Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/415

Sri Ram Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Farooq Hasan - Opp.Party(s)

J. P. Saxena

12 Jul 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/415
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Sri Ram Cold Storage
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Farooq Hasan
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 12 Jul 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-415/2012

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-4072002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08.12.2010 के विरूद्ध)

 

मे0 श्री राम कोल्‍ड स्‍टोरेज, निकट घटियाघाट क्रासिंग, फर्रूखाबाद, द्वारा लाइसेन्‍सी।

                            अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1

बनाम्      

1. श्री फारूख हसन पुत्र श्री सज्‍जाद हसन, निवासी ग्राम व पोस्‍ट याकूतगंज, तहसील सदर, जिला फर्रूखाबाद।

2. श्री कपिल कुमार पुत्र श्री शिव कुमार, निवासी रेलवे रोड, फर्रूखाबाद, जिला फर्रूखाबाद।

                                     प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-2

समक्ष:-

1. माननीय श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : जे0पी0 सक्‍सेना, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक 23.08.2016

मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह अपील, परिवाद सं0-407/2002, फारूख हसन बनाम विपक्षी सं0-1 श्री राम कोल्‍ड स्‍टोरेज तथा विपक्षी सं0-2 कपिल कुमार में जिला उपभोक्‍ता फोरम, फर्रूखाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08.12.2010 से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत की गयी है, जिसके अन्‍तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्‍नवत् आदेश पारित किया गया है :-

‘’ परिवादी का परिवाद एक पक्षीय स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह संयुक्‍त व एकल रूप से परिवादी को रूपया 2,07,345/- मय 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की दर से दिनांक 13.06.2002 से भुगतान करने की तिथि तक आज से तीस दिवस के अन्‍दर भुगतान करें। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता हैकि वह एकल व संयुक्‍त रूप से उक्‍त समावधिन्‍तर्गत परिवादी को 500/- रू0 मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में व  200/- रू0 परिवाद व्‍यय के रूप में अदा करें। ‘’

उपरोक्‍त वर्णित आदेश से क्षुब्‍ध होकर विपक्षी सं0-1/अपीलार्थी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गयी है।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री जे0पी0 सक्‍सेना उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अत: हमने विद्वान अधिवक्‍ता अपीलार्थी को सुना एवं प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्‍ध अभिलेखों का गम्‍भीरता से परिशीलन किया।

परिवाद पत्र का अभिवचन संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी सं0-1 ने विपक्षी सं0-1/अपीलार्थी के यहां 925 बोरा आलू वर्ष 2001 में भण्‍डारित किये थे, जिसकी बिक्री परिवादी/प्रत्‍यर्थी सं0-1 के निर्देश पर विपक्षी सं0-2/प्रत्‍यर्थी सं0-2 ने परिवादी/प्रत्‍यर्थी सं0-1 के नाम से मै0 लक्ष्‍मण प्रसाद सुरेश चन्‍द्र एण्‍ड कम्‍पनी, कानपुर, इन्‍दौर, बम्‍बई भेजकर करवाई, जिनका भुगतान दिनांक 04.08.2001 को बीजक नं0-1173 जो 231 पैकेट कीमत रू0 67,305/-, बिल नम्‍बर-एमपी 09 के0वी 4004 दिनांक दिसम्‍बर 2001, जो 251 पैकेट कीमत रू0 96,333/- बिल दिनांकित 04.12.2001 सं0-479 पैकेट 228 कीमत रू0 85,794/- की बिक्री हुई, जिसका ड्राफ्ट विपक्षी सं0-2/प्रत्‍यर्थी सं0-2 ने अपने नाम से मंगवाकर स्‍वंय भुगतान प्राप्‍त कर लिया, जबकि विपक्षी सं0-1 व विपक्षी सं0-2 को यह पूर्ण जानकारी थी कि उपरोक्‍त पैसा परिवादी का है, परिवादी को प्राप्‍त नहीं कराया। इस प्रकार विपक्षीगण ने क्रमश: 231, 251 तथा 228 आलू के बोरों की बिक्री परिवादी के निर्देश पर की और शेष बोरों की बिक्री बिना परिवादी के निर्देश पर कर दी, जिसका कोई वैधानिक अधिकारी विपक्षीगण को नहीं था। परिवादी के आलू की बिक्री के पैसे से शीतगृह का किराया जो 70/- रू0 प्रति कुण्‍टल तय था, से काटकर शेष भुगतान परिवादी को किया जाना चाहिये था, जो नहीं किया गया। परिवादी पर विपक्षी का किराया भण्‍डारित आलू 925 बोरा पर कुल रू0 42,087.50 बनता है और विपक्षी द्वारा वि‍क्रीत आलू की कीमत रू0 2,49,432/- विपक्षी के अनुसार देय बीजकों से होती है, तथा शेष जो परिवादी के बिना निर्देश पर विपक्षी द्वारा बिक्री की गयी, जिसके बारे में परिवादी को कोई जानकारी नहीं दी गयी, का अवशेष रूपया भी विपक्षी पर परिवादी का निकलता है। यदि विक्रीत आलू की कीमत से कुल भण्‍डारित बोरों के किराये को घटा दिया जाये तो रू0 2,07,345/- परिवादी का विपक्षी पर केवल विक्रीत आलू का ही शेष रह जाता है, जिसको ने देकर विपक्षी स्‍वंय लाभ अर्जित कर रहा है, जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रश्‍नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।

जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण की ओर से परिवाद पत्र का विरोध किया गया और यह अभिकथित किया गया कि परिवादी, फारूख हसन ने अपने नाम से केवल 284 पैकेट आलू व इवरत जहां के नाम से 402 पैकेट आलू तथा नवाजिस के नाम से 128 पैकेट आलू खुद भण्‍डारित किये थे और उक्‍त सभी आलू परिवादी, फारूख हसन ने स्‍वंय भिन्‍न-भिन्‍न तिथियों को जरिये विधि सम्‍मत गेट पास द्वारा प्राप्‍त करके हस्‍ताक्षर करके ले गये और अब परिवादी का कोई भी आलू विपक्षी सं0-1 के पास शेष नहीं है, अत: परिवाद गलत तथ्‍यों पर आधारित है, जो खारिज होने योग्‍य है।

 जिला फोरम द्वारा उभय पक्ष के अभिवचनों व उपलब्‍ध अभिलेखों पर विचार करते हुए उपरोक्‍त निर्णय/आदेश दिनांक 08.12.2010 को पारित किया गया।

 

 

उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश दिनांक 08.12.2010 से क्षुब्‍ध होकर वर्तमान अपील, विपक्षी सं0-1/अपीलार्थी द्वारा दिनांक 01.03.2012 को योजित की गयी है, जो कि स्‍पष्‍टया समय-सीमा अवधि से बाधित है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा विलम्‍ब के सम्‍बन्‍ध में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा II (2016) CPJ 57 (NC) N. Balraj Vs Agile Phototechniks (I) Pvt Ltd. & Ors तथा II (2016) CPJ 649 (NC) Kamla Devi Vs Life Insurance Corporation of India & Ors की विधि व्‍यवस्‍था पर ध्‍यान आकृष्‍ट कराया गया और यह कहा गया कि उक्‍त प्रकरण में विलम्‍ब क्षमा किया गया है। ऐसी स्थिति में वर्तमान प्रकरण में जो विलम्‍ब हुआ है, वह भी क्षमा किये जाने योग्‍य है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने विलम्‍ब क्षमा प्रार्थना पत्र में यह आधार लिया है कि जिला मंच द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 08.12.2010 को एकपक्षीय रूप से पारित किया गया है तथा अपीलार्थी ने दिनांक 29.12.2010 को जिला मंच के समक्ष प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को अपास्‍त किये जाने हेतु एक प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया था। उक्‍त प्रार्थना पत्र दिनांक 14.12.2011 को निरस्‍त कर दिया गया। उसके बाद अपीलार्थी का पार्टनर जिला कन्‍नौज में इलेक्‍शन के सन्‍दर्भ में व्‍यस्‍त हो गया, इलेक्‍शन दिनांक 19.02.2012 को था। उसके पश्‍चात दिनांक 26.02.2012 को अपील योजित करने हेतु निर्देश प्राप्‍त हुआ और वर्तमान अपील दिनांक 01.03.2012 को योजित की गयी, अत: विलम्‍ब क्षमा किये जाने योग्‍य है।

पीठ द्वारा पत्रावली का परिशीलन किया गया और यह पाया गया कि अपीलार्थी द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश के विरूद्ध योजित पुर्नस्‍थापन प्रार्थना पत्र को भी जिला मंच द्वारा दिनांक 14.12.2011 को निरस्‍त कर दिया गया, उसके उपरान्‍त भी अपीलार्थी ने प्रस्‍तुत अपील दिनांक 01.03.2012 को योजित की है, जो कि स्‍पष्‍टया समय-सीमा अवधि से बाधित है और अपीलार्थी ने विलम्‍ब क्षमा किये जाने हेतु जो आधार लिया गया है, वह आधार भी पर्याप्‍त नहीं हैं तथा उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों को दृष्टिगत रखते हुए विलम्‍ब क्षमा किया जाना स्‍वीकार योग्‍य नहीं है।

यहां इस बात का उल्‍लेख करना उचित प्रतीत होता है कि यदि प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश त्रुटिपूर्ण व अवैधानिक होता है, तो उस स्थिति में विलम्‍ब क्षमा किया जाना उचित होता है। इस दृष्टिकोण से भी प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश का परिशीलन किया गया और यह पाया गया कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी के आलू को बेंचकर रू0 2,49,432/- प्राप्‍त कर लिया गया है एवं विपक्षी सं0-1 शीतगृह का कारोबार विपक्षी सं0-2 के माध्‍यम से करता है और  परिवादी पर रू0 42,087.50 भण्‍डारण आलू का किराया बनता है, से काटकर शेष धनराशि परिवादी को देनी चाहिये थी। इस प्रकार परिवादी उक्‍त शेष धनराशि प्राप्‍त करने का अधिकारी है। इस सन्‍दर्भ में जिला मंच द्वारा भी जो निष्‍कर्ष दिया गया है, उसमें प्रथम दृष्‍टया किसी प्रकार की कोई विधिक त्रुटि होना नहीं पायी जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश के सन्‍दर्भ में यह नहीं कहा जा सकता है कि प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश अवैधानिक है। इस प्रकार वर्तमान प्रकरण में विलम्‍ब क्षमा किये जाने हेतु कोई पर्याप्‍त आधार नहीं पाया जाता है एवं जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश प्रथम दृष्‍टया विधि अनुकूल है, अत: अपील अंगीकरण के स्‍तर पर ही निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

 

आदेश

     अपील निरस्‍त की जाती है।

 

                     

 

 

 

(जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा)                      (संजय कुमार)

          पीठासीन सदस्‍य                              सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

   कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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