Final Order / Judgement | दायरे का दिनांक: 17.03.2005 दर्ज किये जाने का दिनांक: 18.03.2005 निर्णय का दिनांक: 03.05.2017 न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-।।, मुरादाबाद। उपस्थित:- - श्री पवन कुमार जैन .............. अध्यक्ष।
- श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ...... सामान्य सदस्य।
परिवाद संख्या- 95/2005 करम इलाही पुत्र श्री अनवार इलाही निवासी मौहल्ला पक्की सराय थाना गल्शहीद तहसील व जिला मुरादाबाद महानगर। .......परिवादी। बनाम - अधिशासी अभियन्ता वि|qत नगरीय वितरण खण्ड प्रथम मुरादाबाद पश्चिमांचल उत्तर प्रदेश।
- उपखण्ड अधिकारी f}तीय वि|qत नगरीय उपखण्ड सीतापुरी मुरादाबाद।
- तहसीलदार सदर, मुरादाबाद। .......विपक्षीगण।
निर्णय द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि उसे डिमांड नोटिस दिनांक 8/6/2004 में उल्लिखित धनराशि निरस्त करके नियमानुसार बिल जारी किया जाऐ। परिवादी ने बिल दिनांक 25/8/2000 अंकन 21713/- रूपया को भी निरस्त किऐ जाने की प्रार्थना की और अनुरोध किया कि उसकी ओर निकलने वाली राशि उसे आसान किश्तों में अदा करने की सुविधा प्रदान की जाऐ। क्षतिपूर्ति तथा परिवाद व्यय परिवादी ने अतिरिक्त मांगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी के आवास पर 2 कि0वाट क्षमता का एक वि|qत कनेक्शन सं0-98453 लगा हुआ है जिसकी बुक संख्या- 8481 है। यह कि परिवादी का कनेक्शन दिनांक 20/5/2003 को स्थाई रूप से काटा गया, उस समय नोटिस के अनुसार मीटर रीडिंग 4561 दर्शाई गई थी। कनेक्शन पी0डी0 होने से पूर्व परिवादी बिजली के बिल नियमानुसार जमा करता रहा उसे दिनांक 25/8/2000 की तारीख का 21713/- रूपये का बिल प्राप्त हुआ। उससे पूर्व फरवरी, 2000 में विपक्षीगण के कर्मचारी मीटर उखाड़ कर ले गऐ थे और परिवादी से यह कहकर गऐ थे कि दूसरा मीटर लगाऐगें, किन्तु उन्होंने दूसरा मीटर आज तक नहीं लगाया। परिवादी के अनुसार दिनांक 25/8/2000 की तारीख का 21713/-रूपया का उसे जो बिल भेजा गया वह गलत है और निराधार है। बिल में मीटर रीडिंग 4561 होना भी गलत लिखी हुई है। परिवादी के अनुसार उसे दिनांक 8/6/2004 का एक नोटिस प्राप्त हुआ जिसमें विच्छेदन की तिथि गलत तरीके से 30/3/2003 दर्शाई गई है। इस डिमांड नोटिस दिनांकित 8/6/2004 में परिवादी के विरूद्ध 1,01,060/-रूपये की डिमांड गलत एवं निराधार है। परिवादी का कनेक्शन दिनांक 20/5/2003 को काटा गया था जिसकी रसीद उसने बड़ी मुश्किल से विपक्षीगण के कार्यालय से ली। परिवादी ने यह कहते हुऐ कि बार-बार अनुरोध के बावजूद उसके विरूद्ध गलत तरीके से जारी आर0सी0 को न तो वापिस लिया गया और न ही गलत तरीके से भेजे गऐ बिलों को सही किया गया, उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी द्वारा शपथ कागज सं0-3/4 लगायत 3/6 दाखिल किया गया। उसने बिल दिनांकित 25/8/2000 अंकन 21713/-रूपया, परमानेन्ट डिसकनेक्शन के मीटर सीलिंग सर्टिफिकेट तथा परिवादी के विरूद्ध 1,01,060/-रूपये की धनराशि के डिमांड नोटिस दिनांकित 8/6/2004 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/8 लगायत 3/10 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-7/1 