जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-182/2015
पस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-8/05/2015
परिवाद के निर्णय की तारीख:-26/10/2020
डॉ0 मोहम्मद शाहिद जमा वयस्क निवासी-एस एम ओ-2, लोकबन्धु राजनारायण हास्पिटल कैम्पस, एल0डी0ए0 कालोनी, कानपुर रोड लखनऊ-226012 ।
............परिवादी।
बनाम
1-फ्लिपकार्ट इण्टरनेट प्रा0लि0, वैष्णवी समिट, ग्राउण्ड फ्लोर, 7 मेन, 80 फिट रेड 3 ब्लॉक, कोरमंगला इण्डस्ट्रीयल लेआउट, बंगलौर-560034, कर्नाटक द्वारा-डायरेक्टर।
2-माइक्रोमैक्स कं0 लिमिटेड माइक्रामैक्स हाउस 90 बी, सेक्टर-18, गुड़गॉंव-122015 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
.............विपक्षीगण।
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण से मोबाइल की कीमत 13,329/-रूपये 24% वार्षिक ब्याज सहित मोबाइल क्रय किये जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक, मानसिक, आर्थिक, एवं शारीरिक कष्ट के लिये 55,000/-रूपये, वाद व्यय व अन्य भाग-दोड़ के लिये 15000/-रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनॉंक-02/06/2014 को एक माइक्रोमैक्स कम्पनी का मोबाइल जिसका मॉडल माइक्रोमैक्स कैनवास डूडल 2ए240 तथा आईएमईआई 911316250200704 तथा 911316250455705 मुबलिग-13329/-में विपक्षी संख्या-01 से ऑनलाइन क्रय किया था तथा विपक्षी द्वारा एक वर्ष की गारन्टी बतायी गयी थी, जिसकी डिलीवरी दिनॉंक-05/06/2014 को परिवादी के पते पर की गयी थी। परिवादी द्वारा क्रय किया गया मोबाइल शुरू से ही खराब था और कुछ माह बाद दिनॉंक-06/12/2014 को परिवादी के मोबाइल में पूरी तरह से खराबी आ गयी, जिसके अन्तर्गत मोबाइल हैंग करने लगा, और अचानक बन्द हो गया तथा काफी प्रयासों के बाद भी ऑन नहीं हुआ, जिसे लेकर विपक्षी संख्या-02 के सर्विस सेन्टर मेसर्स आकर्श इलेक्ट्रानिक्स, 292/11 विक्टोरिया स्ट्रीट निकट-चरक पैथोलॉजी, चौक लखनऊ के पास परिवादी ने अपने पुत्र हमजा के हाथ बनने के लिये भेजा। विपक्षी द्वारा मोबाइल रिपेयर करने के नाम पर जमा कर लिया गया और एक जॉबशीट बनाकर परिवादी के पुत्र को दे दिया और 15 दिन बाद आने को कहा गया। परिवादी जब 15 दिन बाद विपक्षी के सर्विस सेंटर पर अपना मोबाइल लेने गया तो यह देखकर कि विपक्षी संख्या-02 का सर्विस सेंटर बन्द हो चुका है, परिवादी हैरान रह गया और विपक्षी से संपर्क करना चाहा किन्तु संपर्क नहीं हो पाया। काफी प्रयास के बाद 03 दिन बाद परिवादी को पुन: विपक्षी से संपर्क करना चाहा तो विपक्षी संख्या-02 के कस्टमर केयर से परिवादी को पता चला कि विपक्षी संख्या-02 ने अपना सर्विस सेन्टर बन्द क दिया है, और परिवादी का मोबाइल परिवादी को फोन करके दे दिया जाएगा। दिनॉंक-06/12/2014 से लेकर अब तक विपक्षीगणों द्वारा परिवादी को खराब मोबाइल न तो बलकर और न ही बनाकर वापस किया गया। विपक्षीगणों ने परिवादी को खराब मोबाइल बेचकर सेवा में कमी की है।
वाद की कार्यवाही विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय चल रही है।
परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में शपथ पर साक्ष्य प्रस्तुत किया है।
अभिलेख का अवलोकन किया जिससे प्रतीत होता है कि परिवादी ने अपने मोबाइल को अधिकृत सेवाकेन्द्र पर सेवा के लिये दिया था, और विपक्षी का सेवाकेन्द्र बन्द हो गया, मोबाइल भी उन्हीं के पास पड़ा हुआ है। विपक्षी ने अधिकृत सेवा केन्द्र को बन्द कर एवं परिवादी को इस संबंध में कोई सूचना न देकर सेवा में कमी की है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी ने जिस मोबाइल को क्रय किया था उसका उपयोग भी वह नहीं कर पाया और मोबाइल वारन्टी अवधि में ही खराब हुअा है। परिवादी का यह भी कहना था कि मोबाइल में नई-नई तकनीकों का अविष्कार प्रतिदित होता है और 2014 में लिया गया मोबाइल अब काम भी नहीं कर पायेगें। जबकि छह साल की अवधि में तकनीकी दृष्टि से मोबाइल बहुत उन्नत हो गय है। अत: परिवादी को मोबाइल की कीमत मुबलिग-13329/-एवं अन्य खर्च दिलवाया जाए। जिला आयोग परिवादी के कथनों से संतुष्ट है। परिवादी द्वारा कहे गये शपथ के विरूद्ध कोई कथन अभिलेख पर उपलब्ध नहीं है। अत: परिवादी के कथनों पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-02 को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को मोबाइल की कीमत मुबलिग-13329/-(तेरह हजार तीन सौ उन्नतीस रूपया मात्र) 09% ब्याज के साथ वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 45 दिन के अन्द अदा करें। साथ ही साथ परिवादी को हुए मानसिक एवं शारीरिक कष्ट के लिये मुबलिग-10000/-(दस हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग-10000/-/-(दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे। यदि आदेश का पालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 12% वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(अशोक कुमार सिंह) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।