Rajasthan

Ajmer

CC/173/2014

RAJEEV RAJ - Complainant(s)

Versus

FIRST FLIGHT COURIER - Opp.Party(s)

ADV.SURAJ PAREEKH

20 Oct 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/173/2014
 
1. RAJEEV RAJ
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. FIRST FLIGHT COURIER
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 20 Oct 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

राजीव राज पुत्र श्री एम.ए.राजू, निवासी- इमानुअल पब्लिक स्कूल, फरासिया अजमेर रोड़,मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर (राजस्थान) 
                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

प्रबन्धक, फस्र्टफलाईट कोरियर लिमिटेड,महावीर भवन के सामने, अजमेर रोड़, किषनगढ, जिला-अजमेर । 
                                                -       अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 173/2014  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री सूरज पारीक, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री विमल षर्मा,  अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 03.11.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसने परिवाद की चरण संख्या 3 में वर्णित अनुसार माल  कीमतन रू. 6250/- किषनगढ से दुबई  क्रिसमिस पर्व पर अपने भाई व भतीजे के पास भिजवाने हेतु जरिए रसीद संख्या एफ.अर.0072948  के  दिनंाक 20.12.2013 को  अप्रार्थी कोरियर के यहां  बुक कराया । माल बुक कराते समय अप्रार्थी  कोरियर ने पार्सल का वजन 5 कि.ग्रा. करते हुए  उससे रू. 2037/- ष्षुल्क प्राप्त किए ।  किन्तु माल भेजते वक्त अप्रार्थी कोरियर की नियत में खोट आ जाने पर  बुक कराए गए पार्सल को 11 कि.ग्रा. का बताते हुए उससे ओर अतिरिक्त राषि की मांग की  तथा पार्सल को  प्राप्तकर्ता को डिलवीर करने के लिए नहीं भेज कर अप्रार्थी कोरियर ने सेवा में कमी की है । प्रार्थी ने उसे हुए मानसिक व आर्थिक क्षति की पूर्ति के लिए  जरिए अधिवक्ता दिनांक 4.2.2014 को एक नोटिस भी भेजा किन्तु अप्रार्थी  कोरियर ने कोई कार्यवाही नहीं की । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की मांग की है ।  परिवाद के समर्थन में स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है । 
2.       अप्रार्थी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों  में दर्षाया है कि  प्रार्थी,  उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 की धारा  2(डी) के तहत उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं आता है ।  उत्तरदाता ने प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत  रसीद से माल का बुक किया जाना स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि बुक करते समय माल का वनज 5 कि.ग्रा. बुकिंग स्लिप के अनुसार था, किन्तु पार्सल को दिल्ली एयरपोर्ट से जब दुबई भेजा जा रहा था तो एयरपोर्ट आॅथिरिटी द्वारा माल का वोल्यूमेट्रिक वजन 11 कि.ग्रा. पाया ।  इस संबंध में प्रार्थी को सूचित करते हुए पार्सल के वनज की अन्तर राषि की मांग की  गई किन्तु प्रार्थी ने राषि अदा करने से इन्कार करते हुए पार्सल को वापस मंगवा लिया और उक्त पार्सल को जब प्रार्थी को पुनः डिलीवर किया गया  तो प्रार्थी ने लेने से इन्कार कर दिया । यह पार्सल उनके किषनगढ स्थित कार्यालय में रखा हुआ है , जिसे प्राप्त करने हेतु  जरिए पत्र दिनंाक 26.12.2013 के भी सूचित किया  । किन्तु प्रार्थी पार्सल लेने आज दिनांक तक भी नहीं आया है ।  उत्तरदाता ने अपने मदवार जवाब में इन्हीं तथ्यों का समावेष करते हुए  कथन किया है  कि प्रार्थी ने इन तथ्यों को मंच के समक्ष छिपा कर यह झूठा , मनगढ़न्त व गुमराह करने वाले तथ्यों का समावेष करते हुए यह परिवाद पेष किया है , जो निरस्त होने योग्य है । जवाब के समर्थन में  श्री रफत साबू , प्राधिकृत अधिकारी का ष्षपथपत्र पेष किया है ।  
3.       प्रार्थी का तर्क रहा है कि उसके द्वारा कोरियर कम्पनी से वजन करवा कर उनकी बताई गई कीमत के अनुसार भुगतान कर पार्सल भेजा गया था । बाद में अनावष्यक रूप से मांग करते हंुए पार्सल का वजन 11 कि.ग्रा. बताया गया व नियत स्थान पर पार्सल को नहीं भेजना  अप्रार्थी की सेवा  में कमी व नियत में खोट का परिणाम है । अप्रार्थी के इस कृत्य से पहुंची मानसिक क्षति को ध्यान में रख कर  परिवाद स्वीकार  करते हुए समुचित अनुतोष  दिलाया जाना चाहिए । 
