Uttar Pradesh

Ghazipur

CC/215/2013

Shivram - Complainant(s)

Versus

Executive Engineer Devkali Pump Canal Division- Second - Opp.Party(s)

Ravindra Singh Kushwaha

09 Nov 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM GHAZIPUR
COLLECTORATE COMPOUND, DISTRICT- GHAZIPUR
 
Complaint Case No. CC/215/2013
 
1. Shivram
Village & Post- Talwal, Pargana & District- Ghazipur
...........Complainant(s)
Versus
1. Executive Engineer Devkali Pump Canal Division- Second
Ghazipur
2. UP Goverment through District Magistrate
Ghazipur
Uttar Pradesh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Paramsheela MEMBER
 
For the Complainant:Ravindra Singh Kushwaha, Advocate
For the Opp. Party: Shri Atma Yadav, Advocate
 Shri Atma Yadav, Advocate
ORDER

          दिनांक:09-11-2015

परिवादी ने यह परिवाद इस आशय से योजित किया है कि उसे नष्‍ट हुई फसल की क्षतिपूर्ति के रूप में  रू0 90,000/-विपक्षी से दिलाने के साथ ही शारीरिक, मानसिक व आर्थिक नुकसान के लिए रू0 10,000/- उससे दिलाये जायॅ।

 

          परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में कथन इस प्रकार है कि वह अपने खेत की सिंचाई ग्राम तलवल स्थित माइनर से करता है और सिंचाई शुल्‍क विपक्षी विभाग में अदा करता है। विपक्षी ने उक्‍त माइनर की खुदाई का कार्य बीच-बीच में छोड़कर कराया था और विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही के कारण नहर टूटने से परिवादी के उक्‍त खेत में खड़ी गेहॅू की फसल क्षतिग्रस्‍त हो गई थी। परिवादी तथा अन्‍य खातेदारान ने फसल के नुकसानी के लिए तहसील दिवस में शिकायत की थी। दिनांक 19-03-13 को भी तहसील दिवस में शिकायत के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई तो परिवादी ने दिनांक 20-03-13 को जिलाधिकारी गाजीपुर के यहॉ फोटो तथा अखबार की छाया प्रति लगाकर क्षतिग्रस्‍त फसल के मुआवजा हेतु प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। विपक्षी सं01 के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण नहर का पानी परिवादी के खेत में जाने से परिवादी की रू0 1,00000/- की फसल नष्‍ट हो गई। विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने के कारण परिवाद योजित किया है। परिवादी ने रू0100/- न्‍याय शुल्क अदा कर दी हैं ।

 

          विपक्षी की ओर से अपने प्रतिवाद पत्र में परिवाद पत्र के कथनों को स्‍वीकार नहीं किया गया है । उसकी ओर से आगे कहा गया है कि परिवादी को परिवाद प्रस्‍तुत करने का कोई वाद कारण प्राप्‍त नहीं है। वर्ष 1420 फसली में माइनर की खुदाई/ सिल्‍ट की सफाई का कार्य आवश्‍यकतानुसार किया गया था। नहर की खोदाई बीच-बीच में छोड़ कर कराये जाने की बात गलत है। तकनीकी रूप से जहॉ खोदाई की आवश्‍यकता थी, वहीं खोदाई की गयी थी। इसमें किसी कर्मचारी का दोष नहीं है। नहर चलने के दौरान परिवादी द्वारा सिंचाई की गई थी लेकिन दिनांक 15-02-13 को सायं 6 बजे से लगभग दो दिन तक ज्‍यादा अनवरत वर्षा  होने के कारण, परिवादी के खेत का लेबिल बगल के अन्‍य खेतों से नीचा होने के कारण परिवादी के खेत में वर्षा का पानी भर गया था। डिलिया माइनर परिवादी के खेत अथवा उसके आस-पास न तो कहीं टूटी थी और न ही ओवर फ्लो हुई थी। नहर की सीमा का अतिक्रमण करते हुए परिवादी द्वारा बैक का स्‍लोप काटकर अपने खेत में मिलाकर मौके पर जोता जा रहा है। परिवादी की यदि कोई फसल क्षतिग्रस्‍त हुई है तो अधिक वर्षा होने के कारण और परिवादी के खेत का तल नीचा होने के कारण क्षतिग्रस्‍त हुई है। परिवादी का परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है। विपक्षी द्वारा प्रतिफल के बदले सेवा प्रदान नहीं की जाती है बल्कि राज्य सरकार के अधीन पदीय कर्त्‍तव्‍यों का निर्वहन किया जाता है, इसलिए परिवादी विपक्षी गण का उपभोक्‍ता नहीं है। परिवाद पोषणीय न होने कारण खारिज होने योग्‍य है।

 

