Uttar Pradesh

Kanpur Dehat

CC/53/2023

Sri Prakash - Complainant(s)

Versus

Executive Engineer, Southern Electricity Distribution Corporation Ltd. Rania, Kanpur Dehat - Opp.Party(s)

Narendra Mishra

13 Aug 2024

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर देहात ।

अध्यासीन:- श्री मुशीर अहमद अब्बासी..........................अध्यक्ष

   H.J.S.

          श्री हरिश चन्द्र गौतम ...............................सदस्य

          सुश्री कुमकुम सिंह .........................महिला सदस्य

 

उपभोक्ता परिवाद संख्या :- 53/2023

परिवाद दाखिला तिथि :- 07.06.2023

निर्णय दिनांक:-  13.08.2024

(निर्णय श्री मुशीर अहमद अब्बासी, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)

 

श्री प्रकाश पुत्र स्व0 अतर सिंह उम्र-47 वर्ष लगभग निवासी ग्राम बन्नाजाखा, पो0/ थाना अकबरपुर, तहसील अकबरपुर, जनपद कानपुर देहात ।

                                                 ..........................परिवादी

बनाम

1. श्रीमान अधिशाषी अभियन्ता, दक्षिणंचल वि0वि0नि0 लिमिटेड रनियाँ, कानपुर देहात ।

2. प्रबन्धक निदेशक, दक्षिणंचल वि0 वि0 निगम लि0 आगरा ।

3. श्रीमान जिलाधिकारी महोदय, कानपुर देहात ।

  1.  

निर्णय

     प्रस्तुत परिवाद परिवादी श्री प्रकाश की ओर से सशपथपत्र इस आशय का संस्थित किया गया है कि वादी के विरुद्ध प्रतिवादी नं0-1 व 2 द्वारा जारी मु0 78,342/- रुपया दौरान मुकदमा स्थगित किये जाने एवं सुनवाई के उपरान्त आर0सी0 निरस्त किये जाने का आदेश पारित किये जाने, वादी के संयोजन संख्या निल मीटर नं0 ए-57622147 में मीटर रीडिंग ग्रामीण संयोजन रेट के अनुसार बिल प्रदान किये जाने का आदेश प्रतिवादी नं0-1 को दिये जाने तथा 20,000/- रुपये जमा कराकर कनेक्शन जोड़े जाने का आदेश प्रतिवादी नं0-1 व 2 को दिये जाने, विधुत संयोजन विच्छेदित किये जाने पर परिवार के सभी सदस्यों को हुयी मानसिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति हेतु 80,000/- रुपये प्रतिवादी नं0-1 व 2 से दिलाये जाने तथा वाद व्यय मु0 10,000/- रुपया प्रतिवादी नं0-1 से दिलाये जाने हेतु दिनांक 07.06.2023 को योजित किया गया ।

