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Bhartiya Audhyogik Chetna Sewa Sansthan, Through Secretary Ataulla filed a consumer case on 27 Nov 2024 against Executive Engineer, Southern Electricity Distribution Corporation Ltd. in the Kanpur Dehat Consumer Court. The case no is CC/53/2017 and the judgment uploaded on 28 Nov 2024.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर देहात ।
अध्यासीन:- श्री मुशीर अहमद अब्बासी..........................अध्यक्ष
H.J.S.
श्री हरिश चन्द्र गौतम ...............................सदस्य
सुश्री कुमकुम सिंह .........................महिला सदस्य
उपभोक्ता परिवाद संख्या :- 53/2017
परिवाद दाखिला तिथि :- 02.08.2017
निर्णय दिनांक:- 27.11.2024
(निर्णय श्री मुशीर अहमद अब्बासी, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
भारतीय औद्योगिक चेतना सेवा संस्थान द्वारा सचिव अताउल्ला बालिग पुत्र रहमत उल्ला पता ग्राम दौलतपुर बिलापुर, कानपुर देहात ।
..........................परिवादी
बनाम
अधिशाषी अभियन्ता, विधुत वितरण खण्ड पुखरायां, (जैनपुर) दक्षिणाचल विधुत वितरण निगम लिमिटेड, कानपुर देहात ।
.......................प्रतिवादी
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद परिवादी भारतीय औद्योगिक चेतना सेवा संस्थान द्वारा सचिव अताउल्ला की ओर से सशपथ पत्र, प्रतिवादी के द्वारा परिवादी का संयोजन संख्या- 5501/003240 संयोजित किये जाने का आदेश पारित किये जाने, परिवादी को बिना एक्सेस डिमाण्ड चार्ज, फिक्स्ट चार्ज व ग्रामीण क्षेत्रों में पावर फैक्टर की छूट तथा लेट पेमेंट सरचार्ज रहित रीडिंग से रीडिंग का संशोधित बिल कायम करने के लिए प्रतिवादी को निर्देशित किये जाने, परिवादी व्यय तथा सेवा में कमी के लिए रुपया 1,00,000/- व परिवादी को हुयी मानसिक आर्थिक एवं शारीरिक क्षतिपूर्ति हेतु मु0 50,000/- रुपया विपक्षी से दिलाये जाने हेतु दिनांक 02.08.2017 को योजित किया गया ।
संक्षेप में परिवादी का कथन है कि, परिवादी के द्वारा प्रतिवादी से विधुत कनेक्शन संख्या- 5501/ 003240, 35 एच0पी0 का प्रदान किया था । इस कनेक्शन के माध्यम से परिवादी द्वारा भारतीय औद्योगिक चेतना सेवा संस्थान शुरू किया गया । उपरोक्त कनेक्शन ग्रामीण क्षेत्र में होने के कारण अक्सर विधुत सप्लाई प्राप्त नहीं होती थी, किन्तु बिल रुरल छूट के बिना जनवरी 2014 तक के तथा पावर फैक्टर की रिबेट दिये बिना जारी किये गये तथा टी0ओ0डी0 के तहत बिल भी जारी नहीं किये गये किन्तु फिर भी समय-समय पर बिल का भुगतान किया गया । उपरोक्त कनेक्शन के सन्दर्भ में परिवादी द्वारा विभिन्न तिथियों में (सारणी से) भिन्न-भिन्न रसीदों के माध्यम से कुल 4,00,550/- रुपये की धनराशि जमा की गयी । बिलों को संशोधन व समायोजित न करने के कारण बिलों की धनराशि बढ़ गयी, जिसके सन्दर्भ में विभागीय अधिकारियों से अनेकों बार सम्पर्क किये जाने के बाद भी परिवादी का विधुत बिल संशोधित कर परिवादी को प्रदान नहीं किया गया । परिवादी के द्वारा दिनांक 20.04.2017 को ओ0टी0एस0 समाधान योजना के तहत 5,000/- रुपये रसीद संख्या-748671/ 14 के माध्यम से जमा किया गया तथा यह कहा गया कि 15 दिन बाद आपको संशोधित बिल विभाग से प्रदान किया जायेगा । परिवादी को इस दौरान विधुत विभाग से संशोधित बिल बनाकर प्रदान ही किया गया अपितु संशोधित बिल बनाने के एवज में परिवादी से सुविधा शुल्क के रूप में 50,000/- रुपया की