Rajkumar Raj filed a consumer case on 20 Feb 2015 against F.C.H. ltd. in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/321/2012 and the judgment uploaded on 17 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ.अलका शर्मा,सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-321/2012 (पुराना परिवाद संख्या 1424/2009)
श्री राजकुमार राज पुत्र श्री लालचन्द राज, उम्र 32 वर्ष, निवासी- ए-8-ए, नटराज नगर, राजफार्म इमली फाटक के पास, जयपुर ।
परिवादी
बनाम
01. निदेशक, एफ.सी.एच.लिमिटेड, (फ्यूचर मनी बैंक) खासा कोठी सर्किल, पिंकसिटी पेट्रोल पम्प के सामने, जयपुर ।
02. प्रबन्धक, एफ.सी.एच. हाऊस, पेनिनसूला कार्पोरेट पार्क, गणपतराय कदम मार्ग, लाॅअर पेरेल, मुम्बई (महाराष्ट्र)।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी अधिवक्ता श्री राजकुमार राज स्वयं उपस्थित
विपक्षीगण के विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही ।
निर्णय
दिनांकः- 20.02.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 22.10.2009 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षीगण से एक लाख रूपये का व्यक्तिगत ऋण लिया था । इस ऋण की अदायगी 4,252/-रूपये की 36 मासिक किश्तों में दिनांक 07.07.2008 से आगामी प्रत्येक माह की 07 तारीख को ई.सी.एस. के माध्यम से किया जाना तय किया गया था । लेकिन विपक्षीगण द्वारा दिनांक 07.04.2008 एवं 17.04.2008, 07.09.2008 एवं 17.09.2008, 07.12.2008 एवं 17.12.2008, 07.07.2009 एवं 17.07.2009 तथा 07.09.2009 एवं 17.09.2009 को दो-दो बार ई.सी.एस. परिवादी के बैंक में लगाई गई । जिससे परिवादी को ई.सी.एस. रिटर्न चार्ज वहन करना पड़ा । विपक्षीगण ने जब इसका कोई संतोषजनक जवाब परिवादी को नहीं दिया तो परिवादी ने विपक्षीगण को एक विधिक नोटिस दिनंाकित 15.09.2009 भेजा । विपक्षीगण का यह कृत्य उनका अनुचित व्यापार व्यवहार एवं सेवादोष है और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 14 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब मेें कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा उनसे व्यक्तिगत ऋण लिया गया था और इस ऋण की अदायगी ई.सी.एस. के माध्यम से की जानी थी, यह तथ्य स्वीकार हैं । ई.सी.एस. प्रत्येक माह की 07 तारीख को लगाई गई है लेकिन 07 तारीख को ई.सी.एस. बाउन्स होने पर उसी माह की 17 तारीख को दुबारा ई.सी.एस. लगाई गई हैं । यह तथ्य परिवादी की जानकारी में हैं । परिवादी द्वारा 07 तारीख को लगाई गई ई.सी.एस. का बाउन्स चार्ज परिवादी स्वयं वहन करेगा । इस बाबत् विपक्षीगण का कोई दायित्व नहीं हैं । प्रत्येक माह की 07 तारीख को ई.सी.एस. का भुगतान होने पर विपक्षीगण द्वारा कभी भी दुबारा ई.सी.एस. नहीं लगाई गई । विपक्षीगण ने कोई सेवादोष कारित नहीं किया हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री राजकुमार राज ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 13 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि विपक्षीगण की ओर से जवाब के तथ्यों की पुष्टि में श्री कैलाश जांगिड़ एवं श्री माजिद खान के शपथ पत्र एवं कुल 20 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।
बाद में विपक्षीगण के विरूद्ध दिनांक 22.01.2015 को एकतरफा कार्यवाही अमल में लाने के आदेश दिये गये ।
बहस परिवादी सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
परिवादी की ओर से लिखित बहस प्रस्तुत की गई ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने विपक्षीगण से एक लाख रूपये का ऋण लिया था । जिसकी ई.एम.आई. 4,252/-रूपये प्रतिमाह थी तथा ई.एम.आई. का भुगतान दिनंाक 07.07.2008 से आगामी प्रत्येक माह की 07 तारीख को ई.सी.एस. के माध्यम से होना था और यह ऋण 36 मासिक किश्तों में अदा किया जाना था । लेकिन विपक्षीगण ने परिवादी से माह अप्रेल, सितम्बर एवं दिसम्बर,2008 तथा जुलाई व सितम्बर,2009 माहों की 07 तारीख के अतिरिक्त 17.04.2008, 17.09.2008, 17.12.2008, 17.07.2009 और 17.09.2009 को भी वसूल की हैं । जिसके सदर्भ में विपक्षीगण ने अपने जवाब के मद संख्या 4 में उक्त किश्तों की ई.सी.एस., जो उक्त माहों की 07 तारीख को लगाई गई थी, बाउन्स हो जाने के कारण उक्त माहों की 17 तारीख पर लगाकर वसूल करना बताया हैं । लेकिन विपक्षीगण ने अपने इस कथन की पुष्टि में कोई दस्तावेज आदि प्रस्तुत नहीं किये हैं । अंत में दिनांक 22.01.2015 विपक्षीगण के विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही अमल में लाई गई हैं । इसलिए आदेश 8 (5) (2) सी.पी.सी. के प्रावधानों में भी यह अवधारणा कायम की जावेगी कि विपक्षीगण परिवादी द्वारा लगाये गये सभी आरोपों को अक्षरशः स्वीकार करते हैं ।
परिवादी की ओर से जो दस्तावेज पेश किये गये हैं उनमें दिनांक 07.04.2008, 07.09.2008, 07.12.2008, 07.07.2009 और 07.09.2009 के प्देजंससउमदज ैजंजने ब्वसनउद में ई.सी.एस. ब्समंत होने के तथ्य अंकित हैं । जो इस बात को प्रदर्शित करते हैं कि परिवादी द्वारा किश्तों का भुगतान उक्त विवादित माहों की 07 तारीख को जारी होने वाले ई.सी.एस. के माध्यम से हो गया था । इसलिए विपक्षीगण का कथन कि उक्त ई.सी.एस. विवादित माहों की 07 तारीख को ब्समंत नहीं हुआ था इसलिए विवादित माहों की 17 तारीख को ई.सी.एस. जारी करके किश्तों की वसूली की गई थी, यह तथ्य माने जाने योग्य नहीं हैं ।
अतः विपक्षीगण ने परिवादी से उक्त माहों में ई.सी.एस. की राशि दो-दो बार वसूल करके सेवादोष कारित किया हैं । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से दिनंाक 17.04.2008, 17.09.2008, 17.12.2008, 17.07.2009 और 17.09.2009 को काटी गई ई.सी.एस. की राशि वापस प्राप्त करने का अधिकारी हैं । विपक्षीगण ने परिवादी से यह अतिरिक्त राशि वसूल करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष से परिवादी को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप मेें 7,500/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये विपक्षीगण से दिलाये जाने के आदेश दिये जाते हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादी विपक्षीगण से दिनांक 17.04.2008, 17.09.2008, 17.12.2008, 17.07.2009 और 17.09.2009 को काटी गई ई.सी.एस. की राशि वापस प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी विपक्षीगण से उससे ई.सी.एस. की अतिरिक्त राशि वसूल करने से स्वयं को कारित आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप मेें 7,500/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करायेेंगे ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 20.02.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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