Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/39/2017

MADHURI RAI - Complainant(s)

Versus

EX.EN. - Opp.Party(s)

RAMESH CHANDRA PANDEY

18 Apr 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 39 सन् 2017

प्रस्तुति दिनांक 02.03.2017

 निर्णय दिनांक 18.04.2022

माधुरी राय उम्र लगo 45 वर्ष पत्नी अम्बिका राय निवासिनी मुहल्ला- आराजी बाग, परगनृ निजामाबाद, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।      

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. अखिलेश अवर अभियन्ता, क्षेत्र आराजी बाग, विद्युत वितरण खण्ड- प्रथम सिधारी, आजमगढ़।
  2. अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड- प्रथम सिधारी, आजमगढ़।
  3. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा प्रबन्ध निदेशक, भिखारीपुर, वाराणसी।       
  4. विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने विपक्षी संख्या 02 से उनके कार्यालय में विद्युत कनेक्शन हासिल करने हेतु आवेदन पत्र दिनांक 14.02.2012 को प्रस्तुत किया था जिसके लिए उसने मुo 2,650/- रुपया जमा भी किया, किन्तु विभाग द्वारा परिवादिनी को बार-बार दौड़ाया जाता रहा और परिवादिनी का विद्युत कनेक्शन जारी नहीं किया गया। काफी प्रयास के बाद दिनांक 08.07.2014 को परिवादिनी के परिसर में मीटर लगाकर कनेक्शन जारी किया गया। दिनांक 08.07.2014 से परिवादिनी विद्युत उपयोग व उपभोग कर रही है तथा विभाग द्वारा लगाया गया मीटर भी सही ढंग से प्रचालित है। इस प्रकार दिनांक 08.07.2014 से मीटर रीडिंग के हिसाब से विद्युत बिल भुगतान करने का दायित्व परिवादिनी पर है। विपक्षीगण द्वारा दिनांक 08.07.2014 के बाद से परिवादिनी को कोई विद्युत बकाया बिल विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया। परिवादिनी विपक्षी संख्या 01व02 के के कार्यालय का चक्कर लगाती रही एवं मांग करती रही कि मीटर रीडिंग के मुताबिक बिल बनवाकर उपलब्ध करायी जाए ताकि वह बकाया का भुगतान कर सके, लेकिन विपक्षीगण द्वारा सही ढंग से बिल बनाकर उपलब्ध नहीं करायी गयी। दिनांक 17.02.2017 को सम्बन्धित अवर अभियन्ता विपक्षी संख्या 01 (अखिलेश) परिवादिनी के परिसर में पहुंचे और प्रिन्टेड फॉर्म पर हाथ से बनायी हुई बिल 75,381/- रुपए की परिवादिनी को दिया और कहा कि आप तत्काल पैसा जमा करें नहीं तो कनेक्शन काट दिया जाएगा। दिनांक 18.02.2017 को परिवादिनी स्वयं विपक्षी संख्या 02 के कार्यालय स्थित मुहल्ला सिधारी आजमगढ़ गयी और अपनी कनेक्शन की विद्युत बिल के बाबत उपखण्ड अधिकारी से मुलाकात कर उनके बताने के अनुसार कार्यालय से कम्प्यूटराइज्ड बिल निकलवायी और उन्हें दिखाया तो उपखण्ड अधिकारी ने परिवादिनी को बताया कि जो भी बकाया दर्शित है उसे तत्काल जमा कर देवें। उन्हीं के निर्देशन पर परिवादिनी ने उसे दिन कम्प्यूटराइज्ड बिल में दर्शायी गयी धनराशि मुo15,724/- रुपया जमा कर दिया। विपक्षी संख्या 01 अवर अभियन्ता श्री अखिलेश परिवादिनी के परिसर में पहुंचे और कहे कि आप तत्काल सारा बकाया भुगतान कर दें नहीं तो वह तुरन्त लाइन कटवा देगा। परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 02 के कार्यालय से प्राप्त कम्प्यूटराइज्ड बिल व उससे सम्बन्धित जमा धनराशि की रसीद उन्हें दिखाया तो कागज हाथ में लेते ही आग बबूला हो गए और परिवादिनी को अपशब्द करने लगे तथा काफी अपमानित किए और कहे कि अभी तुम्हारे खिलाफ विद्युत चोरी का मुकदमा दर्ज कराउंगा और अपने मोबाइल से इधर-उधर की फोटो लेने लगे और कहे कि मैं जाति का हरिजन हूँ तुम्हारे ऊपर विद्युत चोरी के साथ साथ एस.सी.एस.टी. का भी मुकदमा दर्ज करा दूंगा। काफी अनुनय विनय के बावजूद अपमानित करते हुए/अपशब्द कहते हुए वापस चले गए। परिवादिनी का मीटर दिनांक 08.07.2014 को लगाया गया किन्तु आजतक परिवादिनी के कनेक्शन पर मीटर पोस्ट नहीं किया गया बिना रीडिंग के मनमाने तौर पर बिल जारी की जा रही है तथा याचिका में वर्णित कार्य विपक्षी संख्या 01 के सेवा में कमी की कोटि में आता है। अवर अभियन्ता विपक्षी संख्या 01 के उक्त कृत्य से परिवादिनी को मानसिक आघात पहुंचा है तथा समाज में काफी अपमानित भी होना पड़ा। जिससे परिवादिनी अफशोसन/सदमा लगने के कारण काफी बीमार हो गयी। परिवादिनी का लगभग 10,000/- रुपया चिकित्सा आदि के व्यय के रूप में खर्च हो गया। अतः परिवादिनी के विरुद्ध प्रिन्टेड फार्म पर विपक्षी संख्या 01 द्वारा निर्गत हाथ से बनायी गयी विद्युत बिल मुo 75,381/- रुपए याचिका में वर्णित कारणों से निरस्त किया जावे, विपक्षीगण को निर्देशित किया जावे कि विद्युत मीटर लगाने की तिथि दिनांक 08.07.2014 से कनेक्शन देने व परिवादिनी द्वारा उपयोग में की गयी मीटर रीडिंग के अनुसार कम्प्यूटराइज्ड बिल, उसके मीटर के बिल पर पोस्ट करते हुए उसके अनुरूप समय-समय पर परिवर्तित टैरिफ रेट के अनुसार बिल बनाकर निर्धारित मियाद के अन्दर परिवादिनी को उपलब्ध करावे, अवर अभियन्ता विपक्षी संख्या 01 श्री अखिलेश के विरुद्ध प्रतिकूल प्रविष्टि करने हेतु विपक्षी संख्या 03 प्रबन्ध निर्देशक कार्यालय को पत्र लिखा जावे, अवर अभियन्ता श्री अखिलेश विपक्षी संख्या 01 के व्यक्तिगत सरमाया से परिवादिनी को मुo 10,000/- रुपया शारीरिक, मानसिक व चिकित्सकीय क्षति के रूप में तथा मुo 5,000/- रुपया वाद व्यय के रूप में दिलाया जाए। साथ ही विपक्षी को निर्देशित किया जाए कि वे परिवादिनी के परिसर में लगे मीटर की हर माह रीडिंग लेकर रीडिंग के अनुसार विद्युत बिल उपलब्ध करावे ताकि परिवादिनी विद्युत बिल का भुगतान समय से सुनिश्चित कर सके।

परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी ने कागज संख्या 6/1 विद्युत बिल की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 मीटर संयोजन प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 विद्युत बिल के भुगतान रसीद की छायाप्रति, कागज संख्या 6/4 कम्प्यूटराइज्ड विद्युत बिल तथा कागज संख्या 6/5 विद्युत बिल एवं विच्छेदन नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 11ग² आर.टी.आई. के द्वारा मांगी गयी सूचना से सम्बन्धित मूल प्रपत्र, कागज संख्या 15/1 कागज संख्या 6/1 की मूलप्रति, कागज संख्या 15/2 कागज संख्या 6/2 की मूलप्रति, कागज संख्या 15/3 कागज संख्या 6/5 की मूलप्रति, कागज संख्या 15/4 कागज संख्या 6/4 की प्रति, कागज संख्या 15/5 कागज संख्या 6/3 की मूलप्रति, कागज संख्या 15/6 विद्युत एकाउन्ट विवरण की छायाप्रति, कागज संख्या 15/7 डिमाण्ड नोटिस की मूलप्रति, कागज संख्या 15/8 कम्प्यूटराइज्ड विद्युत बिल, कागज संख्या 15/9 आर.टी.आई. आवेदन पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 15/10 आर.टी.आई द्वारा प्राप्त सूचना का मूल प्रपत्र तथा कागज संख्या 15/14 आर.टी.आई. से प्राप्त सूचना का मूल प्रपत्र प्रस्तुत किया है।

