nitin agencies filed a consumer case on 27 Feb 2017 against first flight in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is cc/589/2013 and the judgment uploaded on 12 May 2017.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-589/2013
मेसर्स नितिन एजेन्सीज षॉप नं0-1 नावेल्टी कॉमर्षियल कॉप्लेक्स 77/151 ए लाटूष रोड कानपुर-208001 द्वारा मुख्तार आज भी नितिन अग्रवाल पुत्र स्व0 रमेष चन्द्र अग्रवाल हाल मुकाम 77/151 ए नावेल्टी कॉमर्षियल कॉप्लेक्स लाटूष रोड कानपुर।
................परिवादी
बनाम
1. षाखा प्रबन्धक, फर्स्ट फ्लाइट कूरियर्स लि0 14/145 कामर्स सेन्टर चुन्नीगंज जिला कानपुर नगर।
2. सहायक प्रबन्धक (गा्रहक सेवा) क्षेत्रीय मुख्य कार्यालय फर्स्ट फ्लाइट कूरियर्स लि0 414/415 द्वितीय तल सहारा ट्रेड सेंटर इन्दिरा नगर, फैजाबाद रोड, लखनऊ-226016
3. मुख्य प्रबन्धक फर्स्ट फ्लाइट कूरियर्स लि0 505 कॉटन एक्सचेन्ज बिल्डिंग कालका देवी रोड, मुम्बई-400002
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 19.11.2013
निर्णय तिथिः 21.04.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से क्लेम की धनराषि रू0 1,12,502.00 मय युक्तियुक्त ब्याज व रू0 87,498.00 क्षतिपूर्ति तथा अन्य कोई अनुतोश जो मा0 फोरम उचित समझे दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी उपरोक्त प्रतिश्ठान का मुख्तारआम है तथा प्रतिश्ठान के सभी कार्य उसके द्वारा संचालित व सम्पादित किये जाते हैं। परिवादी के प्रतिश्ठान का मुख्य कार्य ट्रेडिंग का है। परिवादी के प्रतिश्ठान से व्यापार के सामान्य अनुक्रम में भेजी जाने वाली समस्त डाक व माल का सम्प्रेशण विपक्षीगण
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की कूरियर कंपनी के माध्यम से किया जाता है। परिवादी ने दिनांक 08.07.13 को विपक्षीगण के मेस्टन रोड कानपुर षाखा से एक ईनामी कूपन का पार्सल बुक करवाया था, जिसकी सम्प्रेशण सं0-जे0 19121400 था, जो गल्फ आयल कारपोरेषन लि0 टी0सी0 34/बी-2 फर्स्ट फ्लोर फाइवर टावर विभूति खण्ड गोमती नगर लखनऊ को प्रेशित थी। बुक कराये गये पार्सल का वनज 14 किलोग्राम अंकित किया गया तथा उसका मूल्य रू0 1,12,502.00 का था। बुकिंग करने से पूर्व बुकिंग कर्मचारी ने इनामी कूपनो को देखा था तथा पार्सल की विधिवत् जांच करने के उपरान्त तथा पूर्ण संतुश्ट होने के बाद ही पार्सल की बुकिंग की थी। परिवादी के बार-बार कहने के बावजूद बुकिंग कर्मचारियों ने पार्सल का बीमा करवाने नहीं दिया और परिवादी को यह आष्वासित करते रहे कि आपका माल प्रेशित को सुरक्षित पहॅुच जायेगा। बुकिंग कर्मचारियों के इस आष्वासन पर परिवादी ने पार्सल का बीमा नहीं करवाया। परिवादी को दिनांक 12.07.13 को प्रेशिति फर्म से यह सूचना प्राप्त हुई कि उसे दिनांक 08.07.13 को बुक हुए पार्सल का परिवाद अभी तक नहीं किया गया है, जाकर बुकिंग से पता कीजिए, जिस पर परिवादी ने बुकिंग कार्यालय से संपर्क किया तो वहां के कर्मचारियों ने उक्त पार्सल के बावत कोई संतोशजनक उत्तर नहीं दिया और बार-बार गुमराह करते रहे कि आपका पार्सल कुछ दिनों में प्रेशिती कंपनी को पहुॅच जाएगा, परन्तु उन्होंने पार्सल की सही वस्तुस्थिति को नहीं बताया। तब