Mukesh kumar meena filed a consumer case on 19 Oct 2015 against Examination Controller, Sangh Lok Seva Aayog in the Kota Consumer Court. The case no is CC/227/2011 and the judgment uploaded on 20 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
पीठासीन:
अध्यक्ष : भगवान दास
सदस्या : हेमलता भार्गव,
सदस्य : महावीर तंवर,
प्रकरण संख्या-227/11
मुकेश कुमार मीणा पुत्र राजाराम मीणा जाति मीणा निवासी ग्राम मांदल्याहेडी पोस्ट कनवास तहसील सांगोद, जिला कोटा। -परिवादी।
बनाम
परीक्षा नियंत्रक, संघ लोक सेवा आयोग, धोलपुर हाउस शांहजहां रोड, नई दिल्ली 110069 -विपक्षी
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री धनराज बैरवा, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2 विपक्षी की ओर से कोई नहीं।
निर्णय दिनांक 19.10.2015
परिवादी ने विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में उनका यह सेवा दोष बताया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा, 2011 हेतु उसने आवेदन-पत्र प्रस्तुत किया उसे रोल नम्बर 185854 आवंटित किया गया इंटरनेट पर देखने से दिनांक 06.06.11 को प्रकट हुआ कि गलत जन्म तिथि बताते हुये मनमाने तौर पर उसका आवेदन-पत्र निरस्त कर दिया, प्रवेश-पत्र प्राप्त नहीं हुआ। उसके पश्चात विपक्षी ने उसको प्रवेश-पत्र दिनांक 10.06.11 को स्पीड-पोस्ट से प्रेषित किया जो परीक्षा की नियत तिथि के उपरान्त दिनांक 16.06.11 को प्राप्त हुआ, जिससे वह परीक्षा में सम्मलित नहीं हो सका। उसका कीमती वर्ष बरबाद होने के साथ-साथ तैयारी में काफी खर्चा हुआ, जिसका नुकसान हुआ विपक्षी को जरिये अधिवक्ता कानूनी नोटिस भेजा गया तब भी सुनवाई नहीं की गई।
विपक्षी ने डाक से जवाब, शपथ-पत्र एवं दस्तावेज प्रस्तुत किये। उसके जवाब का सार है कि इस मंच को सुनवाई का अधिकार नही हैं केवल कैट या माननीय सर्वोच्च न्यायालय को विपक्षी के विरूद्ध सुनवाई का अधिकार है। यह भी आपत्ति उठाई गई है कि विपक्षी भारतीय संविधान के अन्तर्गत गठित संवैधानिक संस्था है, परीक्षा संचालन का कार्य करना संवैधानिक दायित्व है संेवा प्रदान करना नहीं है, इसलिये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उसके विरूद्ध परिवाद चलने योग्य नहीं है। जवाब में यह भी स्पष्ट किया गया है कि परीक्षा के लिये जो सूचना प्रकाशित की गई थी उसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी आवेदक को परीक्षा की तिथि से 3 सप्ताह पूर्व तक प्रवेश-पत्र या सूचना प्राप्त नहीं होती है तब वह आयोग से सम्पर्क कर सकता है। आयोग के फेसिलिटेशन काउन्टर से सीधे सूचना ले सकता है या प्रकाशित दूरभाष नम्बर से सूचना ले सकता है प्रवेश-पत्र प्राप्त नहीं होने की अवस्था में वह स्वयं उत्तरदायी होगा। जवाब में यह भी कहा गया है कि दिनांक 09.06.11 को सभी प्रमुख समाचार पत्रों में सूचना प्रकाशित कराई गई थी, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि सभी आवेदक जिनकी जन्म तिथि गलत पाये जाने के कारण आवेदन निरस्त किये गये उन सभी को प्रवेश-पत्र स्पीड पोस्ट से प्रेषित कर दिये गये हैं। यह सूचना आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध करा दी गई थी, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि आवेदक अपने परीक्षा केन्द्र की सूचना ले सकते हंै यदि किसी आवेदक को 11.06.11 तक भी प्रवेश-पत्र नहीं मिलते हंै तब वेबसाइट से अपने प्रवेश-पत्र का प्रिन्ट आउट लेकर उसके साथ 2 पास पोर्ट साइज के फोटो व आई डी प्रूफ के साथ परीक्षा-केन्द्र में उपस्थित हो सकते है इस हेतु कन्ट्रोल रूम भी स्थापित किये गये थे जो 9 जून से 12 जून तक कार्यरत थे परीक्षा 12.06.11 को होनी थी। कन्ट्रोल रूम के दूरभाष नम्बर वेबसाइट पर उपलब्ध कराये गये। इस प्रकार विपक्षी के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया आवेदन-पत्र सारहीन है।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा आवेदन-पत्र निरस्त होने की नेट से ली गई सूचना, स्पीड-पोस्ट से प्रेषित प्रवेश-पत्र, विपक्षी को प्रेषित कानूनी नोटिस, पोस्टल रसीद आदि की प्रति प्रस्तुत की है।