     संक्षेप में परिवादी का कथन है कि, परिवादी कृषि कार्य करके अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है । वादी ने अपने आवासीय मकान में घरेलू विधुत संयोजन हेतु सरकार द्वारा चलायी जा रही ग्रामीण विधुत संयोजन योजना के अन्तर्गत ग्राम पंचायत अधिकारी के सहयोग से दिनांक 28.02.2015 को विधुत कनेक्शन प्राप्त करने के लिए प्रतिवादी नं0-1 के यहाँ जमा किया जिसकी रसीद सं0-29 व पुस्तक सं0 ए-629977 है । वादी द्वारा दिनांक 28.02.2015 को प्रतिवादी नं0-1 के यहाँ 330/- रुपये जमा किये जाने के उपरान्त कनेक्शन न प्रदान किये जाने पर प्रतिवादी नं0-1 के यहाँ व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क करता रहा, परिवादी ने दिनांक 28.06.2016 को रजिस्टर्ड डाक से प्रार्थना पत्र भेजा कि अभी तक आप द्वारा विधुत सप्लाई चालू नहीं की गयी जिस पर बमुश्किल दिनांक 21.11.2016 को प्रतिवादी नं0-1 के कर्मचारियों द्वारा वादी के आवासीय परिसर में मीटर स्थापित कर विधुत कनेक्शन की सप्लाई प्रारम्भ की गयी जिसमें स्वीकृत भार 1 किलोवाट बुक संख्या व संयोजन संख्या की जगह खाली मीटर नं0 57622147 है । विधुत संयोजन चालू होने के तीन महीने उपरान्त वादी ने उपखण्ड रुरा जाकर अपना बिल प्रदान किये जाने का निवेदन किया, वहाँ उपस्थित कर्मचारी ने बताया कि अभी आपका संयोजन संख्या व मीटर संख्या अंकित ही नहीं है, इस कारण हम बिल नहीं दे सकते । परिवादी द्वारा प्रतिवादी नं0-1 के यहाँ व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर एवं समय-समय पर लिखित रूप से प्रार्थना पत्र मीटर रीडिंग के अनुसार बिल प्रदान किये जाने हेतु दिये गये लेकिन प्रतिवादीगण द्वारा सेवा की कमी करते हुये कोई बिल प्रदान नहीं किया गया । प्रतिवादी नं0-1 द्वारा सितम्बर 2022 में खाता संख्या 781714396791 में संयोजन तिथि 28.02.2015 एवं विच्छेदन तिथि 26.09.22 उल्लिखित करते हुये 78,342/- रुपया का बिल भेजा गया, जिसके उपरान्त परिवादी ने प्रतिवादी के कार्यालय जाकर एक प्रार्थना पत्र इस आशय का दिया कि वादी के आवासीय परिसर पर लगे मीटर संख्या 57622147 में आयी रीडिंग में ग्रामीण रेट के अनुसार बिल प्रदान किये जाने का अनुरोध किया जो आज तक परिवादी को प्रदान नहीं किया गया, यह सेवा में भारी कमी है । परिवादी दिनांक 01.06.23 को उपखण्ड रुरा गया, वहाँ सहायक अभियन्ता से मिलकर सही बिल प्रदान किये जाने का निवेदन किया । दिनांक 02.06.2023 को प्रतिवादी नं0-1 के अधीनस्थ कर्मचारी वादी के ग्राम बन्नाजाखा आकर वादी के आवासीय परिसर में लगे विधुत कनेक्शन को विच्छेदित कर मीटर उखाड़ ले गये । विधुत अधिनियम के अन्तर्गत किसी भी उपभोक्ता का विधुत विच्छेदन करने पर विच्छेदन स्लिप दिया जाना नियमानुसार आवश्यक है साथ ही मीटर उखाड़ने पर तत्कालीन रीडिंग नोटकर नियमानुसार उपभोक्ता को प्रदान की जानी चाहिए वादी द्वारा लिखित रूप से माँगे जाने पर उसे नहीं प्रदान की गयी, यह प्रतिवादी नं0-1 के सेवा में भारी कमी है । इस सम्बन्ध में वादी द्वारा प्रतिवादी नं0-1 को रजिस्टर्ड डाक द्वारा दिनांक 05.06.2023 को पत्र प्रेषित किया गया । वादी को प्रतिवादी नं0-1 द्वारा कोई धारा-3 की नोटिस जारी नहीं की गयी और न ही आर0सी0 जारी होने के सम्बन्ध में कोई जानकारी दी गयी । वादी द्वारा दूरभाष पर स्थानीय अमीन से जानकारी करने पर ज्ञात हुआ कि वादी के विरुद्ध गलत नाम से जिसमें कोई संयोजन संख्या व बुक संख्या अंकित नहीं है, केवल 781914396791 दर्ज में 78,342/- रुपये की आर0सी0 जारी की गयी है । बिना कोई नोटिस दिये अथवा कारण बताये मनमाने ढंग से वादी के आवासीय परिसर में लगे घरेलू लाइट विधुत संयोजन को दिनांक 02.06.23 को विच्छेदित किया जाना सेवा में भारी कमी के अन्तर्गत आता है । वादी के यहाँ लगे विधुत संयोजन को वर्तमान परिस्थिति को दृष्टिगत रखते हुये जोड़े जाने का आदेश न्यायहित में पारित किया जाना आवश्यक है । परिवादी का परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाये ।