परिवादी ने विपक्षीगण से पार्सल के बावत रजिस्टर्ड पत्राचार के माध्यम से जानकारी मांगी। जिस पर विपक्षी सं0-1 के कार्यालय के ग्राहक सेवा अधिकारी श्री ओ0पी0 दुबे द्वारा दिनांक 19.07.13 को परिवादी को एक लिखित सूचना भेजी गयी, जिसमें उन्होंने माल के रास्ते से गायब होने की पुश्टि की। परिवादी का पार्सल खो जाने की लिखित संम्पुश्टि हो जाने पर परिवादी ने क्लेम सेटलमेंट का एक प्रार्थनापत्र दिनांक 22.07.13 को जरिये स्पीड पोस्ट विपक्षी सं0-1 को दिया, जिस पर उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही परिवादी के प्रार्थनापत्र का उत्तर देना मुनासिब समझा गया। परिवादी ने पुनः दिनांक
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31.07.13 को विपक्षीगण की कानपुर षाखा के द्वारा दिनांक 19.07.13 को भेजे गये पत्र पार्सल के खो जाने की संपुश्टि व दिनांक 22.07.13 को परिवादी द्वारा भेजी गई क्लेम सेटलमेंट का हवाला देते हुए एक प्रार्थनापत्र भेजा, जिसकी एक-एक प्रति विपक्षी सं0-2 व 3 को जरिये स्पीड पोस्ट भेजी। परिवादी द्वारा 31 जुलाई 2013 को विपक्षीगण को भेजे गये क्लेम आवेदन के उत्तर में विपक्षीगण के प्रधान कार्यालय लखनऊ द्वारा दिनांक 10.08.13 को परिवादी को एक पत्र भेजा गया, जिसमें यह कहा गया था कि उसके खोये हुए पार्सल का कोई वाणिज्यिक मूल्य नहीं था, उसकी बुकिंग सामान्य दस्तावेजों की भांति की गयी थी तथा उसकी प्राथमिकी दर्ज करवा दी गयी है। कंपनी के कार्यालय के उपरोक्त पत्र में परिवादी को यह सख्त हिदायत दी गयी कि अब आप खोए हुए पार्सल के बावत कोई क्लेम प्राप्त करने के अधिकारी नहीं है। विपक्षीगण ने उक्त पार्सल के खो जाने की न तो प्राथमिकी दर्ज करवाई और न ही पार्सल के खो जाने के युक्ति-युक्ति प्रयास किये गये, जिसकी पुश्टि परिवादी ने सम्बन्धित थाने में जाकर की। विपक्षीगण पार्सल में भेजे जाने वाले ईनामी कूपनों को देखा तो उन्होंने उसे हड़प करने की नियत से जानबूझकर पार्सल का बीमा नहीं किया। पार्सल की बुकिंग व्यापारिक पार्सल के रूप में नहीं की और जानबूझकर उस पार्सल पर उसकी कीमत को अंकित नहीं किया। इससे यह स्पश्ट होता है कि बुकिंग केन्द्र के कर्मचारियों द्वारा सुनियोजित तरीके से माल को गायब किया गया है। बावजूद विधिक नोटिस विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। फलस्वरूप विवष होकर परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षीगण की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी क्रेडिट उपभोक्ता है व उसकी डाक विपक्षीगण कंपनी द्वारा भेजी जाती है। किन्तु यह अस्वीकार है कि उसकी समस्त डाक मेरी कंपनी द्वारा भेजी जाती है या नहीं, साबित करने का भार परिवादी का है।परिवादी ने दिनांक 08.07.13 को उसकी कंपनी मेस्टन
