Uttar Pradesh

Barabanki

CC/1/2021

Vishnu Kumar - Complainant(s)

Versus

Finance & Accounts Officer, Basic Education Deptt. & B.S.A. Barabanki - Opp.Party(s)

Vivek Srivastav & Others

24 Mar 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       04.01.2021

अंतिम सुनवाई की तिथि            21.03.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  24.03.2023

परिवाद संख्याः 01/2021

विष्णु कुमार उम्र लगभग 64 वर्ष पुत्र श्री बद्री प्रसाद निवासी उसमानपुर, परगना सिद्वौर, तहसील हैदरगढ़ जिला-बाराबंकी।

द्वारा-श्री विवेक श्रीवास्तव, अधिवक्ता

श्री राना खान, अधिवक्ता

श्री अशरफ अली, अधिवक्ता

श्री हेमन्त कुमार जैन, अधिवक्ता

बनाम

 

1.         वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा विभाग, बाराबंकी कार्यालय विकास भवन, परगना व तहसील   

नवाबगंज जिला-बाराबंकी।

2.         जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बाराबंकी कार्यालय विकास भवन परगना व तहसील नवाबगंज जिला-

बाराबंकी।

 

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री हेमन्त कुमार जैन, अधिवक्ता

              विपक्षी सं0-01 व 02 की ओर से-विभागीय पैरोकार

द्वारा-डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

निर्णय

            परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्व धारा-35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 प्रस्तुत कर रू0 2,00,000/-कम मिले भविष्य निधि की धनराशि को 10 प्रतिशत ब्याज सहित तथा मानसिक, आर्थिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति रू0 2,00,000/- एवं वाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क रू0 11,000/-दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।

            परिवादी का परिवाद में कथन है कि परिवादी विपक्षी संख्या-01 के मातहत पूर्ण सेवा के उपरांत भविष्य निधि खाते में सेवा के दौरान काटे गये भविष्य निधि के निर्धारित ग्राहक सेवा के बावत उपभोक्ता है। परिवादी के साथ सेवा प्रदान करने वाले व सेवानिवृत्त सहकर्मियों को भविष्य निधि खाते में रू0 21,00,000/-से अधिक की धनराशि का भुगतान किया गया जबकि परिवादी को मात्र रू0 17,76,287/-का ही भुगतान किया गया। परिवादी को जब इस बात की जानकारी प्राप्त हुई तो सर्वप्रथम विपक्षीजन को पत्र दिनांक 12.09.2019 प्रेषित किया जिस पर तीन माह का समय लेकर विपक्षी संख्या-01 द्वारा मनमाने व विधि विपरीत तरीके से बिना किसी रिकार्ड के मु0 1,52,305/-का भुगतान भविष्य निधि मद में दिनांक 10.12.2019 को किया गया। मा0 मुख्यमंत्री उ0 प्र0 शासन को भी पत्र प्रेषित किया जिस पर बिना जांच रिपोर्ट के अंकित कर दिया गया कि भुगतान हेतु कोई धनराशि नहीं पाई गई। परिवादी द्वारा अपने रिकार्ड को जनसूचना अधिकार के माध्यम से दिनांक 06.07.2020 को प्रार्थना पत्र देकर माँगा गया परन्तु विपक्षी द्वारा प्रार्थना पत्र व पोस्टल आर्डर मूल रूप से वापस कर दिया गया। पुनः परिवादी विपक्षी संख्या-02 से मिला तो उन्होंने कहा कि रिकार्ड नहीं दिया जायेगा। अतः परिवादी ने जी0 पी0 एफ0 की धनराशि मय ब्याज, क्षतिपूर्ति व वाद व्यय हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

            परिवादी ने सूची से पत्र दिनांक 28,.7,2020, 06.07.2020, पत्र दिनांक 20.05.2020, 10.02.2020, आधार कार्ड, ग्रामीण बैंक की पासबुक, पत्र दिनांक 24.01.2020 की छाया प्रति दाखिल किया गया।