यहाँ यह उल्लेखनीय है कि प्रस्तुत परिवाद के सन्दर्भ में विपक्षीगण को पर्याप्त समय दिए जाने के बावजूद वे जवाबदावा प्रस्तुत करने में असफल रहे, ऐसी स्थिति में परिवाद दिनांक 14.09.2017 को विपक्षीगण के विरुद्ध एक पक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की जा चुकी है।     

दौरान बहस पुकार कराए जाने पर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने उपस्थित होकर अपना बहस सुनाया। सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। प्रलेखीय साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत कागज संख्या 15/3 जो कि विद्युत विच्छेदन नोटिस से सम्बन्धित प्रपत्र की मूल प्रति है, का अवलोकन किया जिस पर दिनांक 05.02.2017 अंकित है तथा उस पर विद्युत बकाया मुo 75,381/- रुपए दर्शाया गया है, जो कि प्रस्तुत परिवाद के अनुसार विपक्षी संख्या 01 द्वारा याचिनी को दिया गया था। जबकि याचिनी ने दिनांक 17.02.2017 को विद्युत विभाग द्वारा जारी कागज संख्या 15/4 कम्प्यूटराइज्ड विद्युत बिल प्रस्तुत किया है जिस पर विद्युत बकाया मुo 15,724/- रुपया अंकित है। यहाँ यह बात समझ से परे है कि जब विद्युत विभाग द्वारा कम्प्यूटराइज्ड विद्युत बिल जारी किया जा रहा है तो ऐसी स्थिति में हाथ से लिखे हुए विद्युत बिल को विपक्षी संख्या 01 द्वारा प्रस्तुत क्यों किया गयाỊ प्रस्तुत प्रलेखीय साक्ष्य के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षी संख्या 01 द्वारा प्रस्तुत विद्युत बिल कागज संख्या 15/3 कूट-रचित बिल प्रतीत होता है, जो गैर-कानूनी एवं दण्डनीय भी है। इसके अलावा ऐसा क्रिया-कलाप अनुचित व्यापार प्रथा एवं सेवा में कमी का भी प्रतीक है। उपरोक्त विवेचना के उपरान्त हमारे विचार से परिवाद परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षीगण के विरुद्ध स्वीकार होने योग्य है।

 

आदेश

    परिवाद परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षीगण के विरुद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी के विद्युत कनेक्शन को तत्काल प्रभाव से नियमित करें तथा मीटर रीडिंग के आधार पर परिवादी द्वारा पूर्व में जमा विद्युत मूल्य की धनराशि को समायोजन कर नियमित रूप से विद्युत बिल प्रदान करें।

विपक्षी संख्या 02व03 को यह आदेशित किया जाता है कि वे विपक्षी संख्या 01 के विरुद्ध प्रस्तुत तथाकथित विद्युत  बिल एवं विच्छेदन नोटिस जो कूट-रचित प्रतीत होता है, को निरस्त किया जाता है एवं जिसे याचिनी को देने व धमकाने के मामले में विभागीय जाँच कराई जाए तथा दोषी पाए जाने पर प्रतिकूल प्रविष्टि के साथ दण्डात्मक कार्रवाई की जाए। इसके अलावा याचिनी को मानसिक व शारीरिक एवं चिकित्सकीय क्षति के रूप में मुo 10,000/- रुपए (रु.दस हजार मात्र) एवं वाद व्यय के रूप में मुo 5,000/- रुपए (रु.पांच हजार मात्र) विपक्षीगण अन्दर 30 दिन याचिनी को अदा करें।

उक्त समयवाधि में भुगतान न करने की स्थिति में विपक्षीगण उपरोक्त समस्त धनराशि पर 09% वार्षिक ब्याज की दर से याचिनी को करेंगे।

 

 

 

                                                                     गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह 

                                                   (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

 

       दिनांक 18.04.2022

                                               यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                           गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                             (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

 

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