     परिवादी के परिवाद पत्र के उत्तर में विपक्षी संख्या-1 द्वारा जवाबदेही दाखिल की गयी । विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाबदेही में वाद पत्र की धारा-1 में कहे गये कथं में कुछ नहीं कहा है तथा धारा-2 में वर्णित कथंन को स्वीकार करते हुये यह कथंन  किया है कि वादी को दिनांक 28.02.2015 को विधुत संयोजन प्रदान किया गया था । जवाबदेही में परिवाद पत्र की धारा-3 में कहे गये कथंन को अस्वीकार करते हुये यह कथंन किया है कि परिवादी के विधुत संयोजन की दिनांक 28.02.2015 से ही विधुत सप्लाई चालू कर दी गयी थी एवं परिवादी विधुत का नियमित रूप से उपभोग कर रहा था । विपक्षी संख्या-1 ने अपनी जवाबदेही में परिवाद पत्र की धारा-4 में कहे गये कथंन को अस्वीकार करते हुये यह अभिकथंन किया है कि परिवादी के परिसर पर स्थापित मीटर खराब हो जाने के उपरान्त नया मीटर दिनांक 21.11.2016 मीटर संख्या 57622147 वादी के परिसर पर स्थापित किया गया एवं पुराने मीटर में रीडिंग 3509 प्रदर्शित हो रही थी एवं परिवाद पत्र की धारा-5 के कथंन को अस्वीकार करते हुये यह अभिकथंन किया है कि वादी को संयोजन संयोजित करने के उपरान्त मीटर में आयी खपत के अनुसार वादी को बिल प्रदान किया गया किन्तु वादी द्वारा कोई भी बिल भुगतान नहीं किया गया । परिवाद पत्र की धारा-6 को अस्वीकार करते हुये यह अभिकथंन किया है कि वादी द्वारा इस कार्यालय को लिखित रूप से प्रार्थना पत्र मीटर रीडिंग के अनुसार बिल प्रदान किये जाने हेतु कोई भी प्रार्थना पत्र इस कार्यालय को प्राप्त नहीं कराया गया । परिवाद पत्र की धारा-7 के कथन को स्वीकार करते हुये यह अभिकथंन किया है कि वादी को ससमय विधुत बिल निर्गत किये गये, वादी द्वारा अपना बकाया विधुत बिल जमा न करने की स्थिति में विभागीय नियमानुसार संयोजन पर बकाया होने के कारण डाटा क्लोनिंग के अन्तर्गत फोर्स पी0डी0 कर संयोजन बन्द कर दिया गया एवं आर0सी0 निर्गत करनी पड़ी जिसके लिए वादी स्वयं जिम्मेदार है । विपक्षी संख्या-1 ने अपनी जवाबदेही में परिवाद पत्र की धारा-8 में कहे गये कथंन बिल प्रेषित करना स्वीकार हैं एवं अन्य कथंन को अस्वीकार किया है तथा परिवाद पत्र की धारा-9 में कहे गये कथंन को अस्वीकार करते हुये यह अभिकथंन किया है कि वादी द्वारा कोई भी विधुत बिल जमा नहीं किया गया, वादी द्वारा पार्ट पेमेंट दिनांक 19.06.2023 को धनराशि रु0 15,000/- का भुगतान किया गया एवं वादी पर बकाया धनराशि 63,342/- रु0 का भुगतान कराना शेष है । जवाबदेही में परिवाद पत्र की धारा-10 के कथन को अस्वीकार करते हुये यह अभिकथंन किया है कि वादी नए मीटर में आयी खपत के अनुसार विधुत बिल जमा करना चाहता है एवं पुराने मीटर में आयी रीडिंग को छिपाना चाहता है तथा परिवाद पत्र की धारा-11 के कथन में संयोजन को विच्छेदित किया जाना स्वीकार किया है एवं अन्य कथंन को अस्वीकार किया है । परिवाद पत्र की धारा-12 के कथन को अस्वीकार करते हुये यह अभिकथंन किया है कि वादी द्वारा विच्छेदन स्लिप लिए जाने से मना कर दिया गया है तथा परिवाद पत्र की धारा-13, 14, 16, 17 व 18 के कथन को अस्वीकार किया गया है । परिवाद पत्र की धारा-15 के संदर्भ में यह अभिकथन किया है कि वादी द्वारा बकाया विधुत बिल जमा न करने की स्थिति में विभागीय नियमानुसार आर0सी0 जारी करनी पड़ी जिसके लिए वादी स्वयं जिम्मेदार है । प्रतिवादी संख्या-1 ने अपनी जवाबदेही के अंतिम प्रस्तर में यह प्रार्थना की है कि उक्त वाद को निरस्त करते हुये वादी पर बकाया विधुत बिल रु0 63,342/- रुपये जमा कराने के आदेश पारित किये जाने की याचना की है ।

