जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्रीमति गोदारवरी पत्नी श्री महेष चन्द्र, निवारसी- आदित्य मिल काॅलोनी, राठी अस्पताल के पास, मकाल नंत्र एक-2, एम-3, एम-4, गली नम्बर-5, अजमेर रोड, मदनगंज-किषनगढ।
प्रार्थी
बनाम
प्रबन्धक, फलाई हिकुंग कोरियर सर्विस, अजमेरा भवचन, सिटी रोड, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर ।
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 230/2014
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री षेखर षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री अजीत पहाडिया, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 27.02.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थीया द्वारा दिनांक 4.8.2014 को अप्रार्थी कोरियर की सेवाए लेते हुए राखियाॅं परिवाद की चरण संख्या 5 में वर्णित पते पर भेजने हेतु बुक करवाई । राखियाॅं बुक कराते वक्त अप्रार्थी ने प्रार्थीया को आष्वस्त किया कि राषियाॅं षीध्र ही बुक कराए पते पर पहुंचा दी जावेगी एवं उन राखियों के संबंध में दिनंाक 8.8.2014 को प्रार्थीया के भाई के पास कोरियर सर्विस के अहमदाबाद कार्यालय से फोन आया कि उनका लिफाफा आया हुआ है वे ले जावे । प्रार्थीया का भाई लिफाफा लेने गया तब उक्त कार्यालय बन्द मिला था । पुनः गया तब उसे एक घण्टे तक बैठाए रखा किन्तु राखियाॅं नहीं मिली । प्रार्थीया के भाई ने दिनांक 8.8.2012 से 10.8.2014 तक उक्त कार्यालय के कई चक्कर लगाए लेकिन परिवाद पेष करने तक भी लिफाफा उसके भाई को नहीं मिला । अतः परिदवाद पेष करते हुए उसमें वर्णित अनुतोष की मांग की है।
2. अप्रार्थी की ओर से जवाब पेष हूआ जिसमें दर्षाया है कि परिवाद में यह वर्णन कि प्रार्थीया का भाई दिनांक 8.8.2014 को अहमदाबाद कार्यालय पहुंचा गलता होना दर्षाया है । वास्तविकता यह थी कि दिनंाक 8.8.2014 को अप्रार्थी के अहमदाबाद कार्यालय का व्यक्ति लिफाफा डिलीवर करने गया तब पते पर ताला लगा हुआ था । अतः उसे फोन कर कहा गया कि कार्यालय आकर राखियाॅं कलेक्टर करें । तत्पष्चात् राखियाॅं लेने कोई नहीं आया । तब उन राखियों को पुनः प्रार्थीया के किषनगढ पते पर भेज दी गई । प्रार्थीया द्वारा इन राखियों को पुनः अहमदाबाद कार्यालय भेजने को कहा गया । जिस पर अप्रार्थी के किषनगढ कार्यालय ने उन राखियों को पुनः अहमदाबाद कार्यालय दिनंाक
18.8.2014 को भिजवा दी गई जिन्हें प्रार्थीया के भाई ने दिनांक 20.8.2014 को प्राप्त कर ली । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं रही । अतः में परिवाद खारिज होना दर्षाया ।
3. हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया । 4. पक्षकारान के अभिवचनों से प्रार्थीया ने अप्रार्थी से राखियाॅं बुक करवाई जो राखियाॅं दिनांक 8.8.2014 को उसके अहमदाबाद कार्यालय पहुंचा दी गई, तथ्य स्वीकृतषुदा है । प्रार्थीया का कथन रहा है कि दिनांक 8.8.2014 को अप्रार्थी के अहमदाबाद कार्यालय से राखियों प्राप्त करने हेतु फोन आया एवं उसका भाई राखियाॅं लेने गया किन्तु कार्यालय बन्द मिला । उसी रोज पुनः कार्यालय गया तो कार्यालय में लिफाफा ढूढा फिर भी लिफाफा नहीं मिला । तब उसे कहा गया कि उसके घर पर राखियाॅं पहुंचा दी जावेगी । इसके विपरीत अप्रार्थी का कथन है कि अप्रार्थी के अहमदाबाद कार्यालय का व्यक्ति राखियाॅं डिलीवर करने हेतु दर्षाए पते पर गया तो पते पर ताला लगा मिला । अतः प्राप्तकर्ता को फोन कर सूचित किया तो उसके द्वारा कहा गया कि वह आकर लिफाफा ले लेगा लेकिन प्राप्तकर्ता पुनः आया ही नहीं । अतः राखियाॅं अप्रार्र्थी कार्यालय को भेज दी गई एवं अप्रार्थी कार्यालय द्वारा राखियों का लिफाफा बुककर्ता को वापस देना चाहा लेकिन लिफाफा नही ंलिया और कहा कि पुनः उसी पते पर अहमदाबाद भेज दे तो पुनः लिफाफा अहमदाबाद भेज दिया गया जो प्राप्तकर्ता को प्राप्त हो चुका है ।
5. हमने इन कथनों पर गौर किया । दोनों पक्षो के एक दूसरे के विपरीत कथन है किन्तु अप्रार्थी का कथन कि उसके अहमदाबाद कार्यालय का व्यक्ति लिफाफा लेकर बतलाए गए पते पर गया एवं प्राप्तकर्ता के घर पर ताला लगा मिला, तथ्यों के संबंध में अपने कार्यालय का कोई रिकार्ड पेष नहीं किया है । उसका यह कथन कि प्रार्थीया के भाई ने फोन पर कहा कि वह स्वयं आकर लिफाफा ले लगा किन्तु इन तथ्यों को भी अप्रार्थी द्वारा किसी साक्ष्य से सिद्व नहीं किया है ।
6. उपरोक्त सारे विवेचन से हमारे विनम्र मत में अप्रार्थी कोरियर सर्विस द्वारा प्रार्थीया द्वारा भेजा गया लिफाफा समय पर डिलीवरी नहीं किया है एवं उनके पक्ष में सेवा में कमी का बिन्दु सिद्व है । । प्रार्थीया ने राखी के त्यौहार पर अपने भाई को राखियाॅं भेजी जो अप्रार्थी की सेवा में कमी की वजह से प्राप्तकर्ता को प्राप्त नहीं हुई । इन तथ्यों को देखते हुए प्रार्थीया अप्रार्थी से समुचित राषि बतौर हर्जे के प्राप्त करने की अधिकारणी है । अतः आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
7. (1) प्रार्थीया अप्रार्थी से बतौर हर्जाने के मानसिक संताप व वाद व्यय के रूप में राषि रू. 2000/- प्राप्त करने की अधिकारणी होगी ।
(2) क्र. सं. 1 में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थीया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(3) दो माह में आदेषित राषि का भुगतान नहीं करने पर प्रार्थीया अप्रार्थी से उक्त राषियों पर निर्णय की दिनांक से ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगी ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
8. आदेष दिनांक 27.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्य सदस्या अध्यक्ष