Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/48/2012

RADHEYSHYAM PANDEY - Complainant(s)

Versus

EX.EN. - Opp.Party(s)

PARAS NATH TIWARI

28 Jan 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 48 सन् 2012

प्रस्तुति दिनांक 31.05.2012

                                                                                              निर्णय दिनांक 28.01.2022

राधेश्याम पाण्डेय पुत्र श्री सरजू प्रसाद पाण्डेय उम्र लगभग 45 वर्ष ग्राम- इटौरीखालिसपुर, पोस्ट- मदियापार, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo)    

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय आजमगढ़ (उoप्रo)    
  2. विपक्षी।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने विपक्षी से कनेक्शन संख्या 102386 दिनांक 27.11.2008 को लिया था, जिसकी प्रथम बिल जनवरी 2009 में मुo 12,084/- रुपए बकाया के साथ जब विपक्षी द्वारा दिया गया तो उसमें मीटर रीडिंग नहीं दर्शाया गयी थी। परिवादी ने बिल संशोधन के सन्दर्भ में अनेकों बार संबन्धित अधिकारियों से कहा लेकिन संशोधन न किए जाने के कारण परिवादी ने दिनांक 12.01.2011 के पत्र के माध्यम से आर.टी.आई. के तहत सूचनाएं चाहीं, जिसकी सूचना न मिलने की दशा में परिवादी ने दिनांक 11.03.2011 को प्रथम अपीलीय अधिकारी के यहाँ अपील किया जिस पर उनके द्वरा दिनांक 13.05.2011 का पत्रांक 482 प्रेषित किया गया लेकिन विपक्षी द्वारा आजतक कोई संज्ञान नहीं लिया गया। परिवादी का मीटर जुलाई 2011 में जल जाने पर मीटर चार माह बाद 26 नवम्बर, 2011 को लगाया गया तो उसके बाद मीटर रीडिंग के हिसाब से बिल न बनाकर मनमाने ढंग से बिल बनाई गई तथा बकाया मुo 30,000/- रुपया दर्शाया गया जिसमें से परिवादी ने मुo 4,000/- रुपया जमा किया, फिर भी बकाया 27,000/- रुपया दर्शाया गया। परिवादी का मीटर पुनः फरवरी 2012 में जल गया जिसकी विभाग को परिवादी ने दिया, लेकिन आजतक विपक्षी द्वारा नया मीटर नहीं लगाया गया। करीब चार महीनों से बिल भी नहीं भेजी जा रही है। परिवादी ने उपरोक्त विद्युत कनेक्शन अपने जीविकोपार्जन हेतु लिया था। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी की बिलों को सुधारे और जला हुआ मीटर तत्काल बदल दे। साथ ही विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को मानसिक व शारीरिक पीड़ा के मद में 50,000/-  रुपया तथा वाद खर्च के मद में 5,000/- रुपया अदा करे।       

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 परिवादी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत मांगी गयी सूचना उपलब्ध कराए जाने के सम्बन्ध में प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 परिवादी द्वारा मांगे गए सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के प्रावधानों के तहत आवेदन पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 15 विद्युत बिल, कागज संख्या 21/1 परिवादी द्वारा पुलिस अधीक्षक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 21/2 कानूनी नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 21/3 जिला फोरम के आदेश दिनांक 15.09.2012 की छायाप्रति, तहसील सदर द्वारा जारी नोटिस की छायाप्रति, इसके पश्चात् विद्युत विल की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