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रोड षाखा से पार्सल कानपुर से लखनऊ के लिये बुक नहीं कराया था, बल्कि सत्यता यह है कि जो पार्सल विपक्षी कंपनी द्वारा बुक किया था, वह केवल हैवी डाक में बुक किया गया था। इनामी कूपन साबित करने का भार परिवादी का है। बुक कराये गये पार्सल का वजन 14 किलोग्राम था। कंपनी में बुकिंग कर्मचारियों द्वारा परिवादी को पार्सल का बीमा कराने से मना नहीं किया गया। परिवादी का, कंपनी के कर्मचारियों द्वारा बुक किया गया पार्सल रास्ते में कहीं गिर गया है, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 11.07.13 को थाना कोतवाली कानपुर नगर में दर्ज करायी गयी है व उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति परिवादी को दी गयी। दिनांक 19.07.13 को कंपनी के कस्टमर सर्विस डिपार्टमेंट में इंचार्ज ओ0पी0 दुबे एवं श्रीमती षिवानी षर्मा द्वारा लिखित क्षमा मांगी गयी थी। बुकिंग कर्मचारियों द्वारा दिये गये आवष्वासनों से असंतुश्ट होकर पत्राचार के माध्यम से विपक्षी सं0-1 लगायत् 3 से पार्सल के बावत जानकारी मांगी गयी, उक्त तथ्य झूठे व मनगढन्त हैं व मुकद्मे बाजी करने की नियत से व विपक्षीगण को हैरान व परेषान करने के लिए झूठे व मनगढन्त आरोप लगाये गये हैं। सत्यता यह है कि परिवादी को सही समय पर सही तथ्यों की जानकारी कंपनी द्वारा दी जा चुकी थी। परिवादी का पार्सल हैवी डाक में बुक हुआ था व कंपनी के नियत व षर्तों के अंतर्गत ऐसे बुक पार्सल पर कोई क्लेम देने का प्राविधान नहीं है। परिवादी ने उक्त पार्सल (हैवी डाक) की बुकिंग सामान्य दस्तावेजों के आधार पर करायी थी, जो कन्साइन्मेंट बुक नोट व प्रथम सूचना रिपोर्ट से स्वयं प्रदर्षित होती है। परिवादी द्वारा भेजी गयी नोटिस का जवाब विपक्षीगण द्वारा जरिये अधिवक्ता दिनांक 09.10.13 को जवाब भेजा गया था। परिवादी विपक्षी कंपनी के ऊपर झूठे तथ्यों पर मुकद्मा दाखिल कर, हैरान, परेषान व ब्लैकमेल कर रहा है। अतः परिवाद सव्यय खारिज किया जाये।
4. परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत जवाबदावा में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि उभयपक्षों के मध्य व्यापारिक सम्बन्धों हेतु एक
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लिखित अनुबन्ध भी है, जिसके आधार पर विपक्षी, परिवादी को उसके द्वारा प्रेशित डाक व पार्सल का मासिक स्टेटमेंट देते हैं एवं परिवादी से अपने पैसे प्राप्त करते हैं। चूॅकि परिवादी के भेजे गये पार्सल दिनांक 08.07.13 को विपक्षीगण ने साजिषन गायब कर दिया है, जिसकी षिकायत करने के कारण विपक्षीगण ने जून माह का स्टेटमेंट परिवादी को नहीं दिया है। परिवादी ने विपक्षी को यह अवगत करा दिया था कि पार्सल में कीमती कूपन है। अतः पूर्ण सुरक्षा का ध्यान रखें एवं बीमा करके पार्सल भेजें, जो भी व्यय होगा, उसे अपने बिल में भेज दीजिएगा। विपक्षीगण ने पूर्ण आष्वासन देने के बाद भी घोर लापरवाही की है। परिवादी छोटा व्यवसायी है। विपक्षीगण द्वारा यदि उसकी क्षतिपूर्ति न की गयी तो उसकी अत्यधिक क्षति होगी एवं उसका व्यापार चौपट हो जायेगा। अतः परिवाद स्वीकार किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 18.11.13, 18.08.14, 31.12.14 एवं 17.12.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1/1, 1/2 व 1/3 के साथ संलग्न, अनुलग्नक सं0-1 लगायत् 12 व सूची कागज सं0-2/1 लगायत् 2/4 के साथ संलग्न, पेपर संलग्नक सं0-1 लगायत् 14 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में पवन सिंह का षपथपत्र दिनांकित 22.02.14 व 15.12.14 दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