अतिरिक्त माँग की गयी । परिवादी के परिसर पर दिनांक 14.07.2017 को जे0ई0 महोदय के माध्यम के आदेशानुसार विधुत विच्छेदन कर दिया गया जिसके सन्दर्भ में परिवादी के द्वारा एक प्रार्थना पत्र 17.07.2017 को विभागीय कार्यालय में प्रदान किया गया कि, परिवादी को संशोधित बिल बनाकर प्रदान कर दिया जाये और परिवादी एक लाख रुपये पार्ट पेमेंट के रूप में भुगतान करने को तैयार है । परिवादी को ओ0टी0एस0 में पंजीयन कराने के बावजूद भी आज तक रीडिंग से रीडिंग का तथा सरचार्ज रहित संशोधित बिल प्रदान नहीं किया गया जबकि उक्त बिल को प्रदान करने की जिम्मेदारी प्रतिवादी की है । प्रतिवादी के द्वारा गलत बिलों को जारी करना, बिलों को संशोधित न करना तथा ओ0टी0एस0 (एमनेस्टी) 2017 के तहत पंजीयन कराये गये आवेदन पत्र के सन्दर्भ में संशोधित बिल जारी न करना सेवा में कमी के अन्तर्गत आता है । परिवादी द्वारा इस परिवाद में वर्णित विवादों से सम्बन्धित कोई भी मुकदमा अन्य किसी न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया है न ही कोई विचाराधीन है । उपरोक्त तथ्यों एवं कारणों के आधार पर परिवादी का परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाये ।
परिवादी के परिवाद पत्र के उत्तर में विपक्षी विधुत विभाग द्वारा जवाबदेही कागज संख्या-19/1 लगायत 19/3 सशपथ पत्र दाखिल की गयी । विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाबदेही में वाद पत्र की धारा-1 के कथंन को स्वीकार किया है जिसमें वादी को 35 एच0पी0 का विधुत संयोजन वर्ष 2013 में प्रदान किया जाना अभिकथित किया है तथा परिवाद पत्र की धारा-2 व 3 में वर्णित कथंन को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुये यह अभिकथंन किया है कि विधुत बिल का भुगतान वादी के द्वारा पूर्ण रूप से ना करके आंशिक रूप से किया गया है जिसके कारण छूट का लाभ प्राप्त करने में असमर्थ रहा है, वादी के द्वारा अब तक कुल चार लाख पाँच सौ पचास रुपया जमा किया गया है तथा अन्तिम भुगतान दिनांक 03/08/2015 को पचास हजार रुपये के रूप में किया गया है । विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाबदेही में परिवाद पत्र की धारा-4 में वर्णित कथंन को असत्य बताते हुये यह अभिकथंन किया है कि वादी को हमेशा माह दर माह बिल प्रेषित किया जाता रहा है जिसका भुगतान वादी के द्वारा नहीं किया गया है । विपक्षी ने जवाबदेही के प्रस्तर-5 में परिवाद पत्र की धारा-5 के कथंन को आंशिक रूप से स्वीकार किया है एवं यह कथंन किया है कि वादी को ओ0टी0एस0 के तहत बिल प्रेषित किये गये थे जिसका भुगतान वादी के द्वारा नहीं किया गया है । परिवाद पत्र की धारा-6 को अस्वीकार किया गया है तथा धारा-7 के कथन को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुये यह अभिकथंन किया है कि क्योंकि वादी के ऊपर विधुत विच्छेदन के उपरान्त 11,42,257/- रुपये का बकाया होने पर एक लाख रुपया जमा कर विधुत संयोजन किया जाना सम्भव नहीं है । विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाबदेही में परिवाद पत्र की धारा-8 में वर्णित कथंन को असत्य बताते हुये अस्वीकार किया गया है तथा धारा-9 के कथन को आंशिक रूप से स्वीकार किया है । परिवाद पत्र की धारा-10 व 11 के सन्दर्भ में जानकारी के अभाव में कुछ भी नहीं कहा है एवं धारा-12 के कथंन को अस्वीकार करते हुये यह अभिकथंन किया है कि वादी ने मात्र भुगतान से बचने के लिए गलत व मिथ्या आरोप के आधार पर वाद पंजीकृत किया है, वादी को संशोधित बिल 11,42,297/- रुपये का बिल प्रदान किया जा चुका है, जिसके भुगतान करने की जिम्मेदारी वादी की है । विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाबदेही के अतिरिक्त कथंन में वादी के वाद को बिना किसी अनुतोष प्रदान किये खारिज किये जाने की याचना की गयी है ।