कागज संख्या 10क² विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी द्वारा सारी विधिक औपचारिकता पूर्ण करने के पश्चात् उसके नाम से विद्युत कनेक्शन संख्या 0701/102386 जारी किया गया तभी से परिवादी बराबर विद्युत का उपभोग करता चला आ रहा है। कनेक्शन चालू करने के समय मीटर उपलब्ध नहीं था इसलिए मीटर नहीं लगाया जा सका। परिवादी को यह बताया गया था कि जब तक मीटर नहीं लगता है तब तक उसे मन्थली चार्जेज का भुगतान करना होगा, जिससे परिवादी भी सहमत था। परिवादी के परिसर में विद्युत सप्लाई बहाल करते समय मीटर नहीं लगाया जा सका था इसलिए मीटर रीडिंग के अनुसार बिल नहीं भेजी गयी। साथ ही साथ परिवादी से यह भी बताया गया था कि जब आपके यहाँ मीटर लग जाएगा तो उसके अवरेज के हिसाब से उसकी बिल संशोधित भी कर दी जाएगी। परिवादी के परिसर में कई बार मीटर लगाया गया, किन्तु परिवादी के लापरवाही पूर्ण कृत्य के कारण जल जाता था, जिससे सही रीडिंग नहीं मिल पाती थी। जिससे कि मीटर रीडिंग के अनुसार विद्युत मूल्य का समायोजन हो सके। परिवादी जानबूझकर मीटर की देख-रेख न करके गलत ढंग से मीटर को क्षति ग्रस्त करा देता था। जिससे सही रीडिंग न मिल सके और मीटर चलना बन्द हो जाता था। परिवादी के परिसर में दिनांक 15.04.2013 को पुनः मीटर लगाया गया और परिवादी को हिदायत दिया कि अब की बार मीटर से छेड़-छाड़ करोगे और मीटर बंद होगा तो आपके विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा दी जाएगी। तब से मीटर सही हालत में चल रहा है। मीटर लगने के दिनांक 15.04.2013 से माह 09/2014 तक परिवादी के मीटर की रीडिंग 6183 यूनिट पायी गयी, जिसके आधार पर मासिक अवरेज निकाल कर परिवादी की संशोधित बिल बनवाई गयी जिसके अनुसार परिवादी द्वारा किए गए सम्पूर्ण भुगतान के पश्चात् परिवादी के ऊपर माह 09/2014 तक का कुल बकाया मुo 1,10,322/- शेष है। माह 03/2008 से माह 10/2008 तक की बिल 16,082/- रुपए व 11/2008 से 09/2014 तक की बिल 94,239.92 अर्थात् सम्पूर्ण बकाया 1,10,322/- परिवादी के ऊपर बकाया शेष है। जिसका परिवादी से वसूल कराया जाना आवश्यक है। परिवादी ने गलत आधार पर परिवाद दाखिल किया है। अतः खारिज किया जाए।  

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी द्वारा कागज संख्या 13/1व13/2 परिवादी के ऊपर बकाए का विवरण प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 13/3व13/4 मीटर बदलने की रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 25 मीटर बदलने की रिपोर्ट की छायाप्रति, इसके पश्चात् विद्युत विल की छायाप्रति प्रस्तुत किया है। 

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। इस सन्दर्भ में यहाँ यह उल्लेख कर देना आवश्यक है कि जिला फोरम आजमगढ़ द्वारा दिनांक 15.09.2012 को यह आदेशित किया गया था कि परिवादी से परिवाद के निस्तारण तक नियमित बिल लिया जाए। अतः ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद आंशिक रुप से स्वीकार किए जाने योग्य है।

 

 

आदेश

    परिवाद विपक्षी के विरुद्ध आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी को यह आदेशित किया जाता है कि वह मीटर सम्बन्धी गड़बड़ी को सुधार करें तथा परिवादी से विद्युत कनेक्शन लिए जाने की तिथि से विद्युत बिल को सुधार करते हुए परिवादी द्वारा पूर्व में जमा बिल रकम को समायोजित करते हुए शेष का बकाया विद्युत बिल परिवादी को प्रदान करें।

                                                          खर्चा मुकदमा उभय पक्षकार अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।

 

 

 

 

 

                                                                             गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह  

                                                           (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

 

 

            दिनांक 28.01.2022

                                                यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                                 गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                                   (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

 

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