20 मिनट पर विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में उसके पुत्र द्वारा इलाज हेतु लाई गई थी। परिवादिनी को तत्काल आई0सी0यू0 में भर्ती किया गया और तत्काल विपक्षी सं0-2 ने परिवादिनी को अस्थाई पेस मेकर लगा दिया। पत्रावली में अवस्थित कन्सेन्ट शीट कागज सं0-9/8 लगायत 9/9 के अवलोकन से प्रकट है अस्थाई पेस मेकर लगाने से पूर्व परिवादिनी के पुत्रों की लिखित सहमति ले ली गई थी। कागज सं0-9/10 के अनुसार दिनांक 04/5/2012 को जिस समय परिवादिनी विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में लाई गई थी उस समय उसका ह्दय लगभग ब्लाक था और आकस्मिकता को देखते हुऐ विपक्षी सं0-2 ने परिवादिनी को तत्काल अस्थाई पेस मेकर लगाया। कागज सं0-9/10 के अवलोकन से यह भी प्रकट है कि अस्थाई पेस मेकर विपक्षी सं0-1 की कैथ लैब में बाहर से लगाया गया था। कागज सं0-9/11 के अवलोकन से प्रकट है कि दिनांक 5/5/2012 को रूटीन चैक अप में पाया गया कि मरीज की स्थिति ठीक थी केवल वह पसीना आने की शिकायत कर रही थी। विपक्षी सं0-2 ने कोरोनरी एन्ज्योग्राफी करने की अनुशंसा की। परिवादिनी के पुत्र एवं पुत्री की लिखित सहमति के बाद दिनांक 05/5/2012 को परिवादिनी की कोरोनरी एन्ज्योग्राफी हुई। कोरोनरी एन्ज्योग्राफी की विस्तृत रिपोर्ट पत्रावली का कागज सं0-3/39 है जिसमें स्थितियां सामान्य पाये जाने पर विपक्षी सं0-2 ने परिवादिनी को स्थाई पेस मेकर लगाऐ जाने की अनुशंसा की। दिनांक 6 एवं दिनांक 7/5/2012 को परिवादिनी की चिकित्सीय निगरानी जारी रही जैसा कि पत्रावली में अवस्थित कागज सं0-9/15 लगायत 9/17 से प्रकट है। परिवादिनी के पुत्रों की लिखित सहमति के उपरान्त दिनांक 8/5/2012 को परिवादिनी को स्थाई पेस मेकर विपक्षी सं0-2 द्वारा लगा दिया गया। स्थाई पेस मेकर लग जाने के बाद परिवादिनी को अन्य के अतिरिक्त यह हिदायत दी गई थी कि वह अपने दाहिने हाथ को स्थिर रखे उसे हिलाऐ डुलाऐ नहीं। पत्रावली में अवस्थित कागज सं0-9/3 यह दर्शाता है कि परिवादिनी को लगाऐ गऐ पेस मेकर की लीड की रीपोजिशनिंग विपक्षी सं0-2 द्वारा की गई थी। कदाचित इसकी आवश्यकता इसलिए पड़ी कि परिवादिनी ने पेस मेकर लगाऐ जाने के बाद विपक्षी सं0-2 द्वारा दी गई हिदायतों का पालन नहीं किया। पत्रावली में अवस्थित कागज सं0- 9/24 लगायत 9/26 दिनांक 10/5/2012 के परिवादिनी के फोलोअप रिकार्ड हैं जिससे स्पष्ट है कि परिवादिनी की स्थिति और उसके बी0पी0 इत्यादि नार्मल थे और ह्दय ठीक प्रकार से कार्य कर रहा था। दिनांक 10/5/2012 को उसका अस्थाई पेस मेकर हटा दिया गया। इन्डोर केस रिकार्ड की नकल कागज सं0-9/4 के अनुसार विपक्षी सं0-1 के अस्पताल से परिवादिनी को दिनांक 11/5/2012 को अपरान्ह 3 बजकर 45 मिनट पर छुट्टी दी गई। इस प्रकार प्रकट है कि विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में दिनांक 04/5/2012 से 11/5/2012 की अवधि में अन्त:रोगी के रूप में भर्ती परिवादिनी को स्थाई पेस मेकर दिनांक 08/5/2012 को लगाया गया। परिवादिनी द्वारा चिकित्सक की हिदायतों को फालो न किऐ जाने की वजह से