SITA RAM filed a consumer case on 23 Feb 2021 against EX.EN. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/60/2012 and the judgment uploaded on 04 Mar 2021.
1
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 60 सन् 2012
प्रस्तुति दिनांक 17.07.2012
निर्णय दिनांक 23.02.2021
सीताराम पुत्र स्वo निरजू, ग्राम- कटोही, पोस्ट- मदियापार, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo) मृतक।
पुत्रगण- स्वo सीतारम प्रजापति ग्राम- कटोही, पोस्ट- मदियापार, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo) मृतक।
....................................................................................परिवादीगण।
बनाम
अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण निगम लिमिटेड विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय आजमगढ़ (उoप्रo)।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादीगण ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उन्होंने विपक्षी के यहाँ से दिनांक 05.02.2008 को रसीद संख्या 37 पुस्तक संख्या-017775 पर रुपया 2650/- वास्ते नया कनेक्शन हेतु जमा किया। शिकायतकर्ता द्वारा अनेकों बार उक्त कनेक्शन के बाबत विपक्षी से सम्पर्क किया गया तथा विपक्षी द्वारा मीटर लगाने तथा कनेक्शन जोड़ने का आश्वासन दिया गया। करीब दो माह पहले स्थानीय हाइडिल के कुछ कर्मचारी मौखिक रूप से शिकायतकर्ता पर विद्युत बिल का बकाया होना बताया तथा उसका कनेक्शन चालू होना बताया। शिकायतकर्ता द्वारा दिनांक 22.06.2012 को सूचना आवेदन के तहत सूचना मांगी गयी लेकिन मांगी गयी सूचना विपक्षी ने आजतक नहीं दिया। दिनांक 05.02.2008 को जमा धन वास्ते नया कनेक्शन के बाबत मौखिक रूप से आश्वासन देने तथा कनेक्शन संख्या व मीटर संख्या के बाबत सूचना न देने के कारण विपक्षी के विरुद्ध यह शिकायत न्यायालय के समक्ष दर्ज किया। नया कनेक्शन हेतु रूपया जमा करने के बाद भी विपक्षी द्वारा मीटर व कनेक्शन नहीं लगाया गया। विपक्षी ने सेवा में कमी किया है। अतः विपक्षी से शिकायतकर्ता का कनेक्शन संख्या व मीटर संख्या (यदि कोई है) बताने के बाबत उचित आदेश दिया जाए तथा विपक्षी से मानसिक, आर्थिक, वादखर्च व अन्य के मद में रुपया एक लाख दिलवाया जाए।
P.T.O.
2
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6 सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत सूचना हेतु आवेदन पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
विपक्षी द्वारा कागज संख्या 17क जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि वादी का विद्युत कनेक्शन वादी द्वारा दिनांक 05.02.2008 को 2650/- जमा करने के पश्चात् दिनांक 06.02.2008 को केबुल के माध्यम से जोड़कर चालू करा दिया गया तथा वादी के नाम कनेक्शन संख्या 0730/100298 एलाट करा दिया गया, जिसकी पूर्ण जानकारी परिवादी को थी। देहाती क्षेत्र के उपभोक्ताओं से विद्युत मूल्य प्राप्त करने हेतु टैरिफ में दो प्रकार की व्यवस्था दी गयी है। 1- मीटर लगाकर मीटर रीडिंग के अनुसार, 2- जहाँ मीटर नहीं लगा है फिक्स मन्थली चार्ज के आधार पर। परिवादी के मौखिक आश्वासन पर कि वह मन्थली फिक्स चार्ज के आधार पर विद्युत बिल का भुगतान करेगा उसकी विद्युत लाईन जोड़कर चालू करा दी गयी उस समय मीटर उपलब्ध न हो पाने के कारण मीटर नहीं लगाया जा सका। परिवादी ने दिनांक 06.02.2008 से बराबर विद्युत का उपभोग करता चला आ रहा है। कभी भी उसने इस आशय का प्रार्थना पत्र नहीं दिया कि उसे विद्युत सप्लाई नहीं मिल रही है। जबकि परिवादी के पास बराबर विद्युत बिल भेजी जाती रही है। परिवादी जानबूझकर तथ्य छिपा रहा है कि उसे अपने विद्युत कनेक्शन की “कनेक्शन संख्या” की कोई जानकारी नहीं है क्योंकि परिवादी द्वारा एवं अपने विद्युत कनेक्शन संख्या 0730/100298 की एक बिल मुo 27481/- की एवं एक रसीद 2650/- का बाबत लेने कनेक्शन दिनांक 05.02.2008 की छायाप्रति विपक्षी को जवाबदावा प्रस्तुत करने हेतु उपलब्ध कराया था। परिवादी द्वारा दिनांक 05.02.2008 में जमा धनराशि के आधार पर कनेक्शन संख्या व मीटर संख्या की जानकारी न होने का आधार मानकर न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया गया अर्थात् वाद कारण 05.02.2008 बताया गया है। किन्तु परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के साथ देरी माफी का न तो की प्रार्थना पत्र दिया गया है और न ही अपने परिवाद पत्र में देरी माफी का कोई सन्तोषजनक कारण ही स्पष्ट किया गया है। अतः यह परिवाद समय सीमा से बाधित है। परिवादी द्वारा उपलब्ध करायी गयी विद्युत बिल के अनुसार परिवादी माह जनवरी, 2013 तक की विद्युत मूल्य 27481/- का देनदार है। परिवादी के परिसर में दिनांक 30.10.2013 को मीटर भी लगवा दिया गया है। परिवाद द्वारा गलत आधार पर यह परिवाद पत्र प्रस्तुत किया
P.T.O.
3
गया है। अतः परिवाद पत्र खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
बहस के समय परिवादी अनुपस्थित तथा विपक्षी उपस्थित आए। विपक्षी को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी ने अपने जवाबदावा में यह कहा है कि परिवाद पत्र समय सीमा से बाधित है, लेकिन न्यायालय का सुस्थापित सिद्धान्त है कि फोरम द्वारा दावा एडमिट कर लिया जाता है तो यह माना जाता है कि उसने विलम्ब को माफ कर दिया है। परिवादी ने अपने अनुतोष में यह कहा है कि विपक्षी से शिकायतकर्ता का कनेक्शन संख्या व मीटर संख्या यदि कोई है तो बताने का आदेश दिया जाए। विद्युत विभाग का कोई भी सूचनाधिकारी होगा और आयोग द्वारा उसे इस प्रकार की सूचना देने हेतु बाध्य नहीं किया जा सकता है। परिवादी को कोई आर्थिक व मानसिक क्षति भी नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 23.02.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.