DUKH HARAN SINGH filed a consumer case on 24 Aug 2021 against EX.EN. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/37/2012 and the judgment uploaded on 26 Aug 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 37 सन् 2012
प्रस्तुति दिनांक 21.04.2012
निर्णय दिनांक 24.08.2021
दुखहरन सिंह मंत्री क्षेत्रीय श्री गाँधी आश्रम अकरौलिया आजमगढ़ (उoप्रo)।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय रैदोपुर कालोनी जनपद- आजमगढ़ (उoप्रo)
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह विपक्षी के कार्यालय में विद्युत कनेक्शन संख्या 004619 मीटर संख्या-192287 के बाबत उपभोग अवधि दिनांक 27.02.2010 से दिनांक 30.03.2010 की बकाया विद्युत बिल की रकम रुपया 7283/- दिनांक 30.04.2010 को जमा कर दीय गई, परन्तु अगली बिलों में विपक्षी द्वारा उसका समायोजन नहीं किया गया। विद्युत बिल को समायोजित करने के सन्दर्भ में परिवादी द्वारा विपक्षी को दिनांक 29.06.2010, 28.09.2010, 27.06.2011 को पत्र लिखा गया, लेकिन विपक्षी द्वारा सुनवाई नहीं की गयी तब दिनांक 05.11.2011 को आर.टी.आई. के तहत सूचना चाही गयी जिसके सन्दर्भ में दिनांक 17.12.2011 को प्रथम अपील प्रेषित की गयी तथा दिनांक 03.02.2012 को राज्य सूचना आयोग के समक्ष अपील दर्ज कराई गयी। लेकन आजतक विपक्षी द्वारा न तो कोई सूचना उपलब्ध कराई गयी न तो बिलों में जमा रकम को समायोजित ही किया गया। विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी है। अतः उसे आदेशित किया जाए कि वह दिनांक 30.04.2010 को जमा की गयी रकम 7283/- का समायोजन आगे की विद्युत बिल में किया जाए तथा मानसिक व आर्थिक क्षति के लिए 50,000/- रुपया परिवादी को अदा करे।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 मुख्य सूचना आयुक्त को दिए गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 सूचना मांगे जाने के सन्दर्भ में लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 इस सन्दर्भ का पत्र है कि अपील कर्ता को सूचना दिया जाए, कागज संख्या 6/4 परिवादी द्वारा लिखे गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति है कि विद्युत विभाग द्वारा गलत सूचना दी जा रही है तथा कागज संख्या 6/5 7283/- रुपए जमा करने की रसीद की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 16क विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि याची को विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय आजमगढ़ के अन्तर्गत स्थित उपकेन्द्र अतरौलिया से श्री गाँधी आश्रम अतरौलिया आजमगढ़ को विद्युत आपूर्ति की जाती है। सम्मानित उपभोक्ता 2के.जी. वॉट विद्युत भार से दिनांक 06.07.1996 से विद्युत संयोजन संख्या ए.जेड.6/0722/ 004619 से संयोजित है। उपभोक्ता द्वारा दिनांक 27.02.2010 से दिनांक 30.03.2010 की बकाया विद्युत बिल की रकम रुपए 7283/- जो दिनांक 24.04.2010 को जमा होनी थी समय से जमा नहीं हो सकी। विद्युत बिल जमा करने का दिनांक 24.04.2010 निर्धारित था जबकि उपभोक्ता द्वारा विद्युत बिल विच्छेदन के दिनांक 30.04.2010 को जमा की गयी। यही मूल कारण था कि इस संयोजन के बकाया बिल का भुगतान रुपए 7283/- का सम्बन्धित प्रपत्र बीजक भुगतान में विलम्ब होने के कारण समय कार्यालय को उपलब्ध नहीं हो सका। जिसकी वजह से जमाशुदा रकम का समायोजन अगली बिल में नहीं सका। चूंकि सम्मानित उपभोक्ता लगातार विद्युत उपभोग करता चला आ रहा है। इसलिए लेन-देन के सार्वजनिक नियम का पालन करते हुए उपभोक्ता को वर्तमान बिलों का भुगतान समान रूप से करते रहना चाहिए था। जब कि उपभोक्ता ने ऐसा नहीं किया। याची नेहायत ही मुकदमें बाज व मुतफन्नी किस्म का व्यक्ति है जैकि कि उसके कृत्य से स्पष्ट है क्योंकि उपभोक्ता ने माहवार विद्युत बिल का भुगतान करने के बजाए विपक्षी को अनावश्यक रूप से मुकदमा झूठे कथनों के आधार पर किया है। वर्तमान माह नम्बर 2010 के 1843.60 रुपए के मासिक बिल सहित कुल बकाया रकम 96417/- रुपए हो चुका है। जिसके भुगतान की याची ने ध्यान नहीं दिया। विपक्षी द्वारा जमा रकम 7283/- रुपया का समायोजन याची के विद्युत बिल में किया जा चुका है और बरवक्त विपक्षी डिफाल्टर है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा में यह कहा गया है कि याची ने दिनांक 1996 में विद्युत कनेक्शन लिया था और उसने 2010 में 7,283/- रुपया जमा किया था, जिसका समायोजन हो चुका है। याची द्वारा प्रलेखीय साक्ष्य में केवल एक विद्युत बिल मुo 7,283/- रुपए जमा करने की रसीद प्रस्तुत किया है। याची ने अपना कनेक्शन लिया था इसके बारे में कोई भी उसके द्वारा प्रलेख प्रस्तुत नहीं किया गया है। यदि वह जब से कनेक्शन लिया है तब से आजतक का कोई प्रलेख प्रस्तुत करता तो यह निर्धारित किया जा सकता था कि उसके ऊपर कितना बकाया है और उसके द्वारा जमा धनराशि कितने रुपए में समायोजित करना था। लेकिन याची द्वारा कोई भी सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 24.08.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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