लगायत 7/4 दाखिल किया गया जिसमें यह तो स्वीकार किया गया परिवादी परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित वि|qत कनेक्शन का उपभोक्ता था, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्तर कहा गया कि परिवादी को सही बिल भेजे गऐ। पी0डी0 फाइनल करते समय विच्छेदन की तिथि को ही स्थाई विच्छेदन की तिथि मानते हुऐ पी0डी0 फाइनल की गई। परिवादी की ओर 1,13,120/- रूपया बिजली बिलों का बकाया है जिसे अदा करने का वह जिम्मेदार है। विशेष कथनों में कहा गया कि परिवाद के साथ परिवादी ने बिजली के बिल के भुगतान की कोई रसीद दाखिल नहीं की। वास्तविकता यह है कि परिवादी ने प्रश्नगत कनेक्शन के सापेक्ष किसी भी बिल का भुगतान नहीं किया। परिवादी का मीटर माह सितम्बर,1997 में जल गया था जिस कारण उसकी मीटर रीडिंग नहीं आई। उत्तरदाता विपक्षीगण ने ऐवरेज के आधार पर बिल बनाऐ। परिवादी का अस्थाई वि|qत विच्छेदन दिनांक 30/3/2003 को हुआ था। कनेक्शन का मीटर दिनांक 20/5/2003 को उतारा गया और दिनांक 8/6/2004 से परिवादी की पी0डी0 फाइनल की गई उसी अनुरूप परिवादी के विरूद्ध 1,13,120/- रूपया का वि|qत बिल बकाया है। परिवादी को नियमानुसार डिमांड नोटिस दिया गया था, किन्तु उसने उसे जमा नहीं किया ऐसी स्थिति में परिवाद पोषणीय नहीं है। अग्रेत्त्र यह कहते हुऐ कि परिवाद टाइमवार्ड है परिवाद को विशेष व्यय सहित खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- प्रतिवाद पत्र के साथ दिनांक 12/12/1993 से माह मार्च, 2003 तक की अवधि के बिलिंग स्टेटमेंट को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया, यह संलग्नक पत्रावली का कागज सं0-7/5 लगायत 7/6 है।
- परिवादी ने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-21/1 लगायत 21/4 दाखिल किया। विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता श्री अनिल कुमार का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-22/1 लगायत 22/3 दाखिल हुआ जिसके साथ परिवादी के कनेक्शन का माह दिसम्बर,1993 से माह मार्च, 2003 तक के बिलिंग स्टेंटमेंट की नकल बतौर संलग्नक दाखिल की गई।
- प्रत्युत्तर में परिवादी ने प्रत्युत्तर साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-23/1 लगायत 23/3 दाखिल किया उसने अपने साक्ष्य के रूप में अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-26/1 लगायत 26/2 को भी दाखिल किया।
- किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
- इस मामले में बहस हेतु दिनांक 25/4/2017 की तिथि निर्धारित थी। काफी इन्तजार के बाद भी परिवादी के विद्वान अधिवक्ता बहस हेतु उपस्थित नहीं हुऐ। परिवादी स्वयं उपस्थित थे। विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता भी उपस्थित थे। परिवाद वर्ष 2005 का है।
- हमने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य सामग्री और अभिलेखों का अवलोकन किया और निर्णय हेतु दिनांक 3/5/2017 की तिथि निर्धारित कर दी। निर्णय की तिथि निर्धारित करने के साथ ही साथ हमने परिवादी को यह अवसर दिया कि उसके अधिवक्ता यदि चाहें तो दिनांक 26/4/2017 को उपस्थित होकर फोरम के समक्ष अपना पक्ष रख सकते है, किन्तु दिनांक 26/4/2017 को भी वे बहस हेतु उपस्थित नहीं हुऐ।
