Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/2187

Union Of India - Complainant(s)

Versus

Farooq Ahmad Khan - Opp.Party(s)

Umesh Kumar Bajpai

25 Nov 2008

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/2187
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Union Of India
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज् उपभोक्ता  विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ।

                                सुरक्षित

          अपील संख्‍या-2187/2008        

1-यूनियन आफ इण्डिया द्वारा जनरल मैंनेजर एन0 रेलवे बड़ौदा हाउस नई दिल्‍ली।

2-डी0 आर0 एम0 नार्दन रेलवे मुरादाबाद।

3-स्‍टेशन मैंनेजर, रेलवे स्‍टेशन शाहजहॉंपुर।

                                                अपीलार्थीगण                  

                                           बनाम

फारूक अहमद खान पुत्र जमीर अहमद खान निवासी मोहल्‍ला बारूजेई प्रथम नियर अमर उजाला आफिस शाहजहांपुर।                                                                               प्रत्‍यर्थी                                

समक्ष:-

1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन सदस्‍य।

2-मा0 श्रीमती बाल कुमारी सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्‍ता श्री यू0 के0 वाजपेई।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित।           कोई नहीं।

दिनांक 01-01-2015 

    मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य द्वारा उदघोषित

   निर्णय

अपीलार्थीगण ने प्रस्‍तुत अपील विद्वान जिला मंच शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-23/2008 फारूक अहमद खान बनाम चेयरमैन नार्दन रेलवे व अन्‍य में पारित आदेश दिनांक 27-09-2008 के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया है जिसमें निम्‍न आदेश पारित किया है।

" उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है, विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वह आदेश की तिथि से एक माह के अन्‍दर क्षति के रूप में 5,000/-रू0 (पांच हजार रूपये) परिवादी अदा करें अन्‍यथा इस राशि पर परिवादी विपक्षीगण से 08 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज आदेश की तिथि से ताअदायगी प्राप्‍त करेगा। इसके अलावा परिवादी 2000/-रू0 वाद व्‍यय भी विपक्षीगण से प्राप्‍त करेगा। डिक्री विपक्षीगण के विरूद्ध एकल एवं संयुक्‍त रूप से निष्‍पादित की जायेगी। "

   उपरोक्‍त वर्णित आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थीगण द्वारा यह अपील योजित की गयी है।

   अपीलकर्ता ने अपील को प्रस्‍तुत किये जाने में हुए विलम्‍ब को क्षमा किये जाने हेतु एक प्रार्थनापत्र दिया है तथा श्री गुरेन्‍द्र मोहन सिंह

 

2

का शपथपत्र दाखिल किया है जिसमें कि विलम्‍ब का समुचित कारण दिया गया है अत: विलम्‍ब को क्षमा किये जाने का प्रार्थनापत्र स्‍वीकार किया जाता है एवं विलम्‍ब को क्षमा किया जाता है।  

    संक्षेप में प्रकरण के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि    परिवादी एक बेरोजगार, शिक्षित 40 प्रतिशत विकलांग व्‍यक्ति है जो रेलवे टिकिट की रियात दर पाने का अधिकारी है। दिनांक 6-10-2007 को नौकरी के संबंध में परिवादी को शाहजहांपुर से बरेली अपने साथी सहयोगी इकबाल मोहम्‍मद के साथ जाना था, परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-3 से रियायती टिकिट की मांग प्रमाण पत्र के साथ किया परन्‍तु विपक्षी ने इस टिप्‍पणी के साथ कि इस रियायती आदेश पत्र पर टिकिट नहीं मिलेगा क्‍योंकि टिकिट बाबू को जो चार्जशीट मिली है उसमें 40 प्रतिशत हैंडीकैप को रियात देने का कोई प्रावधान नहीं है, ऐसा लिखा है प्रशान्‍त श्रीवास्‍तव बुकिंग क्‍लर्क, शाहजहांपुर रियायती टिकिट देने से इनकार कर दिया जिसकी टिप्‍पणी रियायती प्रमाण पत्र के पृष्‍ठ पर दी गयी जो रेलवे के नियमों के प्रतिकूल है और इस प्रकार से विपक्षीगण ने अपनी सेवा में त्रुटि की है। यह भी कहने का प्रयत्‍न किया गया है कि परिवादी ने तदोउपरांत सामान्‍य श्रेणी का टिकिट अपने एवं साथी सहयोगी का लिया और बरेली गया परन्‍तु समय से न मिलने पर व नौकरी के साक्षात्‍कार में भाग नहीं ले सका जिससे उसे मानसिक एवं आर्थिक क्षति हुई। तदोउपरांत उक्‍त अनुतोष हेतु परिवादी ने संबंधित वाद योजित किया।

