Uttar Pradesh

StateCommission

A/1747/2016

M/S Bharti Airtel ltd - Complainant(s)

Versus

F.K. Rao - Opp.Party(s)

Shiv

19 Mar 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1747/2016
( Date of Filing : 06 Sep 2016 )
(Arisen out of Order Dated 02/07/2016 in Case No. C/731/2013 of District Lucknow-II)
 
1. M/S Bharti Airtel ltd
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. F.K. Rao
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 19 Mar 2018
Final Order / Judgement

ओरल

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या : 1747/2016

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्धितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या-731/2013 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 02-07-2016 के विरूद्ध)

M/s Bharti Airtel Limited.                          ……….अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

F.K. Rao.                                        ....प्रत्‍यर्थी/परिवादी.

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-     श्री शिव।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-       कोई नहीं।

समक्ष  :-

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान,     अध्‍यक्ष।
  2. मा0 श्री महेश चन्‍द,                    सदस्‍य

दिनांक : 21-08-2018

मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित निर्णय

परिवाद संख्‍या-731/2013 एफ0 के0 राव  बनाम् द्वारा चीफ एग्‍जीक्‍यूटिव आफिसर में जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्धितीय, लखनऊ द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनां‍क 02-07-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

    इस प्रकरण में विवाद के संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने भारतीय एयरटेल लि0 से मोबाइल संख्‍या-993551133 एवं नबर-9935297786 का संयोजन पोस्‍टपेड के आधार पर लिया था। परिवादी उक्‍त दोनों मोबाइल के बिलों का भुगतान नियमित रूप से करता रहा। परिवादी द्वारा प्रयोग किये जा रहे उक्‍त दोनों मोबाइल के बिलों का पूर्ण भुगतान संयुक्‍त रूप  से चेक संख्‍या-918791 के माध्‍यम से दिनांक 02-09-2009 को रू0 5476/- कर दिया गया था। उक्‍त भुगतान करते समय एयरटेल की चौक शाखा के कर्मी को

 

2

यह इंगित कर दिया गया था कि उक्‍त धनराशि दोनों मोबाइल के बिलों से संबंधित है एवं एक साथ भुगतान किया जा रहा है। इसके बावजूद भी विपक्षी द्वारा केवल एक मोबाइल संख्‍या-9935511933 के विरूद्ध ही भुगतान दर्शाया गया है और मोबाइल संख्‍या-9935297786 के विरूद्ध एयरटेल के खाते में बकाया लगातार दर्शाया जाता रहा है। उक्‍त चेक से जमा की गयी धनराशि को समायोजितकरने की प्रार्थना परिवादी द्वारा निरन्‍तर की जाती रही किन्‍तु विपक्षी ने पूर्व में जमा की गयी धनराशि का समायोजन न करने के बावजूद दोनों मोबाइल की सेवायें दिनांक 21-11-2011 से पूर्णत: रोक दी। परिवादी एक इंजीनियर है उसका मोबाइल बंद करने से उसके काम में व्‍यवधान उत्‍पन्‍न हुआ। परिवादी ने विपक्षी को विधिक नोटिस भेजा, लेकिन इस पर भी विपक्षी ने कोई ध्‍यान नहीं दिया जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवादी ने परिवाद संख्‍या-731/2013 जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्धितीय, लखनऊ के समक्ष प्रस्‍तुत करते हुए निम्‍न अनुतोषक की याचना की है :-

  1. यह कि मेसर्स एयरटेल कम्‍पनी द्वारा की गयी उक्‍त अन्‍यायपूर्ण एवं बर्बरतापूर्ण कार्यवाही से प्रार्थी/परिवादी मानसिक रूप से प्रताडि़तहुआ एवं उसे आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा।
  2. यह कि प्रार्थी को हर प्रकार से प्रताडि़त कर मोबाइल सेवाओं से लम्‍बी अवधि तक वंचित रखकर उसके व्‍यवसाय में व्‍यवधान/नुकसान पहुचने एवं उसे मानसिक कष्‍ट एवं अन्‍य जनित परेशानियों को झेलने के लिए रू0 10,00,000/- का मुआवजा विपक्षी एयरटेल कम्‍पनी से शीघ्र दिलाये जाने की कृपा करें।

जिला फोरम ने उभयपक्ष को सुनने के बाद आक्षेपित निर्णय दिनांक 02 जुलाई, 2016 के द्वारा परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है :-

’ परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से चार सप्‍ताह के अंदर परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्‍ट हेतु रू0 2000/- तथा रू0 1000/- वाद व्‍यय अदा करें,

 

 

3

यदि विपक्षी उक्‍त निर्धारित अवधि के अंदर परिवादी को यह धनराशि अदा नहीं करते हैं तो विपक्षी को, समस्‍त धनराशि पर ता अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर के साथ अदा करना पड़ेगा।’’

उपरोक्‍त आक्षेपित आदेश से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री शिव उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

पीठ द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है अत: अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

पीठ द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया गया।

पत्रावली के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि चूंकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी से दोनों मोबाइलों के बिलों का भुगतान एक ही चेक संख्‍या-918791 के माध्‍यम से दिनांक 02-09-2009 को कर दिया गया है जिसे विपक्षी के कर्मचारी द्वारा स्‍वीकार भी कर लिया गया किन्‍तु विपक्षी के कर्मचारी द्वारा दोनों मोबाइलों का बिल की धनराशि दोनों मोबाइल कनेक्‍शन के सापेक्ष जमा न करके केवल एक ही मोबाइल संख्‍या-9935511933 के सापेक्ष ही जमा की गयी और शेष बची धनराशि का समयोजन दूसरे मोबाइल नम्‍बर-9935297786 में नहीं किया गया जबकि परिवादी/प्रत्‍यर्थी चेक द्वारा जमा की गयी धनराशि के समायोजन हेतु निरंतर प्रार्थना करता रहा। विपक्षी/अपीलार्थी का यह कृत्‍य उसकी सेवा में कमी का द्योतक है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह पीठ इस मत की हैं कि विद्धान जिला फोरम ने सम्‍पूर्ण साक्ष्‍यों पर विचार करते हुए विधि के अनुसार आदेश पारित किया है जिसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। तद्नुसार अपीलार्थी की अपील में कोई बल नहीं है और अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

4

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है।

उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

निर्णय की प्रति पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                              (महेश चन्‍द)

          अध्‍यक्ष                                          सदस्‍य

कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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