MANGALA PRASAD WISHWAKARMA filed a consumer case on 21 Jun 2022 against EX.EN. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/82/2021 and the judgment uploaded on 27 Jun 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 82 सन् 2021
प्रस्तुति दिनांक 12.07.2021
पुनर्विलोकित निर्णय दिनांक 21.06.2022
मंगला प्रसाद विश्वकर्मा पुत्र स्व राजाराम विश्वकर्मा निवास स्थान ग्राम- फरिहा, पोस्ट- फरिहा, तहसील- निजामाबाद, जिला- आजमगढ़।
..........................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- गगन कुमार गुप्ता “सदस्य” तथा सुश्री प्रतिष्ठा वर्मा “सदस्या”
पुनर्विलोकित निर्णय
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने दिनांक 19.04.2019 के पूर्व कभी भी विद्युत कनेक्शन लेने हेतु कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया और न ही इसके पूर्व विद्युत का उपयोग एवं उपभोग ही किया। उसने दिनांक 19.04.2019 को विद्युत कनेक्शन लिया जिसके आधार पर उसके परिसर में मीटर लगाया गया जिसका नम्बर 2244616 तथा विद्युत कनेक्शन का एकाउन्ट नं. 741903700191 है तथा परिवादी उक्त कनेक्शन पर जो भी विद्युत बिल आती है उसका बराबर भुगतान करता चला आ रहा है। परिवादी के चाचा स्वo रामलखन बहुत ही चालाक व मुकदमें बाज व्यक्ति थे, उनसे परिवादी के परिवार की पट्टीदारी की काफी दुश्मनी थी। वे परिवादी को व उसके परिवार को तरह तरह से तंग व परेशान करने की फिराक में थे। उनसे विद्युत विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों से काफी सम्पर्क था। यदि उन्होंने गलत ढंग से कोई विद्युत कनेक्शन परिवादी के नाम से कराया हो तो उसकी जानकारी परिवादी को नहीं है, क्योंकि वर्ष 2019 के पूर्व परिवादी के घर में कभी भी किसी तरह से विद्युत का उपयोग नहीं किया गया है। विपक्षीगण के कार्यालय से सर्वप्रथम दिसम्बर 2019 के प्रथम सप्ताह में एक डिमाण्ड नोटिस भेजी गयी जिस पर विद्युति कनेक्शन संख्या ए.टी. 13063162833 बुक संख्या 3063 ग्रुप 1 के अन्तर्गत माह दिसम्बर 15 तारीख तक 63,679/- रुपया बकाया दिखाकर दिया गया तो परिवादी काफी शख्त, हैरान व परेशान हुआ और विपक्षी के कार्यालय में जाकर उक्त कनेक्शन के सम्बन्ध में जाँच कर उसे निरस्त करने को कहा तो अधिशासी अभियन्ता महोदय ने कहा कि ‘ठीक है हम जाँच करा लेते हैं, रिपोर्ट आने पर उक्त कनेक्शन को समाप्त कर दिया जाएगा।’ विपक्षीगण ने आजतक मौके पर कोई जाँच नहीं कराया बल्कि परिवादी के प्रार्थना पत्र के जवाब में दिनांक 27.01.2020 में एक पत्र भेज दिया कि ‘आपने दिनांक 14.03.2013 को विद्युत कनेक्शन संख्या 741905642308 स्वीकृत कराया है इसलिए उसपर बकाया धनराशि का भुगतान सुनिश्चित करें।’ परिवादी ने विपक्षीगण से बार-बार आग्रह किया कि आप मौके की जाँच करा लें किन्तु वे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुए। विपक्षीगण ने विद्युत सप्लाई कोड 2005 के नियमों के विपरीत बिना मीटर के उक्त कनेक्शन को साजिशी तौर पर करके कागज में दिखाया गया है, जो विधि विरुद्ध है तथा निरस्त किए जाने योग्य है। विपक्षीगण का कथन एक क्षण के लिए यदि मान भी लिया जाय कि परिवादी की तरफ से दिनांक 14.03.2013 को विद्युत कनेक्शन लिया गया तो भी विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 56(2) के अनुसार भी विपक्षीगण किसी भी प्रकार की विद्युत बिल विपक्षी वसूल करने के हकदार नहीं हैं। विपक्षीगण ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 171 का घोर उल्लंघन किया है इस तौर पर भी किसी प्रकार की विद्युत बिल विपक्षी वसूल करने के अधिकारी नहीं हैं। अतः विपक्षीगण द्वारा भेजी गयी डिमाण्ड नोटिस दिनांकित 12.02.2020 बाबत 67,500/- रुपए का कनेक्शन संख्या 741905642308 निरस्त किया जावे तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि भविष्य में उक्त कनेक्शन पर कोई विद्युत बिल जारी न करें। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाए कि उक्त कनेक्शन संख्या पर बकाया विद्युत बिल के वसूली के बाबत दौरान मुकदमा कोई उत्पीड़नात्मक कार्यवाही न करें।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 8/1 मंगला प्रसाद विश्वकर्मा के नाम से कनेक्शन संख्या ए.टी.13063162833 के बाबत वसूली की नोटिस, कागज संख्या 8/2 विद्युत बीजक का निर्धारित तिथि तक भुगतान न करने पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 56(1) के तहत नोटिस, कागज संख्या 8/3 आवेदक द्वारा अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण को लिखा गया पत्र, कागज संख्या 8/4 याची को अधिशासी अभियन्ता द्वारा लिखा गया पत्र, कागज संख्या 8/5 याची के पास जो कनेक्शन है उसके बाबत जमा बिल की रसीद तथा कागज संख्या 8/6 आधार कार्ड की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 13क² विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है और पैरा 01 में उसने यह कहा है कि ज्ञात नहीं है तथा दूसरे पैरा में यह कहा है कि परिवादी श्री मंगलाप्रसाद विश्वकर्मा द्वारा दिनांक 19.07.2019 के पूर्व कोई भी विद्युत कनेक्शन विभाग द्वारा प्राप्त नहीं किया गया है, यह असत्य है। इनके द्वारा दिनांक 14.03.2013 को रसीद संख्या 16/392833 के द्वारा मुo 2000/- रुपए घरेलू बत्ती पंख्या 02 किoवाo संयोजन स्वीकृत कराने के लिए जमा किया गया है। इनके द्वारा संयोजन माह 03/2013 से प्राप्त किया गया है। परिवादी द्वारा तथ्यों को छिपाते हुए श्री मंगला प्रसाद विश्वकर्मा के नाम से दिनांक 17.04.2019 को एक अन्य कनेक्शन जारी कराया गया है, जिसका भुगतान इनके द्वारा किया जा रहा है। परिवादी का यह कथन असत्य है कि इनके द्वारा पूर्व में जारी विद्युत बिल से बचने हेतु आधारहीन तथ्यों का वर्णन किया गया है, जो स्वीकार होने योग्य नहीं है। इसके अलावा परिवादी के अन्य कथनों से इन्कार करते हुए यह कहा है कि परिवादी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है। अतः निरस्त किया जाए।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी संख्या 01 द्वारा कागज संख्या 16/1व16/2 विद्युत बिल की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित रहे। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने अपना बहस सुनाया व कागज संख्या 24ग² लिखित बहस भी प्रस्तुत किया। सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। जो कनेक्शन याची ने लिया है उसका बिल वह लगातार जमा करता रहा है। जिस कनेक्शन के बाबत उसे डिमाण्ड नोटिस विपक्षी द्वारा भेजी गयी है, वह काफी पुरानी है और परिवादी ने वह कनेक्शन लिया था अथवा नहीं इस सन्दर्भ में विपक्षीगण द्वारा कोई भी ठोस प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत नहीं किया गया है। यदि यह मान भी लिया जाय कि याची ने विपक्षीगण द्वारा कथित कनेक्शन लिया था तो भी विपक्षीगण को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा- 56(2) के अनुसार उक्त बिल की वसूली का अधिकार नहीं है। उपरोक्त विवेचनाओं के आधार पर हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी द्वारा आवंटित कागज संख्या 8/2 जो कि मंगला प्रसाद विश्वकर्मा के नाम से कनेक्शन संख्या ए.टी.13063162833 बुक संख्या 3063 ग्रुप-1 को निरस्त किया जाता है तथा इस कनेक्शन के बाबत विद्युत बीजक का निर्धारित तिथि तक भुगतान न करने पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 56(1) के तहत नोटिस मुo 67,500/- रुपए की है, की वसूली से मना किया जाता है।
सुश्री प्रतिष्ठा वर्मा गगन कुमार गुप्ता
(सदस्या) (सदस्य)
दिनांक 21.06.2022
यह पुनर्विलोकित निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
सुश्री प्रतिष्ठा वर्मा गगन कुमार गुप्ता
(सदस्या) (सदस्य)
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