राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-338/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, फतेहपुर द्धारा परिवाद सं0-04/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.02.2019 के विरूद्ध)
रणवीर सिंह चौहान पुत्र स्व0 सालिगराम सिंह, निवासी ग्राम रघुराजपुर पोस्ट गुगौली जिला फतेहपुर।
........... अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1- अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खण्ड, फतेहपुर।
2- जूनियर इंजीनियर विद्युत वितरण विभाग चौडगरा, जिला फतेहपुर।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री शैलेश कुमार
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री मोहन अग्रवाल
दिनांक :- 18.01.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी रणवीर सिंह चौहान द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, फतेहपुर द्वारा परिवाद सं0-04/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.02.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षीगण से 30-31 वर्ष पूर्व पॉच हार्सपावर का विद्यत कनेक्शन सं0-7081/10579 प्राप्त किया था, जिसके विद्युत बिलों का भुगतान अपीलार्थी/परिवादी बराबर जमा करता था। अपीलार्थी/परिवादी के ट्यूबवेल का तार दिनांक 09.10.2011 की रात में टूट गया था, जिसकी शिकायत लिखित में प्रत्यर्थी/विपक्षीगण से की गई। अपीलार्थी/परिवादी इस ट्यूबवेल से साढ़े सात बीघा खेती की सिंचाई करता था एवं सारे खेतों में धान व लाही की फसल बोई थी। अपीलार्थी/परिवादी ने अधिशासी
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अभियंता को दिनांक 15.10.2011 को प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर उन्होंने लाईन काटने वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का आदेश दिया एवं अपीलार्थी/परिवादी की लाइन प्रत्यर्थी/विपक्षीगण विद्युत विभाग द्वारा न जोड़ने से अपीलार्थी/परिवादी के धान व लाही की फसल सूख गई एवं अपीलार्थी/परिवादी को काफी हानि हुई, अत्एव विवश होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रत्यर्थी/विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र का विरोध किया गया तथा यह कथन किया कि अपीलार्थी/परिवादी की लाईन का तार मात्र तीन दिन के लिए टूटा था एवं बाकी समय लाईन चालू थी तथा बराबर विद्युत का उपभोग करता रहा है। प्रत्यर्थी/विपक्षीगण द्वारा परिवाद पत्र को निरस्त किये जाने की प्रार्थना जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख की गई।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को खारिज कर दिया है, जिससे क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि तार टूटने के कारण अपीलार्थी का ट्यूबवेल नहीं चल सका, जिससे उसके खेतों में लगी धान व लाही की फसल सूख गई तथा उसे 1,80,000.00 रू0 की क्षति हुई है। यह भी कथन किया गया चूंकि अपीलार्थी प्रत्यर्थी/विद्युत विभाग का उपभोक्ता है अत्एव अपीलार्थी को हुई उपरोक्त क्षति की भरपाई की सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्रत्यर्थी/विद्युत विभाग की है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/विद्युत विभाग द्वारा सेवा में कमी की गई है अत्एव अपील स्वीकार कर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश को अपास्त किये जाने की प्रार्थना की गई।
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मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
वर्तमान प्रकरण में यह पाया जाता है कि अपीलार्थी/परिवादी विद्युत तार टूटने के तथ्य को साबित करने में विफल रहा है, जबकि प्रत्यर्थी/विपक्षीगण द्वारा दो दिन में ही अपीलार्थी के ट्यूबवेल के तार को जोड़ दिया गया था एवं उक्त के सम्बन्ध में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो निष्कर्ष अपने प्रश्नगत निर्णय अंकित किया गया है वह पूर्णत: विधि सम्मत है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश में किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपीलीय स्तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, अत्एव प्रस्तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वइ इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1