विपक्षी संख्या-01 द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये परिवादी श्री विष्णु कुमार, से0 नि0 पू0 मा0 वि0 अकबरपुर धनेठी, वि0 ख0-मसौली को सेवा निवृत्ति के फलस्वरूप उनके जी0 पी0 एफ. खातें में जमा धनराशि रू0 17,76,287/-का भुगतान टोकन संख्या-541965085 दिनांक 08.07.2019 को समयान्तर्गत किया गया। लिपिकीय त्रुटिवश कम धनराशि का भुगतान किया गया था। जांचोपरान्त परिवादी द्वारा अनुरोध किये जाने पर एवं अभिलेखीय परीक्षणोपरान्त परिलक्षित अवशेष धनराशि मु0 1,52,305/-का भुगतान भी परिवादी के खाते में दिनांक 05.12.2019 को किया जा चुका है। परिवादी के पुनः अनुरोध पर जी0 पी0 एफ0 खाते का परीक्षण कराने हेतु अधोहस्ताक्षरी के कार्यालय में कार्यरत चार सदस्यीय लेखाकारों की टीम का गठन करते हुये परीक्षण कराया गया जिसके फलस्वरूप जी0 पी0 एफ0 खाते भुगतान हेतु किसी भी प्रकार की देयता/धनराशि शेष नहीं पायी गई। समस्त जी0 पी0 एफ0 धनराशि का भुगतान किया जा चुका है।  जांच आख्या दिनांक 23.05.2020, पत्र दिनांक 29.01.2020, भुगतान आदेश दिनांक 27.11.2019 तथा 24.06.2019 , 02.05.2022 दाखिल किया है। विपक्षी संख्या-01 द्वारा वादोत्तर के समर्थन में शपथपत्र दाखिल नहीं किया गया है।

            परिवादी ने अपनी लिखित बहस दिनांक 10.02.2023 को दाखिल की है।

            विपक्षी ने अपनी लिखित बहस दिनांक 20.12.2022 को दाखिल की है।

            परिवादी के विद्वान अधिवक्ता तथा विपक्षीगण के पैरोकार के तर्को को सुना तथा पत्रावली पर प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों/अभिलेखों का गहन परिशीलन किया।

            उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-7 में उपभोक्ता की परिभाषा निम्नवत् है:-

(1)‘‘किसी ऐसे प्रतिफल के लिये जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया हे या भागतः संदाय किया गया है, भागतः वचन दिया गया है या किसी आस्थगित संदाय की पद्वति के अधीन किसी माल का क्रय करता है और इसके अंतर्गत ऐसे किसी व्यक्ति से भिन्न, जो ऐसे प्रतिफल के लिये जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया है या भागतः संदाय किया गया है या भागतः वचन दिया गया है या आस्थगत संदाय की पद्वति के अधीन माल का क्रय करता हे ऐसे माल का कोई प्रयोगकर्ता भी है, जब ऐसे प्रयोग ऐसे व्यक्ति के अनुमोदन के किया जाता है किन्तु इसके अंतर्गत ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो ऐसे माल को पुनः विक्रय या किसी वाणिज्यिक प्रयोजन के लिये अभिप्राप्त करता है।‘‘

(।।) ‘‘किसी ऐसे प्रतिफल के लिए, जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया हे या भागतः संदाय किया गया है और भागतः वचन दिया गया है, या किसी आस्थगित संदाय की पद्वति के अधीन सेवाओं को भाड़े पर लेता है या उनका उपभोग करता है ओर इसके अंतर्गत ऐसे किसी व्यक्ति से भिनन जो ऐसे किसी प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है और वचन दिया गया है और भागतः संदाय किया गया है और भागतः वचन दिया गया है या किसी आस्थगित संदाय की पद्वति के अधीन सेवाओं को भाड़े पर लेता है या उनका उपभोग करता है ऐसी सेवाओं का कोई हिताधिकारी भी है जब ऐसी सेवाओं का उपयोग प्रथम वर्णित व्यक्ति के अनुमोदन से किया जाता है।‘‘

            परिवादी उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन एक शासकीय कर्मचारी था जिसके सेवानिवृत्तिक लाभों का नियमन उसके नियोक्ता द्वारा तय की गई सेवा शर्तो के आधार पर होता है। उक्त सेवा शर्तो के आधार पर देय सेवानिवृत्तिक लाभों की अदायगी में त्रुटि किये जाने पर उचित फोरम जो सम्बन्धित राज्य के प्रशासनिक न्यायाधिकरण हो सकते है, में अनुतोष के लिये जा सकते है।

           उपरोक्त से स्पष्ट है कि परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। मा0 उच्चतम न्यायालय ने Ministry of water resources & ors Vs Shreepat Rao Kambde(Civil appeal no. 8472/2019 arising out of SLP© No.26538/2019 में दिनांक 06.11.2019 को अवधारित किया है किः-

