Uttar Pradesh

StateCommission

C/2010/79

Rohilkhand Chemical - Complainant(s)

Versus

Export Credit Gaurantee Corporation - Opp.Party(s)

Priyadarshi Manish & Anjali J. Manish And Anil Kumar Mishra

28 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2010/79
( Date of Filing : 19 Aug 2010 )
 
1. Rohilkhand Chemical
A
...........Complainant(s)
Versus
1. Export Credit Gaurantee Corporation
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Oct 2024
Final Order / Judgement

मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-79/2010

रूहेलखण्‍ड क‍ेमिकल एण्‍ड प्रोटीन्‍स हसनेन इण्‍डस्ट्रियल इस्‍टेट बनाम एक्‍सपोर्ट क्रेडिट गारण्‍टी कारपोरेशन आफ इण्डिया लि0

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

दिनांक:  28.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.    यह परिवाद, विपक्षी के विरूद्ध रू0 33,86,325.10 पैसे 18 प्रतिशत ब्‍याज के साथ प्राप्‍त करने के लिए तथा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,00,000/-रू0 प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.    परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने Indian Dry Ossein मैसर्स पी.बी. जेलेटिन्‍स स्थित यू.के. को वर्ष 2004 में निर्यात किया था, इस व्‍यापार की सुरक्षा के लिए पालिसी एससीआर 0150000990 दनांक 9.3.2004 को प्राप्‍त की गई, जो दिनांक 4.3.2004 से दिनांक 31.3.2006 की अवधि के लिए थी तथा इसका मूल्‍य अंकन 80 लाख रूपये था। पालिसी की प्रति अनेक्‍जर सी 1 है, जिसके अंतर्गत राजनीतिक से प्रभावित रिस्‍क तथा कानून से प्रभावित रिस्‍क भी शामिल था।

3.    परिवादी ने दिनांक 6.4.2004, 22.4.2004, 21.5.2004, 6.7.2004 तथा दिनांक 18.1.2006 को उपरोक्‍त वर्णित क्रेता को माल प्रेषित किया, जिसका मूल्‍य अंकन 26,75,192/-रू0 से अंकन 48,46,500/-रू0 के मध्‍य था, जो प्राप्‍त कर लिया गया। इसी प्रकार परिवादी द्वारा दिनांक 8.7.2006 एवं दिनांक 26.7.2006 को भी इनवास संख्‍या 1229 तथा 1230  से  क्रमश: 75000 यू.एस. डॉलर एवं 1,12,500 यू.एस. डालर का

 

 

-2-

माल प्रेषित किया, जिसके लादान का बिल अनेक्‍जर सी 3 है। परिवादी द्वारा मासिक माल लादान की घोषणा की गई तथा प्रीमियम की अदागयी की गई। घोषणा पत्र की प्रति अनेक्‍जर सी 4 है।

4.    परिवादी द्वारा प्रेषित दोनों माल अगस्‍त 2006 में यू.के. पहुँच गए, परन्‍तु कंटेनर कानून में परिवर्तन होने के कारण क्‍लीयर नहीं किए गए। इन पर दो आपत्तियां की गईं –

     ''1. कंटेनर के अन्‍दर बैग में यह अंकित नहीं था कि कामर्शियल डाक्‍यूमेंट की घोषणा की गई है।

     2. नए कानून के अंतर्गत यह आवश्‍यक था कि टेक्निकल प्‍लान के साथ बोन पीस में लेबल लगाया गया हो।''

5.    परिवादी को इन नए नियमों की जानकारी नहीं थी। क्रेता को भी इस नियम की जानकारी नहीं थी। अनुरोध के बावजूद क्रेता संब‍ंधित प्राधिकारियों को माल डिलीवर के लिए सहमत नहीं करा सके, इसलिए माल वापस भारत भेजा गया। परिवादी द्वारा इस माल को वापस लाने में अंकन 6,46,462/-रू0 खर्च हुए। क्रेता द्वारा केवल 75000 यू.एस. डालर का भुगतान किया गया, परन्‍तु 1,12,500 यू.एस. डालर का भुगतान नहीं किया गया। कंटेनर में पुन: लेबल एवं मार्क लगाने के बाद क्रेता को माल यू.के. भेजा गया तथा समुद्री भाड़े के रूप में 4452.35 GBP का भुगतान किया गया। भाड़े तथा समस्‍त खर्चों की मद में रू0 49,57,004.10 पैसे की क्षतिपूर्ति का मांग पत्र प्रेषित किया गया। विपक्षी द्वारा मांग की गई शिपमेंट का विवरण उपलब्‍ध कराया गया तथा यह कहा गया कि शिपमेंट के बाद नियम परिवर्तित हुए हैं तब क्‍लेम का निस्‍तारण किया जाएगा और यदि यह साबित नहीं किया जाता कि शिपमेंट के बाद नियम परिवर्तित हुए हैं तब परिवादी के पक्ष में कोई विचार नहीं किया जाएगा। यह पत्र अनेक्‍जर सी 12 है। यह नियम वर्ष 2002 में लागू किया गया था, परन्‍तु