परिवादी ने वाद-पत्र के समर्थन में दस्तावेजों की सूची से कागज संख्या-5 से परिवादी द्वारा अधिशाषी अभियन्ता, पुखरायां कानपुर देहात को प्रेषित पत्र दिनांकित 17.07.2017 की छायाप्रति कागज संख्या-6/1, रसीद संख्या-14 के माध्यम से जमा धनराशि मु0 5,000/- रुपया दिनांकित 20.04.17 की छायाप्रति कागज संख्या-6/2, विधुत बिल मु0 11,42,297/- रुपया की छायाप्रति कागज संख्या-6/3, जमा रसीद मु0 50,000/- रुपया दिनांकित 03.08.15 की छायाप्रति, जमा रसीद मु0 50,000/- रुपया दिनांकित 05.06.15 की छायाप्रति, जमा रसीद मु0 50,000/- रुपया दिनांकित 09.12.14 की छायाप्रति, जमा रसीद मु0 50,000/- रुपया दिनांकित 25.03.15 की छायाप्रति, जमा रसीद मु0 50,000/- रुपया दिनांकित 19.05.14 की छायाप्रति, जमा रसीद मु0 50,000/- रुपया दिनांकित 23.01.15 की छायाप्रति, जमा रसीद मु0 50,000/- रुपया दिनांकित 06.03.2014 की छायाप्रति, जमा रसीद मु0 50,550/- रुपया दिनांकित 04.01.14 की छायाप्रति (कागज संख्या-6/4 लगायत 6/11), परिवादी अताउल्ला के आधार कार्ड की छायाप्रति कागज संख्या-6/12, भारतीय औद्योगिक चेतना सेवा संस्थान द्वारा जिलाधिकारी महोदय कानपुर देहात को प्रेषित पत्र दिनांकित 25.07.2016 की छायाप्रति कागज संख्या-6/13 व 6/14, सोसाइटी के नवीनीकरण के प्रमाण पत्र दिनांकित 06.02.2017 की छायाप्रति कागज संख्या-6/15 लगायत 6/17 मय नियमावली कागज संख्या-6/18 लगायत 6/26 पत्रावली में दाखिल की है ।
विपक्षी विधुत विभाग की ओर से प्रार्थना पत्र दिनांकित 25.01.2018 के साथ विधुत बिल मु0 10,71,084/- रुपये कागज संख्या- 22 दाखिल किया गया है ।
इसके अतिरिक्त परिवादी ने प्रार्थना पत्र दिनांकित 02/07/2018 कागज संख्या- 31 के साथ विधुत बिल मु0 10,84,323/- रुपये कागज संख्या- 32 की छायाप्रति, चेक मु0 1,00,000/- (एक लाख) रुपये दिनांकित 02.07.2018 कागज संख्या- 33 की छायाप्रति, जमा रसीद मु0 3,60,000/- रुपया दिनांकित 19.04.2018 व मु0 600/- रुपया दिनांकित 19.04.2018 की छायाप्रति कागज संख्या-34 पत्रावली पर दाखिल किया गया है ।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्र में वर्णित कथनों के समर्थन में अताउल्ला पुत्र रहमत उल्लाह द्वारा साक्ष्य में शपथपत्र कागज संख्या-35 दिनांकित 05.10.2018 व एक अन्य साक्ष्य शपथपत्र कागज संख्या-44/1 दिनांकित 01.10.2021 पत्रावली पर दाखिल किया है ।
इसके अतिरिक्त परिवादी ने एक अन्य दस्तावेजों की सूची से कागज संख्या-36 के साथ दस्तावेजी साक्ष्य कागज संख्या-37/1 लगायत 37/9 (समस्त छायाप्रतियाँ) संलग्नकों के रूप में पत्रावली पर दाखिल किया है ।
परिवादी की ओर से पुनः दस्तावेजों की सूची से कागज संख्या-44/2 के साथ जमा रसीद मु0 3,60,000/- रुपया दिनांकित 19.04.2018 कागज संख्या-44/3 की छायाप्रति, बैंक स्टेटमेन्ट की छायाप्रति, भुगतान पावती मु0 31,199/- रु0, मु0 28,026/- रु0, मु0 60,000/- रु0, मु0 50,000/- रुपये, मु0 75,000/- रु0, मु0 1,00,000/- रु0 की छायाप्रतियां (कागज संख्या-44/4 लगायत 44/10) पत्रावली पर दाखिल किया गया है । परिवादी द्वारा दस्तावेजों की सूची दिनांकित 29.07.2024 के साथ उपरोक्त दस्तावेजों की मूल प्रतियाँ एवं Computerized प्रतियाँ भी दाखिल की गयी हैं ।