     परिवादी की ओर से संबंधित वाद विपक्षीगण के विरूद्ध रियायती टिकट को न देने एवं हर्जे के रूप में 1,00,000/-रू0 पाप्‍त करने हेतु योजित किया गया है।

     विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र दिनांक 23-04-2008 में यह कहने का प्रयत्‍न किया है कि परिवादी ने सी0एम0ओ0 कार्यालय से फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र बनवा कर आया था, जिस पर रेलवे टिकिट में रियायत देय नहीं है इसके अलावा परिवादी ने मूल विकलांगता प्रमाण पत्र मांगने पर नहीं दिखलाया एवं सत्‍यप्रतिलिपि में स्‍थाई विकलांगता व 40 प्रतिशत विकलांगता अंकित होने के कारण भ्रम पैदा करता था। परिवादी का कथित नौकरी का कथन व सहायक का कथन निराधार है एवं वह उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है और न ही विपक्षी द्वारा कोई सेवा में त्रुटि की गयी है किसी प्रकार का परिवादी की ओर से रेलवे की शिकायत पुस्तिका में कोई इंद्राज नहीं किया गया है। वाद निराधार तथ्‍यों पर पैसा ऐंठने की दृष्टि से योजित किया गया जो सव्‍यय निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

 

3

      अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री यू0 के0 वाजेपई, प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। 

 अपीलकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री यू0 के0 वाजपेई के तर्कों को सुना, प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है किन्‍तु उसके द्वारा आपत्ति दाखिल की गयी है।

        अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है और उसका परिवाद रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा-13 के अन्‍तर्गत प्रस्‍तुत प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए था क्‍योंकि किसी अन्‍य न्‍यायालय को उसका सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है।

  अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता ने यह भी तर्क दिया कि कोचिंग टैरिफ संख्‍या-24 पार्ट-1 रेलवे कन्‍सेसन के पैरा-25 में यह प्रावधान दिया गया है मूल प्रमाण पत्र का निरीक्षण किया जाना चाहिए।  

  अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि परिवादी द्वारा मूल विकलांगता प्रमाण पत्र मांगने पर नहीं दिखाया गया एवे सत्‍य प्रतिलिपि प्रस्‍तुत की गयी अत: ऐसी परिस्थिति में परिवादी को रियायती टिकट दिये जाने का कोई औचित्‍य नहीं था। विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किया गया प्रश्‍नगत निर्णय निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। प्रत्‍यर्थी ने अपनी आपत्ति में यह बताया है कि जब परिवादी/प्रत्‍यर्थी को रेलवे टिकट की रियायती दर पर नहीं दिया गया तो उसके बाद वह सामान्‍य श्रेणी का टिकट अपने साथी सहयोगी का लेकर बरेली गया अत: ऐसी परिस्थिति में वह उपभोक्‍ता की श्रेणी में आता है।

  परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने अपनी आपत्ति में यह बताया है कि यह कहना गलत है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने रियायती टिकट पाने के लिए संबंधित क्‍लर्क के समक्ष मूल प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत न किया हो अत: ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किया गया निर्णय विधि अनुसार दिया गया है उसमें कोई हस्‍तक्षेप करने की आवश्‍यकता नहीं है।

