Ghanshyam Yadav filed a consumer case on 03 Mar 2015 against Executive Engineer, PHED in the Kota Consumer Court. The case no is CC/142/2010 and the judgment uploaded on 25 Mar 2015.
न्यायालय, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा (राज)।
पीठासीनः श्री एम. अनवर आलम, अध्यक्ष व श्रीमति हेमलताभार्गव सदस्या।
प्रकरण संख्या-142/2010
घनष्याम दास पुत्र स्व0 श्री भगवान दास,जाति सिंधि उम्र 47 साल निवासी मकान नं. 19 ए केषवपुरा द्वितीय कोटा राजस्थान। -परिवादी।
बनाम
01. अधीक्षण अभियन्ता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, प्रताप नगर, कोटा, राजस्थान।
02. सहायक अभियन्ता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग,महावीर नगर, कोटा, राजस्थान।
-विपक्षी।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1-अधिवक्ता ओर से परिवादी हरिमोहन राजदान।
2-अधिवक्ता ओर से विपक्षीगण श्री षंभूदयाल विजय।
निर्णय दिनांक 03-03-2015
(1) प्रस्तुत परिवाद दिनांक 01/02/2010 को परिवादी ने इन अभिकथनों के साथ पेष किया है कि उसने विपक्षीगण से जल कनेक्षन हेतु आवेदन कर 822/- रूपये दिनांक 24.03.09 को जमा कर रसीद प्राप्त कीथसी। परन्तु बावजूद कई तकाजे एचं आष्वासन एचं नोटिस दिलवाये जाने के बाद भी कनेक्षन नहीं किया गया। अतः प्रार्थना की गई है कि परिवादी को जल कनेक्षन, मांसिक संताप प्रतिकर राषि तथा खर्चा मुकदमा दिलवाया जावे।
(2) विपक्षी ने जवाब पेष कर परिवादी द्वारा जल कनेक्षन हेतु विभाग में राषि जमा करने के तथ्य को स्वीकार किया है एचं विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जवाब में परिवादी की माता को उसके आवास में जल कनेक्षन दिये जाने के तथ्य को स्वीकार किया है एवं अन्य तथ्यों को जानकारी के अभाव में अस्वीकार करते हुए स्पश्ट किया है कि परिवादी ने जल कनेक्षन विच्छेदित करने हेतु कोई आवेदन नहीं किया न ही जल कनेक्षन को विच्छेद करने से पूर्व बकाया बिलों की रािष जमा करवायी। परिवादी ने दिनंाक 28-11-2010 को 5,000/-रूपये, दिनंाक 03-09-2012 को 31,044/-रूपये की राषि जमा करवायी एवं बकाया राषि जमा करवाने का उसने आष्वासन दिया था तथा परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है, विपक्षी की उपभोक्ता श्रीमति कंचन वाई है। अतएव परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
(3) परिवादी ने स्वयं का षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग्च्.1 लगायत म्ग्च्.31 दस्तावेजात प्रस्तुत किये हैं तथा विपक्षीगण की ओर से जवाब के समर्थन में किसी का षपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है परन्तु प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग्क्.1 लगायत म्ग्क्.4 दस्तावेजात प्रस्तुत किये हैं।
(4) उभय पक्षों की बहस सुनी गई एवं प्रस्तुत षपथपत्र,दस्तावेजीं साक्ष्य एवं पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामले में मुख्य विचारणीय बिन्दु यह है कि -
1 क्या परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है तथा विपक्षी ने जल कनेक्षन विच्छेद नहीं करते हुए 20 वर्शों की बकाया राषि की माँग कर अनुचित कृत्य करते हुए सेवामें कमी की है ?
2 अनुतोश ?