विपक्षी की ओर से जवाब के समर्थन में इमरान फरीद अंडर- सेक्रेटरी के शपथ-पत्र के अलावा आवेदन-पत्र की शर्तें , प्रेस-नोट, परिवादी के आवेदन-पत्र आदि की प्रतियां प्रस्तुत की गई है इसके अलावा माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद आयोग, बिहार (पटना) द्वारा अपील संख्या 367/94 यू.पी.एस.सी. बनाम हेमन्त कुमार अजहरी निर्णय दिनांक 15.02.96 की प्रति भी पेश की गई है।
हमने परिवादी के अधिवक्ता की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
विपक्षी संविधान के अन्तर्गत गठित संवैधानिक संस्था है अखिल भारतीय सेवाओं के लिये परीक्षा संचालन करना उसका संवैधानिक दायित्व है। यह कार्य सेवा प्रदान करने की श्रेणी में नहीं आता है। इसलिये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उसका कृत्य सेवा प्रदान करना नहीं होने के कारण उससे संबंधित किसी विवाद के लिये इस मंच को उसके विरूद्ध सुनवाई का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। इस आधार पर ही परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
विपक्षी ने जवाब में स्पष्ट किया है कि 9 जून 11 को सभी भारतीय समाचार पत्रों में सूचना प्रकाशित कर दी गई थी कि वे आवेदक जिनके आवेदन-पत्र जन्म-तिथि की गलती के कारण खारिज हो गये वे परीक्षा में सम्मलित हो सकते हंै वे अपने परीक्षा केन्द्र की जानकारी वेबसाइट से ले सकते हैं। उनके प्रवेश-पत्र स्पीड पोस्ट से भेज दिये गये है। यदि नहीं मिलते है तब वेबसाइट से अपने प्रवेश-पत्र की प्रिन्ट आउट निकालकर 2 पास पोर्ट साइज के फोटो व आई.डी. प्रूफ के साथ उपस्थित होकर परीक्षा दे सकते हैं। यह जानकारी विपक्षी ने अपने वेबसाइट पर भी डाल दी। परिवादी ने परिवाद पत्र में स्पष्ट लिखा है कि उसने 06.06.11 को वेबसाइट से आवेदन-पत्र निरस्त होने की सूचना देखी थी इसका मतलब है कि उसे जानकारी थी कि विपक्षी ने अपनी वेबसाइट पर परीक्षा से संबंधित सूचनाऐ समय-समय पर डाली। इसलिये वह परीक्षा तिथि 12.06.11 से पूर्व प्रवेश-पत्र प्राप्त नहीं होने की अवस्था में विपक्षी की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार अपने परीक्षा केन्द्र की जानकारी लेकर परीक्षा में उपस्थित हो सकता था यदि उसने इस सुविधा व अवसर का उपयोग नहीं किया तब इसके लिये वह स्वयं जिम्मेदार है विपक्षी का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। इसलिये गुण-दोष के आधार पर भी विपक्षी के विरूद्ध कोई दोष प्रमाणित नहीं है।
अतः परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी मुकेश कुमार मीणा का परिवाद विपक्षी के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवादी खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(महावीर तंवर) ( हेमलता भार्गव) (भगवान दास)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच,कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
निर्णय आज दिनंाक 19.10.15 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच,कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
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