परिवादी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता द्वारा लिखित बहस दिनांकित 11.09.2023 पत्रावली पर प्रस्तुत की गयी ।
प्रतिवादी विधुत विभाग की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता द्वारा लिखित बहस दिनांकित 08.06.2023 पत्रावली पर दाखिल की गयी ।
मैंने पत्रावली का सम्यक परिशीलन किया । पत्रावली का परिशीलन किये जाने से विदित है कि यद्यपि कि विपक्षी अधिशाषी अभियन्ता की ओर से श्री कुलदीप यादव अधिशाषी अभियन्ता द्वारा लिखित बहस दाखिल की गयी है किन्तु विपक्षी की ओर से मौखिक बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ ।
मैंने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की मौखिक बहस सुनी तथा उनकी ओर से दाखिल लिखित बहस का परिशीलन किया ।
परिवादी ने अपनी लिखित बहस में यह अभिकथन किया है कि परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आशय के साथ योजित किया गया है कि परिवादी को विधित छूट का समायोजन न करने तथा विधुत आपूर्ति न होने तथा देयकों को समय से न वितरण करने के चलते देय अधिक होने तथा एकमुश्त समाधान योजना के अन्तर्गत 5,000/- रुपए जमा करने के उपरान्त भी कोई राहत न देकर विधुत प्रवाह दिनांक 14.07.2017 को विच्छेदित कर दिया गया, जिस कारण जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष विवश होकर आना पड़ा तथा संशोधित बिल प्रस्तुत करने का आग्रह किया गया । जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश दिनांक 12.04.2018 के द्वारा तत्समय कुल देय धनराशि 10,71,084/- रु0 का 33 प्रतिशत सात दिन में जमा करने का आदेश दिया गया और यह भी आदेश दिया गया कि उक्त धनराशि जमा करने के पश्चात परिवादी का विधुत कनेक्शन संख्या- 95501 / 003240 भार 35 एच0पी0 को तत्काल संचालित कर दिया जाये । इसके उपरान्त भी प्रत्येक मासिक बिल को दिनांक 06.03.2019 तक बराबर जमा करता रहा किन्तु इसके उपरान्त बिल प्राप्त न होने के कारण अग्रिम बिल जमा नहीं किया जा सका ।
परिवादी का कथन है कि जब पहले आने वाले बिलों को लेकर मैं कार्यालय गया तो प्रत्येक बार अधिक धनराशि जमा करने के लिये कहा गया । इस सम्बन्ध में पृथक रूप से प्रकीर्ण वाद संख्या- 5 / 2020 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अवमानना के सम्बन्ध में दाखिल किया गया । दिनांक 06.03.2019 के पश्चात विधुत विभाग द्वारा बिल न भेजकर दिनांक 11.04.2019 को परिवादी का विधुत संयोजन विच्छेदित कर दिया गया और तब से अब तक संयोजन नहीं किया गया है ।
विपक्षी की ओर से यद्यपि कि मौखिक बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ परन्तु उनकी ओर से लिखित बहस दाखिल की गयी है जिसमें यह अभिकथन किया गया है कि वादी के विधुत संयोजन के सापेक्ष माह जून 2017 तक निर्गत कुल बिल धनराशि रु0 10,71,084/- रुपया के सापेक्ष जिला आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 26.10.2017 के द्वारा अगले एक सप्ताह में 33 प्रतिशत धनराशि अंतरिम रूप से जमा करने हेतु निर्देशित किया गया, परन्तु वादी द्वारा निर्धारित समय अवधि में कोई धनराशि जमा नहीं की गयी ।
