Rajasthan

Kota

CC/232/2010

Mathew S. Semmual - Complainant(s)

Versus

Executive Engineer, JVVNL - Opp.Party(s)

07 Sep 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)
परिवाद संख्या:- 232 /10 
मैथ्यू एस. पुत्र एम. सैम्मुअल उम्र 65 साल जाति ईसाई निवासी 89 अटवाल काॅम्पलेक्स, अपोजिट पुलिस लाईन, गली नम्बर-2 कृष्ण नगर, कोटा।                                   -परिवादी

                    बनाम
01.    अधीक्षण अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लि0, नयापुरा,     कोटा।
02.    वी.के. शर्मा, सहायक अभियन्ता, बी-।।।, जयपुर विद्युत वितरण     निगम लि0, नयापुरा, कोटा।                      -विपक्षीगण
समक्ष:-
भगवान दास     ः    अध्यक्ष    
हेमलता भार्गव    ः    सदस्य
    परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-

01.    परिवादी स्वयं।
02.    श्री एस.बी. भार्गव, अधिवक्ता, विपक्षीगण की ओर से। 

            निर्णय             दिनांक 07.09.2015
     

    परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में सेवा दोष बताया है कि उसके यहाॅ स्थापित विद्युत कनेक्शन खाता संख्या 2283287 के विद्युत उपभोग का बिल दिनांक 08.10.09 में मीटर डिसप्ले आॅफ होने के कारण 396 यूनिट का भेजा गया जिसे जमा करा दिया गया उसके पश्चात बिल दिनांक 03.12.09  3,424 यूनिट राशि 12039/- रूपये का भेज दिया गया जो वास्तविक उपभोग से अधिक का था, क्योंकि परिवादी का इतना अधिक उपभोग नहीं होता है, इसकी शिकायत विपक्षी सं. 2 से की गई। मीटर टेस्टिंग की फीस भी जमा कराई गई, इसके बावजूद भी बिल को सही नहीं किया गया तथा उसके बाद से  अनुचित रूप से 12,536/- रूपये की राशि की मांग की जा रही है। मीटर को नहीं बदला गया, जिससे परिवादी को आर्थिक क्षति के साथ-साथ मानसिक संताप भी हुआ। 
    विपक्षीगण के जवाब का सार है कि परिवादी को मीटर की रीडिंग के अनुसार ही बिल भेजे गये है। उसके मीटर में डिसप्ले आॅफ नही हो रही थी। दिनांक 15.12.09 को जारी होने वाला बिल भी मीटर में अंकित उपभोग 3,424 यूनिट के अनुसार भेजा गया। दिनांक 15.12.09 को मीटर का टेस्टिंग में डिसप्ले थी, लेकिन उक्त दिनांक को जमा होने वाले बिल के अनुसार मीटर में डिसप्ले हो रहा था, इसलिये सही बिल भेजा गया। दिनांक 15.12.09 को मीटर बदल दिया गया। परिवादी ने अधिक राशि जमा कराने में असमर्थता जाहिर की, इसलिये उससे आंशिक राशि समय-समय पर ली गई। परिवादी को बिल गलत नहीं भेजे गये, कोई सेवा दोष नहीं किया गया। 
    परिवादी ने जवाब का उत्तर दिनांक 12.11.10 को प्रस्तुत करते हुये संक्षेप में कहा है कि स्वयं विपक्षीसं. 2 ने ही परिवादी के बिलों के अनुसार आंशिक राशि जमा करने की व्यवस्था दी और उसी अनुसार आंशिक राशि जमा कराई गई। दिसम्बर में मीटर डिसप्ले आॅफ था इसलिये डिसप्ले आॅफ का बिल गलत भेजा गया।
    