(5) उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत तर्कों,दस्तावेजी साक्ष्य,षपथपत्र एवं पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामले में परिवादी की माता कंचन वाई का उपभोक्ता होना एवं परिवादी का कंचन वाई का पुत्र होना स्वीकृत तथ्य है। चूंकि परिवादी कंचन वाई का पुत्र है एवं वह भी विपक्षी द्वारा प्रदान की गई सेवाओं का उपभोग कर रहा है, अतः वह भी उपभोक्ता की परिधि में आता है। परिवादी की ओर से ऐसी कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेष नहीं की गई है जिससे कि उसके द्वारा जल कनेक्षन की बकाया राषि जमा कराते हुए जल कनेक्षन को विच्छेद करने का प्रार्थना पत्र दिया जाना साबित होता है। परिवादी ने उसके स्वयं के षपथ पत्र में तथ्य उल्लेखित किया है कि उसने विपक्षी से उसकी माता के कनेक्षन को विच्छेद करने बाबत् अवगत करा दिया था, हमारे विनम्र मत में उक्त षपथ पत्र में अवगत कराने का तथ्य यह साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं है कि परिवादी ने विगत बिलों के भुगतान करते हुए विपक्षी को जल कनेक्षन विच्छेद करने का आवेदन पत्र प्रस्तुत किया था और जल कनेक्षन षुल्क व देय राषि का भुगतान किया था जिसके अभाव में विपक्षी की ओर से सेवामें कमी किया जाना साबित नहीं होता है। दौराने तर्क परिवादी की ओर से उठाई गई आपत्ति कि विपक्षी के बिलों की पुष्त पर जो सूचनाऐं दी गई हैं कि उसकी सूचना संख्या-9 के अनुसार चार माह की अवधि बकाया राषि पर बिना सूचना के विभाग द्वारा जल संबंध विच्छेद किया जायेगा जिसका चालू माह के बिल तिथि से कोई सम्बन्ध नहीं होगा, यह सूचना आज्ञात्मक सूचना नहीं है तथा यह तथ्य सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि विपक्षी ने सेवामें कोई कमी की है। परिणामतः प्रस्तुत परिवाद में परिवादी विपक्षी की सेवामें कमी को सिद्ध करने में सफल नहीं हुआ है एवं प्रस्तुत परिवाद परिवादी खारिज किये जाने योग्य है। मामले के तथ्यों को दृश्टिगत रखते हुए उभय पक्ष अपना अपना खर्चा वहन करने योग्य हैं।
आदेष
(6) परिणामतः परिवाद परिवादी श्री नरेन्द्र पाटनी खारिज किया जाता है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए पक्षकारान अपना अपना खर्चा वहन करेंगे।
(श्रीमति हेमलता भार्गव) (मोहम्मद अनवर आलम)
सदस्य अध्यक्ष
(7) निर्णय आज दिनंाक 13-05-2014 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(श्रीमति हेमलता भार्गव) (मोहम्मद अनवर आलम)
सदस्य अध्यक्ष
न्यायालय, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा (राज)।
पीठासीनः श्री एम. अनवर आलम,अध्यक्ष,श्रीमति हेमलताभार्गव व श्री महावीर तंवर सदस्यगण।
प्रकरण संख्या-142/2010
घनष्याम दास पुत्र श्री भगवान दास, निवासी-मकान नं0 19 ए केषवपुरा द्वितीय,कोटा (राज0)।
-परिवादी।
बनाम
1 अधीक्षण अभियन्ता,जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग वितरण प्रताप नगर,कोटा (राज0)।
2 सहायक अभियन्ता,जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग वितरण महावीर नगर,कोटा, (राज0)।
-विपक्षीगण।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1-श्री हरिमोहन राजदान अधिवक्ता ओर से परिवादी।
2-श्री सत्यप्रकाष मिश्रा अधिवक्ता ओर से विपक्षीगण।
निर्णय दिनांक 03.03.2015
(1) प्रस्तुत परिवाद दिनांक 05/02/2013 को परिवादी ने इन अभिकथनों के साथ पेष किया है कि उसके पाटनी हाउस, नयापुरा, कोटा, में उसकी माता कंचन वाई के नाम विपक्षी से घरेलू कनेक्षन प्राप्त किया हुआ है जिसका खाता संख्या-41666 कोड नंबर 12816 कुंजी संख्या 9-3-52 है। विगत 20 वर्शों से परिवादी उक्त मकान में नहीं रह रहा था इसलिए उक्त कनेक्षन को विच्छेद करने हेतु उसने मौखिक व लिखित में प्रार्थना पत्र पेष किया। वर्तमान में वह अपने उक्त आवास में निवास करने आया था और विपक्षी का नवम्बर- दिसम्बर 2011 का पानी का बिल 74,824/-रूपये प्राप्त हुआ, जिस पर उसने आपत्ति की। विपक्षी ने गत 20 वर्शों से औसत बिल के आधार पर तथा उस पर ब्याज व पेनल्टि जोडते हुए अन्तिम बिल दिसम्बर 2012 का 82,362/-रूपये का प्रेशित किया। परिवादी उक्त बिल की अदाएगी हेतु उत्तरदायी नहीं है क्योंकि उसने पानी का उपभोग नहीं किया है। विपक्षी ने बावजूद सूचना उसके कनेक्षन को विच्छेदित नहीं किया है और सेवादोश कारित किया है तथा अनुचित बिल राषि की माँग की है। अतः प्रार्थना की गई है कि विपक्षी के उक्त दिसम्बर 2012 के बिल की राषि 82,362/-रूपये को निरस्त किया जाये एवं परिवादी को हुए मानसिक संताप के प्रतिकर सहित खर्चा मुकदमा दिलाया जाये।
