CHANDRA BHAN YADAV filed a consumer case on 22 Nov 2021 against EX.EN. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/122/2009 and the judgment uploaded on 02 Dec 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 122 सन् 2009
प्रस्तुति दिनांक 08.07.2009
निर्णय दिनांक 22.11.2021
चन्द्रभान यादव उम्र तखo 50 साल पुत्र स्वo रामनरायन यादव निवासी ग्राम धर्मनपुर परगना निजामाबाद तहसील सदर जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसके पिता रामनरायन यादव ने विपक्षी संख्या 01 से निजी नलकूप चलाने के लिए 05 हॉर्स पॉवर विद्युत चालित मोटर कनेक्शन संख्या 6205/003038 दिनांक 27.07.1983 को कृषि कार्य हेतु लिया था। जिनकी मृत्यु के पश्चात् परिवादी के भाईयों के बीच बटवारे में उक्त नलकूप परिवादी को मिला है। परिवादी उक्त नलकूप का बराबर बिल जमा करता चला आ रहा है। विपक्षी संख्या 01 के अधीनस्थ अधिकारियों ने दिनांक 12.05.2008 को परिवादी का नलकूप चेक किया उस समय परिवादी अपना नलकूप चला रहा था, जांच में उन्होंने पांच हॉर्स पॉवर का मोटर पाया तथा कहा कि तुम्हारा कनेक्शन अवैध है तो परिवादी ने नलकूप का पासबुक तथा विपक्षी को दिए गए बिल भुगतान की रसीद दिखाया। अधिकारियों द्वारा परिवादी से पैसे की मांग की गयी जिसको परिवादी देने से इन्कार कर दिया तथा कहा कि जब वह बराबर बिल जमा करता है तो घूस नहीं देगा, तो नाराज होकर विपक्षी संख्या 01 के अधीनस्थ अधिकारियों ने जबरदस्ती परिवादी का पांच हॉर्स पॉवर का मोटर गाड़ी पर लादकर उठा ले गए। परिवादी अपने मोटर वापसी के सम्बन्ध में विपक्षी संख्या 01 से मिला तो उन्होंने कहा कि 10,000/- रुपया जमा करोगे तो तुम्हारा मोटर वापस किया जाएगा तो परिवादी मोटर वापसी हेतु मजबूर होकर दिनांक 12.05.2008 को 10,000/- रुपया दिया तो विपक्षी संख्या 01 के अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा परिवादी का मोटर वापस किया गया। परिवादी अपने ट्यूबबेल के बिल का भुगतान मई 2009 तक कर दिया था, जिसका अंकन परिवादी के पासबुक पर है। चेकिंग रिपोर्ट दिनांक 12.05.2008 के आधार पर विपक्षी संख्या 01 द्वारा जो असेसमेन्ट करके आर.सी. जारी कर दी गयी है वह अवैध है तथा विधि विरुद्ध है जो निरस्त होने योग्य है। परिवादी को माह जून में इस बात की जानकारी हुई कि विपक्षी संख्या 01 के कार्यालय से आर.सी. जारी करके विपक्षी संख्या 02 के माध्यम से विपक्षी संख्या 03 तहसीलदार के यहाँ वसूली हेतु भेजी गयी है तो परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 को शिकायती प्रार्थना पत्र दिया तथा उनसे आग्रह किया कि अवैध रूप से जारी आर.सी. को वापस कर लेवे, परिवादी कभी भी सिंचाई के अलावा कोई उपयोग विद्युत का नहीं किया है, लेकिन वे सुनने से इन्कार कर दिए तो बाध्य होकर परिवादी परिवाद पत्र प्रस्तुत कर रहा है। वादकारण दिनांक 12.05.2008 के ग्राम धर्मनपुर परगना निजामाबाद तहसील सदर जिला आजमगढ़ में उस समय उत्पन्न हुआ जब विपक्षी संख्या 01 ने परिवादी के ऊपर गलत चेकिंग रिपोर्ट के आधार पर असेसमेन्ट करके आर.सी. तहसील में वसूली हेतु भेज दिया जो श्रीमान् के कार्यक्षेत्र सीमा के अन्तर्गत आता है तथा श्रीमान को उपरोक्त परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। परिवाद का मूल्यांकन 1,00,000/- रुपया है जिसमें 18,982/- रुपए की आर.सी., 10,000/- रुपया अवैध ढंग से मोटर वापसी हेतु वसूला गया रुपया तथा 71,018/- रुपया शारीरिक, मानसिक व आर्थिक उत्पीड़न कुल योग 1,00,000/- रुपया होता है। