राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-1223/2019
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,रामपुर परिवाद सं0-17/2018 में पारित आदेश दिनांक 22.08.2019 के विरूद्ध)
- अधिशाषी अभियंता विद्युत वितरण खण्ड बिलासपुर पश्चितमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 रामपुर उ0प्र0।
- सहायक अभियंता (मीटर) विद्युत प्रयोग शाला द्वितीय रामपुर।
- श्री अंकुर यादव तत्कालीन अवर अभियंता तत्कालीन तैनाती 420 के.बी.ए. टांसमेशन, मुरादाबाद जिला गाजियाबाद।
- श्री योगेश कुमार माहौर वर्तमान तैनात अवर अभिंयता विद्युत उपकेन्द्र भोट जिला रामपुर।
........ अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
- फिरासत हुसैन आयु करीब 54 वर्ष पुत्र अमीर हुसैन निवासी ग्राम नगला गनेश तहसील सदर जिला रामपुर उ0प्र0।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री इसार हुसैन।
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 29.07.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0 17/2018 फिरासत हुसैन बनाम अधिशाषी अभियंता विद्युत में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 22.08.2019 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
-2-
जिला मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुये निम्नलिखित आदेश पारित किया है:-
‘’परिवादी का परिवाद संख्या 1 ता 4 के विरूद्ध अंशत: स्वीकार किया जाता है तथा नोटिस दिनांकित 21.11.17 रूपये 187231/- रूपये निरस्त किया जाता है।
वाद व्यय के रूप में परिवादी, विपक्षीगण से 2000/- रूपये (दो हजार) प्राप्त करने का अधिकारी है। यह धनराशि विपक्षीगण 60 दिन के भीतर जमा करे, अन्यथा इस पर निर्णय की तिथि से भुगतान की तिथि तक विपक्षीगण द्वारा 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा।‘’
इस निर्णय एवं आदेश को इस आधार पर चुनौती दी गयी है कि जिला उपभोक्ता मंच ने अवैध, अनुचित, मनमाना कारण रहित निर्णय पारित किया है। परिवादी के पास कामर्शियल कनेक्शन है जो हिन्दुस्तान ईट उद्योग इण्डस्ट्री के नाम है। परिवादी ने स्थायी विच्छेदन के लिये रूपया 160/- दिनांक 25.11.2016 को जमा करना कहा है जबकि उसके विरूद्ध रूपया 1,87,231/- का विद्युत मूल्यांकन है। इस वाजिब राशि को अदा न करने के पश्चात असत्य कथनों पर परिवाद प्रस्तुत कर दिया गया। विद्युत चोरी के विरूद्ध उपभोक्ता का परिवाद संधारणीय नहीं है।
केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना। प्रश्नगत निर्णय व आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया।
परिवाद पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि परिवादी ने व्यापारिक उददेश्य के लिये विद्युत कनेक्शन प्राप्त किया था। अत: व्यापारिक कार्य के लिये, लिये गये विद्युत कनेक्शन के संबंध में विवाद उत्पन्न होने पर उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। परिवाद पत्र में यह भी उल्लेख है कि विपक्षी सं03 द्वारा चेकिंग की गयी। चोरी होने के कारण प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी तथा विद्युत चोरी के पश्चात मूल्यांकन किया गया। मॉग पत्र प्रेषित किया गया। इस मॉग की वैधानिकता को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत
-3-
चुनौती नहीं दी जा सकती। अत: उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधि विरूद्ध है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है। परिवाद खारिज किया जाता है।
धारा- 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जमा धनराशि रू0 1000/- मय अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार अपीलार्थी को वापस कर दी जाय।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
रामेश्वर, पी ए ग्रेड-2,
कोर्ट नं0-1