Uttar Pradesh

StateCommission

C/2010/103

Opal Tricontinental Ltd - Complainant(s)

Versus

Export Credit Gaurantee Corporation - Opp.Party(s)

A K Jaiswal & Sanjay Kumar Verma

18 Nov 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2010/103
( Date of Filing : 18 Oct 2010 )
 
1. Opal Tricontinental Ltd
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Export Credit Gaurantee Corporation
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Nov 2024
Final Order / Judgement

                                                   (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-103/2010

Opal Tricontinental Limited, C-7, 8 and 9, Site-B, UPSIDC Industrial Area, Sikandra, Agra 282001.

Having Registered Office at 1/208, Professors Colony, Hari Parvat, Agra through its Managing Director Adil Aziz.

                   परिवादी

बनाम

1.   Export Credit Guarantee Corporation of India, Express Towers, 10th Floor, Nariman Point, Mumbai 400021 through its Chairman.

2.   Export Credit Guarantee Corporation of India, Branch Deepak Wasan Plaza, IInd Floor, 17/2/4, Sanjay Place, Agra 282002 through its Branch Manager.

        विपक्षीगण

समक्ष:-                         

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित        : श्री संजय कुमार वर्मा।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित      : श्री राजीव जायसवाल।

दिनांक:  18.11.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.    यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्‍तुत किए गए माल की डिलीवरी न होने के कारण कारित क्षति अंकन 24,92,582/-रू0 की प्रतिपूर्ति के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.    परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी फर्म को कंबाइंड ट्रेडिंग फुटवियर कंपनी, लण्‍डन द्वारा दिनांक 11.6.2008 को पुरूष लेदर शूज/वुटवियर क्रय करने का आर्डर प्राप्‍त हुआ। दिनांक 11.6.2008 को ही माल प्रेषित किया गया। क्रेता के साथ यह करार हुआ था कि डिलीवरी के दो सप्‍ताह बाद भुगतान कर दिया जाएगा। समस्‍त इनवाइस विपक्षीगण द्वारा अक्‍टूबर-नवम्‍बर 2008 में प्राप्‍त कर ली गई, परन्‍तु भुगतान नहीं किया गया। विपक्षीगण के एजेंट मधु सेनन द्वारा दिनांक 19.9.2008 को माल प्राप्‍त न होने का संदेश भेजा, जो अनेक्‍जर सं0-4 है, इसके बाद परिवादी ने अनेक बार मेल के माध्‍यम से तथा दूरभाष के माध्‍यम से शर्तों के अनुपालन का अनुरोध किया, परन्‍तु माल का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 से पालिसी संख्‍या-0200000673 दिनांकित 11.12.2008 को अंकन 30 लाख रूपये मूल्‍य की प्राप्‍त की गई थी, जो दिनांक 1.9.2008 से दिनांक 31.8.2010 तक प्रभावी थी। इसी अवधि के मध्‍य माल प्रेषित किया गया था, जिसकी कीमत प्राप्‍त न होने पर बीमा कंपनी को सूचना प्रेषित की गई थी, जो अनेक्‍जर सं0-6 है तथा क्‍लेम फार्म आदि अनेक्‍जर सं0-7 है, इसके बाद बीमा क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया, जो अनेक्‍जर सं0-8 है। क्‍लेम प्राप्‍त होने पर बीमा कंपनी द्वारा अनेक्‍जर सं0-9 के माध्‍यम से 9 दस्‍तावेजों की मांग की गई, जिसका समुचित स्‍पष्‍टीकरण अनेक्‍जर सं0-10 के माध्‍यम से दे दिया गया, इसके बाद दिनांक 25.7.2009 को प्रत्‍यावेदन दिया गया, परन्‍तु बीमा कंपनी द्वारा क्‍लेम का भुगतान नहीं किया गया तथा दिनांक 6.3.2010 के पत्र द्वारा क्‍लेम नकार दिया गया। यह पत्र अनेक्‍जर सं0-12 है। परिवादी का कथन है कि जो माल प्रेषित किया गया, उसका कुल मूल्‍य अंकन 11,92,582/-रू0 था। व्‍यापार में अंकन 10 लाख रूपये की हानि हुई तथा वायुयान का किराया तथा कार्यालयीन में अंकन 3,00,000/-रू0 खर्च हुए हैं। इस प्रकार कुल 24,92,582/-रू0 की मांग करते हुए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.    इस परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा अनेक्‍जर 1 लगायत अनेक्‍जर 12 प्रस्‍तुत किए गए।