 

-3-

परिवादी को यह ज्ञात नहीं था कि यह कब प्रभाव में आया तथा क्रेता को भी इस नियम की जानकारी नहीं थी। परिवादी ने अपने पत्र अनेक्‍जर सी 14 के द्वारा सूचित किया गया था कि यह नियम वर्ष 2002 से लागू हुआ है, परन्‍तु पशु अधिकारी द्वारा कभी भी आपत्ति नहीं की गई न ही कोई चेतावनी दी गई, इसके पश्‍चात विपक्षी द्वारा अंकन 15,70,679/-रू0 का भुगतान किया गया, जबकि परिवादी का क्‍लेम 49 लाख रूपये था, इसलिए अवशेष राशि को प्राप्‍त करने के लिए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

6.    परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा अनेक्‍जर सी 1 लगायत सी 18 प्रस्‍तुत किए गए।

7.    विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत लिखित कथन में कथन किया गया कि परिवादी को जो पालिसी जारी की गई थी, उसमें रिस्‍क शिपमेंट की तिथि से कवर था, जिसमें पालीटिकल रिस्‍क एवं कामर्शिल रिस्‍क शामिल था। यदि शिपमेंट के पश्‍चात कोई पालीटिकल या कामर्शियल बाधा उत्‍पन्‍न होती है तब पालिसी के अंतर्गत रिस्‍क कवर है। लेबलिंग एवं मार्किंग की व्‍यवस्‍था वर्ष 2002 से थी, जबकि परिवादी द्वारा दो शिपमेंट जुलाई 2006 में प्रेषित किए गए हैं, इसलिए इन नियमों का पालन स्‍वंय परिवादी को करना चाहिए था। शिपमेंट जाने के पश्‍चात कोई पालीटिकल दखल या कानून अव्‍यवस्‍था की स्थिति उत्‍पन्‍न नहीं हुई है, इसलिए बीमा क्‍लेम देय नहीं है। परिवादी ने स्‍वंय असावधानी का आचरण शिपमेंट से पूर्व किया है, जब नियमों के अनुसार शिपमेंट करने का दायित्‍व परिवादी पर था। यद्यपि अंकन 15,70,679/-रू0 का भुगतान स्‍वीकार किया गया है, परन्‍तु यह भुगतान सह्दयता दिखाते हुए प्रदान करने का कथन किया गया है।

8.    लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा दस्‍तावेजी साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की गई।

 

-4-

9.    परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल कुमार मिश्रा तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजीव जायसवाल को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों का अवलोकन किया गया।

10.   प्रस्‍तुत परिवाद के विनिश्‍चय के लिए प्रथम विनिश्‍चायक बिन्‍दु यह उत्‍पन्‍न होता है कि क्‍या प्रस्‍तुत केस में बीमा पालिसी के अंतर्गत रिस्‍क कवर है ?

11.   इस प्रश्‍न का उत्‍तर स्‍वंय परिवादी द्वारा दिए गए विवरण के अनुसार ही नकारात्‍मक है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में अनेक बार यह स्‍वीकार किया है कि माल में लेबल लगाने तथा मार्किंग करने की व्‍यवस्‍था वर्ष 2002 से थी, परन्‍तु परिवादी को इस नियम की जानकारी नहीं थी। कानून की अनभिज्ञता क्षमा योग्‍य नहीं मानी जाती, जबकि कानून के अनुसार परिवादी को माल प्रेषित करते समय लेबल एवं मार्क लगाना आवश्‍यक था तब इस लेबल एवं मार्क को लगाए बिना माल प्रेषित नहीं किया जा सकता था, इसलिए स्‍वंय परिवादी द्वारा अपने कर्तव्‍यों का उल्‍लंघन किया गया है, इस तथ्‍य का कोई प्रभाव परिवादी के पक्ष में नहीं है कि विपक्षी द्वारा स्‍वंय अंकन 15,70,679/-रू0 की राशि परिवादी को प्राप्‍त कराई गई है। चूंकि परिवादी विपक्षी के स्‍तर से सेवा में कमी के आरोप को लेकर उपस्थित हुआ है। अत: पालिसी की शर्तों के अनुसार विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को देय राशि उपलब्‍ध नहीं करायी गयी, इस तथ्‍य को साबित करने का भार परिवादी पर स्‍वतंत्र रूप से है और स्‍वंय परिवाद पत्र में वर्णित स्थिति के अनुसार जो नियम वर्ष 2002 से लागू हों तब उस नियम के बारे में जानकारी होने की उपधारणा की जाएगी। शिपमेंट के पश्‍चात कोई पालीटिकल परिवर्तन कानून अव्‍यवस्‍था की स्थिति उत्‍पन्‍न नहीं हुई, इसलिए बीमा कंपनी बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार किसी प्रकार की क्षति की पूर्ति के लिए उत्‍तरदायी नहीं है। पुन:

 

-5-

उल्‍लेख किया जाता है कि बीमा कंपनी द्वारा जो राशि परिवादी को प्रदान कर दी गई है उस राशि को प्रदान करने का कोई विधिक महत्‍व प्रस्‍तुत परिवाद के निस्‍तारण में नहीं है, क्‍योंकि प्रस्‍तुत परिवाद की सफलता के लिए आवश्‍यक है कि परिवादी यह साबित करे कि बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार विपक्षी बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्‍तरदायी है। अनेक्‍जर सी 1 में यह स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि शिपमेंट के पश्‍चात कामर्शियल या पालीटिकल बाधा उत्‍पन्‍न होने के कारण विक्रेता को कारित क्षति की प्रतिपूर्ति विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा की जाएगी। बीमा कंपनी की ओर से इस आशय की सूचना परिवादी को क्‍लेम प्रस्‍तुत करने के पश्‍चात दी गई है, जिसकी प्रति‍ पत्रावली पर मौजूद। स्‍वंय परिवादी ने बीमा कपंनी के इस जवाब की चर्चा की है, जिसका उल्‍लेख ऊपर किया गया है।

12.   रेगूलेशन दिनांक 3.10.2002 की प्रति पत्रावली पर अनेक्‍जर सी ए है, जिसकी नालेज परिवादी को कानून के अंतर्गत होनी चाहिए, इसलिए परिवादी के इस कथन को स्‍वीकार नहीं किया जा सकता कि परिवादी एवं क्रेता को इस नियम की जानकारी नहीं थी।

13.   परिवादी की ओर से नजीर, The Oriental Insurance Co.Ltd vs Dicotex Furnishing Ltd प्रस्‍तुत की गई है। इस केस के तथ्‍यों के अनुसार प्रत्‍यर्थी द्वारा Standard Fire and Special Perill Policy प्राप्‍त की गई थी, इसलिए इस पालिसी की प्रकृति प्रश्‍नगत पालिसी की प्रकृति के बिल्‍कुल विपरीत है, इस पालिसी के संबंध में दी गई कोई व्‍यवस्‍था प्रश्‍नगत पालिसी के संबंध में लागू नहीं की जा सकती। फिर यह भी कि प्रस्‍तुत केस में स्‍वंय परिवादी ने तत्‍समय प्रचलित कानून का उल्‍लंघन किया है, इसलिए भी इस नजीर में दी गई व्‍यवस्‍था परिवादी के पक्ष में लागू नहीं है।

14.   उपरोक्‍त  विवेचना  का निष्‍कर्ष यह है कि स्‍वंय परिवादी ने नियमों

 

-6-

का उल्‍लंघन करते हुए माल विदेश में निर्यात किया है। पालिसी के अंतर्गत शिपमेंट के पश्‍चात उत्‍पन्‍न होने वाले व्‍यापारिक या राजनीतिक बाधा के कारण कारित क्षति की पूर्ति के लिए बीमा कंपनी उत्‍तरदायी है। शिपमेंट के पश्‍चात किसी प्रकार की राजनीतिक या व्‍यापारिक बाधा उत्‍पन्‍न नहीं हुई है, जो नियम पूर्व से मौजूद थे, उन नियमों का उल्‍लंघन स्‍वंय परिवादी द्वारा किया गया है, इसलिए बीमा कंपनी को सेवा में कमी के लिए उत्‍तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। तदनुसार प्रस्‍तुत परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

15.   प्रस्‍तुत परिवाद खारिज किया जाता है।

     उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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