    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा वर्ष 2006 से दिसम्बर 09 व उसके पश्चात के बिल  मीटर टेष्टिंग फीस की रसीद, मीटर टेष्टिंग रिर्पोट, आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की है। 
    विपक्षीगण की ओर से साक्ष्य में कोई शपथ-पत्र या दस्तावेज पेश नहीं किये गये।  
        हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया। 
    विचारणीय प्रश्न है कि क्या विपक्षी निगम द्वारा परिवादी को बिल दिनांक 03.12.09, भुगतान तिथि दिनांक 15.12.09, गलत भेज कर सेवा-दोष किया ?
    विपक्षी ने स्वयं स्वीकार किया है कि परिवादी के यहाॅ स्थापित मीटर की जांच उसके द्वारा अदा की गई फीस के आधार पर की गई थी  उस समय मीटर सं. 7239704 का डिसप्ले आॅफ पाया गया था अर्थात् सही काम नहीं कर रहा था और उसे बदल दिया गया था जबकि बिल उसी मीटर की रीडिंग के आधार पर  बिल भेजा गया था उसमें गत पठन 20771 यूनिट तथा वर्तमान पठन 6195 दर्शाया गया। इससे पूर्व परिवादी कोे मीटर के आधार पर दिनांक 08.10.09 को भुगतान तिथि दिनांक 20.10.09 का बिल भेजा गया उसमें भी गत पठन 2771, वर्तमान पठन 2771 दर्शाया गया है और 396 यूनिट का औसत बिल भेजा गया था अर्थात् यह बिल मीटर की रीडिंग के आधार पर नहीं भेजा गया, इसका एक मात्र कारण यही हो सकता है कि मीटर में कोई दोष आ गया। इससे पूर्व परिवादी को दिनांक 30.07.09 को इसी मीटर से संबंधित बिल जारी किया गया इसमें भुगतान तिथि 12.08.09 थी इसमें गत पठन 2268, वर्तमान पठन 2771 दर्शाया हुआ है और 503 यूनिट के उपभोग का बिल भेजा गया है। इससे पूर्व जून,अप्रेल व फरवरी में भी गत पठन व वर्तमान पठन के अनुसार उपभोग के आधार पर बिल भेजे गये। इन विवरणांे से स्पष्ट होता है कि 30.07.09 को जारी बिल में उपभोग मीटर पठन के अनुसार ही दर्शाया गया, उसके पश्चात 08.10.09 के बिल में मीटर की रीडिंग गत पठन-वर्तमान पठन समान बताते हुये 396 यूनिट औसत उपभोग का बिल भेजा गया और उसके पश्चात दिसम्बर 09 में 3,424 यूनिट का बिल जिसमें गत पठन 2771,  जो कि 30.07.09 को जारी होने वाले बिल में वर्तमान पठन दर्शाया हुआ भेजा गया, अर्थात् अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर,नवम्बर कुल 4 माह का उपभोग दिसम्बर 09 के बिल में 3,424 यूनिट दर्शाया गया है इस अवधि में अक्टूबर 2009 के बिल में 396 यूनिट की राशि भी ले ली गई, जबकि उस समय मीटर मे उपभोग अंकित नहीं हो रहा था, इस कारण दिनांक 15.12.09 की जांच में डिसप्ले आॅफ पाया गया और उसका मीटर बदला गया।  इसलिये हम पाते है की परिवादी को दिनांक 03.12.09 का जो बिल भेजा है वह असामान्य ह,ै उसे मीटर में अंकित उपभोग के आधार पर जारी होने वाला बिल नही माना जा सकाता, इस असामान्य बिल का युक्ति-युक्त एवं स्पष्ट कारण विपक्षी निगम ने नहीं बताया है।  विपक्षी निगम द्वारा जारी उक्त बिल दोषपूर्ण होने से विपक्षी निगम का सेवादोष है। बिल दिनांक 03.12.09 निरस्त होने योग्य है तथा परिवादी पूर्व उपभोग के औसत के आधार पर ही बिल पाने का अधिकारी है।  परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
     
                     आदेश 

    परिवादी मैथ्यू एस. का परिवाद, स्वीकार किया जाकर विपक्षी निगम को आदेश दिया जाता है कि परिवादी को प्रेषित बिल दिनांक 03.12.09 को निरस्त किया जाता है एवं उसे अगस्त से नवम्बर 09 तक कुल 4 माह की अवधि के बिल पूर्व के वर्ष 2007-08 के इन्ही 4 माह के औसत के आधार पर उपभोग का बिल जारी किया जावे, जिसमें से माह अक्टूबर 09 के बिल में 396 यूनिट की राशि जो परिवादी से ले ली गई है वह कम की जावे, इसके अलावा परिवादी को मानसिक संताप की भरपाई राशि 1,000/- रूपये एवं परिवाद की भरपाई की राशि 1,000/- रूपये कुल 2,000/- रूपये भी अदा की जावे। इस आदेश की पालना एक माह के अंदर की जावे।
       

         (हेमलता भार्गव)                                (भगवान दास)  
             सदस्य                                       अध्यक्ष
 
     निर्णय  आज दिनंाक 07.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
                                     
  सदस्य                                                  अध्यक्ष
           


                                                                               

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