     परिवादी की ओर से अपने कथनों के समर्थन में शपथ पत्र 6ग प्रस्‍तुत करने के साथ ही सूची कागज सं0 8ग के जरिये 5 अभिलेख तथा 9ग के जरिये 6 अभिलेख पत्रावली पर उपलब्‍ध किये गये हैं तथा लिखित बहस  26ग पत्रावली पर उपलब्ध की गई हैं ।

 

          प्रतिवाद पत्र में किये गये कथनों के समर्थन में विपक्षी गण की ओर से सूची 31ग के जरिये 2 अभिलेख पत्रावली पर उपलब्‍ध कराने के साथ ही कागज सं0 28ग लिखित बहस, पत्रावली पर उपलब्‍ध की गयी है।

 

          पक्षों के विद्वान अधिवक्‍ता गण की बहस विस्‍तार से सुनी गई। लिखित कथन तथा पक्षों द्वारा उपलब्‍ध कराई गई साक्ष्‍य तथा लिखित बहस का परिशीलन किया गया।

 

          परिवादी की ओर से परिवाद पत्र में कहा गया है कि ग्राम तलवल स्थित आराजी सं0 985अ का वह सह खातेदार है और इस आराजी में अपने हिस्‍से में वह फसल बोता है और फसल की सिंचाई डिलिया माइनर से करता है इस तथ्‍य को विपक्षी की ओर से इनकार किया गया है।

 

     परिवादी की ओर से कहा गया है कि विपक्षी गण ने डिलिया माइनर में खुदाई बीच-बीच में छोड़कर की थी, इस तथ्‍य से इनकार करते हुए विपक्षी गण की ओर से कहा गया है कि माइनर की खोदाई करते समय बीच-बीच में छोड़कर किये जाने का कथन असत्‍य है। वास्‍तव में जहॉ तकनीकी रूप से खोदाई करने की आवश्‍यकता थी, वहीं खोदाई की गई थी। नहर की खोदाई किये जाने में किसी कर्मचारी की लापरवाही अथवा कोई दोष नहीं था।

 

          परिवादी की ओर से कहा गया है कि वह विभाग को सिंचाई शुल्‍क अदा करता रहा है, इस लिए वह उनका उपभोक्‍ता है और विपक्षी गण सेवा प्रदाता हैं। इस तथ्‍य का खण्‍डन करते हुए विपक्षी की ओर से कहा गया है कि उ0प्र0 शासन ने यह निर्णय लिया था कि नहरों तथा सरकारी नलकूपों से किसानों को नि:शुल्‍क पानी उपलब्‍ध कराया जाय। शासन के उक्‍त निर्णय के अनुपालन में, वर्ष 2012 से सरकारी नहरों ओर नलकूपों से किसानों को नि:शुलक पानी उपलब्‍ध कराया जा रहा है, इसलिए परिवादी न तो अब उपभोक्‍ता है ओर न ही विपक्षी गण  सेवा प्रदाता। विपक्षी गण की ओर से अपने कथन के समर्थन में अभिलेख कागज संख्‍या 32ग व 33ग पत्रावली पर उपलबध कराये गये हैं जिनके परिशीलन से प्रकट होता है कि शासन के पत्र सं03367/12-27सि.-9-32 एस ए वी/12 दिनांक 27-12-2012 द्वारा शासन के उक्‍त निर्णय के अनुपालन हेतु समस्‍त विभागों को सूचना दे दी गयी थी । इस क्रम में शासनादेश कागज संख्‍या 32ग व 33ग के जरिये किसानों को नि:शुल्‍क पानी उपलब्ध कराये जाने की दशा आवश्‍यक व्‍यय हेतु सुसंगत बजट उपलब्ध कराये जाने की व्‍यवस्‍था की गयी है। परिवादी ने सूची कागज सं0 29ग के जरिये सिंचाई शुल्‍क जमा करने की 6 रसीदें उपलब्‍ध की हैं, जो शासन के उक्‍त निर्णय से पूर्व की हैं। शासन के उक्‍त निर्णय के उपरांत सिंचाई विभाग द्वारा विपक्षी से सिंचाई शुल्‍क लिये जाने की कोई साक्ष्‍य उपलब्ध नहीं की गयी है। ऐसी दशा में शासनादेश कागज सं0 32ग व 33ग की व्‍यवस्‍था को देखते हुए, दिनांक 27-12-12 के उपरांत परिवादी, विपक्षी गण का उपभेाक्‍ता नहीं है और विपक्षी गण सेवा प्रदाता की श्रेणी में नहीं रह गये हैं। ऐसी दशा में परिवादी तथा विपक्षी गण के मध्‍य उपभोक्‍ता व सेवा प्रदाता का सम्‍बन्‍ध न होने के कारण परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है। प्रकट है कि शासकीय दायित्‍वों के निर्वहन में विपक्षी गण द्वारा परिवादी तथा अन्‍य किसानों को नि:शुल्‍क पानी उपलब्‍ध कराया जा रहा है।