विपक्षी ने अपनी लिखित बहस के प्रस्तर-3 में यह स्वीकार किया है कि दिनांक 30.06.2017 से 16.05.2018 तक कुल 3970 के0वी0एच0 यूनिट ऊर्जा के सापेक्ष कुल विधुत बिल धनराशि रु0 14,10,865.45 वादी को प्रेषित किया गया, इस सम्बन्ध में वादी द्वारा दिनांक 19.04.2018 को धनराशि रु0 3,60,000/- राजस्व में जमा किया गया । फलस्वरूप दिनांक 16.05.2018 तक कुल लम्बित धनराशि 10,50,866/- रुपया थी, जिसके सापेक्ष न्यायालय द्वारा अन्तरिम आदेश के अनुसार कुल धनराशि रु0 3,33,239/- वादी द्वारा जमा कराया जाना अवशेष था । विपक्षी ने अपने लिखित तर्क में कहा है कि वादी द्वारा कोई धनराशि जमा नहीं की गयी जिसके फलस्वरूप दिनांक 12.06.2018 तक कुल लम्बित बिल धनराशि रु0 10,97,597.39 वादी को प्रेषित किया गया जिसके सापेक्ष न्यायालय के अन्तरिम आदेशानुसार कुल धनराशि 3,79,970/- रुपया वादी द्वारा जमा कराया जाना अवशेष था ।
विपक्षी ने अपनी लिखित बहस के प्रस्तर-5 में कहा है कि वादी द्वारा दिनांक 11.07.2018 को 1,00,000/- रुपया राजस्व के रूप में जमा किया गया, फलस्वरूप दिनांक 18.07.2018 तक कुल लम्बित धनराशि 10,52,112/- रुपया थी जिसके सापेक्ष न्यायालय के अंतरिम आदेश के अनुसार कुल धनराशि रु0 3,34,483/- रुपया वादी द्वारा जमा कराया जाना अवशेष था । इस प्रकार विपक्षी का कथंन है कि वादी द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर मुकदमा किया गया है और परिवादी पर धनराशि मु0 16,16,017.42 रुपया अवशेष निकलता है ।
परिवादी ने सूची पत्र दिनांकित 29.07.2024 के माध्यम से जमा रसीदों की मूल व Computerized रसीदें दाखिल की हैं जिसके खण्डन में विपक्षी की ओर से कई अवसर दिये जाने के बावजूद कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया है ।
इसके अतिरिक्त परिवादी की ओर से साक्ष्य शपथपत्र भी दाखिल किया गया है इसके खण्डन में विपक्षी की ओर से अवसर दिये जाने के बावजूद कोई साक्ष्य प्रतिशपथपत्र दाखिल नहीं किया गया है ।
इस प्रकार परिवादी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य शपथपत्र एवं दाखिल रसीदों के खण्डन में विपक्षी की ओर से कोई साक्ष्य प्रति शपथपत्र प्रस्तुत ना किये जाने के कारण परिवादी के साक्ष्य शपथपत्र पर अविश्वास किये जाने का कोई आधार नहीं है । परिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य शपथपत्र अखंडित रह जाता है । अतएव परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी अधिशाषी अभियन्ता, विधुत वितरण खण्ड पुखरायां, (जैनपुर) दक्षिणाचल विधुत वितरण निगम लिमिटेड, कानपुर देहात के विरुद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी विधुत विभाग को आदेशित किया जाता है कि परिवादी के विधुत संयोजन संख्या- 5501 / 003240 को तत्काल संयोजित करते हुये परिवादी को देय छूट प्रदान करते हुये, परिवादी द्वारा पूर्व में जमा धनराशि को समायोजित करते हुये रीडिंग के अनुसार अद्यतन विधुत बिल आदेश के दिनांक से एक माह के अन्दर परिवादी को प्राप्त कराये तथा परिवादी को हुयी आर्थिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय के एवज में 5,000/- (पाँच हज़ार) रुपया भी विपक्षी द्वारा परिवादी को अदा किया जाये ।
( सुश्री कुमकुम सिंह ) ( हरिश चन्द्र गौतम ) ( मुशीर अहमद अब्बासी )
म0 सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग
कानपुर देहात कानपुर देहात कानपुर देहात
प्रस्तुत निर्णय / आदेश हस्ताक्षरित एवं दिनांकित होकर खुले कक्ष में उद्घोषित किया गया ।
( सुश्री कुमकुम सिंह ) ( हरिश चन्द्र गौतम ) ( मुशीर अहमद अब्बासी )
म0 सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग
कानपुर देहात कानपुर देहात कानपुर देहात
दिनांक:- 27.11.2024
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