     परिवादी ने वाद-पत्र के साथ प्रार्थना पत्र दिनांकित 07.06.2023 मय शपथपत्र दिनांकित 06.06.2023 दाखिल किया है ।

     परिवादी ने वाद-पत्र के समर्थन में दस्तावेजों की सूंची दिनांकित 07.06.2023 से परिवादी के नाम विधुत विभाग द्वारा जारी भुगतान रसीद मु0 330/- रु0 दिनांकित 28.02.15 की छायाप्रति, परिवादी द्वारा विधुत सब स्टेशन रुरा कानपुर देहात को प्रेषित पत्र की छायाप्रति, परिवादी के नाम जारी मीटर सीलिंग प्रमाणपत्र दिनांकित 21.11.2016 की छायाप्रति, परिवादी द्वारा विधुत सब स्टेशन रुरा कानपुर देहात को प्रेषित पत्र दिनांकित 19.08.2018 की छायाप्रति, विधुत बिल मु0 78,342/- रु0 दिनांकित 11.09.2022 की छायाप्रति, प्रपत्र-2 नं0- 3198 दिनांकित 04.01.2023 बावत बकाया धनराशि 78,342/- रुपया की छायाप्रति, परिवादी द्वारा अधिशाषी अभियन्ता रनियाँ कानपुर देहात को प्रेषित पत्र दिनांकित 03.06.2023 की छायाप्रति व परिवादी श्री प्रकाश के आधार कार्ड की छायाप्रति साक्ष्य में दाखिल की है ।

     परिवादी की ओर से परिवाद पत्र में वर्णित कथनों के समर्थन में स्वयं परिवादी श्री प्रकाश द्वारा साक्ष्य शपथपत्र दिनांकित 11.12.2023 पत्रावली पर दाखिल किया गया है। परिवादी ने अपने शपथपत्र के साथ भुगतान पावती मु0 15,000/- दिनांकित 19.06.2023 की Computerized प्रति भी दाखिल की है । इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा तीन अन्य शपथपत्र दिनांकित 05.07.2023, 25.07.2023 व 10.04.2024 भी पत्रावली पर दाखिल किया गया है ।

     परिवादी द्वारा दस्तावेजों की सूची दिनांकित 19.06.2024 के साथ प्रतिवादी संख्या-1 अधिशाषी अभियन्ता विधुत वितरण खण्ड रनियाँ कानपुर देहात से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत प्राप्त सूचना से संबंधित प्रपत्र पत्रांक 285 दिनांकित 18.01.2024 व पत्र संख्या-162 दिनांकित 11.01.24 की प्रति पत्रावली पर दाखिल की गयी है ।

     प्रतिवादी संख्या-1 की ओर से जवाबदेही के समर्थन में श्री सुमित व्यास पुत्र श्री सीता शरन व्यास अधिशाषी अभियन्ता विधुत वितरण खण्ड रनियाँ कानपुर देहात द्वारा साक्ष्य शपथपत्र दिनांक 04.03.2024 को मय पहचान पत्र पत्रावली पर दाखिल किया गया । इसके अतिरिक्त प्रतिवादी संख्या-1 की ओर से प्रपत्र दिनांकित 12.07.2023 के माध्यम से विच्छेदन आख्या दिनांकित 04.11.22 की छायाप्रति पत्रावली पर दाखिल की गयी है ।

     परिवादी व प्रतिवादी संख्या-1 की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता/ पैरोकार द्वारा लिखित बहस पत्रावली पर प्रस्तुत की गयी ।

     मैंने उभयपक्षों की मौखिक बहस सुनी तथा उभयपक्षों की ओर से दाखिल लिखित बहस तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का सम्यक परिशीलन किया ।

