राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या :1212/2009
(जिला उपभोक्ता फोरम, गाजियाबाद द्धारा परिवाद सं0-06/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.6.2009 के विरूद्ध)
Baby Anusha Raheja through Smt. Sharmila Raheja, W/o Sri Anil Raheja, R/o R-9/195, Raj Nagar, Ghaziabad.
........... Appellant/ Complainant
Versus
1- M/s FIIT JEE Ltd., 29A, Kalu Sarai, I.C.E.S. House, Sarvapriya Vihar, New Delhi through Director.
2- M/s FIIT JEE Ltd., at Uttam Girls School, Shastri Nagar, Ghaziabad through Centre Incharge.
……..…. Respondents/ Opp. Parties
समक्ष :-
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री एस0के0 शर्मा
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री प्रसून श्रीवास्तव
दिनांक : 28-9-2017
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम, गाजियाबाद द्धारा परिवाद सं0-06/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.6.2009 के विरूद्ध योजित की गई है, उक्त निर्णय में यह आदेश पारित किया गया है कि समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों में यह मामला सेवाओं में कमी के अन्तर्गत आना प्रमाणित न होने से निरस्त किया जाता है और इसमें कुछ निर्देश भी दिए गये हैं।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने यह परिवाद प्रतिवादी मैसर्स फिटजी लिमिटेड के नाम से जिसकी शाखा गाजियाबाद में भी है कोचिंग सेंटर चलाता है और इस हेतु समाचार पत्रों में बेहतर
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कोचिंग आई0आई0आई0टी0- जे0ई0ई0 कम्प्टीशन उत्तीर्ण करने के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशन भी करता है। इस प्रकाशन से प्रभावित होकर परिवादिनी द्वारा प्रतिवादी मैसर्स फिटजी की शास्त्री नगर गाजियाबाद में कोचिंग में दो वर्ष के क्लास रूम प्रोग्राम हेतु रू0 84180.00 रूपये फीस अदा कर प्रवेश लिया गया एवं परिवादिनी के अभिभावक द्वारा अपनी पुत्री परिवादनी के उज्जवल भविष्य के लिए कि परिवादिनी अपनी क्षमता को कोचिंग के माध्यम से बढावेगी, प्रवेश दिलाया, किन्तु प्रतिवादी कोचिंग द्वारा परिवादिनी के ज्ञान में कोचिंग के माध्यम से कोई सुधार नहीं हुआ, जिसके बारे में परिवादिनी ने प्रतिवादी कोचिंग को यह बात अवगत करायी। इस बारे में परिवादनी सहित उसकी मॉ ने कोचिंग सेंटर में कई बार सम्पर्क किया और बताया कि परिवादिनी को कोचिंग से ज्ञान में कोई इम्प्रूमेंट नहीं हो रहा है इसके साथ ही परिवादी ने अदा की गई फीस वापसी के लिए प्रतिवादी से निवेदन किया, किन्तु प्रतिवादी द्वारा फीस अदा नहीं की गई, जिसके कारण परिवादिनी को मानसिक पीड़ा पहुंची और प्रतिवादी का उपरोक्त कृत्य मनमाना तथा अनुचित होने के साथ ही अनुचित व्यापारिक प्रक्रिया एवं सेवाओं में कमी के अन्तर्गत आता है। अत: परिवादिनी द्वारा प्रतिवादीगण से कोचिंग में अदा की गई फीस रू0 84180.00 मय ब्याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रतिवादी की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और यह कथन किया गया है कि प्रतिवादीगण कोचिंग छात्रों को अपने कोचिंग में पूरे देश से आई0आई0टी0 परीक्षा हेतु शिक्षा के लिए प्रवेश देता है। कोचिंग को वर्ष-1992 से प्रारम्भ होकर 15 वर्ष हो चुके है। इस कोचिंग के माध्यम से सर्वाधिक छात्र विभिन्न आई0आई0टीज में प्रवेश ले चुके है। प्रतिवादी कोचिंग में प्रवेश लेने के लिए कोचिंग द्वारा प्रवेश परीक्षा
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ली जाती है और उस परीक्षा में जो थोडे से छात्र प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण करते हैं और उस परीक्षा में जो थोडे से छात्र प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण करते हैं उनको कोचिंग में प्रवेश दिया जाता है। प्रवेश देने के पूर्व रजिस्ट्रेशन फार्म भरवाया जाता है, दिनांक 13.11.2006 को परिवादिनी को भी कोचिंग प्रवेश परीक्षा पास करने के उपरांत जो प्रवेश पत्र प्रेषित किया गया उसमें यह स्पष्ट किया गया कि अंतिम परिणाम छात्र की कठिन परिश्रम पर निर्भर करेगा। यह भी कहा गया है कि आई0आई0टी0-जे0ई0ई0 प्रवेश बहुत मुश्किल है तथा चैलेंजिंग है। यदि परिवादिनी चैलेंज स्वीकार करने को तैया है तो परिवादिनी आई0आई0टी0-जै0ई0ई0 कोचिंग में प्रतिवादी कोचिंग में प्रवेश लेना चाहिए। कोचिंग में जितने भी शिक्षक है वह सब उच्च शिक्षित है और अनुभवी है। छात्रों को कोचिंग की बीच वाली अवधि में प्रवेश नहीं दिया जाता है। प्रतिवादी कोचिंग सेल्फ फाईनेस इन्स्टीट्यूट है जो छात्रों से फीस इकट्टी करके कोचिंग का संचालन करता हैं। प्रतिवादी द्वारा परिवादिनी से कोचिंग में प्रवेश देने के पूर्व शर्ते निर्धारित की गई थी, जिसमें कोचिंग बीच में छोडने पर फीस वापस न करने और छात्र के अभिभाव को द्वारा फीस वापसी का कोई क्लेम न फिर जाने की शर्त निर्धारित की गई थी कि एक बार फीस जमा करने पर वापस योग्य नहीं है। उक्त शर्त परिवादिनी ने जो प्रतिवादी की ओर से प्रेषित 14.सी./2 प्रपत्र के अनुसार पेश की गई है स्वीकार कर हस्ताक्षर किए गये थे। जिसके कारण फीस वापस योग्य नहीं है और परिवाद निरस्त होने योग्य है।
इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम के प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 18.6.2009 तथा आधार अपील का अवलोकन किया गया एवं अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 शर्मा तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री प्रसून श्रीवास्तव की बहस
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सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं लिखित बहस का भी अवलोकन किया गया है।
इस सम्बन्ध में प्रत्यर्थी की ओर से माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत Petition(s) for Special Leave to Appeal (Civil) No.22532/2012 Date of Order :09-8-2012 P.T. Koshy & Anr. Vs. Ellen Charitable Trust & Ors. जिसमें निम्न आदेश पारित किया गया है:-
“In view of the Judgment of this Court in Maharshi Dayanand University Vs. Surjeet Kaur 2010 (11)SCC 159 wherein this Court placing reliance on all earlier judgements has categorically held that education is not a conmmodity. Educational institutions are not providing any kind of service, therefore, in matter of admission, fees etc., there cannot be a question of deficiency of service. Such matters cannot be entertained by the Consumer Forum under the Consumer Protection Act, 1986.
In view of the above, we are not inclined to entertain the special leave petition. Thus, the Special Leave Petition is dismissed.”
माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित पुनरीक्षण याचिका सं0-4335/2014 निर्णीत दिनांक 08.12.2014 Mayank Tiwari Vs. FIIT JEE Ltd. की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित करायागयाहै, जिसके पैरा-7 में यह उल्लिखित किया गया है:-
We have gone through the impugned order. We do not find any infirmity with the reason of the State Commission. The State Commission has dismissed the complaint on the basis of the terms and conditions of the contract. Otherwise also, the State Commission has rightly applied the ratio of the above noted judgment. Hon’ble Supreme Court in P.T. Koshy (supra) has held thus:-
"In view of the judgment of this Court in Maharshi Dayanand University vs. Surjeet Kaur MANU/SC/0485/: 2010(2) CPC 696 S.C. wherein this Court placing reliance on all earlier judgments has categorically held that education is not a commodity. Educational institutions are not providing any kind of service, therefore, in matter of admission, fees etc., there cannot be a question of deficiency of service. Such matters cannot be entertained by the Consumer Forum under the Consumer Protection Act, 1986."
In view of the avove, we are not inclined to entertain the special leave petition. Thus, the Special Leave Petition is dismissed.”
प्रत्यर्थी की ओर से माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पुनरीक्षण सं0-2054/2013 Fiitjee Ltd. Vs. Harish Soni निर्णीत दिनांक 08.10.2015 में पारित निर्णय/आदेश की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित कराया गया है।
केस के तथ्यों व परिस्थितियों तथा उपरोक्त वर्णित नजीरों में प्रतिपादित सिद्धांत को देखते हुए हम यह पाते हैं कि मौजूदा केस में जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है वह विधि सम्मत और तर्क पूर्ण है, जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की कोई गुनजाइश नहीं है और अपीलार्थी की अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेगें।
(रामचरन चौधरी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-4