(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-688/2015
दीपक अग्रवाल पुत्र श्री कृष्ण मुरारी अग्रवाल, निवासी मकान नं0-4/6/01, मोहल्ला ख्वासपुरा, परगना हवेली अवध, तहसील सदर, जिला फैजाबाद।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम्
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, विद्युत वितरण खण्ड-I, आफिस मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0, फैजाबाद।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक सिन्हा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री संतोष कुमार मिश्रा।
दिनांक: 01.12.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-262/2013, दीपक अग्रवाल बनाम अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.02.2015 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने व्यावसायिक उद्देश्य के लिए विद्युत कनेक्शन मानते हुए परिवाद खारिज कर दिया है।
2. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री संतोष कुमार मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा यथार्थ में जीविकोपार्जन के लिए व्यावसाय किया जा रहा है, इस तथ्य का उल्लेख परिवाद पत्र में करने के लिए संशोधन आवेदन विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, परन्तु निर्णय/आदेश में उस संशोधन
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आवेदन का उल्लेख नहीं है। विधिक स्थिति यह है कि यदि संशोधन आवेदन स्वीकार कर लिया जता है और संशोधन आवेदन स्वीकार करने के पश्चात परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में संशोधन का पाठ अंकित किया जाता है तब संशोधित बैक डेट यानी परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से ही अंकित किया जाना माना जा सकता है। परिवादी/अपीलार्थी द्वारा परिवाद पत्र की प्रति पत्रावली में संलग्नक-1 के रूप में संलग्न की गई है, इसमें कहीं पर भी यह उल्लेख नहीं है कि परिवादी जीविकोपार्जन के लिए व्यावसायिक विद्युत कनेक्शन का प्रयोग कर रहा है, इसलिए यह कथन ग्राह्य नहीं है कि परिवादी जीविकोपार्जन के लिए इस व्यावसायिक विद्युत कनेक्शन का प्रयोग कर रहा है। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा व्यावसायिक विद्युत कनेक्शन के प्रयोग के संबंध में दिया गया निर्णय/आदेश विधिसम्मत है। इसी अवसर पर यह उल्लेख करना भी समीचीन होगा कि परिवादी द्वारा परिवाद पत्र के पैरा संख्या-7 में यह उल्लेख किया गया है कि परिवादी पर प्रकाशन के माध्यम से बकाया धनराशि दिखाई गई है, इसलिए परिवादी को कार्यवाही की संभावना उत्पन्न हो गई। इस प्रकार वाद कारण संभावना के आधार पर आधारित किया गया है। संभावना के कारण कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हो सकता। अत: परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस आधार पर भी खारिज किया जाना चाहिए था कि वाद कारण उत्पन्न हुए बिना ही परिवाद प्रस्तुत किया गया है। अत: प्रस्तुत अपील में कोई बल नहीं है। अपील तदनुसार निरस्त होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती हैं।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2