     प्रस्तुत मामले में परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 अधिशाषी अभियन्ता विधुत वितरण खण्ड रनियाँ कानपुर देहात द्वारा जारी विधुत बिल 78,342/- रुपये को स्थगित किये जाने तथा इस सम्बन्ध में जारी आर0सी0 को निरस्त किये जाने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया है । इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी को दिनांक 28.02.2015 को विधुत संयोजन प्रदान किया गया और उसी समय से परिवादी को 1 किलोवाट का कनेक्शन प्रदान किया गया जिसका परिवादी नियमित रूप से उपभोग करता रहा । विपक्षी की ओर से यह भी अभिकथन किया गया है कि परिवादी के परिसर पर मीटर भी स्थापित कर दिया गया था, मीटर खराब होने पर नया मीटर दिनांक 31.11.2016 को मीटर संख्या-57622147 वादी के परिसर पर स्थापित किया गया एवं पुराने मीटर में परिवादी द्वारा उपभोग की गयी रीडिंग 3509 प्रदर्शित हो रही थी । परिवादी ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ करके बकाया विधुत बिल को कम से कम धनराशि जमा करने के लिये परिवाद प्रस्तुत किया है । इस प्रकार परिवादी का परिवाद पत्र की धारा-4 व 5 में यह अभिकथन कि उसने दिनांक 31.11.2016 को स्थापित किये गये मीटर व विधुत संयोजन चालू होने के तीन माह बाद उपखण्ड अधिकारी कार्यालय रुरा  जाकर बिल प्रदान किये जाने के निवेदन किया लेकिन उसे बिल प्राप्त नहीं हुआ जबकि विपक्षीगण का यह अभिकथन है कि वादी का संयोजन करने के उपरान्त मीटर में उसकी रीडिंग की खपत के अनुसार ससमय बिल प्रदान किये गये किन्तु वर्ष 2015 से कोई बिल जमा नहीं किया गया ।

     परिवादी द्वारा विधुत बिल जमा न किये जाने की स्थिति में विभागीय नियमानुसार संयोजन पर बकाया होने के कारण डाटा क्लोनिंग के अन्तर्गत फोर्स पी0डी0 कर संयोजन को बन्द कर दिया गया एवं विभागीय नियमानुसार आर0सी0 निर्गत करनी पड़ी जिसके लिये वादी स्वयं जिम्मेदार है । ऐसी स्थिति में परिवादी के विरुद्ध जारी आर0सी0 को इस न्यायालय द्वारा स्थगित किये जाने या खारिज किये जाने के कोई आधार नहीं है ।

     विपक्षी का यह भी तर्क है कि परिवादी के परिसर में लगे नये मीटर में ग्रामीण टैरिफ के अनुसार ही मीटर में मीटर संख्या 57622147 में आयी रीडिंग के अनुसार ही बिल प्रेषित किया गया । पुराने मीटर के अनुसार रीडिंग 3509 थी और नये मीटर में आयी खपत के अनुसार परिवादी पर बकाया धनराशि 78,342/- रुपया बकाया थी । विभागीय नियमानुसार विधुत बिल जमा न किये जाने पर दिनांक 04.11.2022 को फोर्स पी0डी0 कर दी गयी । इसके उपरान्त परिवादी ने वर्ष 2023 में परिवाद दाखिल किया । परिवादी द्वारा पार्ट पेमेंट दिनांक 19.06.2023 को 15,000/- रुपये का भुगतान किया गया और वादी पर बकाया धनराशि 63,342/- रुपये का भुगतान किया जाना शेष है । परिवादी द्वारा प्रस्तुत वाद के माध्यम से तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर एवं पुराने मीटर में आयी रीडिंग को छुपाया जा रहा है ताकि उसका बिल न जमा करना पड़े, परिवादी नये मीटर में आयी रीडिंग के अनुसार बिल जमा करना चाहता है । फोर्स पी0डी0 हो जाने की स्थिति में संयोजन को संयोजित किया जाना विभागीय नियमानुसार सम्भव नहीं है क्योंकि संयोजन दिनांक 04.11.2022 को विभागीय नियमानुसार फोर्स पी0डी0 कर दिया गया था और इसके उपरान्त आर0सी0 जारी करनी पड़ी

     परिवादी के उक्त संयोजन पर विधुत बिल बकाया होने के उपरान्त डाटा क्लोनिंग के अन्तर्गत पी0डी0 करते हुये संयोजन दिनांक 04.11.2022 को बन्द कर दिया गया एवं बकाया धनराशि 63,342/- रुपये जमा करने के उपरान्त ही परिवादी का संयोजन, संयोजित किया जा सकता है । विपक्षीगण का यह भी तर्क है कि वादी ने 7 वर्षों तक निरन्तर विधुत उपभोग किया इसके उपरान्त भी कोई भी विधुत बिल जमा नहीं किया, इस कारण परिवादी कोई भी अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है । विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी किया जाना नहीं पाया जाता है