4.    खण्डन में अप्रार्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया  है कि प्रष्नगत पार्सल उनकी कम्पनी मंे बुक करवाया गया था किन्तु सहवन से  किषनगढ स्थित कार्यालय के कर्मचारी  ने 5 कि.ग्रा. का ही  वनज बताकर कोरियर  प्राप्त किया जबकि दिल्ली में  इसको गन्तव्य स्थान पर भिजवाने से पूर्व की गई जांच में इसका वोल्यूमेट्रिक वनज 15 कि.ग्रा. पाया गया था । इस बाबत् प्रार्थी को सूचित भी किया गया था । उसके द्वारा पार्सल भिजवाए जाने से मना करने पर इसको वापस मंगवाया गया  । किन्तु प्रार्थी द्वारा इसे प्राप्त नहीं किया गया हेै। उनके द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं  की गई है । यह भी तर्क  प्र्रस्तुत किया गया कि प्रार्थी कोरियार बुक करवाए जाते समय दी गई रसीद की पुष्त में  अंकित षर्तो से बाध्य था तथा ज्ीम ब्ंततपंहम इल त्वंक ।बजण्2007 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी की जिम्मेदारी मात्र रू. 500/- तक की  अथवा दर्षाए गए एवं लिए गए चार्ज से 10 गुनी राषि तक ही सीमित है ।   
5.    हमने परस्पर तर्क  सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    स्वीकृत रूप से प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी कोरियर कम्पनी के माध्यम से दिनंाक 20.12.2013 को किषनगढ़ से दुबई पार्सल भेजा गया है व इस संबंध में अप्रार्थी द्वारा उसे रसीद दी गई है , जो पत्रावली पर उपलब्ध है । कोरियर के जरिए भेजा गया माल गन्तव्य स्थान पर कब पहुंचेगा इस बाबत् बहस के दौरान पक्षकारों से जानकारी प्राप्त करने पर हालांकि उनकी ओर से कोई संतोषजनक  उत्तर नहीं दिया गया बल्कि प्रार्थी पक्ष की ओर से बताया गया कि बुक करवाया गया माल चूंकि फस्र्ट फ्लाईट कोरियर के जरिए भिजवाया गया है व मांगा गया किराया दिया गया है । अतः यह बुक करवाई गई तिथि से  48 घण्टे से 96 घण्टे के अन्दर अन्दर  गन्तव्य स्थान पर पहुंच जाना चािहए ।  इस तथ्य का हालांकि अप्रार्थी की ओर से तत्समय कोई खण्डन नहीं किया गया है । बहरहाल  इस  स्थिति को नजर अन्दाज भी किया जाए तो उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार अप्रार्थी ने सर्वप्रथम दिनांक 23.12.2013 को उनके द्वारा दी गई जानकारी प्राप्त होने पर प्रार्थी को सूचित करना अभिकथित किया है कि उक्त कन्साईमेंट  का वोल्यूमेट्रिक  वजन 15 कि.ग्रा. था तथा ’’सहवन’’ से उनके किषनगढ़ कार्यालय के कर्मचारी  द्वारा  इसे 5 कि.ग्रा. के हिसाब से बुक करते हुए भिजवाया है ।  अतः नए सिरे से चार्जेज इत्यादि की कार्यवाही की जानी है । कहने का तात्पर्य यह है कि सर्वप्रथम अप्रार्थी द्वारा यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि उनके कर्मचारी ने उक्त पार्सल को प्रारम्भ में दिनंाक 20.12.2013 को बुक करते समय सहवन से असल वजन 5 कि.ग्रा. का किराया प्राप्त किया । यह सहवन रूपी गलती सर्वप्रथम अप्रार्थी की ओर से हुई है,  जैसे की  उसकी स्वीकारोक्ति रही है । इसके अलावा अप्रार्थी ने उक्त पार्सल को दिनंाक 20.12.2013 को बुक करने के बाद दिनंाक 23.12.2013 को प्रार्थी को सूचित  भी किया है,  जैसा कि उनका अभिकथन है। कहा जा  सकता है कि यह दिनंाक 20.12.2013 से 23.12.2013  तक अर्थात 3 दिन की अवधि  तात्विक देरी की अवधि कही जा सकती हेै।  यदि मूल वजन व वोल्यूमेट्रिक  वजन में अन्तर था तो  स्थिति माल के बुक करवाते समय सामने आनी चाहिए थी जो नहीं आई है । अतः यह भी  कमी अप्रार्थी की रही है जो देरी से सामने लाई गई है । जहां तक ज्ीम ब्ंततपंहम इल त्वंक ।बजण्2007  के प्रावधानों के तहत  उत्तरदायित्व का है,इस बाबत् इतना ही लिखना पर्याप्त होगा कि उक्त प्रावधान बुक कराए गए माल के नष्ट होने अथवा क्षतिग्रस्त होने के संबंध में है, जो हस्तगत मामले में लागू नहीं होते । इसी प्रकार जो रसीद में दी गई ष्षर्तो बाबत् तर्क  प्रस्तुत किया गया है, यह भी स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है क्येांकि माल बुक करवाते समय दी गई रसीद में बुक कराने वाले के कोई  हस्ताक्षर भी प्राप्त  नहीं किए गए है ।  अतः इस बाबत् जो प्रतिवाद अप्रार्थी द्वारा लिया गया है वो कतई स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है ।  फलतः जिस प्रकार माल को बुक करते समय वजन को ध्यान में रखते हुए माल बुक किया गया व 3 दिन बाद वोल्यूमेट्रिक वजन बाबत् सूचित किया गया, को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस प्रकार का संव्यवहार अनुचित व्यापार व्यवहार व सेवा में कमी का परिचायक  रहा है । मंच की राय में  प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एंव आदेष है कि 
                              :ः- आदेष:ः- 
7.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी कोरियर से मानसिक संताप पेटे रू.  25,000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
            (2)          प्रार्थी अप्रार्थी कोरियर से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000 /-भी  प्राप्त करने के  अधिकारी होगा ।               
            (3)       क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी  कोरियर   प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 03.11.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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