- परिवादी द्वारा दाखिल कार्यालय ज्ञापन की नकल कागज सं0-3/10 के अनुसार परिवादी का कनेक्शन दिनांक 30/3/2003 को काटा गया था। उसकी वि|qत लाइन और मीटर दिनांक 20/5/2003 को हटाऐ गऐ, अनुबन्ध समाप्ति की तिथि इस कार्यालय ज्ञापन में दिनांक 30/3/2003 दर्शाई गयी है। परिवादी के अनुसार इस कार्यालय ज्ञापन में दर्शाई गई विच्छेदन तिथि गलत दर्शाई गई है, किन्तु उसमें यह कहीं भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि उसके अनुसार उसके कनेक्शन की सही विच्छेदन तिथि क्या है। कार्यालय ज्ञापन के अनुसार परिवादी की पी0डी0 दिनांक 30/5/2003 को हुई थी। परिवादी ने परिवाद पत्र में यधपि यह कहा है कि पी0डी0 से पूर्व नियमानुसार वह बिजली के बिल जमा करता रहा है, किन्तु परिवादी ने बिजली के बिल जमा करने की एक भी रसीद पत्रावली में दाखिल नहीं की। बिजली विभाग ने जब अपने प्रतिवाद पत्र में यह कथन किया है कि परिवादी ने बिजली का कोई बिल जमा ही नहीं किया है तो परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-25 के पैरा सं0-6 में यह कहकर कि बिजली के बिलों के भुगतान की रसीद उसके कमरे में आग लगने से नष्ट हो गई, अपने इस कथन को Justify करने का असफल प्रयास किया कि पी0डी0 से पूर्व वह नियमित रूप से बिल जमा करता रहा था। यदि वास्तव में परिवादी के कमरे में आग लगने की वजह से भुगतान की कथित रसीदें जल गई थी तो परिवादी आर0टी0आई0 के अधीन बिजली के बिलों के भुगतान का विवरण प्राप्त कर सकता था, किन्तु परिवादी ने आज तक भी ऐसा नहीं किया। परिवादी का यह कथन स्वकार किऐ जाने योग्य नहीं है कि कमरे में आग लग जाने की वजह से उसके द्वारा बिलों के भुगतान की रसीदें जल गई थीं। यहॉं यह भी उल्लेख करना समीचीन होगा कि यदि यह बात सही है कि रसीदें आग लगने से जल गई थी तो इन तथ्यों को परिवादी परिवाद में ही कहकर आता, किन्तु ऐसा नहीं किया। परिवादी यह भी दिखाने में असफल रहा कि यदि उसने पी0डी0 से पूर्व बिलों का भुगतान किया कर दिया था तब विपक्षीगण बिलिंग स्टेटमेट में उसकी ओर माह दिसम्बर,1993 से माह मार्च, 2003 तक की अवधि का बकाया होना क्यों दर्शा रहे हैं। विपक्षीगण के साक्ष्य शपथ पत्र के साथ दाखिल बिलिंग स्टेटमेंट कागज सं0-22/4 लगायत 22/5 में हमें कोई त्रुटि दिखाई नहीं देती।
- परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित वि|qत कनेक्शन के सापेक्ष परिवादी द्वारा कोई वि|qत बिल जमा किया जाना प्रमाणित नहींहै। कार्यालय ज्ञापन कागज सं0-3/10 में कोई त्रुटि होना भी परिवादी नहीं दिखा पाया है। परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। परिवाद खारिज होने योग्य है।
-
परिवाद खारिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
3.05.2017 3.05.2017 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 3.05.2017 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
3.05.2017 3.05.2017 निर्णय घोषित किया गया। आदेश हुआ कि ‘’ परिवाद खारिज किया जाता है। ‘’ (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
3.05.2017 3.05.2017 | |