(2) विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जवाब में परिवादी की माता को उसके आवास में जल कनेक्षन दिये जाने के तथ्य को स्वीकार किया है एवं अन्य तथ्यों को जानकारी के अभाव में अस्वीकार करते हुए स्पश्ट किया है कि परिवादी ने जल कनेक्षन विच्छेदित करने हेतु कोई आवेदन नहीं किया न ही जल कनेक्षन को विच्छेद करने से पूर्व बकाया बिलों की रािष जमा करवायी। परिवादी ने दिनंाक 28-11-2010 को 5,000/-रूपये, दिनंाक 03-09-2012 को 31,044/-रूपये की राषि जमा करवायी एवं बकाया राषि जमा करवाने का उसने आष्वासन दिया था तथा परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है, विपक्षी की उपभोक्ता श्रीमति कंचन वाई है। अतएव परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
(3) परिवादी ने स्वयं का षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग्च्.1 लगायत म्ग्च्.31 दस्तावेजात प्रस्तुत किये हैं तथा विपक्षीगण की ओर से जवाब के समर्थन में किसी का षपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है परन्तु प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग्क्.1 लगायत म्ग्क्.4 दस्तावेजात प्रस्तुत किये हैं।
(4) उभय पक्षों की बहस सुनी गई एवं प्रस्तुत षपथपत्र,दस्तावेजीं साक्ष्य एवं पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामले में मुख्य विचारणीय बिन्दु यह है कि -
3 क्या परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है तथा विपक्षी ने जल कनेक्षन विच्छेद नहीं करते हुए 20 वर्शों की बकाया राषि की माँग कर अनुचित कृत्य करते हुए सेवामें कमी की है ?
4 अनुतोश ?
(5) उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत तर्कों,दस्तावेजी साक्ष्य,षपथपत्र एवं पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामले में परिवादी की माता कंचन वाई का उपभोक्ता होना एवं परिवादी का कंचन वाई का पुत्र होना स्वीकृत तथ्य है। चूंकि परिवादी कंचन वाई का पुत्र है एवं वह भी विपक्षी द्वारा प्रदान की गई सेवाओं का उपभोग कर रहा है, अतः वह भी उपभोक्ता की परिधि में आता है। परिवादी की ओर से ऐसी कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेष नहीं की गई है जिससे कि उसके द्वारा जल कनेक्षन की बकाया राषि जमा कराते हुए जल कनेक्षन को विच्छेद करने का प्रार्थना पत्र दिया जाना साबित होता है। परिवादी ने उसके स्वयं के षपथ पत्र में तथ्य उल्लेखित किया है कि उसने विपक्षी से उसकी माता के कनेक्षन को विच्छेद करने बाबत् अवगत करा दिया था, हमारे विनम्र मत में उक्त षपथ पत्र में अवगत कराने का तथ्य यह साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं है कि परिवादी ने विगत बिलों के भुगतान करते हुए विपक्षी को जल कनेक्षन विच्छेद करने का आवेदन पत्र प्रस्तुत किया था और जल कनेक्षन षुल्क व देय राषि का भुगतान किया था जिसके अभाव में विपक्षी की ओर से सेवामें कमी किया जाना साबित नहीं होता है। दौराने तर्क परिवादी की ओर से उठाई गई आपत्ति कि विपक्षी के बिलों की पुष्त पर जो सूचनाऐं दी गई हैं कि उसकी सूचना संख्या-9 के अनुसार चार माह की अवधि बकाया राषि पर बिना सूचना के विभाग द्वारा जल संबंध विच्छेद किया जायेगा जिसका चालू माह के बिल तिथि से कोई सम्बन्ध नहीं होगा, यह सूचना आज्ञात्मक सूचना नहीं है तथा यह तथ्य सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि विपक्षी ने सेवामें कोई कमी की है। परिणामतः प्रस्तुत परिवाद में परिवादी विपक्षी की सेवामें कमी को सिद्ध करने में सफल नहीं हुआ है एवं प्रस्तुत परिवाद परिवादी खारिज किये जाने योग्य है। मामले के तथ्यों को दृश्टिगत रखते हुए उभय पक्ष अपना अपना खर्चा वहन करने योग्य हैं।
आदेष
(6) परिणामतः परिवाद परिवादी श्री घनष्याम दास खारिज किया जाता है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए पक्षकारान अपना अपना खर्चा वहन करेंगे।
(महावीर तंवर) (श्रीमति हेमलता भार्गव) (मोहम्मद अनवर आलम)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
(7) निर्णय आज दिनंाक 03.03.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(महावीर तंवर) (श्रीमति हेमलता भार्गव) (मोहम्मद अनवर आलम)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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