दिनांक: 12-01-2016
परिवादी ने यह परिवाद इस आशय से येाजित किया है कि उसके विरुद्ध विपक्षी द्वारा जारी प्रश्नगत दो बिल क्रमश: रू0 72,871- व रू0 72789/- निरस्त किये जायॅ तथा विपक्षी को निर्देश दिया जाय किवह नियत अवधि के अन्दर खम्भा गाड़कर व तार खींच कर तथा मीटर लगाकर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करे। परिवादी ने विपक्षी से क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 2,00000/- दिलाये जाने की भी याचना की है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि उसके गॉव में खम्भा गाड़कर तार खींचने की बात आयी तो परिवादी तथा उसके गॉव के अन्य लोगों ने चन्दा जमा करके सूची बनाकर विपक्षी के यहॉ दी तत्पश्चात् विपक्षी को विद्युतीकरण की कार्यवाही करनी थी। विपक्षी के यहॉ काफी भाग-दौड़ किये जाने के बावजूद, विद्युत कनेक्शन नहीं किया गया अत: परिवादी व अन्य लोग थक कर बैठ गये। दिनांक: 12-12-2014 को परिवादी के नाम बिजली के प्रश्नगत दो बिल प्राप्त हुए जिन पर बकाया धनराशि अंकित थी। एक बिल बावत कनेक्शन सं0 8677/159200 बावत रू0 72,871/- तथा दूसरा बिल बावत कनेक्शन सं08677/159230 रू0 72889/- का था, जबकि विपक्षी द्वारा परिवादी को विद्य़ुत आपूर्ति किये जाने की कोई कार्यवाही नहीं की गयी थी। उक्त बिल प्राप्त होने के उपरांत परिवादी विपक्षी के कार्यालय आमघाट गया और उसने मौके की स्थिति बताते हुए दोनों बिल प्रस्तुत किये तो परिवादी से कहा गया कि वह मुहम्मदाबाद जाये, तत्पश्चात् परिवादी उसी दिन मुहम्मदाबाद गया । वहॉ उसने उप खण्ड अधिकारी को दोनों बिल दिखाये तो यह बताया गया कि विद्य़ुतीकरण के लिए संख्या में कमी के कारण दोहरा विद्युत कनेक्शन दर्शित किया गया है और प्रार्थना पत्र देने पर इसमें से एक बिल निरस्त कर दिया जायेगा। परिवादी ने कहा कि एक बिल को निरस्त कर देने की दशा में दूसरे बिल का क्या होगा, इस पर परिवादी से कहा गया कि दूसरे बिल के बावत उपभोक्ता फोरम का सहारा लीजिए वहॉ से आदेश प्राप्त होने पर खम्भा गाड़कर तार खींच दिया जायेगा। परिवादी ने डिमाण्ड ड़्राफ्ट के जरिये रू0 200/- शुल्क जमा कर दिये हैं ।
नोटिस जारी होने के उपरांत विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र 8क प्रस्तुत किया गया और केवल परिवादी के परिवाद पत्र में लिखा पता स्वीकार किया गया शेष कथनों से इनकार किया गया। विपक्षी की ओर से आगे कहा गया है कि परिवादी तथा उसके गॉव के अन्य लोगों ने विद्युत आपूर्ति हेतु आवेदन दिया था तत्पश्चात् उसके गॉव में विद्युत ट्रॉंसफार्मर लगाकर तथा खम्भा गड़वाकर विद्युत तार खिंचवाया गया था और विद्युत आपूर्ति की गई थी और संयोजन के समय से ही परिवादी विद्युत का उपभोग करता चला आ रहा है। परिवादी तथा उसके गॉव का अन्य उपभोक्ताओं ने विद्युत संयोजन हेतु आवेदन किया था जिस पर परिवादी को विद्युत संयोजन सं0 8677/ 159200 पर किया गया था किन्तु आवेदन देने के उपरांत कार्यवाही के दौरान परिवादी द्वारा विद्युत संयोजन हेतु गलत दबाव बनाया जाने लगा इसलिए भूलवश परिवादी के नाम दूसरा विद्युत संयोजन सं0 8677/159230 भी कर दिया गया। विद्युत संयोजन किये जाने के बाद परिवादी तथा उसके गॉव के लोगों द्वारा लगातर विद्युत का उपभोग किया जा रहा है। परिवादी बिल प्राप्त होने के बाद भी भुगतान करने से बचता रहा। विद्युत बिल की वसूली से बचने के लिए परिवादी ने गलत रूप से यह परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादी के नाम दूसरा विद्युत संयोजन भूलवश हुआ है जिसे विपक्षी निरस्त करने को तैयार है। परिवादी की मंशा विद्युत बिल का बकाया जमा करने की नहीं है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद की जानकारी होने पर क्षेत्रीय उप खण्ड अधिकारी को जॉच करने का आदेश दिया गया था तत्पश्चात् उप खण्ड अधिकारी ने अवर अभियन्ता के साथ परिवादी के गॉव जाकर लोगों के परिसर चेक किये थे और आख्या तैयार की थी। जॉच के दौरान यह पाया गया कि परिवादी का विद्युत कनेक्शन चालू हालत में है और वह विद्युत का उपभोग करते हुए पाया गया जिसकी सी डी तैयार की गयी है। परिवादी का परिवाद खारिज होने योग्य है और विपक्षी परिवादी से परिवाद व्यय पाने का अधिकारी है।
परिवादी की ओर से अपने कथनों के समर्थन में शपथ पत्र 4ग के साथ विद्युत बिल 6क/1 ता 6क/2 पत्रावली पर उपलब्ध किये गये हैं।
विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र के साथ कागज सं0 9ग व सी डी प्रस्तुत की गई है। परिवादी की ओर से लिखित बहस 10ग के साथ 03 अभिलेख पत्रावली पर प्रस्तुत किये गये हैं तथा विपक्षी की ओर से लिखित बहस 14ग पत्रावली पर उपलब्ध की गई है।
पक्षों के अधिवक्ता गण की बहस विस्तार में सुनी गई तथा उनकी ओर से उपलब्ध कराई गई साक्ष्य व लिखित बहस का भलीभॅाति अवलोकन किया गया।
परिवादी की ओर से सशपथ कहा गया है कि विपक्षी द्वारा उसे विद्य़ुत आपूर्ति किये जाने की कार्यवाही अब तक नहीं की गई है और न उसके आवास में विद्युत कनेक्शन दिया गया है। परिवादी के उक्त कथन का खण्डन करने के लिए विपक्षी की ओर से अपने उत्तर पत्र में कहा गया है कि गॉव में ट्रॉसफार्मर लगाकर तथा खम्भा गड़वाकर विद्युत तार खींचे गये थे और विद्युत आपूर्ति की गई थी, लेकिन विपक्षी द्वारा स्पष्ट नहीं किया गया है कि परिवादी के आवास में विद्युत कनेक्शन किस दिनांक, माह तथा वर्ष में किया गया था। विद्युत कनेशन करने वाले कर्मचारी का शपथ पत्र भी नहीं प्रस्तुत किया गया है और न उसके द्वारा मौके पर तैयार किया गया मेमो प्रस्तुत किया गया है । विपक्षी की ओर से पत्रावली पर श्री महेन्द्र प्रसाद उप खण्ड अधिकारी के पत्र दिनांकित 10-03-2015 की प्रति प्रस्तुत की गई है जिसमें कहा गया है कि दिनांक 23-02-2015 को लगभग 13 बजे से 15 बजे तक परिवादी के गॉव में विद्युत कनेक्शन की जॉच की गई थी। सभी लोगों के विद्युत कनेक्शन चालू हालत में थे और उनके द्वारा विद्युत का उपभोग किया जा रहा था। इस पत्र के कथनों को साबित करने के लिए सम्बन्धित उप खण्ड अधिकारी अथवा अवर अभियन्ता का कोई शपथ पत्र नहीं प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी की ओर से जो सी0डी0 उपलब्ध कराई गई है उसमें भी यह स्पष्ट रूप से दर्शित नहीं है कि परिवादी के परिसर में नियमानुसार विद्युत कनेक्शन दिया गया है और वह नियमानुसार विद्युत का उपभोग करता हुआ पाया गया था। सी0डी0 तैयार करने वाले उप खण्ड अधिकारी अथवा अवर अभियन्ता का कोई शपथ पत्र भी पत्रावली पर उपलब्ध नहीं कराया गया है । यहॉ यह भी उल्लेखनीय है कि परिवादी की ओर से स्पष्ट रूप से कहा जा रहा है कि उसके आवासीय परिसर में अब तक विद्युत कनेक्शन विपक्षी द्वारा नहीं दिया गया है। इस कथन का खण्डन करते हुए विपक्षी की ओर से कोई ऐसी साक्ष्य नहीं प्रस्तुत की गयी है जिससे यह स्थापित हो कि परिवादी के आवासीय परिसर में नियमानुसार विद्युत कनेक्शन किस विशिष्ट दिनांक, माह तथा वर्ष को किया गया। स्वयं विपक्षी की ओर से स्वीकार किया गया है कि परिवादी के नाम दूसरा विद्युत कनेक्शन भूलवश जारी किया गया है जिससे यह प्रकट होता है कि विपक्षी के कर्मचारी अपने दायित्वों के निर्वहन करने में अत्यधिक लापरवाह रहे हैं ।