दिनांक- 08/10/2015
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरुद्ध शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करते हुए कहा है कि उसने कृषि कार्य हेतु पॉच हा0पा0 का विद्युत कनेक्शन लिया जिसका कोड संख्या 1211 तथा कनेकशन संख्या 601740है। कनेक्शन लेने के बाद दिनांक 15-09-2013 को विद्युत पोल गिर गया और सप्लाई बंद हो गयी। पोल गिरने के पूर्व दिनांक 10-09-2013 को विद्युत बिल का भुगतान भी रू0 519/- जरिये रसीद सं0 42/ 450309 कर दिया गया था। परिवादी विपक्षी के यहॉ खम्भा गड़वाने तथा विद्युत सप्लाई हेतु दौड़ता रहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। परिवादी ने दिनांक 24-09-2013 को अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड तृतीय गाजीपुर के यहॉ आवेदन दिया जिस पर एस0डी0ओ0 को नियमानुसार कार्यवाही करने का आदेश दिया गया लेकिन विद्युत सप्लाई नहीं की गयी। दिनांक 02-12-2013 को पूर्व की भॅाति खम्भा लगवाने एवं विद्युत सप्लाई बहाल करने का आदेश दिया गया लेकिन इसके बाद भी कोई कार्यवाही न होने पर परिवादी ने विद्युत नियामक आयोग को दिनांक 10-02-14 को आवश्यक कार्यवाही हेतु शिकायती प्रार्थना पत्र दिया जिस पर दि0 31-01-14 को विपक्षी के यहॉ आदेश आया । उक्त के क्रम में दिनांक 18-03-14 को खम्भा लगाकर विद्युत आपूर्ति चालू की गयी। दिनांक 20-09-2013 से 18-3-14 तक सप्लाई नहीं की गयी। जब परिवादी जाता था तो उक्त अवधि का बिल जमा करने पर कनेक्शन देने का आश्वासन देते थे। बिना विद्युत सप्लाई के रू0 3114/- विपक्षी द्वारा वसूला जाना अवैध है।। दिनांक 20-09-13 से 18-09-14 तक विद्युत सप्लाई न होन से गेहॅू और धान की फसल बर्वादी का रू0 50,000/- अवैध बिल की वसूली रू0 3114/- तथा दौड़ने व परेशान करने का रू0 10,000/-कुल रू0 63,114/-की क्षति हुई जिसे विपक्षी से वसूलने हेतु परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरुद्ध प्रस्तुत किया है।
विपक्षी को सूचना भेजी गयी। उसने उपस्थित होकर अपना जवाब परिवाद प्रस्तुत करते हुए कहा है कि उसने कोई गलत कार्य नहीं किया है। प्रार्थना पत्र आने पर उस पर इन्डोर्समेंट की कार्यवाही होती है और इन्डार्समेंट के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि तथ्य साफ नियत से प्रस्तुत किये गये हैं। परिवादी की विद्युत आपूर्ति कनेक्शन देने के पश्चात् कभी भी बाधित नहीं हुई। खम्भा गिरने की बात गलत कही गयी है जबकि वास्तव में कुछ भी नहीं है। परिवादी द्वारा बिना बिघ्न के बिल जमा करने की कार्यवाही की गयी। परिवादी द्वारा जमा विद्युत बिल सही है। परिवादी किसी भी प्रकार का अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। उपरोक्त कथनों के साथ विपक्षी ने परिवादी के परिवाद को निरस्त करने की याचना किया है।
पत्रावली पर प्रपत्र 5ग, 6ग, लिखित बहस 11ग, 12क/1 ता 12क/2 प्रस्तुत किये गये हैं।
परिवादी का परिवाद पत्र और विपक्षी के परिवाद जवाब के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है । जैसा कि परिवादी ने कहा है कि दिनांक 15-09-13 को विद्युत सप्लाई बंद कर दी गयी और दिनांक 18-03-14 को सप्लाई चालू की गयी। वहीं पर विपक्षी ने अपने जवाब परिवाद में कहा है कि परिवादी द्वारा खम्भा गिरने की शिकायत की गयी जबकि वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है लेकिन पत्रावली पर उपलब्ध कागज सं0 5ग प्रार्थना पत्र के अवलोकन से स्पष्ट है, जिस पर विभागीय अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं और उस पर यह भी दर्शित किया गया है कि खंभे को पूर्व की भॅाति लगवायें और इनकी समस्या का निराकरण करें। पत्रावली पर कागज संख्या 6ग प्ररस्तुत है जिसमें निदेशक विद्युत वितरण ने आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया है। उक्त के क्रम में भी विभागीय अधिकारी द्वारा आदेश पारित किया गया है जिससे यह स्पष्ट होता है कि निश्चित रूप से परिवादी की विद्युत सप्लाई दि0 05-09-13 से बाधित रही है और दि0 18-03-2014 को खंभा लगाकर आपूर्ति चालू की गयी है। यदि खंभा न गिरा होता तो परिवादी न तो अधिशासी अभियन्ता और न ही प्रबन्ध निदेशक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के यहॉ प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करता जिससे यह जाहिर होता है कि परिवादी के कथन में सत्यता है विपक्षी का यह कहना कि इन्डार्समेंट वाद का कारण नहीं माना जायेगा, इसका कोई मतलब नहीं है। परिवादी द्वारा यह भी कहा गया है कि उसकी गेहॅू, धान की फसल बिना बिजली पानी के अभाव में बर्वाद हुई। पत्रावली पर कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है जिससे यह जाहिर हो कि परिवादी की कृषि का किस रूप से नुकसान हुआ। इस प्रकार से परिवादी कृषि के नुकसानी क मद में कोई भी धनराशि विपक्षी से पाने का अधिकारी नहीं है लेकिन दिनांक 15-09-13 से 18-03-14 के बीच के बिजली का बिल परिवादी से विपक्षी नहीं वसूल करेगा क्योंकि उक्त अवधि में बिजली की सप्लाई परिवादी को नहीं हुई है । चॅूकि परिवादी को निश्चित रूप से दौड़-धूप एवं परेशानी का सामना करना पड़ा। उक्त के क्रम में परिवादी विपक्षी से रू0 1500/- वाद व्यय व क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है।
उपरोक्तानुसार परिवादी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह क्षतिपूर्ति व वाद व्यय की घनराशि दो माह के अन्दर परिवादी को अदा कर दे और दिनांक 15-09-13 लगायत 18-03-14 तक की अवधि का विद्य़ुत बिल विपक्षी परिवादी से वसूल नहीं करेगा । 18-03-14 के बाद का बिल विपक्षी परिवादी से वसूल करेगा। उपरोक्तानुसार परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है।
इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्क दी जाय। निर्णय / आदेश आज खुले न्यायालय में, हस्ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।