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह उनके द्वारा जारी आर.सी. मुo 18,982/- रुपया दिनांकित 01.04.2009 को निरस्त कर परिवादी से अवैध ढंग से मोटर वापसी में वसूले गए मुo 10,000/- रुपया वापस कराया जाए या अग्रेतर बिल में एडजस्ट किया जाए तथा विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से उत्पीड़न के एवज में क्षतिपूर्ति 71,018/- रुपया अदा करे।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 7/2 ता 7/5 पासबुक नलकूप कनेक्शन एवं विवरण की छायाप्रति तथा कागज संख्या 18ग जनता स्वर्गवास घाट रजागंज (थाना-कोतवाली), गाजीपुर में परिवादी के पिता की मृत्यु के दाह संस्कार से सम्बन्धित प्रमाण-पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 9क विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार करते हुए यह कहा है कि उपभोक्ता विद्युत की चोरी कर रहा था, चोरी का मुकदमा देखने का क्षेत्राधिकार इस न्यायालय को प्राप्त नहीं है। तथा अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी द्वारा उसके याचना में कथन किया गया है कि ट्यूबबेल उसके नाम से नहीं, उसके पिता के नाम था इस प्रकार माo स्टेट फोरम द्वारा अपने निर्णय में स्पष्ट कहा गया है कि वह व्यक्ति उपभोक्ता नहीं हो सकता जिसके साथ विपक्षी का अनुबन्ध नहीं है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद इस फोरम न्यायालय में नहीं चल सकता है। उपरोक्त प्रकरण पूर्णतः विद्युत चोरी का है कारण स्पष्ट है कि उपभोक्ता का मोटर जब कब्जे में लिया गया तो वह 10,000/- रुपया संo विभाग में जमा किया शमन शुल्क के रूप में रसीद प्राप्त कर मोटर ले गया। इससे स्पष्ट है कि प्रकरण चोरी का है। जिसका ट्रायल माo स्पेशल कोर्ट में चल रहा है। इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी कि वादी द्वारा चोरी करने के बाद भी झूठा मुकदमा दाखिल करके अपने दण्ड से बच जाएगा। यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा कि वह 10,000/- रुपया दिया है रसीद प्राप्त किया है तथा चोरी स्वीकार करता है। चूंकि चोरी का मुकदमा देखने का क्षेत्राधिकार इस न्यायालय को प्राप्त नहीं है अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 25/1 चेकिंग रिपोर्ट दिनांक 12.05.2008 की छायाप्रति, कागज संख्या 25/2 सहायक अभियन्ता रेड की चेकिंग के बाबत रिपोर्ट दिनांक 27.02.2010 की छायाप्रति तथा कागज संख्या 25/3 विद्युत बिल एवं विद्युत विच्छेदन नोटिस की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 02 व 03 की तरफ से शासकीय विद्वान अधिवक्ता हाजिर मुकदमा हैं, परन्तु उनके द्वारा किसी भी प्रकार का जवाबदावा व साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
पुकार कराए जाने पर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए, जबकि विपक्षीगण की तरफ से कोई भी उपस्थित नहीं आए। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने अपनी बहस सुनाई। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा प्रस्तुत कागज संख्या 25/1 ता 25/3 के अवलोकन से यह प्रमाणति होता है कि यह मामला विद्युत चोरी से सम्बन्धित है। अतः यह मामला इस न्यायालय में चलने योग्य नहीं है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 22.11.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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