और उन्होने स्वीकृत रूप से अवैध रूप से तथा निराधार एक बिल भी जारी किया है।विपक्षी की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वह प्रश्नगत बिलों में एक बिल स्वयं निरस्त करने को तैयार है।
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से प्रकट है कि विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र में किये गये कथनों के समर्थन में कोई शपथ पत्र नहीं प्रस्तुत किया गया है। परिवादी के परिसर में विद्युत कनेक्शन किये जाने की कोई अभिलेखीय साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं कराई गई है। विद्युत कनेक्शन करने वाले कर्मचारी का न तो शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है और न उसके द्वारा मौके पर तैयार किया गया मेमो पत्रावली पर उपलब्ध कराया गया है। उप खण्ड अधिकारी तथा अवर अभियन्ता द्वारा मौके की जॉच करते समय मौके पर तैयार की गई स्थलीय कार्यवाही का लेख भी साक्ष्य से नहीं प्रस्तुत किया गया है, उनके शपथ पत्र भी नहीं प्रस्तुत किये गये हैं इन परिस्थितियों में विपक्षी की ओर से विद्युत कनेक्शन किये जाने सम्बन्धी किये गये कथन विश्वास योग्य नहीं है तथा परिवादी की ओर से किये गये कथनों पर विश्वास न करने का कोई औचित्य पूर्ण आधार नहीं है।
उपरोक्त विवेचन से प्रकट है कि परिवादी का स्पष्ट रूप से कथन है कि उसके आवासीय परिसर में अब तक विपक्षी द्वारा विद्युत कनेक्शन नहीं दिया गया है विपक्षी यह साबित करने में असफल रहा है कि उसने परिवादी के अवासीय परिसर में विद्युत कनेक्शन लगवाया था। विपक्षी विद्युत कनेक्शन लगाये जाने सम्बन्धी कोई अभिलेख प्रस्तुत करने में असफल रहा है तथा यह भी स्पष्ट रूप से कथन करने में असफल रहा है कि किस विशिष्ट दिनांक, महीने व वर्ष में परिवादी के आवासीय परिसर में उसने विद्युत कनेक्शन लगवाया था। ऐसी स्थिति में परिवादी के आवासीय परिसर में नियमानुसार विद्युत कनेक्शन लगवाया जाना स्थापित नहीं है। ऐसी स्थिति में परिवादी के नाम जारी दोनों विद्युत बिल निरस्त होने योग्य है।मामले की सम्पूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी को को क्षतिपूर्ति दिलाने का औचित्य नहीं है। वाद व्यय के रूप में परिवादी को विपक्षी से रू0 1000/- दिलाना उचित है।
आदेश
परिवादी का परिवाद अंशत: स्वीकार किया जाता है। परिवादी के नाम जारी प्रश्नगत दोनों विद्युत बिल निरस्त किये जाते हैं। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि एक माह के अन्दर परिवादी के आवासीय परिसर में नियमानुसार विद्युत कनेक्शन करके विद्युत आपूर्ति करना सुनिश्चित करे और नियमानुसार विद्युत कनेक्शन दिये जाने के उपरांत कनेक्शन दिये जाने की दिनांक से सुसंगत नियमों के अनुसार विद्युत बिल की वसूली करे। विपक्षी को यह भी निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को वाद व्यय के रूप में रू0 1000/- एक माह में भुगतान करे।
इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्क दी जाय। निर्णय आज खुले न्यायालय में, हस्ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।