RAVINDRA NATH MISHRA filed a consumer case on 03 Sep 2019 against EX.EN. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/15/2019 and the judgment uploaded on 19 Sep 2019.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 15 सन् 2019
प्रस्तुति दिनांक 04.02.2019
निर्णय दिनांक 03.09.2019
रविन्द्रनाथ मिश्र एडवोकेट पुत्र सिद्धेश्वर मिश्र साकिन मुहल्ला राहुल नगर मड़या, पोस्ट व तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
अधिशासी अभियन्ता पूर्वान्चल विद्युत वितरण निगम खण्ड- प्रथम, सिधारी, जिला- आजमगढ़।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि उसने लाइट, फैन विद्युत कनेक्शन विपक्षी से लिया था, जिसका कनेक्शन संख्या 311470 व एकाउन्ट नं. 4318582000 है। परिवादी के यहाँ मीटर दिनांक 24.08.2014 को लगाया गया। व्यस्तता व अवकाश की वजह से वह निजी कार्यों से बाहर गया था। जिससे माह अगस्त 2018 की बिल 928.95 रुपये व दिनांक 24.09.2018 को रुपये 929/- जमा कर दिया। लेकिन माह सितम्बर 2018 से विपक्षी ने बिल नहीं दिया और विपक्षी के यहां जाकर बिल निकलवा सका। जिससे कुल चार माह की बिल बकाया बतायी गयी। जनवरी 2019 में विपक्षी ने कोई बिल नहीं दिया तो परिवादी विपक्षी के कार्यालय गया तो उससे सम्पूर्ण बात बताया तो विपक्षी ने माह जनवरी 2019 की बिल 69,831/- रुपये बताया। परिवादी के परिवार में मात्र दो लोग हैं जो अन्य जगहों पर परिवादी की छावनी है। परिवादी विपक्षी के यहाँ बार-बार दौड़ता रहा, जिससे उसका 30,000/- रुपये का आर्थिक व मानसिक आघात पहुंचा। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह बिल तिथि 18.01.2019 मुo 69,831/- निरस्त कर अपनी वास्तविक बिल निर्धारण कर परिवादी को प्राप्त करें। शारीरिक व मानसिक कष्ट के लिए 30,000/- रुपये प्रदान करें।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 8/1 विद्युत बिल का विवरण, कागज संख्या 8/2 स्टेटमेन्ट ऑफ एकाउन्ट प्रस्तुत किया गया है।
दिनांक 07.02.2019 को विपक्षी के विरूद्ध परिवाद एक पक्षीय अग्रसारित किया गया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन P.T.O.
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किया। चूंकि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र तथा उसके समर्थन में प्रस्तुत शपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य अखण्डित हैं। अतः परिवाद पत्र स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी के यहाँ बकाया धनराशि की उचित गणना कर उससे उचित धनराशि प्राप्त करें।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 03.09.2019
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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