4.    विपक्षीगण का कथन है कि प्रस्‍तुत केस में परिवादी ने क्रेडिट लिमिट के लिए आवेदन प्रस्‍तुत नहीं किया। बीमा कपंनी द्वारा भी क्रेडिट लिमिट जारी नहीं की गई, इसलिए परिवादी द्वारा Monthly Declaration शिपमेंट के रूप में जारी नहीं की गई। पालिसी की शर्त सं0-10 के विवरण के अनुसार क्रेडिट लिमिट के लिए एक निश्चित फीस देय होगी। इसी तरह शिपमेंट टाईम की सूचना देना एक आवश्‍यक शर्त होगी, परन्‍तु परिवादी ने पालिसी की शर्त सं0-19(a) तथा 19(b) के अनुसार शिपमेंट का Declaration नहीं किया तथा पूरा प्रीमियम भी जमा नहीं किया, इसलिए बीमा क्‍लेम देय नहीं है। यह भी उल्‍लेख किया है कि गुणवत्‍ता का मुद्दा उठाया है, जो बीमा पालिसी के अंतर्गत कवर नहीं है। क्रेता की मांग के अनुसार समान की पूर्ति नहीं की गई, इसके बाद यह उल्‍लेख है कि Declaration अत्‍यधिक देरी से किया गया तथा प्रत्‍येक शिपमेंट का Declaration नहीं किया गया। इस आधार पर भी बीमा क्‍लेम देय नहीं है।

5.    इस लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा अनेक्‍जर OP 1 लगायत OP 4 प्रस्‍तुत किए गए।

6.    उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों का अवलोकन किया गया।

7.    प्रस्‍तुत केस में बीमा कंपनी द्वारा बीमा पालिसी जारी करना स्‍वीकार किया गया है। पालिसी की प्रति अनेक्‍जर सं0-OP1 पर मौजूद है। परिवादी द्वारा माल प्रेषित करने का तथ्‍य भी स्‍वीकार्य है, केवल यह अभिवाक लिया गया है कि क्रेता की मांग के अनुसार गुणवत्‍तापूर्ण माल प्रेषित नहीं किया गया तथा शिपमेंट का Declaration नहीं किया गया। माल प्रेषित करने की इनवाइस अनेक्‍जर सं0-2 लगायत 3 मौजूद है। दस्‍तावेज सं0-5/A के अनुसार माल की गुणवत्‍ता में कोई कमी नहीं दर्शायी गयी है, इसलिए बीमा कंपनी का यह कथन सार्थक नहीं है कि क्रेता को माल गुणवत्‍ता के साथ प्रेषित नहीं किया गया था।

8.    लिखित कथन में स्‍वंय स्‍वीकार किया गया है कि Declaration देरी से भेजा गया, परन्‍तु Declaration भेजने से इंकार नहीं किया गया। शिपमेंट का Declaration देना सुविधाजनक स्थिति है। Declaration में देरी करना, बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन नहीं कहा जा सकता, फिर यह भी कि देरी की अवधि स्‍पष्‍ट नहीं की गई है कि कितने दिन की देरी कारित की गई, उसका क्‍या परिणाम हुआ, देरी के कारण बीमा कंपनी किस संसाधन का प्रयोग नहीं कर सकी ?

9.    उपरोक्‍त विवेचना का निष्‍कर्ष यह है कि परिवादी द्वारा अंकन 11,92,582/-रू0 का माल प्रेषित किया गया, जिसकी डिलीवरी क्रेता द्वारा प्राप्‍त नहीं की गई। बीमा पालिसी में यह शर्त मौजूद है कि यदि क्रेता द्वारा माल की डिलीवरी प्राप्‍त नहीं की जाती तब बीमा कंपनी द्वारा माल की कीमत की प्रतिपूर्ति की जाएगी। अत: पालिसी के अंतर्गत लागू शर्तों के अनुसार बीमा कंपनी परिवादी को अंकन 11,92,582/-रू0 की राशि बतौर क्षति की प्रतिपूर्ति के लिए उत्‍तरदायी है। यद्यपि अन्‍य वर्णित हानि के लिए बीमा कंपनी को उत्‍तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। प्रकीर्ण खर्च में अदा की गई राशि के लिए भी बीमा कंपनी उत्‍तरदायी नहीं है। तदनुसार विपक्षीगण बीमा कंपनी के विरूद्ध परिवाद केवल अंकन 11,92,582/-रू0 की अदायगी के लिए तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज के लिए स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

10.  प्रस्‍तुत परिवाद इस सीमा तक स्‍वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को अंकन 11,92,582/-रू0 (ग्‍यारह लाख बानबे हजार पांच सौ बयासी रूपये) अदा किए जाए तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज की दर से ब्‍याज अदा किया जाए तथा परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 (पांच हजार रूपये) भी अदा किया जाए।

     उपरोक्‍त समस्‍त राशि इस निर्णय/आदेश की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर अदा की जाय।   

     आशुलिपिक से अपेयक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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