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उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-5 व 6 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण के स्थानीय कानपुर षाखा से एक ईनामी कूपन जिसका मूल्य रू0 1,12,502.00 और वजन 14 किलोग्राम, पार्सल के माध्यम से गल्फ ऑयल कार्पोरेषन लि0 टी.सी. 34/बी-2 फर्स्ट फ्लोर फाइवर टावर विभूति खण्ड गोमती नगर लखनऊ को भेजना बताया गया है। विपक्षीगण के द्वारा अभिकथित पार्सल का बुक किया जाना स्वीकार किया गया है। विपक्षीगण के द्वारा यह भी स्वीकार किया गया है कि बुक किया गया पार्सल कहीं रास्ते में गिर गया, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 11.07.13 को थाना कोतवाली कानपुर नगर में दर्ज करायी। विपक्षी का यह कहना है कि उक्त पार्सल केवल हैवी डाक में बुक किया गया था। कंपनी के नियम व षर्तों के अंतर्गत हैवी डाक में बुक किये गये पार्सल पर कोई क्लेम देने का प्राविधान नहीं है। परिवादी द्वारा उक्त पार्सल (हैवी डाक) की बुकिंग सामान्य दस्तावेजों के आधार पर करायी गयी थी, जो कि कन्साइन्मेंट बुक नोट व प्रथम सूचना रिपोर्ट से स्वयं प्रदर्षित होती है। परिवादी का यह भी कथन है कि विपक्षीगण द्वारा प्रष्नगत पार्सल खो जाने के सम्बन्ध में कोई एफ.आई.आर. नहीं करायी गयी। किन्तु परिवादी की ओर से ही प्रस्तुत कागज सं0-4/1 के अवलोकन से विदित होता है कि विपक्षी द्वारा अपने कर्मचारी मोहित सिंह के माध्यम से तहरीर कोतवाली कानपुर को दी गयी है। अतः प्राथमिकी दर्ज कराने के सम्बन्ध में परिवादी की ओर से किया गया कथन असत्य है। परिवादी का यह कथन है कि परिवादी द्वारा उक्त पार्सल में ईनामी कूपन भेजे गये थे। किन्तु परिवादी की ओर से इस आषय का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि उक्त पार्सल में अभिकथित ईनामी कूपन भेजे गये थे। जबकि परिवादी को अपने उपरोक्त कथन को स्वयं अपने पैरो पर खड़े होकर साबित करना है। मात्र परिवाद
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पत्र में तथा षपथपत्र में कह देने से परिवादी का उपरोक्त कथन सिद्ध नहीं होता है। परिवादी की ओर से पेपर संलग्नक सं0-4 प्रलेखीय साक्ष्य के रूप में दाखिल किया गया है, जिसमें अभिकथित कूपन का उल्लेख किया गया है। किन्तु उक्त प्रपत्र से यह सिद्ध नहीं होता है कि परिवादी द्वारा अभिकथित ईनामी कूपन प्रष्नगत पार्सल से भेजे गये। परिवादी का यह कहना है कि विपक्षीगण के कर्मचारियों द्वारा प्रष्नगत पार्सल का बीमा नहीं करवाने दिया गया। परिवादी का यह भी कथन समझ से परे है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण के कर्मचारियों द्वारा कहने के आधार पर प्रष्नगत पार्सल का अंतरवस्तु का बीमा नहीं कराया गया। परिवादी, विपक्षीगण की राय मानने के लिए बाध्य नहीं था। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के माध्यम से उक्त ईनामी कूपन की धनराषि रू0 1,12,502.00 मय ब्याज व क्षतिपूर्ति याचित की गयी है। किन्तु परिवादी की ओर से अपने कथन को सिद्ध करने के लिए कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज कया जाता हैं उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
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