  प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया पत्रावली में परिवादी/प्रत्‍यर्थी श्री फारूक अहमद खान का विकलांगता प्रमाण पत्र दाखिल है जिसके अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी की विकलांगता स्‍थाई प्रकार की है एवं 40 प्रतिशत है यह प्रमाण पत्र मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी शाहजहांपुर डाक्‍टर जगदीश सिंह के द्वारा दिया गया है और इस प्रमाण पत्र में डाक्‍टर ए0 पी0 पाण्‍डेय आर्थोपैडिक सर्जन के भी हस्‍ताक्षर हैं अत: इस प्रमाण पत्र के आधार पर यह प्रमाणित होता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी की विकलांगता 40 प्रतिशत की है एवं स्‍थाई प्रकार की है। अपीलार्थी के द्वारा अपने प्रतिवाद

4

 

पत्र में यह आपत्ति उठाना कि सत्‍य प्रतिलिपि में स्‍थाई विकलांगता व 40 प्रतिशत विकलांगता अंकित होने का कारण भ्रम पैदा करता है यह औचित्‍यपूर्ण नहीं है क्‍योंकि न तो संबंधित क्‍लर्क द्वारा कहीं यह टिप्‍पणी अंकित की गयी है कि संबंधित विकलांगता प्रमाण पत्र फर्जी है और न ही इस आशय का कोई साक्ष्‍य अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा इस बिन्‍दु पर दिया गया है कि विकलांगता का प्रमाण पत्र फर्जी है। अत: इस आधार पर परिवादी/प्रत्‍यर्थी को रियायती टिकट न दिये जाने का कोई औचित्‍य नहीं है।

  जहां तक परिवादी/प्रत्‍यर्थी के उपभोक्‍ता होने का प्रश्‍न है जब उसे रियायती टिकट नहीं दिया गया तथा उसने सामान्‍य श्रेणी का टिकट लेकर अपने सार्थी सहयोगी के साथ बरेली की यात्रा की किन्‍तु समय से न मिलने से वह नौकरी के साक्षात्‍कार में भाग नहीं ले सका जिससे उसे मानसिक एवं आर्थिक क्षति हुई। इस प्रकार परिवादी/प्रत्‍यर्थी उपभोक्‍ता की श्रेणी में आता है।

  चूंकि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने रियायती टिकट न देने के कारण हर्जे के रूप में 1,00,000/-रू0 दिलाये जाने के लिए परिवाद योजित किया है जिस पर वर्णित परिस्थिति में विद्वान जिला मंच द्वारा मात्र 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया गया है अत: ऐसी परिस्थिति में यह परिवाद रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट -1987 की धारा-13 के अन्‍तर्गत रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल में प्रस्‍तुत किये जाने का कोई औचित्‍य नहीं है क्‍योंकि यह प्रकरण किराये की वापसी हेतु प्रस्‍तुत नहीं किया गया है।

  उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर परिवादी/प्रत्‍यर्थी का प्रकरण को निस्‍तारित करने का विद्वान जिला मंच को अधिकार है और तदनुसार उसके द्वारा गुण-दोष के आधार पर विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें कि हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है। रेलवे विभाग से यह अपेक्षा की जाती है कि उस यात्री के संबंध में वह विशेष रूप से संवेदनशील हो जहां कि किसी विकलांग व्‍यक्ति द्वारा यात्रा करने के लिए रियायती टिकट मांगे जाने का अनुरोध किया गया हो, उपरोक्‍त विवेचना के अनुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

 

 

 

 

 

 

 

 

5

                     आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है।

वाद व्‍यय पक्षकार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

     इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये। 

 

 

 

(अशोक कुमार चौधरी)                                 (बाल कुमारी )

 पीठासीन सदस्‍य                                             सदस्‍य

 मनीराम आशु0-2

 कोर्ट- 3  

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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