     इसके अतिरिक्त जहाँ तक परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी की ओर से दाखिल सूचना के अधिकार के अन्तर्गत प्रस्तुत सूचना एवं विधुत विभाग की नियमावली के अनुसार फोर्स पी0डी0 किये जाने के पश्चात फिक्स चार्ज के रूप में वसूली की जानी चाहिये किन्तु इसके खण्डन में विपक्षी का यह तर्क है कि वादी को ससमय विधुत बिल निर्गत किये गये किन्तु वादी द्वारा कोई भी विधुत बिल जमा नहीं किया गया । इस प्रकार वादी द्वारा अपना बकाया विधुत बिल जमा ना करने की स्थिति में विभागीय नियमानुसार संयोजन पर बकाया होने के कारण डाटा क्लोजिंग के अन्तर्गत फोर्स पी0डी0 कर संयोजन बन्द कर दिया गया एवं विभागीय नियमानुसार आर0सी0 निर्गत करनी पड़ी ।

     परिवादी द्वारा परिवाद पत्र की धारा-8 में उल्लिखित यह अभिकथन गलत है कि मीटर संख्या- 57622147 में ग्रामीण रेट के अनुसार बिल नहीं प्रदान किया गया है । परिवादी की ओर से अपने लिखित कथन में, विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी बताकर 78,342/- रुपये की आर0सी0 जारी की गयी जबकि नियमानुसार आर0सी0 जारी किये जाने के पूर्व धारा-3 के अन्तर्गत नोटिस जारी की जानी चाहिये थी जबकि इस सम्बन्ध में विपक्षीगण का तर्क है कि लगभग 7 वर्षों तक परिवादी द्वारा विधुत का उपभोग किया गया और कोई बिल न जमा किये जाने के कारण जारी आर0सी0 में सेवा की कमी किया जाना प्रतीत नहीं होता है ।

     परिवादी की ओर से पूर्ण भुगतान/ आंशिक भुगतान के सम्बन्ध में तीन रसीदों की छायाप्रति दाखिल की गयी हैं जिसमें उपभोक्ता का नाम आबिद हुसैन अंकित है जो कि परिवादी से सम्बन्धित नहीं है । विपक्षी की ओर से साक्ष्य शपथपत्र श्री सुमित व्यास अधिशाषी अभियन्ता विधुत वितरण खण्ड रनियाँ का दाखिल किया गया है । इसके खण्डन में परिवादी श्री प्रकाश की ओर से दाखिल शपथपत्र का भी सम्यक अवलोकन किया ।

     पत्रावली पर उपलब्ध उभयपक्षों के अभिवचनों, साक्ष्य शपथपत्र एवं लिखित बहस का सम्यक परिशीलन किये जाने से यह विदित होता है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी की सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है । परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध खारिज किये जाने योग्य है ।

आदेश

     परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध खारिज किया जाता है । पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करें ।

 

              ( सुश्री कुमकुम सिंह )       ( हरिश चन्द्र गौतम )        ( मुशीर अहमद अब्बासी )

                     म0 सदस्य                          सदस्य                                अध्यक्ष

           जिला उपभोक्ता आयोग      जिला उपभोक्ता आयोग       जिला उपभोक्ता आयोग

                  कानपुर देहात                    कानपुर देहात                     कानपुर देहात

    

     प्रस्तुत निर्णय / आदेश हस्ताक्षरित एवं दिनांकित होकर खुले कक्ष में उद्घोषित किया गया ।

 

               ( सुश्री कुमकुम सिंह )       ( हरिश चन्द्र गौतम )        ( मुशीर अहमद अब्बासी )

                     म0 सदस्य                          सदस्य                                अध्यक्ष

            जिला उपभोक्ता आयोग      जिला उपभोक्ता आयोग       जिला उपभोक्ता आयोग

                  कानपुर देहात                    कानपुर देहात                     कानपुर देहात

दिनांक:- 13.08.2024

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