           शासकीय कर्मचारी उपभोक्ता अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है तथा वह अपने सेवानिवृतिक लाभों/पेंशन इत्यादि के संबंध में कोई परिवाद उपभोक्ता फोरम में नहीं ला सकता है। उक्त निर्णय पारित करते समय मा0 उच्चतम न्यायालय ने पूर्व में Jagmittar Sain Bhagat Vs Director Health Sevices Harayana(2013) 136 में पारित निर्णय का भी अवलंबन लिया जिसमे यह कहा गया है कि शासकीय कर्मचारी किसी उपभोक्ता फोरम में अपने सेवानैवृत्तिक लाभों के लिये याचना नहीं कर सकता। उक्त निर्णय में यह अवधारित किया गया था कि शासकीय कर्मचारी ग्रेच्यूटी/जी. पी. एफ. अथवा अपने किसी सेवानैवृत्तिक लाभों के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-2 (1) डी (पप) के अधीन कोई परिवाद दाखिल नहीं कर सकता। ऐसा कर्मचारी अपने सेवानैवृत्तिक लाभों के लिए सरकार द्वारा बनाये गये नियमों Appropriate forum/State Administrative tribunal/ सिविल कोर्ट में परिवाद दाखिल कर सकता है किन्तु उपभोक्ता अदालत में निश्चय ही नहीं दायर कर सकता है।

             प्रश्नगत परिवाद में परिवादी ने यह कहा है कि वह सेवानिवृत्त राजकीय कर्मचारी है। उसके सहकर्मी को भविष्य निधि खातें में रू0 21,00,000/-का भुगतान किया गया जबकि परिवादी को रू0 17,76,287/-तथा दिनांक 10.12.2019 को जांचोपरान्त पुनः रू0 1,52,305/- का भुगतान किया गया। परिवादी का यह कथन है कि परिवादी को उसके सहकर्मी के बराबर जी0 पी0 एफ0 की धनराशि का भुगतान किया जाना चाहिये। उक्त के सम्बन्ध में परिवादी द्वारा कोई तुलनात्मक गणना चार्ट नहीं प्रस्तुत किया गया है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि किस स्तर पर मूल्यांकन एवं भुगतान की त्रुटि की गई है।  इसके विपरीत विपक्षी का यह कथन है कि परिवादी के सेवानिवृत्त होने पर सामान्य भविष्य निधि खातें में दर्ज विवरण के अनुसार रू0 17,76,287/-तथा पुनः जांचोपरान्त रू0 1,52,305/-का भुगतान किया जा चुका है। परिवादी का कोई बकाया अवशेष नहीं है। विपक्षी द्वारा अपने कथन के समर्थन में सामान्य भविष्य निधि अंतिम भुगतान आदेश दिनांक 24.06.2019 व  29.11.2019 दाखिल किया है जिससे यह पुष्ट होता है कि परिवादी को सामान्य भविष्य निधि खातें में जमा धनराशि का पूर्ण भुगतान कर दिया गया है। परिवादी के प्रकरण में उसको किये गये कम भुगतान की जांच हेतु विपक्षीगण द्वारा चार सदस्यीय कमेटी दिनांक 29.01.2020 को बनाई गई जिसने अपनी जांच आख्या दिनांक 23.05.2020 को प्रस्तुत की। जो निम्नवत् हैः-

‘‘श्री विष्णु कुमार, से0 नि0, प्र0 आ0 प0 मा0 वि0 अकबर घनेटी, वि0 ख0 मसौली के शिकायती पत्र दिनांक 10.01.2020 के क्रम में वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा, बाराबंकी के पत्रांक/ले0स0/1354-56/2019-20 दिनांक 29.01.2020 द्वारा श्री विष्णु कुमार के सा0 भ0 नि0 खाते की जांच हेतु एक कमेटी गठित की गयी। कमेटी के सदस्यों द्वारा प्रकरण की गहनता से जांच की गयी तथा श्री विष्णु कुमार को दिनांक 05.12.2019 अंकन रू0 1,52,305/-मात्र का अतिरिक्त भुगतान सही पाया गया है। उक्त धनराशि के अतिरिक्त श्री विष्णु कुमार के सामान्य भविष्य निधि खाते में किसी प्रकार की धनराशि शेष नहीं पायी गयी।‘‘

            इसके खंडन में परिवादी ने कोई साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया है। उपरोक्त से स्पष्ट है कि परिवादी के प्रकरण में भविष्य निधि खाते में जितनी धनराशि जमा थी, उसका मय ब्याज भुगतान विपक्षीगण द्वारा किया जा चुका है। पूर्व के विवेचन से यह भी स्पष्ट है कि परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ता की श्रेणी में भी नहीं आते है।

          परिवादी अपना परिवाद सिद्व करने में असफल रहे है। अतः परिवादी किसी अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद संख्या-01/2021 निरस्त किया जाता है।

(0 एस0 के0 त्रिपाठी)     (मीना सिंह)             (संजय खरे)

     सदस्य                      सदस्य                     अध्यक्ष

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

      (0 एस0 के0 त्रिपाठी)     (मीना सिंह)             (संजय खरे)

          सदस्य                          सदस्य                    अध्यक्ष

 

दिनांक 24.03.2023

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