लीड में टैक्नीकल प्रोब्लम पैदा हुई थी जिसे विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 9/5/2012 को ठीक कर दिया था। स्थाई पेस मेकर लगाऐ जाने हेतु परिवादिनी का केवल एक आपरेशन दिनांक 8/5/2012 को हुआ था उसका दोबारा आपरेशन नहीं हुआ और न इसकी आवश्यकता पड़ी। परिवादिनी यह प्रमाणित करने में नि:तान्त असफल रही है कि पेस मेकर लगाने में विपक्षी सं0-1 लगायत 3 ने किसी प्रकार की कोई चिकित्सीय लापरवाही बरती थी यह भी प्रमाणित नहीं है कि चिकित्सकों की किसी गलती की वजह से पेस मेकर ने काम करना बन्द कर दिया हो। पेस मेकर ठीक से न लग पाने की वजह से चिकित्सकों को परिवादिनी का दूसरा आपरेशन करना पड़ा था। चिकित्सीय प्रपत्र यह दर्शाते हैं कि विपक्षी सं0-1 के अस्पताल से परिवादिनी दिनांक 11/5/2012 को सही हालत में डिस्चार्ज हुई थी।
- पत्रावली के कागज सं0-3/26 लगायत 3/38 एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली से सम्बन्धित चिकित्सीय प्रपत्र और भुगतान की रसीदों की फोटो प्रतियां है। कागज सं0- 3/32 के अनुसार परिवादिनी एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली में दिनांक 12/5/2012 को भर्ती हुई थी और दिनांक 13/5/2012 को वहॉं से परिवादिनी को छुट्टी दे दी गई। एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली के जो चिकित्सीय प्रपत्र परिवादिनी ने दाखिल किऐ हैं उनमें ऐसा कहीं भी उल्लेख नहीं है कि विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में परिवादिनी को जो पेस मेकर लगाया गया था वह सही नहीं लगा था और वह पेस मेकर ठीक से काम नहीं कर रहा था। यह तथ्य हमारे इस निष्कर्ष की पुष्टि करता है कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-1 लगायत 3 के विरूद्ध परिवाद में जो भी आरोप लगाऐ गऐ हैं वे नि:तान्त मिथ्या और आधारहीन हैं।
- हम इस स्टेज पर यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक समझते हैं कि पत्रावली में ऐसा कोई साक्ष्य संकेत नहीं है जिसके आधार पर यह माना जाऐ कि विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान परिवादिनी से अनावश्यक और असंगत मदों में धनराशि जमा कराई गई थी। इस सन्दर्भ में परिवादिनी द्वारा जो भी आरोप लगाऐ गऐ हैं वे भी आधारहीन और मिथ्या हैं।
- पत्रवली पर उपलब्ध साक्ष्य सामग्री एवं चिकित्सीय प्रपत्रों के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान परिवादिनी को पेस मेकर लगाने, उसका इलाज करने में तथा उसकी चिकित्सीय देखभाल अथवा फालोअप करने में विपक्षी सं0-2 अथवा विपक्षी सं0-3 ने किसी प्रकार की कोई चिकित्सीय अथवा प्रक्रियात्मक चूक अथवा लापरवाही नहीं की। परिवाद में लगाऐ गऐ सभी आरोप आधारहीन एवं मिथ्या पाऐ गऐ हैं। परिणामत: परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवाद खारिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 18.03.2016 18.03.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 18.03.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 18.03.2016 18.03.2016 | |