 

          परिवादी की ओर से अपने परिवाद पत्र के प्रस्‍तर - 05 में निम्‍न प्रकार से कथन किया गया है:-

 

          ‘’विपक्षी नं01 द्वारा उक्‍त माइनर की खोदाई का कार्य बीच-बीच में छोड़कर किया गया था और इस तरह की लापरवाही उनके कर्मचारियों द्वारा बरती गयी थी कि नहर टूटने से उसके पानी से हम परिवादी द्वारा बोयी गयी गेहॅू की फसल पूरी तरह से क्षतिग्रस्‍त हो गयी।‘’

 

          परिवाद पत्र की धारा-5 के कथन को विपक्षी गण की ओर से स्‍वीकार नहीं किया गया है। परिवाद पत्र में परिवादी के खेत में नहर का पानी जाने की कोई तिथि व समय स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है। परिवाद पत्र में इस आशय का भी उल्‍लेख नहीं है कि नहर का पानी किस प्रकार से परिवादी के खेत में पहॅुचा था। नहर का पानी पटरी(बैक) टूटने अथवा ओवर फ्लो होने का कोई उल्‍लेख परिवाद पत्र में नहीं है। इसका उल्‍लेख जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र में भी नहीं है। ऐसी स्थिति में परिवाद पत्र में यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि वास्‍तव में किस दिनांक को किस समय और किस प्रकार से नहर का पानी परिवादी के खेत में गया था। विपक्षी गण की ओर से स्‍पष्‍ट रूप से कहा गया है कि नहर की पटरी न तो टूटी थी और न पानी ओवर फ्लो हुआ था। ऐसी स्थिति में परिवादी का दायितव था कि वह स्‍पष्‍ट रूप से कथन करता और कथन के समर्थन में साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करते हुए कहता कि किस प्रकार से नहर का पानी उसके खेत में किन परिस्थितियों में गया था। विधि का स्‍पष्‍ट सिद्धान्‍त है कि अभिकथनों के समर्थन में ही साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की जा सकती है। ऐसी स्थिति में जब इस आशय का कोई स्‍पष्‍ट कथन नहीं है कि किस दिनांक को किस समय और किस प्रकार से नहर का पानी परिवादी के खेत में गया था, ऐसी स्थिति में साक्ष्‍य देते समय इस बिन्‍दु पर कथन किये जाने का कोई महत्‍व नहीं है। विपक्षी गण की ओर से स्‍पष्‍ट रूप से कहा गया है कि खेत की सिंचाई करने के बाद अत्‍यधिक वर्षा होने तथा परिवादी के खेत का लेबिल नीचा होने के कारण पानी भर जाने से परिवादी की फसल क्षतिग्रस्‍त हुई थी।

 

     उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण विवेचन से प्रकट है कि परिवादी यह स्‍पष्‍ट कथन करने में असफल रहा है कि किस तिथि को किस समय और किस प्रकार से नहर का पानी उसके खेत में गया था। इस बिन्‍दु पर स्‍पष्‍ट कथन न होने की दशा में परिवादी का यह कथन विश्‍वसनीय नहीं है कि नहर का पानी उसके खेत में जाने से उसकी फसल नष्‍ट हो गयी थी।

 

          उपरोक्त विवेचन से यह भी स्‍पष्‍ट है कि वर्ष 2012 से शासन द्वारा किसानों को नि:शुल्‍क पानी उपलब्‍ध कराने के कारण वर्ष 2012 के उपरांत,  परिवादी न तो उपभोक्‍ता की श्रेणी में रह गया है और न विपक्षी गण सेवा प्रदाता की श्रेणी में हैं। परिवादी तथा विपक्षी गण के बीच उपभोक्‍ता और सेवा प्रदाता का सम्बन्‍ध न होने के कारण, परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है और अस्‍वीकार होने योग्य है। उपरोक्‍त सम्‍बन्‍ध न होने की दशा में, परिवादी सक्षम न्‍यायालय के समक्ष क्षति पूर्ति हेतु वाद प्रस्‍तुत करने हेतु स्‍वतंत्र है। मामले की इन परिस्‍थितयों में परिवादी का परिवाद स्‍वीकार होने योग्य नहीं है और खारिज होने योग्य है। मामले की परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्देश देना उचित होगा कि पक्ष अपना-अपना वाद -व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

                           आदेश

 

          परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। पक्षकार अपना-अपना वाद - व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्‍क दी जाय। निर्णय आज खुले न्‍यायालय में, हस्‍ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।

 
 
[JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Paramsheela]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.